सुनील : बोलो रिया? क्या बोलना हैं तुम्हे?
रिया : वो मुझे यहां की चाट बहुत पसंद है। चलो, खाते हैं। यहाँ की चाट बहुत मशहूर है।
उसकी ये सुनकर सुनील थोड़ा खुश भी हुआ और चौंक भी गया।
सुनील(थोड़ा हैरानी से) : अच्छा तो तुम्हें चाट पसंद है? मैंने तो सोचा था कि तुम्हें सिर्फ कॉन्टिनेंटल और पिज्जा-बर्गर जैसी चीज़ें ही पसंद हैं।
रिया(हंसते हुए) : और भी बहुत कुछ है जो तुम्हें मेरे बारे में नहीं पता। चलो, आज कुछ नया सीख लो। वैसे तुमने आज जैसी एक्टिंग की, सलीम खान देखेगा तो उसको भी अच्छा लगेगा। वैसे तुम सच्ची में तो ऐसे psycho आशिक नहीं हो ना। जो मेरे पीछे पड़ जाए
सुनील : तू हां कर या ना कर….. तू है मेरी……..
इसके बाद दोनो हंसने लगे, वैसे तो बरेली का चाट बाजार अपनी हलचल और मिठास के लिए मशहूर था। वहां की गलियां तरह-तरह के मसालों और पकवानों की खुशबू से भरी हुई थीं। चारों तरफ लोग अपने-अपने काम में बिजी थे। दुकानों के बाहर लटकते बल्ब की हल्की रोशनी और वहां के माहौल ने रिया और सुनील के इस खास दिन को और भी खास बना दिया। वो दोनों बरेली के मशहूर चाट बाजार पहुंचे। वहां की हलचल, गाड़ी वालों की आवाजें, और खाने की महक ने माहौल को और खास बना दिया। उसने उस दुकान पर चाट पापड़ी का ऑर्डर दे दिया,
रिया (मजाकिया लहजे में) : वैसे, तुम्हारी एक्टिंग इतनी जबरदस्त थी कि मुझे सच में डर लगने लगा था।
सुनील (हंसते हुए) : अरे नहीं, रिया। मैं तो बस अपने किरदार में इतना डूब गया था कि सबकुछ असली लगने लगा। लेकिन सच कहूं, तुम्हारे साथ ये सीन करना मेरे लिए बहुत खास था।
रिया ने हल्के से सिर हिलाया और दही-चाट का एक बड़ा कौर खा लिया। उनके बीच की बातचीत अच्छी थी। सुनील के चेहरे पर चमक थी, और उसे लग रहा था कि जिंदगी उसे एक नई दिशा में ले जा रही है। दोनो उस दुकान पर बैठे थे, तभी दुकानदार ने सुनील को पहचान लिया।
दुकानदार(हंसते हुए) : अरे, ये तो हमारे 'जूनियर SRK हैं! भैया, आज क्या खाएंगे आप?
रिया : ये भी जानते है की तुम सलीम खान के फैन हो?
सुनील : हां,यहां पर पूरा बरेली ये बात जानता है, बचपन से हमने सलीम खान को ही देखा है और उनके जैसा ही बनना चाहा है। अच्छा भाईसाहब, सुनिए दो प्लेट दही-चाट दे दीजिए।
इसके बाद दुकानदार तुरंत दही-चाट तैयार करने में जुट गया।
सुनील और रिया ने दुकान के पास ही एक टेबल पर जगह बनाई और चाट खाने लगे।
रिया (मजाकिया लहजे में) : वैसे, अब वो दिन दूर नही, जब तुम्हारे फैंस हर जगह होगे। अब तो तुम्हें ऑटोग्राफ देने की भी आदत डालनी पड़ेगी।
सुनील(हंसते हुए) : अब तो तुम मेरी टांग खींच रही हो।
रिया : अरे नही सच्ची सुनील। वैसे तुम्हारा सबसे बड़ा सपना क्या है?
सुनील : मेरे सबसे बड़ा सपना है सलीम खान से मिलना।
रिया : तुम्हें कभी डर नहीं लगता? अगर ये तुम्हारा सपना पूरा नहीं हुआ तो?
