सुनील के चेहरे पर मिक्स फीलिंग्स थीं—हैरानी, खुशी, और एक अजीब-सा जोश। उसकी आँखों में वो चमक थी, जो किसी कलाकार में एक सीन को करने से पहले होती है। सुनील को सलीम खान की ये फिल्म मुंह जबानी याद थी। रिया भी अपनी जगह पर खड़ी हो गई, उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी, लेकिन उसकी आँखों में गंभीरता झलक रही थी। वो जानती थी कि ये सिर्फ एक सीन नहीं, बल्कि सुनील के एक्टिंग की परीक्षा थी।
मिस्टर वर्मा : ठीक है, सुनील। मैं तुम्हारा टैलेंट देखना चाहता हूँ। चलो, एक सीन करते हैं। तुम्हें सलीम खान की फिल्म का एक सीन निभाना होगा। जिसमें सलीम खान हीरोइन को इस कदर चाहता है कि वो उसके प्यार में पागल हो जाता है। उसके प्यार में वो एक साइको की तरह बर्ताव करता है।
सुनील को ये सुनकर एक पल के लिए हैरानी हुई, लेकिन उसके मन में खुशी की लहर दौड़ गई। ये वही सीन था जिसमें वो खुद को पहले भी कई बार आजमाना चाहता था। और सबसे बड़ी बात, इस सीन में उसका साथ देने वाली रिया थी। मिस्टर वर्मा ने रिया को भी बुलाया, और रिया ने भी एक हल्की सी मुस्कान के साथ हामी भरी। दोनों ने अपनी-अपनी जगहें संभालीं। सुनील ने खुद को सलीम खान की मानसिकता में ढालना शुरू कर दिया—एक ऐसा प्रेमी जो अपने प्यार में जुनूनी है, जिसके लिए उसकी प्रेमिका से बढ़कर दुनिया में कोई और नहीं है। हॉल में हर कोई सुनील और रिया के इस सीन को देखने के लिए रुका हुआ था। दोनों ने एक गहरी सांस ली और सीन की शुरुआत की। मिस्टर वर्मा ने कुर्सी पर बैठते हुए दोनों को ध्यान से देखा
मिस्टर वर्मा : तैयार हो, सुनील?
सुनील : जी, सर
सुनील ने आत्मविश्वास से जवाब दिया, लेकिन उसके हाथों की हल्की सी कंपकंपी उसकी अंदरूनी बेचैनी को जाहिर कर रही थी।
रिया ने अपनी जगह लेते हुए सुनील की ओर देखा,
मिस्टर वर्मा : तुम्हें बस सच्चाई से इसे जीना है। याद रखना, ये सीन तभी जिंदा होगा जब तुम्हारे शब्दों और आँखों में वो जुनून होगा।
सुनील ने एक पल के लिए अपनी आँखें बंद कीं। उसने सलीम खान के किरदार की mentality को महसूस करने की कोशिश की—एक ऐसा इंसान जो अपने प्यार में इतना पागल हो गया है कि उसके लिए सही और गलत का अंतर मिट चुका है। जैसे ही उसने अपनी आँखें खोलीं, उसके चेहरे के भाव बदल गए। उसकी आँखों में एक अलग चमक थी, एक पागलपन,
सुनील : रिया
सुनील ने धीमे और भारी आवाज़ में कहा, जो अब सलीम खान के किरदार की थी।
सुनील : तुम्हें क्या लगता है? तुम मुझसे दूर रह सकती हो? तुमने मुझे ठुकरा दिया...लेकिन मैं तुम्हें नहीं छोड़ सकता।
उसने एक कदम आगे बढ़ाया, उसकी आँखें रिया पर गड़ी हुई थीं।
रिया ने अपनी भूमिका निभाते हुए पीछे हटने का नाटक किया, लेकिन उसकी आँखों में डर की झलक साफ थी।
रिया : सलीम, ये पागलपन है। तुम्हारा ये जुनून हमें दोनों को खत्म कर देगा।
सुनील : तुम्हें पता है, तुम्हारे बिना मेरी जिंदगी में कुछ भी नहीं रहता। मैं तुमसे इस कदर प्यार करता हूँ कि मेरे दिल की धड़कनें तक तुम्हारे नाम पर ही चलती हैं।
रिया(थोड़ी सहमी हुई)
तुम समझते क्यों नहीं? प्यार जबरदस्ती नहीं होता। मुझे मेरी जिंदगी जीने दो, प्लीज!
