टीम गांडीव ने एक बहुत बाद सुराग ढूंढ निकाला था। विक्रम ने जल्द ही आगे की प्लैनिंग सबको बताया दी थी की तबही अदिति को एक मैसेज मिलता है
अदिति: मेरे खबरी के मुताबिक, प्रधानमंत्री की हत्या में सिर्फ एक-दो नहीं, बल्कि नौकर से लेकर बड़े नेताओं तक कई लोग शामिल हैं। दुश्मन ने उनके पर्सनल स्टाफ, सिक्योरिटी, और यहां तक कि पार्लियामेंट के अंदर के स्टाफ तक अपने लोग बिठा दिए थे। ये लोग महीनों से उनकी हर गतिविधि पर नजर रख रहे थे।
इसी बीच, कबीर ने एक बार फिर असेंबली के कैमरा फुटेज को ध्यान से देखना शुरू किया। इस बार उसकी नजरें बार-बार एक स्टाफ सदस्य की संदिग्ध हरकतों पर टिक गईं। हर बार जब वह व्यक्ति कैमरे के सामने आता, तो अजीब ढंग से अपना चेहरा छुपाने की कोशिश करता या फिर कैमरे की नजर से बचकर निकलने की जुगाड़ में लगा रहता। कबीर को कुछ खटका, और उसने तुरंत उस कर्मचारी को फोकस कर अपनी नजरें वहीं गड़ा दीं।
कबीर: “ लगता है मुझे कुछ मिला है।
मीरा: मुझे लगता है यह आदमी हमारे लिए इस केस की चाबी हो सकता है, हमें वापस असेंबली जाकर इस आदमी के बारे में पता लगाना होगा।
कुछ ही देर बाद सहदेव और अदिति असेंबली पहुँच गए थे और सभी स्टाफ मेम्बरस से उस आदमी के बारे में पूछताछ कर रहे थे। तभी एक स्टाफ मेम्बर आगे आकर बोल उठा,
"जी सर, मैंने उसे कई बार यहाँ देखा है। प्रधानमंत्री की मौत वाले दिन, सर, वो असेंबली से जल्दी निकल गया था, और उसके बाद से उसका कोई अता-पता नहीं है। और एक और बात, सर... वो बार-बार एक ही चीज़ की जिद करता था—असेंबली हॉल की सफाई करने की। बिना किसी अनुमति के, उसने कई बार दूसरे सफाईकर्मियों के साथ अंदर घुसने की कोशिश की थी। उसकी हरकतें बहुत संदिग्ध थीं, पर हमने कभी इतनी गंभीरता से नहीं लिया।
दूसरी ओर, कबीर उस नौकर की प्रोफाइल को बेहद ध्यान से स्टडी कर रहा था। जल्दी ही उसे समझ में आ गया कि वह व्यक्ति सिर्फ एक टेम्परेरी कर्मचारी था, जो पिछले डेढ़ साल में असेंबली में कई बार रिप्लेसमेंट स्टाफ के तौर पर काम कर चुका था। हैरानी की बात यह थी कि इतनी बार काम करने के बावजूद भी असेंबली के रिकॉर्ड्स में उसकी कोई ठोस जानकारी नहीं थी। यहां तक कि डिजिटल डेटा में भी उसकी पहचान अलग अलग थी।
कबीर ने डार्क वेब की मदद से उस आदमी की असली पहचान और जानकारी जुटाने की ठानी। उसी समय, मीरा असेंबली की पुरानी फाइल्स और रिकॉर्ड्स में उस आदमी से जुड़ी हर जानकारी खंगाल रही थी। दो-तीन दिन की कड़ी मेहनत के बाद, आखिरकार कबीर को एक बड़ी सफलता हाथ लगी। उसने उस आदमी के फोन नंबर को ट्रेस किया, और उसे कुछ ऐसी जानकारियां मिलीं जो चौंकाने वाली थीं। यह सुराग इतना अहम था कि कबीर को यकीन हो गया कि वह अब साजिश की जड़ तक पहुंचने के और करीब आ चुका है।
बिना वक्त गवाएं, कबीर ने सभी को बेस बुलाया और स्क्रीन पर कुछ दिखाते हुए बोलना शुरू किया। यह आदमी पहली नजर में किसी साधारण बिहारी मजदूर जैसा दिखता है। एक ऐसा शख्स, जिसे भीड़ में देखना तो दूर, नोटिस तक कोई नहीं करेगा। लेकिन इस आम चेहरे के पीछे छुपा है एक ऐसा दिमाग, जो जेम्स बॉन्ड को भी मात दे सकता है। यह आदमी कोई साधारण इंसान नहीं है। यह है—"हॉक आई", डार्क वेब का घातक और रहस्यमय कांट्रैक्ट किलर।
पिछले दस सालों में, हॉक आई ने भारत के 100 से ज्यादा लोकेशन्स पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी। हर जगह कोई बड़ा हादसा, साजिश, दंगा, या मर्डर। और हर बार वह एक नए नाम, एक नई पहचान, और एक नए चेहरे के साथ मौजूद था। कभी वह बिहार के एक साधारण "रामू बंता" के रूप में आया, तो कभी उत्तर प्रदेश के "अशवाक" के रूप में। उसकी आइडी हमेशा असली लगती थी, लेकिन हर बार वह फर्जी होती थी।