सुनील (गंभीर होते हुए) : डर तो लगता है, रिया। लेकिन मेरे लिए सबसे बड़ा डर है कोशिश न करना। मैं जानता हूं कि सलीम खान से मिलना बहुत मुश्किल है। पर मैं ये भी जानता हूं कि अगर मैंने अपनी मेहनत जारी रखी, तो एक दिन मैं अपने दम पर उनसे जरूर मिलूंगा। और तब मैं पूरे दुनिया में सिर्फ सुनील कार्णिक नहीं, बल्कि सलीम खान के सबसे बड़े फैन के नाम से जाना जाऊंगा।
इसके बाद रिया सुनील की तरफ देख रही थी। दही-चाट खाने के बाद रिया ने दुकान से गोलगप्पे खाने की जिद की। सुनील को ये थोड़ा अजीब लगा, क्योंकि उसने पहले कभी रिया को इतने चुलबुले मूड में कभी नहीं देखा था।
रिया(मुस्कुराते हुए) : चलो, गोलगप्पे खाते हैं। देखते हैं, तुम कितने खा सकते हो।
सुनील (हंसते हुए) : मुझे चैलेंज कर रही हो? ठीक है, फिर देखते हैं।
दुकानदार ने गोलगप्पे तैयार किए और रिया ने सुनील को चटपटी पानीपुरी का पहला कौर दिया। जैसे ही सुनील ने खाया, उसकी आंखों में आंसू आ गए।
सुनील : अरे! ये तो बहुत तीखा है! तुमने पहले क्यों नहीं बताया?
रिया(हंसते हुए) : तुमने ही तो कहा था कि मैं तुम्हें चैलेंज नहीं दे सकती। अब इसे खाकर दिखाओ। वैसे भी तुम्हारे बस का नही तीखे गोलगप्पे खाना, सलीम खान भी आ जाए वो भी नही खा पाएगा।
सुनील : अब तो बात सलीम खान पर आ गई है। रुको अब मैं तुम्हे दिखाता हूं, सलीम खान को आने की जरूरत नही है। मैं ही तुम्हे खाकर दिखाता हूं।
अब दुकानदार और आसपास के लोग दोनों को देखकर हंसने लगे। सुनील ने बमुश्किल तीखापन सहा और रिया के साथ वो कंपटीशन करने लगा। गोलगप्पों की प्लेटें तैयार हो चुकी थीं। दोनों के बीच कंपटीशन शुरू हुआ। रिया अपनी आंखों में शरारत लिए हर बार सुनील की तरफ देख रही थी। सुनील के चेहरे पर चुनौती स्वीकार करने का हौसला था, लेकिन हर एक गोलगप्पे के साथ उसके माथे पर पसीने की बूंदें साफ झलकने लगीं।
रिया (मुस्कुराते हुए) : और कैसे लग रहा है, सुनील? हार मान लो, वरना और तीखा पड़ेगा।
सुनील (दांत भींचते हुए) : तुम्हें क्या लगता है, मैं इतनी आसानी से हार मानने वाला हूं? हम सलीम खान के फैन है, हारना तो हमने सीखा ही नहीं।
दुकानदार और आसपास के लोग ये मस्तीभरा मुकाबला देखकर हंसने लगे। रिया गोलगप्पे खाती जा रही थी, और सुनील उसे टक्कर देने की पूरी कोशिश कर रहा था। लेकिन उसके चेहरे का रंग धीरे-धीरे लाल होने लगा।
दुकानदार (हंसते हुए) : भैया, इतना गोलगप्पा खाने का ग़म कल सुबह समझ आएगा!
