रहस्यमयी कॉल कट चुकी थी, लेकिन उसकी आवाज अभी भी कमरे में गूंज रही थी। हर किसी के मन में सवाल थे और हल्की बेचैनी। विक्रम ने सभी को देखा और कहा..
विक्रम: कोई हम पर नजर रख रहा है, हमारे हर प्लान, हर मूवमेंट, और यहां तक कि हमारी टीम की जानकारी उसके पास है। इसका मतलब साफ है—कोई अंदर का भेदी है।
कमरे में एक सन्नाटा छा गया। हर किसी ने एक-दूसरे की ओर देखा। अब दुश्मन का सामना सिर्फ बाहर से नहीं, बल्कि अंदर से भी होना था। विक्रम ने अपनी आवाज को थोड़ा ऊंचा किया और कहा..
विक्रम: “यह दुश्मन सिर्फ ताकतवर नहीं है। यह चालाक है। यह जानता है कि हमें तोड़ने का सबसे आसान तरीका हमारे बीच से शुरू होता है। लेकिन याद रखना, जो भी हमारे खिलाफ है, वो चाहे कितना भी चालाक क्यों न हो, हम उसे ढूंढ निकालेंगे। अब से हर एक चीज पर शक करो। हर मूवमेंट, हर डिटेल। कोई चीज छोटी नहीं होती। समझे?”
सभी ने एक स्वर में सिर हिलाया। विक्रम से सभी को वापस काम पर लगने के ऑर्डर्स दिए। कबीर ने तुरंत उस कॉल की तकनीकी जांच शुरू कर दी। उसकी स्क्रीन पर फ्रीक्वेंसी डेटा और सर्वर लॉग्स की लिस्ट तेजी से स्क्रॉल हो रही थी। उसने हर एक नेटवर्क सर्वर की छानबीन की, हर संभावित फ्रीक्वेंसी को ट्रैक करने की कोशिश की। उसकी भौहें तनी हुई थीं। "ये कोई आम कॉल नहीं है," उसने खुद से बुदबुदाया।
कबीर ने हर डिजिटल सुराग को खंगालने में घंटों लगा दिए। स्क्रीन पर डेटा की रफ्तार धीमी पड़ गई थी, लेकिन जवाब कहीं नहीं था। अचानक, उसे एक अजीब पैटर्न नजर आया। "ये क्या है?" उसने धीरे से कहा।
कई बार जांचने के बाद उसे यकीन हो गया—कॉल किसी अंडरग्राउंड सीक्रेट सर्वर से की गई थी। एक ऐसा सर्वर, जो हर सामान्य नेटवर्क से पूरी तरह छिपा हुआ था। "यह फेक कॉल थी," कबीर ने अपने सिस्टम पर रिपोर्ट फाइनल करते हुए कहा। "इसे ट्रेस करना नामुमकिन है।"
लेकिन कबीर हार मानने वालों में से नहीं था। उसने स्क्रीन पर एक कोड लोड किया और फ्रीक्वेंसी के बीच छिपे हर एक पैटर्न को डिक्रिप्ट करने की कोशिश शुरू कर दी। उसकी आंखों में थकान थी, लेकिन उसके दिमाग में जुनून। "कहीं न कहीं, उसने एक गलती की होगी," कबीर ने खुद से कहा। "और बस वही सुराग हमें उसके तक ले जाएगा।" टीम का हर सदस्य जानता था कि यह दुश्मन जितना खतरनाक है, उसे मात देने के लिए उन्हें उतना ही ज्यादा तेज और संगठित होना पड़ेगा। लेकिन कबीर के दिमाग में सिर्फ एक बात थी—"मैं इसे ढूंढकर रहूंगा।"
सहदेव ने गुस्से में टेबल पर रखे पेपर्स को झटके से एक तरफ फेंक दिया। उसके चेहरे पर नाराजगी और जोश दोनों थे।
सहदेव: छोड़ेंगे नहीं इस आदमी को! वह हमें सरेआम चुनौती देकर गया है। हमें उसका जवाब देना होगा। मैं इस तरह से शांत नहीं बैठ सकता!"
