टीम गांडीव के लिए सिर्फ एक मिशन नहीं था, बल्कि दुश्मन को उसकी ही चाल में फंसाने का बड़ा मौका था। फ्लाइट टिकट बुक हो चुकी थी, और मिशन के हर पहलू की जिम्मेदारी पहले ही तय कर दी गई थी। सहदेव और अदिति फील्ड पर काम करेंगे, जबकि कबीर और मीरा बेकएंड से टेक्निकल और एनालिटिकल सपोर्ट देंगे। विक्रम ने टीम से कहा, 

विक्रम: “टीम गांडीव, यह मिशन हमारे लिए एक सुनहरा मौका है। लेकिन ध्यान रहे, यह जितना बड़ा मौका है, उतना ही बड़ा जोखिम भी है। तुम सबको हर कदम सोच-समझकर उठाना होगा। और सबसे जरूरी बात—होश से काम लेना है, जोश से नहीं। दुश्मन हमारी एक गलती का इंतजार कर रहा होगा।”

सहदेव ने तुरंत आगे बढ़ते हुए कहा,

सहदेव: "बांग्लादेश पहुंचते ही हमें बिना समय गंवाए सीधे उस लोकेशन पर जाना चाहिए, जहां पिछली बार कॉल के ट्रेस मिले थे। दुश्मन के पास छिपने की ज्यादा जगहें नहीं होंगी। और वह शायद बेफिक्र हो कि कोई उसे वहां पकड़ने नहीं आएगा। मुझे लगता है कि हमें मौके का फायदा उठाना चाहिए और उसे वहीं दबोच लेना चाहिए।"

कबीर: "मैं सहमत नहीं हूं। अगर हम वहां सीधे पहुंचते हैं और दुश्मन को पता चल गया, तो वह बचकर निकल सकता है। हमें पहले कॉल का इंतजार करना चाहिए। जब वह कॉल करे, तब उसे रंगे हाथों पकड़ा जा सकता है।  

मीरा: "हां, सहदेव। अगर हम बिना किसी तैयारी के सीधे उसकी लोकेशन पर पहुंचते हैं, तो यह जल्दबाजी हो सकती है। हमें इंतजार करना होगा और दुश्मन की हर चाल को ट्रैक करना होगा।"

कबीर और सहदेव के बीच तकरार बढ़ने लगी। दोनों अपने-अपने प्लान से हटने को तैयार नहीं थे। तभी अदिति ने बीच में आते हुए कहा, 
अदिति: हम एक टीम हैं, और हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि दुश्मन हमारी हर चाल पर नजर रख रहा है। वह हमसे एक कदम आगे रहने की कोशिश करेगा। यह मिशन जितना हमारे लिए बड़ा है, उतना ही उसके लिए भी। हमें यह सोचना होगा कि जो भी कदम उठाएं, वह सोच-समझकर हो। लड़ने के बजाय हमें एक रणनीति पर सहमत होना चाहिए।"

अदिति की बात सुनकर कमरे में कुछ पल की खामोशी छा गई। सहदेव और कबीर दोनों ने अपनी राय पर दुबारा विचार किया। टीम जानती थी कि इस मिशन में जल्दबाजी खतरनाक साबित हो सकती है। टीम गांडीव ने अपनी रणनीति पर अंतिम सहमति बनाई। अब सबकी नजरें उस पल पर थीं, जब दुश्मन की चाल को मात देने का वक्त आएगा।

टीम गांडीव ढाका पहुंच चुकी थी। हवाई अड्डे से बाहर निकलते ही, कुछ आर्मी ऑफिसर ने उन्हें घेर लिया और चुप चाप एक बड़ी से काली वैन में बैठने को कहा। टीम घबरा गई थी की अचानक यह क्या हो गया! वैन के अंदर घुसते ही जब उनके चेहरों से कपड़ा हटाया गया तो सामने मेजर खान और फरीदा सलीम बैठे हुए थे। मेजर खान ने टीम से कहा “वेलकम तो बांगलादेश टीम गांडीव”  

आपका यहां होना गुप्त है। आपकी हर हरकत पर हमारे दुश्मन के साथ-साथ हमारी एजेंसियां भी नजर रख रही होंगी। अगर कुछ भी गलत हुआ—कोई गड़बड़ी, कोई गोली चली—तो यह बांग्लादेश की सुरक्षा पर सीधा हमला माना जाएगा। और यकीन मानिए, हमें आपको गिरफ्तार करने से कोई नहीं रोक सकेगा। फरीदा ने मेजर की बात को जोड़ते हुए कहा, "यहां की सड़कों पर हर कोई देख रहा है। हम एक ऐसे शहर में हैं, जहां अपराधी भीड़ में छिपने में माहिर हैं। अगर आप नजर में आए, तो दुश्मन को भनक लगने में देर नहीं लगेगी।"