सुनील ने अपनी आवाज़को और भी भारी कर लिया, उसकी आंखों में एक अजीब सी दीवानगी का भाव भर गया था। उसने अपने चेहरे को ऐसे ढाला जैसे किसी जिद्दी प्रेमी की दीवानगी हो, जो हर हाल में अपने प्यार को पाना चाहता था। सुनील धीरे-धीरे रिया की ओर बढ़ा,
सुनील : तुम्हें लगता है कि तुम मुझसे दूर चली जाओगी और मैं तुम्हें भूल जाऊँगा? नहीं! तुम मेरी हो, सिर्फ मेरी। चाहे कुछ भी हो जाए, मैं तुम्हें किसी और का नहीं होने दूँगा!
रिया के चेहरे पर डर का भाव उभर आया, और उसने कदम पीछे खींचे। वो इस सीन में इतनी बखूबी डूब गई कि उसे सच में सुनील की एक्टिंग किसी जुनूनी प्रेमी जैसा महसूस होने लगा।
रिया (हल्की सी घबराहट में) : तुम समझते क्यों नहीं? मुझे जाने दो... मुझे इस रिश्ते में घुटन महसूस होती है।
सुनील ने अपनी आवाज़को और तीखा और जोरदार कर लिया, और वो इस तरह से उसके करीब आया कि हॉल में बैठे सभी लोगों को उसकी पागलपन की ताकत महसूस होने लगी।
सुनील (धमकी भरे अंदाज में) : तुम घुटन महसूस करती हो? अगर मैं तुम्हें अपना नहीं बना पाया तो ये दुनिया मेरे लिए घुटन से भरी रहेगी। तुम नहीं जानती कि तुम मेरे लिए क्या हो, और अगर तुम मुझे नहीं मिली, तो मैं कुछ भी कर गुजरूंगा।
रिया का चेहरा डर से पीला पड़ गया था, और वो अपने डायलॉग भूलते हुए सुनील के इस पागलपन को देख रही थी। मिस्टर वर्मा की निगाहें सुनील के चेहरे पर टिकी हुई थीं। सुनील का हर भाव, हर संवाद ऐसा लग रहा था जैसे वो सच में उस जुनूनी प्रेमी की mentality में समा गया था।
मिस्टर वर्मा (सीन रोकते हुए) : रुको! बहुत अच्छे से किया तुम दोनों ने। सुनील, तुमने अपने अंदर के जुनून को सही तरह से बाहर निकाला है। तुम्हारी आंखों में जो पागलपन और प्यार की बेकाबू ताकत थी, वो एक दम वैसी ही थी जैसा मैं देखना चाहता था।
रिया ने राहत की सांस ली और सुनील की तरफ मुस्कुराकर देखा। सुनील को भी एहसास हुआ कि उसने इस सीन में पूरी तरह से डूबकर एक्टिंग की है। उसके अंदर का कलाकार आज निखर कर सामने आ गया था। उसने सोचा था कि सिर्फ एक्टिंग करने आया था, लेकिन इस सीन में उसने एक जुनूनी प्रेमी को जिया। सुनील ने हल्के से सिर झुकाकर उसका शुक्रिया अदा किया और मिस्टर वर्मा की ओर देखा।
=मिस्टर वर्मा : ये जुनून, ये समर्पण ही एक एक्टर को महान बनाते हैं। सुनील, तुम्हारे अंदर वो आग है जो किसी भी एक्टर को खास बनाती है। तुमने इस सीन में जो किया, उसे बनाए रखना।
रिया(मुस्कुराते हुए) : तुमने सच में मुझे डराया था, सुनील। ऐसा लगा जैसे मैं सच में किसी साइको के सामने खड़ी हूँ। तुम्हारा एक्टिंग करना सच में काबिल-ए-तारीफ था।
