कमरे में सन्नाटा था। उस अंधेरे में सुनील की परछाई भी कहीं गुम हो चुकी थी। उसकी आँखें अंधेरे में कुछ देखने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन उसे सिर्फ खामोशी सुनाई दी।
सुनील (डरते हुए) : कौन हो तुम? बाहर आओ! छुपने की जरूरत नहीं है!
तभी उसे अंधेरे में हल्की सी सरसराहट सुनाई दी, मानो कोई अपने कदमों को छुपाने की कोशिश कर रहा हो। सुनील ने आवाज़ की दिशा में हाथ बढ़ाया, लेकिन सिर्फ ठंडी दीवार महसूस हुई।
सुनील : तुम्हें जो कहना है, सामने आकर कहो!
अचानक कमरे के दूसरे कोने से फिर वही गूंजती आवाज़ सुनाई दी, इस बार और भी करीब से—
आवाज़ : सपनों का पीछा करना सबके बस की बात नहीं, सुनील।
सुनील ने झटके से उस दिशा में दौड़ लगाई, लेकिन उसकी उंगलियां खाली हवा को छूने के सिवा कुछ नहीं कर पाईं। वो दीवार से टकराया और रुका, उसकी साँसें तेज हो चुकी थीं।
सुनील (गुस्से और घबराहट में) : कौन हो तुम? सामने क्यों नहीं आते?
कमरे में कुछ पल के लिए गहरी खामोशी छा गई। फिर, सुनील को ऐसा लगा जैसे कोई उसके बहुत पास से गुजर गया हो। वो मुड़कर देखने की कोशिश कर ही रहा था कि पीछे से एक ठंडा और भयानक हवा उसकी गर्दन पर महसूस हुई
सुनील : तुम... कहाँ हो?
सुनील ने दहशत में उस आवाज़ का पीछा करने के लिए दौड़ लगाई, लेकिन अगले ही पल कमरे की लाइट्स अचानक जल उठीं। सुनील वहीं ठिठक कर खड़ा रह गया। कमरे में सब कुछ वैसा ही था जैसा पहले था। उस कोने में कोई नहीं था। बस, सुनील अकेला। बस अंधेरा, ठंडी हवा, और उसकी तेज़ धड़कनें। सुनील मंच के पास खड़ा होकर बाकी लोगों की तरफ देख रहा था। उसकी आंखों में न तो गुस्सा था, न ही नाराजगी। बस एक गहरी चमक थी, जो उसके अंदर के आत्मविश्वास को दिखा रही थी।
सुनील : आप लोग नहीं समझेंगे। ये डायलॉग्स और ये गाने मेरे लिए किसी प्रार्थना से कम नहीं हैं। यही मेरी गीता है, यही मेरी कुरान। जब मैं इनसे जुड़ता हूं, तो मुझे नई ताकत मिलती है। मैं अपने आप को ज्यादा समझने लगता हूं। और देख लेना, एक दिन यही गाने और डायलॉग्स मेरी पहचान बनेंगे।
ये सुनकर वहां मौजूद लोग फिर से हंसने लगे।
आदमी 2 (हंसते हुए) : अरे भाई, इतना आत्मविश्वास ठीक नहीं है। कहीं ये घमंड में न बदल जाए। बरेली के इस छोटे से थिएटर ग्रुप में कुछ करना और सलीम खान जैसा सुपरस्टार बनना, इन दोनों में जमीन-आसमान का फर्क है।
सुनील (शांत लहजे में) : फर्क जरूर है, लेकिन यही फर्क मुझे मेहनत करने की वजह देता है। सपनों का मजाक उड़ाना आसान है, लेकिन उन्हें जीना मुश्किल।
उसकी बात सुनकर वहां मौजूद कुछ लोग चुप हो गए, लेकिन कुछ अब भी उसकी बातों को हल्के में ले रहे थे। इस बातचीत के बीच, थिएटर ग्रुप के टीचर, मिस्टर वर्मा, वहां आ गए। मिस्टर वर्मा काफी अनुभवी और गंभीर इंसान थे। वो सुनील के जुनून को समझते थे। उसने सबकी बातें सुनीं और फिर सुनील की तरफ देखा।
