दुश्मन ने अपनी चालों से टीम गांडीव को अब तक पूरी तरह से घेर रखा था। उनकी हर हरकत पर उसकी नजर थी, और सबसे खतरनाक बात यह थी कि उसे उनकी टीम से जरा भी डर नहीं था। ऐसा लग रहा था जैसे यह खेल सिर्फ उसका मैदान हो और वह हर चाल में उन्हें मात देने के लिए तैयार बैठा हो।

फैक्टरी से मिले नक्शे ने टीम की चिंता और बढ़ा दी थी। नक्शे पर कई लोकेशन्स मार्क थीं, लेकिन उनकी असली अहमियत क्या थी, यह साफ नहीं था। मीरा और सहदेव नक्शे पर मार्क की गई हर लोकेशन की जांच कर रहे थे। वहीं, कबीर अपनी स्क्रीन पर नजरें गड़ाए, हर डिजिटल पैटर्न को खंगाल रहा था। वह दुश्मन की फेक लोकेशन्स और वायरल नेटवर्क को तोड़ने की कोशिश में लगा हुआ था।  

लाख कोशिशो के बाद भी टीम गांडीव को नक्शे पर मार्क जगह पर से तो कुछ भी जरूरी जानकारी नहीं मिली थी, इसलीए अब उनके पास एक ही रास्ता बचा था प्रधानमंत्री की मौत की जगह पर जांच करना !  

असेंबली में जब टीम ने अपनी जांच पड़ताल शुरू की तो उन्हे हमले के कुछ पहलू के बारे में पता चलने लगा था ! टीम की जांच ने धीरे-धीरे रफ्तार पकड़नी शुरू की।  

वहाँ पहुंचते ही टीम ने सिक्युरिटी गार्डस और स्टाफ से पूछताछ शुरू कर दी, सभी स्टाफ को यह कुछ सवाल पूछे थे की क्या उस दिन उन्हों ने कुछ अजीब देखा था, या कुछ दिनो पहले असेंबली के आसपास कोई अजीब हलचल हुई थी की नहीं, कोई नया इंसान इस मीटिंग के कुछ महीने पहले जॉइन हुआ था या कोई नया सिक्युरिटी गार्ड अगर जॉइन हुआ हो तो ! लेकिन अजीब बात यह थी की वहाँ का पूरा स्टाफ घबराया हुआ था, वे लोग उनके सवालों का कोई भी ठीक से जवाब नहीं दे  रहे थे ! उन सब के मुह बंद थे , ये देख सहदेव को एहसास हुआ की स्टाफ के ज्यादा से ज्यादा लोग उसके सवाल के उलटे ही जवाब दे रहे थे, और लग रहा था की वे सभी लोग कुछ छुपाने की कोशिश कर रहे थे ! 

वहीं दूसरी ओर कबीर  हेडक्वॉर्टर के कम्पुटर रूम की ओर धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था। जैसे जैसे कबीर की उँगलिया कीबोर्ड पर दौड़ रही थी उससे 10 गुना रफ्तार से स्क्रीन पर नंबर घूमने लगे थे, देखते ही देखते कबीर उन कोड्स में खो गया था और थोड़ी ही देर में पूरे पार्लिमेंट के केमेरा का एक्सेस उसकी उंगलीयों में था, कबीर ने धीरे धीरे प्रधानमंत्री के कुछ समय पहले के सारे फूटेज को देखना शुरू कर दिया, कबीर की एक और खासियत थी उसकी आंखे जो डीटेलस को तुरंत पकड़ लेता था !  

दो दिन की कड़ी मेहनत के बाद पूरी टीम के पास  कुछ सबूत हाथ लगे थे, उनके पास कुछ जानकारी हाथ लगी थी ! कबीर ने अपने हाथ लगी जानकारी देते हुए कहा,  

कबीर: मैंने पार्लिमेंट के कैमरा के बहुत से फूटेज देखी लेकिन इसमे से असेंबली के दिन की क्लिप गायब है!