इस तारीफ से सुनील का आत्मविश्वास और बढ़ गया। उसने महसूस किया कि वो सही दिशा में है और अब उसे इस थिएटर ग्रुप में ज्वाइन करने का पूरा यकीन था। उसने मन ही मन ठान लिया कि वो अपनी मेहनत और जुनून से एक्टिंग के हर पहलू में खुद को निखारकर ही रहेगा। सुनील के लिए वो दिन किसी सपने से कम नहीं था। उसने बरेली में अपने नाम और काम की जो पहली पहचान बनाई थी, उसने उसके भीतर एक नया जोश भर दिया था। वो हर दिन थिएटर में जाने और अपनी कला को और बेहतर बनाने की कोशिश में लगा रहता। उस दिन का सूरज जैसे सुनील के लिए कोई खास खबर लेकर आया था। सुनील, जो हमेशा अपने सादगी भरे अंदाज में रहने वाला लड़का था, आज कुछ अलग ही महसूस कर रहा था। उसके मन में हलचल थी, एक अजीब सी बेचैनी, और एक उम्मीद की लौ। सुनील बचपन से सलीम खान का बहुत बड़ा फैन था। उसने उनकी हर फिल्म देखी थी, उनके हर डायलॉग को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लिया था। खुद को अक्सर आइने के सामने सलीम खान की तरह स्टाइल में बोलते देखता, मानो वही उसकी पहचान हो।
पर आज सलीम खान का कोई डायलॉग नहीं, बल्कि रिया का एक सीधा सा सवाल उसके दिल पर दस्तक दे रहा था।
रिया – वही रिया जिसे सुनील ने स्कूल के दिनों से ही पसंद किया था। उसकी हंसी, उसकी बात करने का अंदाज, और वह मासूमियत, जो किसी को भी दीवाना बना दे। पर सुनील ने कभी सोचा भी नहीं था कि वो रिया से अपनी फीलिंग्स कह पाएगा। उसके लिए यह सिर्फ एक सपने जैसा था।
सुनील अपनी चीज़े समेट रहा था, तभी रिया उसके पास आई। उसके कदमों की आहट सुनकर ही सुनील का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। रिया ने अपनी चिर-परिचित मुस्कान के साथ कहा,
रिया : सुनील, क्या तुम मेरे साथ बाजार चलोगे?
बस इतना सुनना था कि सुनील के लिए जैसे समय थम गया। उसने धीरे से रिया की ओर देखा। उसका चेहरा सूरज की रोशनी में दमक रहा था, और उसकी मुस्कान जैसे किसी जादू की तरह थी। सुनील के हाथ से किताब गिरते-गिरते बची। उसने कई बार सलीम खान की फिल्मों में हीरो को इस तरह की सिचुएशन में देखा था, लेकिन यह तो असलियत थी। वह सोच में पड़ गया कि यह हो क्या रहा है।
उसके अंदर का सलीम खान फौरन एक्टिव हो गया।
सुनील : ऐसा मौका बार-बार नहीं आता, सुनील। इसे गंवाना मत
सुनील : अ-अ-अरे हां, क्यों नहीं?
रिया : ठीक है, तो फिर 4 बजे मिलते हैं।
वो ये कहकर वहां से चली गई। सुनील उसे जाते हुए देखता रहा, जैसे वह कोई सपना हो जो कभी टूट न जाए।
रिया के जाने के बाद सुनील अपने आप से बातें करने लगा।
सुनील : सुनील, तेरा टाइम आ गया। याद है न, सलीम खान की फिल्म में वह सीन जब हीरो को पहली बार हीरोइन के साथ टाइम स्पेंड करने का मौका मिलता है? बस, वैसा ही। अब तू कोई गलती नहीं करेगा।
उसने फटाफट अपने कपड़े देखे, जूते साफ किए, और आइने के सामने खड़े होकर कई बार प्रैक्टिस की।
सुनील : क्या बोलूंगा? कैसे बोलूंगा? अरे, कहीं कुछ गलत तो नहीं कह दूंगा?