सहदेव की आवाज में जोश और आक्रोश साफ झलक रहा था, लेकिन मीरा ने उसे शांत करने की ठानी। वह अपनी कुर्सी से उठी और सहदेव के करीब आई।
मीरा: नहीं, सहदेव। यही तो वह चाहता है। वह हमें गुस्से में जल्दबाजी करने के लिए उकसा रहा है। यह कॉल सिर्फ हमें डराने और गुमराह करने के लिए थी। अगर हम हर कदम सोच-समझकर नहीं उठाएंगे, तो हम उसी के जाल में फंस जाएंगे।
सहदेव ने मीरा की बात पर गौर किया और शांति से सोचने लगा। दूसरी तरफ, अदिति ने अपनी कुर्सी पर बैठते ही अपने नेटवर्क को सक्रिय कर दिया। उसने तेजी से एक एन्क्रिप्टेड कमांड भेजा, जिससे उसके नेटवर्क के हर एजेंट को अलर्ट मिल गया। ये नेटवर्क उसके सबसे बड़े हथियारों में से एक था—देश के हर कोने में फैला हुआ, बड़े राजनेताओं से लेकर छोटे-मोटे गुंडों तक की हर गतिविधि पर नजर रखने वाला।
अदिति ने अपने सिस्टम पर नजरें गड़ाए रखते हुए अपने एजेंट्स को आदेश दिया:
अदिति: “हर बड़े नेता, कारोबारी और गुंडे की हरकत पर नजर रखो। प्रधानमंत्री की मौत की साजिश इतनी बड़ी थी, इसे अकेले कोई नहीं कर सकता। यह किसी बड़े नेटवर्क का काम है। मुझे हर छोटी से छोटी जानकारी चाहिए, चाहे वो कितनी ही मामूली क्यों न लगे।”
दिन और रात के बीच का फर्क टीम गांडीव के लिए अब गायब हो चुका था। हर कोई अपने मिशन पर लगा हुआ था, लेकिन चार दिनों की जी-तोड़ मेहनत के बाद भी उनके हाथ कुछ ठोस नहीं लगा। ऐसा लग रहा था जैसे हर सुराग, हर रास्ता, डेड एंड हो। विक्रम और आयुष अपने स्तर पर केस की परतें खोलने में लगे थे। अचानक, कबीर ने चिल्लाते हुए कहा,
कबीर: “मुझे कुछ मिला है, दोस्तों! जल्दी से आओ!”
चार दिन की लगातार मेहनत के बाद यह पहली बार था कि किसी के चेहरे पर उत्साह झलका। कबीर के इस ऐलान पर बाकी सभी लोग तुरंत उसके पास दौड़े। सहदेव ने सबसे पहले पूछा, "क्या मिला है, कबीर?"
कबीर: मुझे एक लोकेशन मिली है। यह वह जगह हो सकती है, जहां उस कॉल का सिग्नल आखिरी बार ट्रैक हुआ था। हालांकि, मैं श्योर नहीं हूं। यह कॉल फेक लोकेशन्स जनरेट कर रही थी, इसलिए इसकी प्राबबिलिटी 82% ही है।"
मीरा: "82% हाई पोजिबिलिटी है। कोई बात नहीं, कबीर। लोकेशन बताइए। सच है या नहीं, यह तो वहां जाकर ही पता चलेगा।"
कबीर: "यह देखो। इस इलाके में कॉल ने सबसे ज्यादा वक्त बिताया था। यह पहले ऐसी लोकेशन है, जहां कॉल ने पूरे दो मिनट तक पॉज़ लिया। संभावना है कि यह वही जगह हो।"
अदिति: "कौन सी जगह है यह?"