मिस्टर वर्मा : सुनील, तुमने जो कहा, उसमें दम है। लेकिन दुनिया में सिर्फ जुनून से कुछ नहीं होता। मेहनत, धैर्य और सही दिशा में चलना भी जरूरी है। अगर तुम्हारे अंदर ये तीन चीजें हैं, तो तुम्हें किसी की बातों से फर्क नहीं पड़ेगा।
सुनील : सर, मैं जानता हूं कि ये सफर आसान नहीं है। लेकिन अगर मैं अभी रुक गया, तो शायद मैं कभी अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाऊंगा।
मिस्टर वर्मा (गंभीर लहजे में) : और तुम लोग! अगर किसी के सपनों का मजाक उड़ा सकते हो, तो कम से कम उसे सपने देखने का हौसला भी दो। ये मत भूलो कि तुम भी कभी इसी जगह थे।
वहां खड़े सभी लोग थोड़े शर्मिंदा हो गए।
मिस्टर वर्मा के चले जाने के बाद सुनील मंच पर बैठ गया। उसने उन सभी बातों को अपने भीतर समेट लिया। वो जानता था कि सपनों का रास्ता आसान नहीं होता। उसने सोचा, ये लोग मुझे डिमोटिवेट तो कर सकते हैं, लेकिन मेरे सपने को मुझसे कोई नहीं छीन सकता।
उसने अपने बैग से सलीम खान के ऊपर लिखी एक बुक रखी थी। जिसमे सलीम खान के struggles और उसके सपनो के बारे में लिखा था। वो उसके पन्ने पलटता गया और खुद से वादा करता गया कि वो कभी हार नहीं मानेगा।
सुनील (धीरे से) : सलीम खान बनने का सपना शायद बड़ा है, लेकिन अगर मैं खुद पर यकीन नहीं करूं, तो और कौन करेगा?
उसने फिर से अपने गाने को गुनगुनाना शुरू किया। इस बार उसकी आवाज़ में पहले से ज्यादा आत्मविश्वास था। बरेली की हर गली और हर नुक्कड़ पर सुनील का नाम गूंजने लगा था। चाय की टपरी से लेकर पान की दुकान तक, सुनील की चर्चा हर जगह थी।
आदमी : अरे भैया, वो सलीम खान वाला लड़का देखा? क्या डायलॉग मारा था उसने, बिल्कुल फिल्मी हीरो की तरह!
आदमी 2 : हां हां, वही न, जो नुक्कड़ वाले थिएटर ग्रुप में है? बड़ा जोशीला लड़का है। सुना है, बड़ा नाम करेगा।
सुनील का नाम अब बरेली की गलियों में गूंजने लगा था। उसकी एक्टिंग में एक ऐसी बात थी, जो लोगों के दिलों को छू जाती थी—उसकी आवाज़ में गूंज, आंखों में गहराई, और डायलॉग्स में वो ठहराव जो सीधे दिल तक पहुंचता था। लोग उसे "बरेली का जूनियर SRK" कहकर पुकारने लगे थे। थिएटर के मंच पर उसका कॉन्फिडेंस और जुनून देखने लायक होता, और वही जादू अब बरेली के चाट बाज़ार से लेकर नुक्कड़ की चाय की दुकानों तक फैल चुका था।
थिएटर क्लास खत्म होते ही, सुनील ने बैग उठाया और बाहर निकल आया। शाम की हल्की ठंडी हवा उसके चेहरे को छू रही थी, लेकिन उसके दिमाग में एक अलग ही गर्माहट थी—खुद को और बेहतर साबित करने की जिद्द। आसमान पर सूरज ढलने लगा था, और
जैसे ही वह चाट बाजार की तरफ बढ़ा, उसे दूर से ही हल्की-हल्की आवाज़ें सुनाई दीं। पास जाकर देखा तो कुछ लड़के गोल घेरा बनाकर खड़े थे। उनमें से एक लड़का, जिसे सुनील पहचानता भी नहीं था, उसी के फेमस डायलॉग की नकल कर रहा था:
अगर मोहब्बत में हार मान ली होती, तो सलीम का नाम सलीम न होता!
