वसन का वो सब बताना और श्री का सुनना.. कुछ देर और चलता है और फिर उनके पास आकर एक साधू बाबा बैठ गए हैं। उन्होंने सिर्फ एक काले रंग की धोती पहनी हुई है और गले में रुद्राक्ष की कुछ मालए हैं… बालों को बाल कहना उनका निरादर करना होगा.. क्योंकि वो जटाएं हैं.. जिन्हें बड़े ही सुंदर रूप में इकठ्ठा कर सिर पर बांधा हुआ है।
वसन उन्हें देखकर चुप हो जाता है और श्री बोल पड़ती है,
श्री - “प्रणाम बाबा जी।”
बाबा - “हम्म्म्म बम बोले.. दिल के राज खोले.. यहां की नहीं लगती.. कहां से आई हो?”
बाबा जी श्री से पूछते हैं और फिर वसन की ओर देखने लगते हैं। वसन कुछ नहीं बोलता।
श्री - “मैं तो साउथ इंडिया से आई हूं.. आप कहां से हैं? और कबसे रह रहे हैं यहां?”
बाबा- “हमें 20 वर्ष हो गए.. अब तो शिव ही नाम हमारा, शिव ही पता है.. जो शिव में नहीं, वो ही लापता है.. ऐ बच्चें”,
बाबा वसन की ओर उंगली कर इशारा करते हैं.. वसन पूछता है, “कौन? मैं?”
बाबा- “हां तू बच्चा.. तेरा भाग्य जोर दे रहा है.. कुछ बड़ा हुआ है और कुछ बड़ा होने वाला है। डरना नहीं.. डाटकर सामना करना…”
इतना कहकर बाबा जाकर नदी में छलांग लगा देते हैं और पल भर में ही गायब हो जाते हैं.. जैसे पानी के अंदर ही वास करते हो। और वसन एकदम बुत बना रह गया है, वो रत्ती मात्र भी नहीं हिलता।
श्री - “ओओ.. मिस्टर। चिल.. कल मुझे भी एक पंडित जी मिले थे.. वो ऐसे ही कुछ - कुछ कह रहे थे पर देखो.. डरने की कोई बात नहीं है। "यू नीड टू बी काल्म एंड अंडरस्टैंडिंग.."
कल तक जो लड़की खुद के लिए डरी सहमी थी आज वो वसन को काल्म रहने का ज्ञान दे रही है.. वैसे सही भी है ना.. होता है ना अक्सर कि जब आपके डर को दूर भगाने के लिए कोई आपके आगे ढाल बनकर खड़ा हो जाता है तो आप में भी किसी की ढाल बनने की हिम्मत आ जाती है।
वसन -“तुमने देखा.. कैसे वो बाबा पानी में जाते ही गायब हो गए?”
वसन श्री की ओर देखकर उससे पूछता है।
श्री - “ओओ वो बाबा.. तुम उन्हें देखकर ऐसे स्टैच्यू बने रह गए.. मुझे लगा कि जो उन्होंने कहा, उसे सुनकर तुम डर गए… मैं भी तो कल बड़ी डर गई थी पर फिर.. मां”
वसन श्री की बात को काटते हुए उसे कुछ खाने के लिए चलने का पूछता है और श्री खड़ी होकर चलने को कहती है। फिर दोनों घाट के गेट के बाहर खड़े ठेलों के पास जाकर क्या खाया जाए का जवाब ढूंढ़ने लगते हैं और फाइनली डीसाइड होता है एक प्लेट दही पूरी और एक - एक प्लेट पानी पूरी।
वसन- “भैया.. मुझे खट्टा मीठा देना..”
वसन बता कर हाथ धोने चला जाता है और श्री खुद के लिए तीखा करने को बोलती है। पानी पूरी वाले भैया दोनों को एक - एक डोना पकड़ाते हैं और पानी भर - भर कर पूरी देने लगते हैं.. पहली, दूसरी, तीसरी, चौथी, पांचवी और ये छठी..