सुनील (दुकानदार की बात अनसुनी करते हुए) : भैया, गोलगप्पे बनाना बंद मत करना। जब तक मैडम खाएंगी, मैं भी खाऊंगा।
दोनो 30- 30 गोलगप्पे खा चुके थे। आखिर में, रिया ने अपने हाथ खड़े कर दिए
रिया (हंसते हुए) : ठीक है, ठीक है! मैं मान गई। तुम जीते।
सुनील (गर्व से मुस्कुराते हुए) : देखा? मैं अकेला काफी हूं। सलीम खान को आने की जरूरत नही पड़ी।
दोनों हंसते हुए वहां से निकल गए। रिया ने रास्ते भर उसकी हालत का मज़ाक उड़ाया। चाट बाजार से लौटते समय दोनों के बीच की दोस्ती और भी गहरी हो गई थी।
सुनील : रिया, मुझे आज का दिन हमेशा याद रहेगा। तुमने इसे मेरे लिए खास बना दिया।
रिया : तुम्हारी मेहनत और जुनून देखकर मुझे यकीन है कि एक दिन तुम अपने सपने जरूर पूरे करोगे। बस अपने इस आत्मविश्वास को बनाए रखना।
रास्ते में सुनील ने अपनी कुछ पुरानी यादें और संघर्ष की बातें साझा कीं, जो रिया के दिल को छू गईं। उसने महसूस किया कि सुनील सिर्फ एक कलाकार नहीं, बल्कि एक सच्चा इंसान भी है, जो अपने सपनों के लिए हर मुमकिन कोशिश करने को तैयार है।
रिया और सुनील जब थिएटर ग्रुप के पास पहुंचे, अब दोनो का एक दूसरे से विदा लेने का समय आ गया था।
सुनील : तुम्हारे साथ समय बिताकर मुझे यकीन हुआ कि जिंदगी सिर्फ सपनों के पीछे भागने का नाम नहीं, बल्कि उन्हें जीने का तरीका भी है।
तभी रिया मुस्कुराई और वहां से अपने घर की तरफ चली गई। सुनील ने उस रात आसमान की तरफ देखा और मन ही मन ठान लिया कि वो अपनी मेहनत और जुनून से न सिर्फ रिया, बल्कि पूरी दुनिया को इंप्रेस करेगा। अब उस दिन का हर पल सुनील के दिल में एक अलग याद बनकर बस गया था। ये उसके सपने की शुरुआत का एक छोटा-सा, लेकिन सबसे जरूरी चैप्टर था। रात को, जैसे ही सुनील घर पहुंचा, उसे अजीब सी बेचैनी होने लगी। गोलगप्पों का तीखा पानी अब अपना असर दिखाने लगा। कुछ ही देर में, वो बाथरूम के चक्कर लगाने लगा।
सुनील (बाथरूम से आवाज़लगाते हुए) : हे भगवान! रिया की चैलेंज मानने का क्या यही अंजाम होना था?
वो बमुश्किल बाथरूम से बाहर आया और सीधे बेड पर गिर पड़ा। तभी उसका दोस्त धनंजय आ गया।
धनंजय (कमरे में आते हुए) : क्या हाल बना रखा है, सुनील? क्या हुआ? आंटी बता रही है, जब से तू आया है। तेरा पेट खराब हो गया। बाहर से तेरे रोने-कराहने की आवाज़आ रही थी।
सुनील(कमजोर आवाज़में) : मत पूछ, यार। गोलगप्पों का मुकाबला करना मेरी सबसे बड़ी गलती थी।
धनंजय जो अभी तक टेंशन में था, अब उसकी हालत देखकर हंस पड़ा
धनंजय(हंसते हुए) : तू और गोलगप्पे? भाई, तुझसे ये तीखा बर्दाश्त नहीं होता। तुझे मैं दस साल से जानता हूं। हर बार गोलगप्पे खाकर रोता था, और फिर आज चैलेंज ले लिया?
सुनील (झेंपते हुए) : वो रिया थी, यार। उसकी बात को कैसे टालता?
धनंजय: : ओह, समझ गया। रिया के आगे शेर बनने के चक्कर में तू खुद ढेर हो गया। वाह, मेरे दोस्त। प्यार भी बड़ी कुत्ती चीज है। इंसान को क्या क्या करवा देती है।
दोनों हंसने लगे। हालांकि, सुनील का पेट अभी भी ठीक नहीं हुआ था, लेकिन धनंजय की मौजूदगी ने उसका मूड हल्का कर दिया। अगले दिन की बात थी जब थिएटर ग्रुप में एक नया नाटक तैयार किया जा रहा था। सुनील अब उस थिएटर ग्रुप के साथ काम करने लगा था। सुनील, जो सेट तैयार करने में भी अपनी पूरी लगन से जुटा रहता था, मंच पर कुछ प्रॉप्स सजा रहा था। उसके होठों पर सलीम खान की एक मशहूर फिल्म का गाना था:
सुनील : कोई हीरो है
कोई जीरो है
कोई सुपरस्टार है कोई फ्लॉप है
मैं कौन हूं?