सहदेव: और स्टाफ का बिहेवीयर भी अजीब है, कोई भी उनसे पूछे गए सवालों का ठीक से जवाब देने को तैयार नहीं है ! वे लोग कुछ छुपाने की कोशिश कर रहे है !

मीरा ने प्रधानमंत्री की रिपोर्ट और साथ ही असेंबली में हुए हादसे की जगह का काफी बारीकी से अध्ययन किया था, यहाँ तक की मीरा ने प्रधानमंत्री भवन का भी बारीकी से अध्ययन किया था, इससे उसके हाथ भी कुछ जानकारी लगी थी। सभी इनफार्मेशन की एक फ़ाइल बनी जिसे विक्रम देख रहा था और उसने सोचा।

विक्रम: यह कोई मामूली बात नहीं है। पार्लियामेंट में घुसकर प्रधानमंत्री के माइक में जहरीली गैस डालना और उसे तब चलाना जब वह अकेले हो। बिना किसी अंदरूनी आदमी की हेल्प के ये सब मुमकिन ही नहीं है, मुझे डर है इसमे सिर्फ एक आदमी नहीं लेकिन एक ज्यादा अंदरूनी आदमी शामिल है।    

अदिति ने अपने नेटवर्क के खबरी से मिली जानकारी पर ध्यान से गौर किया। खबरी ने उसे बताया था कि वह जहरीली गैस, जो इंसान को महज कुछ सेकंड में खत्म कर सकती है, ब्लैक मार्केट में 1ml के लिए 10 करोड़ की कीमत पर बिकती है। यह सुनकर अदिति के होश उड़ गए। खबरी ने एक और अहम जानकारी दी, "यह गैस थर्मल रेडिएशन के जरिए पकड़ी जा सकती है, लेकिन इसका पता लगाना मुश्किल होता है अगर इसे भीड़भाड़ वाले इलाकों से ले जाया जाए, जहां आसपास का तापमान अधिक हो।

अदिति ने तुरंत उन रूट मैप्स को वापस देखा, जो उन्हें फैक्टरी से मिले थे। उसने अपने कंप्यूटर स्क्रीन पर मैप्स को खोलते हुए हर लोकेशन को ध्यान से देखा। जैसे ही अदिति ने मैप्स को देखना शुरू किया, उसे एक पैटर्न नजर आने लगा। गैस को उन इलाकों से ले जाया गया था, जहां भीड़ हमेशा ज्यादा रहती थी—सब्जी मंडी, रेलवे स्टेशन, और व्यस्त बाजार। भीड़ और गर्मी ने थर्मल डिटेक्शन को बेअसर कर दिया था।  

अदिति: "यह तो गजब का प्लान है,गैस को उन जगहों से घुमाया गया, जहां इसका पता लगाना असंभव था। यह पूरी योजना बेहद सावधानी से बनाई गई थी। लेकिन गैस असेंबली के अंदर तक कैसे पहुंची? वहां तो 15 स्कैनर्स लगे हुए थे, जो हर चीज़ की जांच करते हैं।

अदिति ने तुरंत अपनी टीम को यह जानकारी दी। जिसे सुनते ही मीरा ने कहा..अदिति ने पूरी टीम को ब्रीफ़ करते हुए उस गैस की पूरी जानकारी देते हुए कहा.. यह कोई साधारण गैस नहीं थी। यह गैस दुनिया के सबसे अंधेरे कोनों में से एक से आई थी—पूर्वी यूरोप का वह इलाका, जो ब्लैक मार्केट और अवैध गतिविधियों का गढ़ माना जाता है। यह वह जगह थी, जहां न कोई सरकार का नियम चलता है और न ही किसी कानून की इज्जत होती है। यहां सिर्फ एक ही बात मायने रखती है—पैसा। और इस गैस का सौदा भी पैसे के दम पर ही हुआ था।

