पता नहीं क्यों सब लोग एक कुर्सी के लिए इतना लड़ते रहते हैं, जबसे ये सीईओ की कुर्सी मेरी किस्मत में आई है, मेरी पूरी ज़िंदगी ही एक लड़ाई बन चुकी है। कहने को मैं इस कंपनी का सीईओ हूँ, हेड हूँ। मुझसे ऊपर यहाँ कोई नहीं, पर असलियत क्या है ये बस मैं ही जानता हूँ। इन शॉर्ट, मैं एक ऐसा भगवान हूँ जिसके पास पावर्स तो सारी हैं, लेकिन सारी पावर्स पर बैन लगा हुआ है। अरे यार क्या करूँ मैं ऐसी पावर का जिसे मैं यूज़ ही नहीं कर सकता? क्या करूँ मैं हेड बनकर जब सब मेरा ही हेड तोड़ने पर लगे हैं? फिर कहते हैं कि “तुम कुछ सीखते नहीं”, अरे यार, जितना टेंशन इन लोगों ने मेरे सिर पर रख दिया है उसके बाद कोई भी अपना पिछला भी भूल जाए, वो कुछ नया कैसे सीखे। आज इस ऑफिस की हर एक दीवार, हर एक कोने और हर एक चीज़ से बस एक ही आवाज़ सुनाई दे रही है मुझे, “ये गलियाँ ये चौबारा, यहाँ आना ना दोबारा।” ये नेट भी कितना कन्फ्यूज़िंग सा है, यूट्यूब पर कुछ डाल दो, वीडियोज़ की बाढ़ आ जाती है। और हर वीडियो में सब अलग ही बोल रहे हैं। कठिन है यार बहुत कठिन है।
शालिनी: रवि, ये मैं क्या सुन रही हूँ?
रवि: मुझे क्या मालूम?
शालिनी: तुम्हारी अनीता से क्या डील हुई है?
अच्छा, अच्छा, इनको खबर मिल गई। मैं तबसे यही सोच रहा था कि अभी तक शालिनी मैडम चिल्लाते हुए क्यों नहीं आईं। चलो इनके यहाँ होने से मम्मी की कमी तो महसूस नहीं होती। कभी-कभी लगता है कहीं मेरी मम्मी का पुनर्जन्म तो नहीं हो गया इन्हीं के रूप में। मेरी मम्मी भी हर बात पर मुझे ऐसे ही डांटने आती थीं। लेकिन उनके सामने मुझे कोई कुछ नहीं बोल सकता था, एक बार तो बाबा पर भी गुस्सा हो गई थीं मेरी वजह से। अब देखते हैं ये सच में मेरी मम्मी हैं या नहीं। यार ये टेंशन क्या-क्या सीनारियो इमेजिन करवा देती है, किसी पराई औरत को अपनी मम्मी समझने को रेडी हो गया मैं। सॉरी पापा सॉरी। शायद इन्हीं पापों की सजा मिल रही है मुझे।
रवि: गलती से भारी मिस्टेक हो गई मैडम।
शालिनी: रवि, I made it very clear , जब तक मैं ना आऊं कुछ उल्टा-सीधा मत करना और किसी से उलझना तो बिल्कुल भी मत। Do you have any idea what you have done?
रवि: आइडिया? नो आइडिया मैडम। आप ही कोई आइडिया दे दो।
शालिनी: तुमने ये सोच भी कैसे लिया कि 1 हफ्ते में तुम कंपनी का सब कुछ सीख लोगे?
रवि: मैडम, आपको लग रहा है पिछले एक महीने से कुछ भी मेरी सोचने से चल रहा है? अगर मेरी सोच के हिसाब से कुछ भी चलता तो प्रमोशन के बाद मैं ज़्यादा से ज़्यादा एक रिसेप्शनिस्ट बनता, कोई सीईओ वीईओ नहीं।
अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत। अब इन सब बातों पर रोने से क्या ही फायदा। किसी ने कहा था कि अपने पास्ट से सीख कर अपने प्रेजेंट पर काम करो और फ्यूचर सुधारो। लेकिन वो ये बताना भूल गया कि जब पास्ट, प्रेजेंट और फ्यूचर तीनों ही एक दूसरे से बिल्कुल अलग डायरेक्शन में भाग रहे हों तब किससे सीखना है, कैसे और क्या सीखना है? मुझे लगता था कि शालिनी मैडम हर प्रॉब्लम का ब्रह्मास्त्र हैं, लेकिन आज तो ये ब्रह्मास्त्र भी फेल होता दिख रहा था। मेरी प्रॉब्लम जानकर उनकी आवाज़ ऐसे बंद हुई जैसे अनीता मैडम देख ली हो... आई मीन... भूत देख लिया हो।
संजय (खुश): सर आपको चॉकलेट ज़्यादा पसंद है या पाइनएप्पल?
रवि: क्यों?
संजय: आपकी फेयरवेल में केक कौनसे फ्लेवर का मंगाना है वही सोच रहा था।
रवि: अरे रहने दीजिए, वरना फिर आप अकाउंट्स और बजट को लेकर रोने लगेंगे।
मेरी आधी एनर्जी तो खुद को रोकने में ही निकल जाती है, कि किसी दिन ये टेबल पर रखा पेपरवेट मैं संजय के सिर पर मारकर उसका सिर न फोड़ दूं। इसको इस दुनिया से उठाने के लिए खुद यमराज को ही आना पड़ेगा क्योंकि यमदूत को तो ये ही ताने सुना-सुना कर मार डालेगा। न जाने घर पर इसके बच्चों का क्या हाल होता होगा। मुझे लगता है कि इसके बच्चों को एक नया बाप अडॉप्ट कर ही लेना चाहिए, एक अच्छी क्वालिटी वाला बाप।
अय्यर: सर, सर एक बहुत बड़ा issue हो गया है।
रवि: अब क्या कर दिया मैंने?