4 बजने में अभी थोड़ा वक्त था, लेकिन सुनील के लिए हर सेकेंड किसी घंटे जितना भारी लग रहा था। कमरे में टहलते हुए उसने कई बार घड़ी देखी, पर समय जैसे सरकने का नाम ही नहीं ले रहा था। दिल की धड़कनें तेज़ थीं, जैसे वो खुद भी वक्त को धक्का देकर आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही हों। आखिरकार, जब इंतज़ार और बेचैनी की हद हो गई, तो उसने तय किया कि और देर करने से बेहतर है कि वो मिलने की जगह पर जल्दी पहुंच जाए। फिर
चेहरे पर एक हल्की मुस्कान लाने की कोशिश की, मगर अंदर से घबराहट साफ झलक रही थी। फोन, पर्स सब चेक किया और गहरी सांस लेते हुए घर से निकल पड़ा।
सड़क पर हल्की सी ठंडी हवा बह रही थी, लेकिन सुनील के माथे पर पसीने की कुछ बूंदें चमक रही थीं। हर कदम के साथ उसके दिल की धड़कन तेज़ होती जा रही थी। वो वहां खड़ा होकर बार-बार अपने फोन की स्क्रीन देखता, जैसे कोई मैसेज आने का इंतज़ार कर रहा हो। लेकिन सच तो यह था कि वो बस खुद को बिज़ी दिखाने की कोशिश कर रहा था ताकि अपनी बेचैनी को छुपा सके। तभी, दूर से उसे एक जानी-पहचानी परछाई दिखी।
रिया आ रही थी। हल्के गुलाबी रंग की सलवार-कुर्ता में, बाल खुले हुए, जो हवा में धीरे-धीरे लहरा रहे थे। उसके चेहरे पर वही मासूम मुस्कान थी, जिसमें एक सादगी और एक अलग सी गर्माहट थी। जैसे ही सुनील की नज़र उस पर पड़ी, उसके आसपास की सारी आवाज़ें मानो धीमी पड़ गईं। सब कुछ धुंधला सा लगा, बस रिया का चेहरा साफ दिख रहा था।
सुनील का दिल एक पल के लिए रुक सा गया।
रिया : तुम वक्त से पहले आ गए?
सुनील : अरे... हां, बस वैसे ही,
रिया : चलो, बाजार चलते हैं।
सुनील ने मन ही मन सलीम खान को थैंक यू कहा । आज वह खुद किसी फिल्म का हीरो लग रहा था। लेकिन इस बार यह फिल्म सच्ची थी, और रिया उसकी हीरोइन।
रिया उसकी मासूमियत और झिझक देखकर मुस्कुरा रही थी।
रिया और सुनील बरेली के बड़े बाजार की ओर चल दिए। रास्ते में सुनील के चेहरे पर खुशी और बेचैनी दोनों का अजीब सा संगम था। वो लगातार सोच रहा था कि रिया के साथ बाहर जाने का ये मौका उसके लिए कितना खास था। रास्ते में दोनों के बीच हल्की-फुल्की बातचीत होती रही।
रिया : तुम्हें पता है, सुनील। तुमने सलीम खान की फिल्म के सीन में जो किया, वो मैंने पहले कभी नहीं देखा था। तुममें एक अलग ही जुनून है।
सुनील(मुस्कुराते हुए) : तुम्हारे बिना मैं वो सीन नहीं कर पाता। तुम्हारा साथ देना मेरे लिए सबसे बड़ा सहारा था। सच कहूं, तुमने मुझे मेरी एक्टिंग को फील करना सिखाया।
रिया उसकी बात सुनकर थोड़ी चुप हो गई। सुनील के इस इजहार में जो सच्चाई थी, वो रिया के सामने उसे और अच्छा बना रही थी। उसके बाद रिया और सुनील शाम के समय बाजार की चहल-पहल के बीच घूम रहे थे। ठंडी हवा में तरह-तरह की खुशबू फैल रही थी—कभी पकौड़ों की तो कभी ताजे मसालों की। रिया ने हल्के गुलाबी रंग का कुर्ता पहना हुआ था, और उसकी चूड़ियों की खनक बाजार की गहमागहमी में भी सुनाई दे रही थी। सुनील, अपने अंदाज में, उसके साथ चल रहा था, कभी-कभी उसकी ओर देखते हुए मुस्कुरा देता।
रिया : सुनील, आज मैं तुम्हे अपने बारे में कुछ खास बताना चाहती हूं।
ये सुनकर सुनील के चेहरे का रंग बदल गया, आखिर रिया सुनील को ऐसा क्या बताने वाली थी, क्या रिया की ज़िंदगी में कोई और भी है? आखिर आगे क्या होगा।
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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