लड़कों के चेहरे पर एक अलग ही जोश था। बाकी सभी ज़ोर-ज़ोर से हंस रहे थे, ताली बजा रहे थे, और किसी ने तो एक्टिंग में थोड़ी-बहुत अपनी नकल भी डाल दी थी। सुनील वहीं रुक गया, सड़क के किनारे खड़ा होकर उन लड़कों को देखता रहा। उसकी आंखों में चमक आ गई थी, दिल में एक अजीब सी मिठास भर गई थी। वो मुस्कराया, लेकिन खुद को आगे बढ़ने से रोक लिया—क्योंकि यह खुशी उन लड़कों के लिए थी, जो बिना उसे देखे ही उससे जुड़ चुके थे।
आगे बढ़ते हुए सुनील ने देखा कि चाय की दुकान पर भी कुछ लोग बैठे थे, जहां भाप उठती केतली के साथ गर्म बहसें भी उबाल पर थीं। दो दोस्तों के बीच की बातचीत उसके कानों तक पहुंची।
पहला इंसान : अरे भाई, वो सुनील की एक्टिंग देखी है? सच में, ऐसा लग रहा था जैसे सलीम खान खुद सामने खड़ा है!
दूसरा इंसान : हां यार, अब तो मोहल्ले के लड़के भी उसके डायलॉग्स मार-मार के हीरो बनने की कोशिश कर रहे हैं!
सुनील : क्या यही है कामयाबी? जब लोग तुम्हें जाने बिना भी तुम्हारे काम से प्यार करने लगें?
उस दिन की हवा में एक अलग सी ताजगी थी, और सुनील के दिल में एक नई आग जल चुकी थी—अपने सपनों को हकीकत में बदलने की आग।
आदमी : उसका वो वाला डायलॉग कितना अच्छा है की
मुझसे मेरे घर का पता मत पूछो। मैं वहां रहता हूं, जहां मेरा दिल लगता है!
दूसरा आदमी : वाह वाह भाई
सुनील ने उनकी बातें सुनीं और मुस्कुरा दिया। वो जानता था कि ये छोटी-छोटी चीजें उसे और मजबूत बना रही हैं। उस रात, सुनील ने अपने कमरे में बैठकर सलीम खान के ऊपर लिखी वो बुक पढ़नी शुरू की। उसने सोचा कि ये बुक से वो अपने अगले नाटक में इस्तेमाल कर सकता है, और इसमें वो अपनी खुद की कहानी को किसी काल्पनिक किरदार के जरिए दुनिया के सामने रखेगा।
सुनील : एक दिन लोग मुझे सिर्फ सलीम खान की नकल करने वाले लड़के के तौर पर नहीं, बल्कि मेरे नाम से पहचानेंगे। और उस दिन, मेरी ये मेहनत और मेरा जुनून सबके सामने रंग लाएगा। एक दिन मेरा नाम अखबारों में आएगा।
एक तरफ ये सब चल रहा था, दूसरी तरफ सुनील और रिया के बीच की दोस्ती बढ़ रही थी। दोनो अब शाम को मिलने लगे थे। शाम की ठंडी हवा ढाबे के आसपास हल्की सरसराहट कर रही थी। ढाबे के बाहर लगी पुरानी बेंचों पर इक्का-दुक्का लोग चाय की चुस्कियों में खोए हुए थे। सुनील और रिया, एक कोने की मेज पर बैठे, चाय के गिलास हाथ में पकड़े, अपनी बातचीत में खोए हुए थे। तभी सुनील ने चाय की आखिरी चुस्की ली
सुनील : तुम्हें पता है, रिया, जब मैंने पहली बार अपने सपने के बारे में सोचा, तो लोग मुझ पर हंसे थे। उन्हें लगता था कि मैं बस हवा में किले बना रहा हूं। शायद वो सही थे। लेकिन मुझे तब भी यकीन था कि मैं ये कर सकता हूं।
रिया : मुझे पता है। जब तुम अपने सपनों की बात करते हो, तुम्हारी आंखों में एक चमक होती है। वो चमक जो हर किसी में नहीं होती। मुझे पता है, तुम्हें जितनी मुश्किलें आएंगी, तुम उतनी ही मेहनत करोगे। और यही तुम्हें बाकी लोगों से अलग बनाता है।
सुनील (हंसते हुए, मजाकिया लहजे में) : यानी, तुम मेरे लिए मोटिवेशनल स्पीकर बन गई हो?
