गाँव में नूर की आत्मा को शांति मिल गई थी। अब काका आहलूवलिया कुछ समय के लिए इस गाँव से दूर जाना चाहते थे, . सोनू ने उन्हें अपना वास्ता देकर रोक लेता है। काका भी अपने बेटे मोनू के नाम पर रुक गए, क्योंकि सोनु उनका ही खून था। काका इस बात से अनजान थे की इस गाँव पर अभी भी मुसीबत टली नहीं थी, बल्कि ये तो एक शुरुवात थी। सुनील पिछली रात काके दी हवेली के आँगन में पेड़ों के पास सफ़ाई कर रहा था। वोह इस बात से अनजान था कि उन पेड़ों के पास कुछ डरावनी ताक़त थी, जो उसका इंतज़ार कर रही थी।
सुनील
ये क्या है?
जैसे ही सुनील ने उनमे से एक तावीज़ उठाया और उसे खोला, हरी रोशनी चारों ओर फैल गई।
सुनील
अरे नहीं! ये क्या हो रहा है!
तभी तावीज़ से अचानक एक भूत निकला। उसका चेहरा डरावना था और वह सुनील के चारों ओर घूम रहा था।
भूत
काका आहलूवलिया कहाँ है? मुझे उससे मिलना है।
सुनील
म-मुझे कुछ नहीं पता, मुझे छोड़ दो।
भूत सुनील की ओर बढ़ा, उसकी आंखों में एक लाल चमक उभर रही थी। एकदम से भूत सुनील के अंदर घुस गया और उसकी आंखे लाल हो गई! उसके चेहरे पर एक डरावनी हंसी उभर आई। सुनील की आवाज़ बदल गई!
सुनील
हाँ, काफ़ी दिनों बाद। अब मैं अपना बदला ले पाऊंगा। काका मैं आ रहा हूँ।
ये बोलते ही सुनील धीरे-धीरे हवा में उड़ गया।
सुनील
काका आहलूवलिया, अब तुम्हें मेरी ताकत का अंदाज़ा होगा!
रात का वक़्त था। सुनील तालाब के पास पहुँचा। उसका चेहरा ख़ौफ़नाक था और वह तालाब के किनारे खड़ा होकर चारों ओर देख रहा था। चाँद की हल्की रोशनी पानी पर पड़ रही थी। सुनील, की आँखों में डरावनी चमक थी।
सुनील
ये मेरा समय है... अब कोई भी मुझे रोक नहीं सकता।
तभी, दो लड़के, आर्यन और विक्रम, हँसते-खेलते हुए तालाब के पास आए। वह दोनों सुनील को देखकर उसके पास आ गए और उसका मज़ाक उड़ाने लगे।
आर्यन
अरे सुनील यहाँ तालाब के पास क्यों खड़ा है? आज तालाब की सफ़ाई करने का काम मिला है क्या?
विक्रम
हाँ, अगर काम हो जाए तो इसी तालाब में नहा भी लियो।
आर्यन
नहीं भाई, कही ये तालाब और काला न हो जाए।
दोनों ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगते है। तभी सुनील की आँखें चमकने लगी।
सुनील
तुम लोगों की हिम्मत कैसे हुई, अब मैं वोह नहीं, जो सबकी सुन लूंगा।
ये सुनकर आर्यन और विक्रम हंसने लगे, उन्हें लगा कि सुनील मज़ाक कर रहा है।
सुनील धीरे-धीरे उनके करीब बढ़ने लगा। उसका डरावना चेहरा आर्यन और विक्रम को दिखने लगा।
विक्रम
सुनील, ये क्या कर रहे हो? ये मज़ाक नहीं है।
सुनील
मज़ाक होता क्या है, वह अब मैं बताऊंगा।
आर्यन और विक्रम एक-दूसरे को देखकर घबरा रहे थे। सुनील अब हवा में थोड़ा थोड़ा उठने लगा।
विक्रम
भागो, ये पागल हो गया है!
सुनील हंस रहा था और अपनी बाहें फैला रहा था। अचानक, वह उन दोनों पर झपट पड़ता है
सुनील
तुम नहीं भाग सकते! अब मैं तुम्हें दिखाऊंगा कि असली डर क्या होता है!
ये देखकर आर्यन और विक्रम तालाब की ओर दौड़ने लगे, . सुनील उनके पीछे आ रहा था। अचानक, एक ठंडी हवा चलने लगी। तालाब के पानी में उथल-पुथल मचने लगी।
आर्यन
ये क्या हो रहा है?