हॉक आई सिर्फ पहचान बदलने में ही माहिर नहीं है। वह एक टेक्नोलॉजी का उस्ताद भी है। उसका सबसे बड़ा हथियार हैआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। उसकी हर आइडी, चाहे आधार कार्ड हो, ड्राइविंग लाइसेंस, या पासपोर्ट, सब डिजिटल रूप से असली लगती है। इसके अलावा, उसका "लाइट मेकअप" तकनीक। वह सिर्फ कुछ मिनटों में अपने चेहरे को बदल सकता है। नकली दांत, नकली दाढ़ी, और एक हल्का सा टच अप..बस, इतना काफी है।
हॉक आई की सबसे बड़ी ताकत है उसकी भाषाओं पर पकड़। वह भारत की कई भाषाएं जानता है। हिंदी, तमिल, पंजाबी, बंगाली, मराठी, और कन्नड़ जैसी भाषाओं में उसकी पकड़ उसे हर जगह का लोकल बना देती है। वह किसी गांव के गड्ढेदार रास्तों पर किसी बैलगाड़ी वाले जैसा बात करता, तो कभी मुंबई की लोकल ट्रेन में स्टॉक मार्केट की चर्चा करता। यह आदमी हर बार नया रूप लेकर सबको धोखा देता।
कोई नहीं जानता था कि वह कहां से आता है और कहां गायब हो जाता है। वह एक घोस्ट की तरह है, जो तब दिखाई देता जब उसे दिखना होता है। उसका रेट? आसमान छूता। एक मिशन के लिए करोड़ों की डील होती।
कबीर ने जितनी भी जानकारी जुटाई उससे सभी के होश उड़ चुके थे। उसकी बातें सुनने के बाद सभी के मन में यह सवाल था की अगर यह आदमी घोस्ट है तो फिर इसे पकड़ कैसे जाए? पता नहीं दुनिया के किस आउने में यह छिपा होगा! विक्रम ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कबीर से पूछा..
विक्रम: पर कबीर इसे पकड़ने के लिए कोई तो रास्ता होगा? कोई तो ऐसी डीटेल होगी।
विक्रम के सवाल पर कबीर ने एक बार फिर कीबोर्ड पर उँगलियाँ दौड़ाई और स्क्रीन बदल गई। सामने कई सारे मोबाईल टॉवर्स दिखाई देने लगे। कबीर ने कहा..
कबीर: सर एक पैटर्न मैंने देखा है। यह आदमी, हर लोकेशन से, जहां भी यह मौजूद था, ठीक शाम 6 बजे बांग्लादेश फोन करता था। यह सिर्फ एक बार या दो बार नहीं, बल्कि हर बार हुआ है। 100 से भी ज्यादा लोकेशन्स से हर दिन यही पैटर्न दोहराया गया। या तो इसका घर वहां है, या इसका बेस। और हो सकता है, यह उस बड़े नेटवर्क का हेडक्वार्टर हो, जो इसे यहां ऑपरेट करवा रहा है। लेकिन मेरा मानना है कि अगर कोई ट्रेल है, तो हमें इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर वाकई यह वहां है, तो हमें इसे खोजना होगा।"
सहदेव: "तो इसका मतलब है कि हमें दो काम करने होंगे। पहला—बांग्लादेश में इसके हर कनेक्शन का पता लगाना। दूसरा—यह देखना कि कहीं यह सिर्फ एक डाइवर्जन तो नहीं है।"
विक्रम: यह ट्रेल बड़ा हो या छोटा, इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। अदिति, अपने नेटवर्क को बांग्लादेश के डिजिटल डेटा और कॉन्ट्रैक्ट्स की जांच में लगाओ। मीरा, इस पैटर्न के पीछे की वजह को समझने की कोशिश करो। कबीर, बांग्लादेश में जितने भी संदिग्ध नेटवर्क्स हैं, उन पर अपनी नजर रखो। अगर यह आदमी वहां है, तो हम उसे ढूंढ निकालेंगे।
विक्रम के इतना कहने के बाद ही सब अपने अपने काम में लग गए। कुछ समय बाद आयुष ने टीम को बताया की विक्रम सर बांगलादेश मिशन के लिए ब्रीफिंग देने वाले है। सभी लोग तैयार थे और वह जानते थे की अगर यह आदमी पकड़ा गया तो यह एक मेजर ब्रेक होगा। विक्रम वार रूम में पहुंचे और सभी की नजरें उन पर टिक गई। विक्रम ने गहरी आवाज में बोलना शुरू किया..