तुम से मैं क्या कहूं
सुनील का गुनगुनाना इतना अच्छा था कि वहां काम कर रहे दूसरे लोग भी उसकी ओर खिंचे चले आए। उनके चेहरों पर हल्की मुस्कान थी, लेकिन उनमें से कुछ को ये देखकर हैरानी भी थी।
आदमी 1 (हंसते हुए) : अरे सुनील, क्या यार! तू हर वक्त यही फिल्मी गाने गाता रहता है। सलीम खान बनना इतना आसान नहीं है।
आदमी 2 (मजाकिया लहजे में) : सच कहूं तो तेरी ये एक्टिंग और गाना-वाना सिर्फ सलीम खान वाला ही आता है। तेरा जिंदगी में इससे ज्यादा कुछ नहीं होने वाला। अपना फ्यूचर देख, भाई। ये सब चीजें पेट नहीं भरतीं।
ये बातें सुनकर वहां खड़े बाकी लोग भी हंसने लगे। सुनील ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। वो मंच पर गाना गुनगुनाना बंद कर चुका था, लेकिन उसके चेहरे पर मुस्कान थी। उसने गहरी सांस ली और अपनी जगह से खड़ा हो गया
सुनील(आत्मविश्वास से भरी आवाज़में) : आप लोग जो कह रहे हैं, वो सच हो सकता है। शायद सलीम खान बनना आसान नहीं है। लेकिन मैं यहां सिर्फ एक्टिंग करने या गाने गाने नहीं आया हूं। मैं यहां अपने सपने जीने आया हूं। और अगर ये सपने मेरे पेट नहीं भर सकते, तो कम से कम मेरे दिल को सुकून तो देंगे।
सुनील के आत्मविश्वास से भरे शब्दों ने उस कमरे में अचानक एक सन्नाटा फैला दिया। वहां मौजूद लोग जो अभी तक हंस रहे थे, एक पल के लिए सुनील की बातों को सुनकर चुप हो गए। तभी उसकी बाते सुनकर आदमी उसकी तरफ देखने लगा
आदमी 2 (थोड़ा असमंजस में) : भाई, बात तो तेरी सही है। लेकिन ये सब बड़े सपने देखना बहुत मुश्किल होता है। हर कोई सफल नहीं होता।
सुनील (मुस्कुराते हुए) : सपने हर किसी के बड़े होते हैं। फर्क बस इतना है कि उन्हें पूरा करने का साहस कौन दिखाता है। हो सकता है, मैं न बन पाऊं सलीम खान, लेकिन मैं हार मानकर अपनी जिंदगी बर्बाद नहीं करूंगा।
तभी एकदम, कमरे की लाइट्स अचानक झपकने लगीं। लोग डरकर एक-दूसरे की ओर देखने लगे।
आदमी 2 (डरते हुए) : ये क्या हो रहा है? बिजली का फॉल्ट है क्या?
तभी कमरे के कोने से एक अजीब सी आवाज़आई। जैसे कोई धीमे-धीमे हंस रहा हो।
सुनील(चौंककर) : ये आवाज़कहां से आ रही है?
कमरे का माहौल पल भर में बदल गया। वहां मौजूद लोग एक-दूसरे के पास खड़े हो गए। सुनील ने कमरे के उस कोने की तरफ देखा, जहां से आवाज़आ रही थी। जैसे ही वो उस कोने की तरफ बढ़ा, कमरे की लाइट्स पूरी तरह से बंद हो गईं, और वहां घना अंधेरा छा गया। सिर्फ सुनील की आवाज़सुनाई दी।
सुनील : कौन है वहां?
अंधेरे में कोई हलचल हुई। तभी, एक ठंडी हवा का झोंका कमरे से होकर गुजरा, और एक गूंजती हुई आवाज़आई—
आवाज़ : सपनों की कीमत हमेशा बड़ी होती है... सुनील।
आखिर कौन है वो आदमी और सुनील के पीछे क्यों पड़ा है? क्या वो सुनील का शुभचिंतक है या सुनील का दुश्मन है?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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