छठी पूरी एक्सचेंज हो जाती है, वसन के पास तीखी और श्री के पास मीठी पहुंच जाती है। खाते ही वसन स्स्स्स स्स्स करने लगता है और पानी पूरी वाले को पानी की एक बॉटल देने का इशारा करता है। पानी पूरी वाला, जैसे ही सादा पानी की एक बॉटल निकालता है और वसन के लेने से पहले ही श्री बॉटल लेकर भाग जाती है। वसन एक बॉटल और लेता है, पेमेंट करता है और श्री के पीछे चला जाता है। चलते - चलते, उसके सामने कुछ दृश्य आने लगे हैं और वो बार - बार आंखें बंद कर रहा है.. ताकि वो सब उसे न दिखे। वसन कुछ दूर तक ही चल पाया है और उसे कुछ ठीक नहीं लग रहा है। वह खड़ा रहकर, श्री को आवाज देने की कोशिश करता है पर चक्कर आने से गिर जाता है। आस - पास लोग आकर खड़े हो जाते हैं और देखने लगते हैं कि क्या हुआ है।
भागते - भागते श्री पूरा एक चक्कर लगा आई है और अब जब वसन उसे पानी पूरी वाले के पास नहीं मिलता तो वो उसे वसन किस ओर गया है? पूछकर आगे बढ़ती है और देखती है कि 10 कदम आगे ही भीड़ जमा हो रखी है.. श्री भीड़ में घुसकर देखती है तो पता चलता है कि वसन वहां गिरा पड़ा है। श्री वसन के पास आ जाती है और जो आदमी वसन को होश में लाने की कोशिश कर रहा है उससे पूछती है,
श्री - “क्या हुआ इसे? ये गिर कैसे गया?... प्लीज कोई पानी लेकर आओ..”
“अरे आपके हाथ में ही तो पानी की बोतल है मैम”, पास खड़ा एक लड़का बोलता है और उसके बोलते ही श्री अपने हाथ में मौजूद बोतल का ढक्कन खोलकर, वसन के ऊपर पानी के छींटे मारती है। वसन की आंखें थोड़ी - थोड़ी खुलती हैं और वो श्री को सामने देखकर रिलैक्स महसूस करता है।
श्री - “चलो उठो.. हाथ पकड़ो मेरा.. आइ विल हेल्प यू ”
श्री वसन को उठने में मदद करती है और जो लड़का इतनी देर से वसन को होश में लाने की कोशिश कर रहा था.. उसे थैंक यू बोलती है। और अब दोनों धीरे - धीरे चलकर एक बेंच के पास आकर बैठ गए हैं…
श्री - “इतनी मिर्च लग गई पानी पूरी खाकर कि बेहोश ही हो गए… पहली बार किसी को मिर्च लगने से बेहोश होते हुए देखा है..”
वसन हंसने लगता है और बताता है कि वो मिर्च लगने से बेहोश नहीं हुआ था,
वसन- “मुझे कुछ कुछ दिखा और फिर एकदम से आंखों के आगे अंधेरा छा गया और मैं.. मैं गिर गया.. तुम्हें आवाज भी नहीं दे सका। ये तीसरी चौथी बार हो रहा है मेरे साथ.. भला हो यहां के लोगों का जो होश में ले आते हैं मुझे.. और देखो इस बार तो तुम लेकर आईं..”
श्री - “आइ थिंक तुम्हें डॉक्टर को दिखाना चाहिए.. ये कोई अच्छी बात नहीं है। तुम कहो तो मैं भी साथ चल दूंगी..”
वसन सिर हिलाकर मना कर देता है और श्री के हाथ से बोतल लेकर थोड़ा पानी पीता है,
वसन- “एक बात पूछूं तुमसे?”
श्री - “हां कहो।”
वसन- “ऐसे कोई भी किसी अजनबी पर भरोसा नहीं करता.. भले ही वो कितनी बार भी टकराए। कई लोग तो कितनी बार टकरा कर आपस में बात भी नहीं करते हैं और तुमने तो..”