गैस को एक अज्ञात लैब में तैयार किया गया था जहां तक पहुंचना लगभग असंभव था। इसे "रेड फॉग" नाम दिया गया—महज एक बूंद, और सांस लेना बंद। इसका निर्माण रासायनिक हथियारों की कला में माहिर वैज्ञानिकों ने किया था। लेकिन इन वैज्ञानिकों ने इसे अपने शोध के लिए नहीं, बल्कि ब्लैक मार्केट में बेचने के लिए तैयार किया था। गैस का सफर पूर्वी यूरोप से शुरू हुआ। इसे छोटे सिलिंडर्स में पैक किया गया, ताकि इसे आसानी से ले जाया जा सके। इन सिलिंडर्स को बेहद खास कंटेनरों में रखा गया, जो थर्मल डिटेक्शन और रेडिएशन ट्रैकर्स को चकमा दे सकें।

इसके बाद, गैस को पहले तुर्की पहुंचाया गया। तुर्की वह गेटवे है, जहां से ब्लैक मार्केट का सामान एशिया में प्रवेश करता है। वहां इसे छोटे ट्रांसपोर्ट्स के जरिए खाड़ी देशों तक ले जाया गया। हर पड़ाव पर इसे उन इलाकों से गुजारा गया, जहां स्थानीय पुलिस की पकड़ कमजोर थी। गैस ने वहाँ से भारत में प्रवेश किया। इसके बाद, यह गैस धीरे-धीरे छोटे शहरों और गांवों से होते हुए राजधानी तक पहुंचाई गई। इसका पूरा सफर एक पैटर्न के तहत बनाया गया था—गैस को उन इलाकों से गुजारा गया, जहां भीड़ और गर्मी का स्तर इतना ज्यादा था कि थर्मल डिटेक्शन की संभावना लगभग खत्म हो गई।

दिल्ली में पहुंचने के बाद, यह गैस असेंबली के पास एक अज्ञात स्थान पर रखी गई। यहां इसका लास्ट फेज शुरू हुआ—इसे असेंबली के अंदर पहुंचाने का। इस रूट की खास बात यह थी कि इसे कई हिस्सों में बांटा गया। हर हिस्से में इसे अलग-अलग लोगों के हाथों में सौंपा गया, ताकि अगर कोई एक पकड़ा भी जाए, तो पूरे नेटवर्क का पता न लग सके। अदिति की बात सुनकर वहाँ खड़ा हर एक इंसान चौंक गया!  

यह सारी बात सुनते ही तुरंत मीरा ने कहा  

मीरा: सर आपको याद है महाराष्ट्र असेंबली में कैसे एक बार ऐसिड अंदर तक पहुँच गया था! मुझे लगता है यहाँ भी कुछ ऐसे ही पेटर्न है! मैंने पार्लियामेंट का हर एक कोण बहुत बारीकी से जाकर देखा था! शायद मैं इस कड़ी को जोड़ सकती हूँ  

मीरा अपनी बात पूरी करते हुए बीच में लगी बड़ी टेबल पर गई और सभी उसके पीछे आ गए! एक खाली पन्ने पर मीरा ने कुछ बनाते हुए बोलना शुरू किया। असेंबली के चारों तरफ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे। 15 थर्मल स्कैनर्स, हर कोने पर सीसीटीवी कैमरे, और सिक्योरिटी । यहां एक सुई भी बिना जांच के अंदर नहीं जा सकती थी। लेकिन यह गैस, इन सबके बीच से निकलकर प्रधानमंत्री के माइक तक पहुंची। गैस को एक छोटे सिलिंडर में पैक किया गया होगा, जो एक विशेष मटीरियल से बना होगा। यह मटीरियल न सिर्फ थर्मल स्कैनिंग से बचा सकता था, बल्कि किसी भी मेटल डिटेक्टर को भी धोखा देने में सक्षम होगा। इसे एक साधारण दिखने वाले बैग में छिपाकर लाया जा सकता है! कोई छोटे पर्फ्यूम की बोतल शायद।  