वैन एक सुनसान इलाके में जाकर रुकी। यह एक गुप्त स्थान था—एक पुरानी इमारत, जो बाहर से किसी गोडाउन जैसी लगती थी। अंदर जाने पर, वहां पूरा ऑपरेशन सेटअप था। नक्शे, कंप्यूटर सिस्टम, और कुछ गंस। मेजर खान ने टीम को उनकी फेक आइडेंटिटीज सौंपी। "आप सबकी अब नई पहचान है। आप यहां एक ट्रांसपोर्ट कंपनी के प्रतिनिधि हैं। अदिति, तुम फरीदा के साथ लोकल नेटवर्क्स से जुड़ोगी। सहदेव और मीरा ग्राउंड वर्क शुरू करेंगे, और कबीर डिजिटल नेटवर्क पर निगरानी रखेगा। हर कदम सोच-समझकर उठाना होगा।

फरीदा ने एक बार फिर आगाह किया, यहां की गलियां आपकी सबसे बड़ी ताकत और सबसे बड़ा खतरा हैं।"

मेजर खान ने एक नक्शा दिखाते हुए कहा, अगर आप इस आदमी को खोजना चाहते हैं, तो आपको इन इलाकों पर ध्यान देना होगा। ढाका में ऐसे कुछ खास हॉटस्पॉट्स हैं, जहां इस तरह के अपराधी अक्सर जाते हैं। करवान बाजार: यह इलाका ढाका का सबसे बड़ा मार्केट है। यहां हर तरह का अवैध व्यापार होता है। हथियारों से लेकर नकली कागजात तक—यहां सब मिलता है। चांदनी चौक: यहां छोटी-छोटी गलियां और छिपने के कई रास्ते हैं। यह इलाका अपराधियों के लिए सबसे सुरक्षित जगहों में से एक माना जाता है। सदरघाट: यह बंदरगाह क्षेत्र है। यहां से लोग आसानी से देश के बाहर जा सकते हैं। यह भागने का सबसे आसान रास्ता हो सकता है। मिर्पुर-11: यह इलाका अपराधियों का पनाहगार है। यहां हर तीसरे घर में कोई न कोई संदिग्ध गतिविधि होती है।

मेजर ने गंभीर स्वर में कहा, "याद रखो, हर कदम सोच-समझकर उठाना है। यह शहर जितना बड़ा है, उतना ही खतरनाक भी। अगर एक भी गलती हुई, तो न सिर्फ मिशन, बल्कि आपकी जान भी खतरे में पड़ जाएगी। और अगर यहां गड़बड़ हुई, तो मुझे अपने देश की सुरक्षा के लिए आपको गिरफ्तार करना पड़ेगा। टीम गांडीव अब तैयार थी। उनके पास नई पहचान और लोकल सपोर्ट था।  

ढाका की गर्म और भीड़भाड़ वाली गलियों में टीम गांडीव अब अपनी खोज शुरू कर चुकी थी। हर एक गली, हर एक कोना, उनकी आंखों से अछूता नहीं रह रहा। अदिति और सहदेव लोकल्स से बात कर रहे थे, मीरा डेटा के साथ ट्रेंड्स को जोड़ने की कोशिश कर रही थी, और कबीर अपने लैपटॉप पर एक अलग ही चाल चला रहा था।  

अदिति और सहदेव ने करवान बाजार और मिर्पुर की गलियों में लोकल लोगों से बातचीत शुरू की। कहानी यह बुनी गई की अदिति से एक आदमी ने शादी का वादा किया और वह बांगलादेश भाग आया! सहदेव को अदिति का भाई बताया गया और यह दोनों मिलकर हर जगह यहीं पूछ रहे थे की ऐसा कोई आदमी है जो अक्सर आना जाना करता रहता हो! लेकिन जवाब हर जगह एक जैसा था—कोई कुछ नहीं जानता था।  