कबीर: "यह कोई बंद पड़ी फैक्टरी लगती है। कई सालों से यहां कोई गया ना हो ऐसा लगता है! ज्यादा थर्मल डिटेक्शन नहीं हो रहा है
लोकेशन मिलते ही सहदेव और अदिति ने अपने बैग उठाए और तुरंत रवाना हो गए। लोकेशन पर पहुंचते ही सहदेव और अदिति ने अपनी गाड़ियां फैक्टरी से कुछ दूरी पर रोक दीं। दोनों ने अपने हथियार निकाल लिए और धीमे कदमों से आगे बढ़ने लगे। फैक्टरी के चारों ओर का माहौल बेहद सुनसान और डरावना था। जंग लगी दीवारें, टूटे हुए दरवाजे, और हर कोने में फैली धूल... सब कुछ इस जगह को पूरी तरह बंजर और भुला हुआ साबित कर रहा था। सहदेव ने फुसफुसाते हुए कहा,
सहदेव: “ध्यान से चलो। अगर यहां कोई है, तो हमें तैयार रहना होगा।”
अदिति ने सहमति में सिर हिलाया और चारों ओर देखने लगी । फैक्टरी के अंदर पहुंचने पर उन्हें कोई इंसान नहीं दिखा। सहदेव ने इशारा किया और दोनों अलग-अलग दिशाओं में बंट गए। जंग खाई मशीनों के पास, पुराने डिब्बों में, और हर उस जगह पर जहां कुछ छिपा हो सकता था या कोई सुराग मिल सकता था। अचानक अदिति ने कहा, "यह देखो। यहां कुछ है।"
सहदेव उसकी ओर दौड़ा। अदिति ने एक पुराना, धूल से भरा बॉक्स उठाया। अंदर कुछ दस्तावेज़ और एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस मिला। उन चीजों को देख सहदेव और अदिति ने हैरानी से एक दूजे की ओर देखा और फिर सावधानी से आगे बढ़ते हुए उन्होंने नक्शे और फाइल्स को उठाया, लेकिन जब सहदेव ने देखा की नक्शे में दिल्ली के कुछ इलाकों को मारकर से मार्क किया गया था तो उसने उसे अदिति को दिखाते हुए हैरानी से कहा,
सहदेव: इस नक्शे में दिल्ली की कई बड़ी जगह मार्कड है। यह दिल्ली के सभी चेक पोस्ट है! दिल्ली की हर बॉर्डर से लेकर शहर के अंदर जितने भी चेक पोस्ट है यहाँ वह सब है! और हर चेक पोस्ट के साथ एक नंबर लिखा हुआ है! शायद यह नंबर होगा की यहाँ कितने पुलिस वाले होते है एक समय पर।
अदिति: मुझे लगता है की जो जहरीली गैस असेंबली तक पहुंची थी इसमे उसका रूट छुपा हुआ है! पर केवल 10 ml गैस के लिए कोई इतना सब कुछ क्यों करेगा? हमें यह सब लेकर बेस लौटना चाहिए।
अदिति और सहदेव ने लौट ते ही टीम को बताया की उन्हें उस फैक्टरी में कुछ दस्तावेज़ और एक डिवाइस मिला है, यह साफ है कि वह जगह एक समय में उनके प्लान का हिस्सा थी। शायद अभी भी है। सहदेव ने दस्तावेज़ को टेबल पर रखते हुए कहा, "हमें इसे जल्दी से एनालिसिस करना होगा। ये हमें उनके प्लान के बारे में कुछ बड़ा बता सकता है।"
पूरी टीम ध्यान से सुन रही थी। लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ बोल पाता, कबीर की स्क्रीन से अचानक अलर्ट की आवाज गूंजी। "फिर से?" कबीर ने खुद से बड़बड़ाया। उसने स्क्रीन पर देखा—एक और अंजान कॉल उसके सिस्टम में घुसने की कोशिश कर रहा था। कबीर ने अपने मोनिट्रिंग सिस्टम्स को तुरंत चालू कर दिया और स्क्रीन पर एक बार फिर वह अनजान शख्स लौट आया। ओहहों कबीर! तुम्हें क्या लगता है तुम मुझे एंटर करने से रोक पाओगे? ये एंटर का बटन दबाकर तुम विक्रम के सामने या इन लोगों के सामने हीरो बन सकते हो! मुझे तुम्हारे एंटर दबाने से कोई फरक नहीं पड़ता है! पर तुम खुश हो ऐसा कर के तो यहीं सहीं!! वैसे तुम लोग सही दिशा में बढ़ रहे हो, लेकिन तुम मेरे खेल को कभी समझ नहीं पाओगे। अब देखना, अगला कदम मैं उठाऊँगा।"
यह कहते ही स्क्रीन ब्लैंक हो गई। कबीर ने तुरंत उसको ट्रैक करने की कोशिश शुरू कर दी, लेकिन दुश्मन अपनी चालाकी से पहले ही बच चुका था।
मीरा: वह हमारी हर चाल देख रहा है, और अब वह अपनी अगली चाल चलने के लिए तैयार है। इसका मतलब है कि हम सिर्फ उसका पीछा नहीं कर रहे, वह भी हमें घेरने की कोशिश कर रहा है।
विक्रम ने अब तक सबकी बात ध्यान से सुनी। उसने धीरे-धीरे खड़े होकर कहा,
विक्रम: वह चाहता है कि हम डरें और अपनी योजना से भटक जाएं। लेकिन हमें याद रखना होगा कि डर हमारी कमजोरी नहीं बन सकता।" अब हम देखते हैं, अगला कदम वह उठाता है या हम,"
क्या होगी विक्रम की अगली चाल? क्या वह इस अनजान शख्स को पकड़ने में होंगे कामयाब? जानने के लिए पढ़ते रहिए
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