तभी विक्रम तालाब के पानी में गिर गया और उसकी चीखें सुनाई देती हैं। सुनील ने उसे अपने कब्जे में ले लिया था।
सुनील
अब तुम सब कुछ भूल जाओगे!
विक्रम पानी में छपकियाँ मार-मार कर तड़प रहा था और सुनील उसको देख-देख कर भयानक हँसी हँस रहा था!
विक्रम
सुनील......मुझे बचाओ!
सुनील
बचाओ? शिकार कभी शिकारी से मदद नहीं मांगता।
आर्यन तालाब के किनारे पर लड़खाके गिर पड़ता है... उसकी धड़कनें तेज़ी से धड़कने लगा,
आर्यन
नहीं, नहीं!
सुनील
तुम नहीं बच पाओगे।
विक्रम
सुनील, मैं तुम्हारा दोस्त हूँ!
सुनील की आँखों में एक पल के लिए इंसानियत की झलक दिखी, . वह फिर से भूत बन जाता है
सुनील
मेरा कोई दोस्त नहीं, दोस्ती का कोई मतलब नहीं!
आर्यन
कोई मुझे बचाओ! बचाओ बचाओ
अचानक, तालाब में एक बड़ा साया उभर आया था, जैसे कि भूत का असली रूप सामने आ रहा हो।
विक्रम और आर्यन तड़प रहे थे। सुनील का चेहरा और भी डरावना हो गया था और अचानक एक बिजली चमकी, सब कुछ अंधेरे में डूब गया। सुनील ने अपने हाथ फैलाए और एक भयानक-सा बवंडर चलने लगा!
उसके बाद, वह अचानक गायब हो गया, . उसकी डरावनी हंसी हवा में गूंजती रही।
साधुपुल गाँव में भूत का आतंक फिर से आ गया-गया था। गाँव के लोग अब रात के समय घर से बाहर निकलने से कतराने लगे। भूत का ख़ौफ़ हर जगह छा गया था। रात की काली चादर गाँव के चारों ओर फैली हुई थी। दूर कहीं से बकरियों की आवाजें सुनाई दे रही थीं। इस अंधेरे में, सुनील के अंदर जो भूत था, वह अपनी पूरी ताकत के साथ गाँव में घूम रहा था, उसकी लाल-लाल आंखें चमक रही थीं। सुनील के होंठों पर एक ख़ौफ़नाक मुस्कान थी, उसने गाँव के लोगों को वशीभूत कर रखा थ॥
सुनील
आख़िर काका आहलूवलिया को कहाँ छुपाया है तुम लोगों ने? जल्दी बताओ वरना तुम्हें भी बाक़ी मरे हुए लोगों के पास पहुँचा दूंगा।
गांव के लोग सुनील को ऐसे अवतार में देखकर काफ़ी डरे हुए थे। वह सुनील के सामने डर से काँप रहे थे। किसी को भी काका आहलूवलिया का कोई पता नहीं था। तभी एक बूढ़ी औरत रोने लगी,
बूढ़ी औरत
बेटा, हमें नहीं पता, सच कह रही हूँ। हम नहीं जानते की काका आहलूवलिया कहाँ है?
सुनील ने उस बूढ़ी औरत की ओर देखा, उसकी आंखों में गुस्सा और नफ़रत भरी हुई थी। उसने दूर से उसका गला पकड़ लिया, जिससे उस बूढ़ी औरत का चेहरा पीला पड़ गया।
सुनील
तुम्हें नहीं पता? मैं जानता हूँ, तुम्हे सब पता है। काका इसी गाँव का है, बताओ! नहीं तो इस बुढ़िया का राम नाम सत्य कर दूंगा॥
गांव के कुछ लोग उसके पैरो में गिर गए और उस बूढ़ी औरत को छोड़ने की विनती करने लगे। सुनील ने उस बूढ़ी औरत को गुस्से में एक तरफ़ फेंक दिया और वह बेचारी वहीं बेहोश हो गई। सुनील अब काका के भूत को ढूँढता हुआ गाँव की गलियों में घूमने लगा। वह हर घर में घुसा और यहाँ-वहाँ देखने लगा कि कहीं काका आहलूवलिया मिल जाए। सुनील ने अब तक पूरे गाँव में आतंक फैला दिया था।
सुनील ने गाँव के हर घर को छान लिया, . काका आहलूवलिया का कोई सुराग नहीं मिला।
सुनील
काका को छुपाने का साहस किसने किया? मुझे उसको ख़त्म करना है . कहाँ है वो? कहाँ छुपा है?