श्री - “मैंने तो क्या?”,
श्री वसन को घूरते हुए पूछती है।
वसन- “तुमने तो मुझसे बात भी की, मेरा गुस्सा भी सहा और तो और मुझसे दोस्ती करने का प्रपोजल भी दे दिया… तुम आज भी न जाने कितनी देर से मेरी वो सब बातें सुन रही थी.. ना मुझे जानती हो, ना ये पता कि मैं कितना सच हूं कितना झूठ फिर भी अभी मेरे साथ बैठी हो। क्या तुम इतनी आसानी से लोगों पर विश्वास कर लेती हो?”
श्री - “MMMM.. क्वेश्चन तो काफी सीरियस किया है तुमने पर मेरा आंसर एकदम सिंपल सा है, एक इंसान ही इंसान पर भरोसा नहीं करेगा तो कौन करेगा? इसलिये मैं कर लेती हूं। अब देखो मेरा फंडा एकदम सिंपल है.. अच्छा सोचो, अच्छा करो.. तो अच्छा ही होगा और जो कोई गलत करने वाला भी होगा.. क्या पता वो तुम्हारी अच्छाई से अपना इरादा बदल दे। भरोसा न करने वालों की भीड़ में, किसी को तो भरोसा करने वाला बनना पड़ेगा ना दोस्त।”
श्री के जवाब को सुनने के बाद वसन पहली बार उससे इम्प्रेस हुआ है। वो उसे बस देखे जा रहा है और फिर वो श्री को थैंक यू बोलता है,
वसन- “भीड़ से अलग होने के लिए थैंक यू। अब मैं सच में तुमसे दोस्ती करना चाहता हूं।”
श्री जोर से हव्व्व करते हुए पूछती है,
श्री - “तो अब तक क्या तुम झूठ में दोस्त बने हुए थे?”
वसन मुंह बना लेता है और उसे यूं मुंह बनाए देखकर श्री जोर - जोर से हंसने लगती है।
श्री - “अब जो तुम सच में मेरे दोस्त बन गए हो तो मैं तुमसे कुछ पूछना चाहती हूं दोस्त।”
वसन- “हां पूछो..”
श्री - “क्या तुम मेरे साथ सारनाथ चलोगे?”
वसन दो सेकेंड के लिए बड़ा ही वीर्ड सा लुक देता है और फिर मुस्कुरा कर हां कर देता है,
वसन- “चलूंगा.. पर मेरी एक शर्त है..”
श्री - “शर्त से डर नहीं लगता साहब , थप्पड़ से लगता है… बताओ क्या शर्त है?”
वसन- “कितनी फिल्मी हो तुम.. हां तो शर्त ये है कि बस या ऑटो से नहीं, हम बाइक से जाएंगे।
श्री - “वहू.. अरे डील डन। मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है.. बाइक चलाने में तो मैं एक्सपर्ट हूं।” "आई विल रेंट अ बाइक।"
वसन- “सच में.. तुम्हें भी बाइक चलानी आती है?”
श्री - “भी आती है.. मतलब कोई और भी है.. जो तुम्हें बाइक पर घुमाती है..”
वसन, श्री की इस बात का जवाब नहीं देता और जाकर नदी की ओर मुंह करके खड़ा हो जाता है। अब वसन के सामने बहता हुआ पानी है जिसे वह एक टक देख रहा है और फिर उसके सामने कुछ ऐसा हुआ है.. जिसपर उसे विश्वास नहीं हो रहा। वो पलटकर श्री के पास आता है और उसे बताता है,
वसन- “अभी जो कुछ देर पहले वहां जो बाबा हमारे साथ बैठे थे.. वो जिन्होंने हमारे सामने पानी में छलांग लगाई थी..”
श्री - “हां.. हां, कोई बहुत दिन नहीं बीते हैं। अभी कुछ देर पहले की ही बात है.. याद है मुझे..”
वसन- “श्री वो बाबा just अभी.. जब मैं जाकर वहां खड़ा हुआ, तब पानी से बाहर निकले.. मेरी उनसे नजरें भी मिली..”
श्री - “सच में?”,
श्री अचंभित होकर पूछती है।
वसन- “हां सच में.. दो घंटे तक कोई पानी के अंदर कैसे रह सकता है..”