अय्यर: अरे नहीं सर, टेक्निकल issue है।
रवि: अय्यर सर, सच-सच बताना, आप मेरा मज़ाक बनाने के लिए ये सब करते हो ना?
अय्यर: मैंने क्या कर दिया?
रवि: आपको लगता है मैं कुछ भी कर पाऊंगा आपकी टेक्निकल issue को ठीक करने के लिए?
अय्यर: लेकिन आप ही सीईओ हैं, तो इसमें मैं भी क्या करूं?
मैं ना सिर फोड़ लूंगा अपना अब, अगर किसी ने मुझे याद दिलाया कि मैं सीईओ हूँ तो और सीईओ ही हूँ ना सुपरमैन तो नहीं हूँ... जो हर बात पर मेरे पास चले आते हैं सब। सब कुछ मुझे ही करना है तो किस बात की सैलरी मिल रही है सबको? क्या, काम क्या है सबका ऑफिस में? कुछ दिन बाद तो आलम ये ना हो जाए कि किसी की आवाज़ वॉशरूम से आए कि “सीईओ साहब कर ली, धो दो।”
रवि: Ptchhh (आवाज़)। बताओ क्या issue है?
अय्यर: सर, जो प्रोडक्ट परसों क्लाइंट को मीटिंग में दिखाना है उसकी प्रोग्रामिंग में कुछ फॉल्ट है। यह सही से काम नहीं कर रहा है।
रवि: ओह्हो, एक काम करो, ये जो भी प्रोडक्ट है उसको अच्छे से बंद करो फिर चालू करके देखो।
अय्यर: जी सर, असल में मुझे भी यही लग रहा है कि हमको सब शुरू से रीस्टार्ट करना पड़ेगा। लेकिन सर, हमको मीटिंग कुछ समय के लिए पोस्टपोन करनी होगी।
रवि: ये कैसे हो सकता है? परसों मीटिंग है, अगर आज उनसे बोला तो उनको गलत इम्प्रेशन जाएगा।
अय्यर: लेकिन सर, हमारे पास सब कुछ फिर से शुरू करने के लिए पर्याप्त समय नहीं है।
रवि: ह्म्म्म... मीटिंग को पोस्टपोन करना मुश्किल है। एक काम करो, अभी तक जो कुछ भी काम किया है वो किसी फाइल में अटैच कर लो, और जो भी आपने बोला था ना कि रीस्टार्ट करना पड़ेगा, वो काम सबसे पहले शुरू करो।
अय्यर: ठीक है, लेकिन आप करेंगे क्या?
रवि: वो सब मुझ पर छोड़ दीजिए। आप तुरंत काम शुरू करवाइए।
अय्यर: ओके सर।
शालिनी: रवि, मेरे ख्याल से तुम्हें पहले अनीता वाली प्रॉब्लम पर ध्यान देना चाहिए।
रवि: नहीं मैडम, इतना तो मैं भी जानता हूँ कि जब तक मैं इस कुर्सी पर हूँ तब तक कंपनी की प्रॉब्लम्स ही मेरे लिए पहले आएंगी, बाद में मेरी पर्सनल प्रॉब्लम्स। अनीता मैडम के साथ जो भी होगा वो मेरी पर्सनल प्रॉब्लम है।
शालिनी: लेकिन तुम करने क्या वाले हो अब?
रवि: आप सब वो करते हैं जो आपको आता है। मैं वो करूंगा जो मुझे सबसे अच्छे से आता है, बातों को घुमाना।
शालिनी: ठीक है, तुम इस पर ध्यान दो, मैं अनीता के बारे में कुछ सोचती हूँ।
अभी तक मुझे ये मेंटल हेल्थ, डिप्रेशन, एंग्जायटी और सेल्फ डाउट्स बस ये नई जनरेशन के नए और फालतू चोचले लगते थे। पर अब, अब मेरा मन करता है कि इन सब से बोलूं कि "यस ब्रो यस।" सच में बहुत रिलेट करने लगा हूँ। मुझे पक्का विश्वास है, सारे सीईओ हार्ट अटैक से ही मरते हैं अतुल सर की तरह। उनको भी ऐसे ही इतनी सारी टेंशन दे रखी होगी। हे राम! ये सब मिलकर मुझे मारने का प्लान तो नहीं कर रहे? नहीं नहीं, मम्मी मेरा मतलब शालिनी मैडम ऐसा नहीं कर सकती। लेकिन अगर ये लोग भी गुड कॉप बैड कॉप खेल रहे हों तो? लेकिन अय्यर तो अच्छा इंसान भी है, वो कुछ न कुछ तो बोलता। पर आजकल किसी का भी क्या ही भरोसा? वो कहते हैं ना कि मुंह में राम बगल में छुरी। वैसे भी हर छोटी-छोटी बात पर अय्यर ही मुझे टेंशन देने आता है, और जब हेल्प मांगो तो करता नहीं। अय्यर से याद आया, ये जो अय्यर अभी नई-नई बात बता कर गया उसका कुछ न कुछ तो सोचना होगा। बोल तो बहुत हीरो बन कर दिया कि मैं कुछ करता हूँ। रवि, तू ना आत्महत्या कर ले, बेस्ट होगा तेरे लिए। क्या ज़रूरत है तुझे हर बात में शक्तिमान बनने की? कभी-कभी चुप भी रह लिया कर। अब क्या करेगा तू?
(To be continued…)
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