विक्रम: “हमारा अगला कदम है—बांग्लादेश। हमारा मिशन है—इस आदमी की लोकेशन कन्फर्म करना, उसकी हर गतिविधि ट्रैक करना, और उसे पकड़ना। लेकिन यह ध्यान रहे—हम एक विदेशी जमीन पर होंगे। हमारी हर हरकत पर नजर होगी। यह मिशन जितना जरूरी है, उतना ही नाजुक भी। बांग्लादेश में हमें दो महत्वपूर्ण लोग सपोर्ट करेंगे, पहले हैं मेजर खान—बांग्लादेश आर्मी के एक अधिकारी। वह हमारे मिशन के हर कदम पर साथ होंगे, लेकिन उनकी शर्त साफ है—यह मिशन पूरी तरह गुप्त रहेगा। वहाँ कुछ भी गड़बड़ हुआ तो सबसे पहले तुम्हारा भेजा मेजर खान ही उड़ाएंगे। दूसरे हैं फरीदा सलीम—एक लोकल इंटेलिजेंस एजेंट। वह इलाके की हर जानकारी और लोकल नेटवर्क को समझने में हमारी मदद करेंगी। वे दोनों हमारे लिए वहां की आंखें और कान होंगे।”
विक्रम ने नक्शे की ओर इशारा करते हुए कहा। बांग्लादेश में आपकी पहचान पूरी तरह बदल दी जाएगी, आप में से हर किसी की एक फर्जी पहचान होगी। अदिति ने डॉक्यूमेंट्स तैयार कर दिए हैं। आप वहां व्यापारियों के रूप में जाएंगे—एक ट्रांसपोर्ट कंपनी के प्रतिनिधि। आपका कवर यह है कि आप लोकल सप्लाई चेन का विश्लेषण करने आए हैं। अगर कोई सवाल करे, तो अपनी कहानी में मजबूती रखें। याद रखें, छोटी सी भी गलती हमें एक्सपोज कर सकती है।" विक्रम ने स्क्रीन पर स्लाइड बदलते हुए कहा। हमारे मिशन के तीन प्रमुख चरण होंगे। पहला, सर्विलांस और ट्रैकिंग:
"कबीर, तुम्हारा पहला काम होगा संदिग्ध की लोकेशन ट्रैक करना। हर डिजिटल ट्रांसमिशन, हर संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखनी होगी। बांग्लादेश की डिजिटल नेटवर्क का इस्तेमाल करना होगा, लेकिन सावधानी से। दूसरा लोकल कनेक्शन्स: अदिति, तुम्हारा काम होगा लोकल सपोर्ट सिस्टम से जानकारी जुटाना। फरीदा सलीम के साथ काम करते हुए, हमें यह पता लगाना होगा कि संदिग्ध ने बांग्लादेश में कौन-कौन से संपर्क बनाए हैं। यह वह कड़ी हो सकती है, जो हमें उसके नेटवर्क तक पहुंचाएगी। तीसरा क्लोजर ऑपरेशन: अगर हमें लोकेशन की पुष्टि होती है, तो सहदेव और मीरा उसे पकड़ने की कार्रवाई करेंगे। लेकिन याद रहे, यह कार्रवाई सिर्फ तभी होगी, जब हमें पूरा भरोसा हो कि हमारी टीम और लोकल सपोर्ट इसे संभाल सकते हैं।
विक्रम ने गहरी सांस लेते हुए आगे कहा, "इस मिशन में कुछ सख्त नियम होंगे। कोई सीधी मुठभेड़ नहीं। अगर कोई खतरा महसूस हो, तो तुरंत लोकल फोर्सेज से संपर्क करें। हमारी पहचान हर हाल में सुरक्षित रहनी चाहिए। अपनी फर्जी कहानियों पर मजबूत पकड़ बनाकर रखें। अपने कदम सोच-समझकर उठाएं। दुश्मन हमें फंसाने की कोशिश करेगा। हमें उसकी हर चाल से दो कदम आगे रहना होगा।"
यह मिशन सिर्फ एक संदिग्ध को पकड़ने का नहीं है। यह उस साजिश को खत्म करने का पहला कदम है, जिसने हमारे देश की सुरक्षा को खतरे में डाला है। अगर हम यह मिशन सफलतापूर्वक अंजाम देते हैं, तो यह दुश्मन के नेटवर्क को ध्वस्त करने की शुरुआत होगी। विक्रम ने कमरे में मौजूद हर एक शख्स की ओर देखा। "याद रखें, हर कदम सोच-समझकर उठाएं। यह सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि एक लड़ाई है। और हम इसे जीतने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
टीम गांडीव ने विक्रम की बातों को गंभीरता से सुना। यह मिशन उनकी काबिलियत की पहली परीक्षा था। अब उनके सामने सिर्फ एक सवाल था—क्या वे "हॉक आई" को ढूंढ निकालेंगे, या वह एक बार फिर उनकी पकड़ से बच निकलेगा? जानने के लिए पढ़ते रहिए।
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