वसन वहीं बेंच पर फिर बैठ जाता है।
श्री - “हम्म्म.. पर यहां बनारस में सब पॉसिबल है दोस्त। "इट्स बीन 5 डेज़ हियर।"
और इन पांच दिनों में मैंने बहुत कुछ ऐसा एक्सपीरियंस किया है जो सरप्राइजिंग भी है और शॉकिंग भी। काशी को समझना मुश्किल है… अच्छा ये बताओ तुमने वो टी टोस्ट खाया? वो जो विश्वनाथ मंदिर के पास मिलता है..”
वसन सिर हिलाकर मना करता है और उसके ना कहते ही श्री उसे अपने साथ वहां चलने को कहती है.. इस बार वसन बिना कोई आना कानी किए साथ चलने को तैयार हो गया है।
दोनों बाहर आकर ऑटो लेते हैं और टी टोस्ट वाली शॉप पर जाने के लिए निकल जाते हैं।
श्री - “तो परसों चलें सारनाथ?”
वसन हां कर देता है।
श्री - “और कल क्या कर रहे हो तुम?”
वसन- “हा कुछ खास नहीं”
कहकर वसन बाहर देखने लगता है। और जब कोई ऐसे कुछ बता कर नजरें फेर ले तो एक एडवाइस है.. उसे थोड़ा वक्त दे देना चाहिए। वो खुद से खुद को भी वक्त दे रहा होता है.. श्री भी यही करती है। टी टोस्ट की दुकान आने तक, वो वसन को कुछ नहीं कहती।
ऑटोवाला - “लीजिए मैम जी, आ गई आपकी दुकान।”
ऑटो रुक जाता है और श्री बाहर आ जाती है। वसन भी बाहर आ गया है।
श्री - “मैं कल पंडित जी के यहां जाऊंगी.. और फिर उनके साथ यहां के एक सबसे प्रसिद्ध आश्रम जाऊंगी.. उनके कुछ फुटेज भी लेने हैं.. मेरी रिसर्च के लिए… तो तुम भी चल देना। तुम्हें अच्छा लगेगा..”
वसन- “हम्म्म.. अभी चलें.. चाय पीने”,
वसन ये बोलकर आगे बढ़ जाता है और जाकर दो उंगली दिखाकर ऑर्डर भी दे देता है। श्री के पहुंचते ही, टी टोस्ट वाला उसे पहचान जाता है और वो उससे बातें करने लग जाता है। वसन श्री को देखकर थोड़ा हैरान है और खुद में ही बातें कर रहा है,
वसन- “ये लड़की हर किसी से ऐसे बातें करती है जैसे ना जाने कितनी बार मिल ली हो.. इसके आसपास के लोग इसके बारे में क्या सोच रहे हैं, उसकी कोई परवाह नहीं है। अभी भी इस चाय वाले से इसने क्या - क्या नहीं पूछ लिया है…”
श्री चाय लेकर आती है और वसन को एक कुल्हड़ पकड़ाकर टोस्ट लेने चली जाती है..
टोस्ट वाला - “ये लीजिए गरमा गरम टोस्ट मलाई मार के..”
श्री - “क्या बात है भैया.. टोस्ट बनाना तो कोई आपसे सीखे”,
श्री का तारीफ करने का अंदाज टोस्ट वाले भैया को बहुत पसंद आता है.. वो थैंक यू बोलते हैं और अब श्री वसन के पास आकर बैठ गई है। दोनों चाय टोस्ट का आनंद ले रहे हैं.. अब यदि मैंने आनंद कह दिया है तो आप इसे आनंद की तरह ही समझें… और जब भी बनारस जाना हो तो टी टोस्ट .. वो भी मलाई मार के, जरूर खाएं।
इस तरह वसन और श्री के बीच, अब सच में दोस्ती हो गई है और दोनों का मिलना अब तय किए अनुसार होने वाला है… या नहीं होने वाला है.... क्या होगा? आप, अनुमान लगाते रहिए और एपिसोड्स, आगे बढ़ाते रहिए।
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