गैस को असेंबली तक पहुंचाने के लिए दुश्मन ने असेंबली के एक अंदरूनी व्यक्ति को मिलाया होगा। यह व्यक्ति या तो सिक्योरिटी स्टाफ में से था, या फिर किसी ऐसे विभाग से जुड़ा था या फिर कोई मामूली हाउस कीपिंग स्टाफ जो असेंबली के अंदर सामान की जांच और स्वीकृति का काम करता था।

स्कैनर्स को बायपास करने का तरीका बेहद चालाकी भरा था: गैस के सिलिंडर को एक ऐसे बैग में रखा गया, जिसमें हीट-प्रूफ और रिफ्लेक्टिव शील्डिंग लगी थी। यह बैग किसी भी थर्मल स्कैनर को धोखा दे सकता था। यह बैग अंदर ले जाने के लिए इस्तेमाल हुआ असेंबली के सर्विस एंट्री गेट का। यह गेट उन सप्लायर्स के लिए था जो खाने-पीने का सामान या अन्य ज़रूरी सामान लाते थे। यहां जांच सख्त तो थी, लेकिन यह हिस्सा स्कैनर्स की प्राथमिकता में नहीं था। अंदर पहुंचने के बाद, सिलिंडर को एक साधारण तकनीकी उपकरण की तरह दिखाने के लिए तैयार किया गया। इसे असेंबली में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के साथ मिला दिया गया। यहां दुश्मन के किसी खास ने अपना काम किया।

उसने सिलिंडर को प्रधानमंत्री के माइक के साथ जुड़ने वाले साउंड सिस्टम के पास रखा। गैस का सिलिंडर एक छोटे, लगभग अदृश्य पाइप के साथ जोड़ा गया, जो माइक के नीचे की ओर लगा था। इस सेटअप को बड़ी सफाई से छुपाया गया, ताकि कोई इसे नोटिस न कर सके। गैस को एक्टिवेट करने के लिए एक छोटा सा इलेक्ट्रॉनिक बटन इस्तेमाल किया गया। वहीं अंदर किसी ने जब यह देखा की प्राइम मिनिस्टर सर अकेले है, सिलिंडर से गैस रिलीज करने के लिए रीमोट बटन दबाया गया।  

अदिति और मीरा की बात सुनते ही सभी लोग हैरान थे! मीरा ने जिस हिसाब से पैटर्न को बताया सबको लगा की यही प्लान था! इससे बेहतर कुछ और हो ही नहीं सकता था! विक्रम ने तुरंत ही सबसे कहा..

विक्रम: “अदिति, मीरा! यह जानकारी हमारी अब तक की सबसे बड़ी लीड है। सहदेव, तुम और मीरा असेंबली के अंदर के स्टाफ और सिक्योरिटी गार्ड्स की जांच शुरू करो। कबीर, तुम स्कैनर्स के लॉग्स को खंगालो और पता लगाओ कि उस दिन किसी भी स्कैनर के साथ छेड़छाड़ हुई थी या नहीं। अदिति, तुम अपने नेटवर्क को और सक्रिय करो और पता करो कोई अंधरूनी इंसान जो वहाँ नया आया हो या ऐसा कोई बैकग्राउंड हो उसका”

जैसे ही विक्रम ने ऐसा कहा तबही अदिति के फोन पर एक मैसेज आया जिसे पढ़ते ही उसने कहा  

अदिति: सर, मुझे अभी अभी कुछ नया पता चला है ! ”    

अदिति की  बात सुनते ही सभी लोग शांत हो गए और अदिति को हैरानी से देखने लगे !  ऐसा क्या बताने वाली है अदिति? जानें के लिए पढ़ते रहिए।  

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