इसी बीच, कबीर ने एक और योजना बनाई।  

कबीर: "अगर वह हमें नहीं मिल सकता, तो हम उसे हमारे पास आने पर मजबूर करेंगे।  

उसने डार्क वेब पर एक फर्जी कांट्रैक्ट पोस्ट किया। यह कांट्रैक्ट भारत के खिलाफ एक काल्पनिक मिशन के लिए था। पूरा टेक्स्ट कोडेड लैंग्वेज में लिखा गया था, ताकि सिर्फ वही लोग इसे समझ सकें, जो इस नेटवर्क से जुड़े हों। कबीर ने मिशन की डिटेल्स इस तरह रखीं, जो सिर्फ "हॉक आई" के लिए आकर्षक हो सकती थीं। "सिर्फ भारत में ऑपरेट करने वाला, एक्शन में तेज, और पहचान बदलने में माहिर व्यक्ति की जरूरत। उसने इस कांट्रैक्ट को पोस्ट करते समय खास ध्यान दिया कि यह ठीक उसी पैटर्न से मेल खाए, जिससे हॉक आई पहले भी काम करता था। "अगर वह यहां है, तो उसे यह जरूर दिखेगा। और वह संपर्क करने की कोशिश करेगा।

सहदेव: यह बेकार है। हम किसी ऐसे आदमी को ढूंढ रहे हैं, जिसका कोई नाम नहीं है, चेहरा नहीं है। यहां के लोग कुछ नहीं बताएंगे।

अदिति: हम जानते थे कि यह आसान नहीं होगा। लेकिन अगर वह आसपास है, तो उसे कुछ तो करना ही पड़ेगा, जिससे वह नजर आए। हमें बस धैर्य रखना होगा।

कबीर: दोस्तों, मैंने डार्क वेब पर एक कांट्रैक्ट पोस्ट किया है। अगर वह इस नेटवर्क का हिस्सा है, तो उसे यह कांट्रैक्ट जरूर दिखेगा। और अगर उसने जवाब दिया, तो हम उसे ट्रैक कर सकते हैं।

मीरा: और अगर उसने शक कर लिया कि यह फर्जी है?"

कबीर: यही तो खेल है। अगर उसने जवाब दिया, तो वह हमारे जाल में होगा। और अगर नहीं दिया, तो इसका मतलब है कि वह हमारे आसपास है, और हम उसे और करीब से देख सकते हैं।

तीन दिन, चार रातें—टीम गांडीव ढाका की गलियों में हर उस सुराग को खोज रही थी, जो उन्हें "हॉक आई" तक ले जा सके। लेकिन हर गली, हर बाजार, और हर चौराहा उन्हें खाली हाथ लौटा रहा था। अब तक न तो किसी लोकल से मदद मिली, न ही कबीर का डार्क वेब पर डाला गया कांट्रैक्ट कोई जवाब लाया। थक-हारकर, टीम अपने गुप्त बेस पर लौट आई। थकान उनके चेहरों पर साफ झलक रही थी।

बेस पर पहुंचते ही, अदिति ने गुस्से में अपनी बैग को जमीन पर फेंक दिया। "हम यहां बेमतलब भटक रहे हैं। यह आदमी जैसे गायब हो गया हो।"

जब बाकी टीम थकान और निराशा से जूझ रही थी, कबीर अपने लैपटॉप पर लगातार काम कर रहा था। उसका ध्यान स्क्रीन पर था, जहां वह डार्क वेब पर गतिविधियों को मॉनिटर कर रहा था। उसकी उंगलियां कीबोर्ड पर तेजी से चल रही थीं, और उसकी आंखों में उम्मीद की एक हल्की चमक थी। तभी, उसकी स्क्रीन पर कुछ फ्लैश हुआ। एक नोटिफिकेशन—डार्क वेब से। कबीर के चेहरे एक अजीब सी मुस्कान आई।  

कबीर ने स्क्रीन की ओर इशारा करते हुए कहा, "डार्क वेब पर जो कांट्रैक्ट मैंने डाला था, उसका जवाब आया है। यह किसी नकली प्रोफाइल से है, लेकिन इसमें एक कोड है। इसे डिक्रिप्ट करने में थोड़ा वक्त लगेगा। इसमें एक लोकेशन का जिक्र है। लेकिन यह बहुत साफ लिखा हुआ नहीं है। यह कोडेड है। मुझे इसे तोड़ना होगा। अगर यह वही है, तो उसने हमें एक लोकेशन पर बुलाया है। और अगर यह ट्रैप है, तो हमें सावधान रहना होगा।"

कबीर की स्क्रीन पर मिले इस फ्लैश ने टीम गांडीव में एक नई उम्मीद जगा दी थी। क्या यह जवाब उन्हें दुश्मन के और करीब ले जा सकता था, या यह सिर्फ एक और चाल हो सकती थी? जानने के लिए पढ़ते रहिए।  

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