रिया (हंसते हुए) : अगर बनना पड़े, तो बन जाऊंगी। लेकिन तुम्हें रुकने नहीं दूंगी। तुम्हें पता है, सुनील, तुम्हारे जैसे लोग सिर्फ खुद के लिए नहीं लड़ते, वो उन लोगों के लिए भी लड़ते हैं जो उन पर भरोसा करते हैं। और अब मैं भी उनमें से एक हूं।
सुनील : रिया, मुझे लगता है कि तुम्हारे जैसे लोग ही दुनिया को बेहतर बनाते हैं। मैं भाग्यशाली हूं कि तुम मेरे साथ हो। तुमने मुझे हमेशा खुद पर यकीन करने का हौसला दिया है।
रिया (मुस्कुराते हुए) : और मैं भाग्यशाली हूं कि तुम जैसे इंसान मेरे दोस्त हो। बस एक बात याद रखना, चाहे जो भी हो, कभी खुद पर से भरोसा मत खोना। तुम्हारे सपनों का हिस्सा बनने में मुझे खुशी होगी।
सुनील (उसकी आंखों में देखते हुए) : और तुम्हारा साथ मेरी सबसे बड़ी ताकत होगा। वादा करता हूं, रिया, मैं न सिर्फ अपने लिए, बल्कि तुम्हारे भरोसे के लिए भी अपने सपने पूरे करूंगा।
रिया : वैसे भी सलीम खान ने अपनी फिल्म में कहा था की जिंदगी में कुछ बड़ा बनना ह, कुछ जीतना हो तो हमेशा अपने दिल की सुनो। और अगर दिल से भी जवाब ना आए...तो अपनी आंखें बंद करके अपना सपना याद करो, फिर देखना तुम हर मंजिल पा सकोगे हर मुश्किल आसान हो जाएगी..जीत तुम्हारी होगी..सिर्फ तुम्हारी
सुनील : थैंक यू रिया।
वो दोनों देर तक वहीं बैठे रहे। आसमान अब काले बादलों से भर चुका था, और ठंडी हवा तेज हो गई थी। लेकिन उनके बीच की बातचीत इतनी गर्मजोशी भरी थी कि मौसम का असर उन पर नहीं पड़ रहा था। ढाबे का मालिक अब सामने वाली टेबल साफ करने लगा था।
रिया : चलो, अब चलते हैं। वरना ये हमें रात भर यहीं बैठा देगा।
सुनील (हंसते हुए) : सही कह रही हो। लेकिन अगली बार, मैं तुम्हें सिर्फ चाय नहीं पिलाऊंगा। इसके साथ मैं तुम्हे डिनर पर लेकर चलूंगा।
उन दोनों ने ढाबे से बाहर कदम रखा। सड़क पर हल्की रोशनी थी, और ठंडी हवा उनके चारों ओर बह रही थी। सुनील को पहली बार ऐसा लगा कि उसके सपने अब सिर्फ उसके नहीं रहे। उसके साथ रिया का हौसला, विश्वास, और साथ था। उस रात, जब सुनील घर पहुंचा, तो वो हल्का और अच्छा महसूस कर रहा था। उसने खुद से वादा किया कि चाहे कुछ भी हो जाए, वो अपने सपनों को हकीकत में बदलकर रहेगा। तभी उसके पास धनंजय का फोन आया। सुनील ने फोन उठाया
सुनील : हेलो,क्या हुआ?
धनंजय : अबे बहुत इंपोर्टेंट बात है, एक काम कर। कल सुबह सबसे पहले मेरे पास आ।
सुनील : क्यों क्या हुआ?
धनंजय : भाई बहुत बड़ी बात है, कल सुबह मिल आकर।
आखिर सुनील को धनंजय कौन सी ऐसी बात बताने वाला था, जिसे सुनकर सुनील की भी नींद उड़ गई। आखिर अब आगे क्या होगा ?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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