सुनील का गुस्सा बढ़त चला जा रहा था। तभी अचानक उसे सामने से रमेश आता हुआ दिखा।
सुनील
तुम्हें पता है कि काका आहलूवलिया कहाँ छुपा है? अगर बता दोगे तो मैं तुम्हे और तुम्हारे परिवार को ज़िंदा छोड़ दूंगा।
रमेश
मुझे नहीं पता।
सुनील
तुम दिखने में अच्छे इंसान लग रहे हो, अगर तुम्हे अपनी ज़िन्दगी प्यारी है तो चुपचाप बता दो, काका कहाँ पर छिपा है? मुझे पता है वह इसी गाँव में रहता है।
रमेश
अगर तुम्हे काका को ढूँढना है तो तुम उसे काके दी हवेली पर जाकर ढूँढो, वहाँ पर सोनू और अन्नू होगे। उन्हें पता होगा की काका आहलूवलिया कहाँ पर है?
सुनील
काके दी हवेली? सच कह रहे हो ना? अगर झूठ बोला तो मुझे तुम्हारा घर पता है!
रमेश
नहीं नहीं, मैं झूठ नहीं बोल रहा। मैंने आखिरी बार काका आहलूवलिया को वही देखा था।
सुनील
काका, अब तुम्हे अपने पापो की सजा भुगतनी पड़ेगी। तुमने जो मेरे साथ 100 साल पहले किया था, उसका बदला मैं तुमसे लेकर ही रहूंगा।
गाँव में हलचल मची हुई थी। लोगों की आंखों में ख़ौफ़ था, क्योंकि एक नया भूत गाँव में आ चुका था। ये भूत कोई और नहीं, बल्कि सुनील के अंदर था, जिसका नाम मोहन था और वह काका की तलाश में था। हवेली के रास्ते में सुनील को सोनू और अन्नू सुनील मिले। दोनों सुनील को इतनी रात यहाँ पर देखकर चौंक गए।
अन्नू
सुनील, तुम्हारे 300 रुपए देने थे न सफ़ाई के?
सुनील ने उसकी बात को अनसुना करते हुए, डरावनी नज़रों से उसे घूरा।
सुनील
काका कहाँ है?
अन्नू
कौन काका? हमे क्या पता?।
सुनील
मैं काका आहलूवलिया की बात कर रहा हूँ
काका ने मेरे साथ जो किया, मुझे उसका बदला लेना है।
अन्नू
उन्होंने तुम्हारे साथ क्या किया भाई?
सुनील
मेरा खून॥
सोनू
क्या बकवास कर रहा सुनील, आज देसी पी ली है क्या?
सुनील
पियूँगा तो मैं काका की रूह को, तुम दोनों मेरे रास्ते में मत आओ। मैं काका को जान से मार दूंगा।
सोनू और अन्नू ने एक दूसरे को देखा शायद यह सोचते हुए कि मरे हुए को दोबारा कैसे मारा जा सकता है! पर उन्होंने सुनील से यह पूछना ठीक नहीं समझ। जो वह दोनों समझे कि मामला काफ़ी गंभीर है।
अन्नू
हम तुम्हारी मदद कर सकते हैं, तुम हो कौन? क्या हुआ था तुम्हारे साथ हमें बताओ। ये सब करने से तुम्हे क्या मिलेगा?
सुनील
शांति! मुझे शांति मिलेगी। अब काका को उसके कर्मों का फल भुगतने का समय आ गया है।
तभी अचानक सुनील ने अपनी काली शक्तियों से एक तेज़ तूफान पैदा किया। उस तूफान ने सोनू और अन्नू को पकड़ लिया और उन्हें बगल के एक पुराने पेड़ से बाँध दिया।
अन्नू
सुनील, प्लीज ये क्या कर रहा है भाई? 300 की जगह सफ़ाई के 500 रुपए ले लियो, हमें बाँध मत।
सुनील
तुम लोगों की भलाई इसी में होगी कि तुम दोनों यही बंधे रहो।
सोनू
हम तुम्हारे दोस्त हैं, सुनील! हमें छोड़ दो।
सुनील
चुप कर।
सोनू
आखिर तुम हो कौन?
सुनील
मैं मोहन हूँ, काका आहलूवलिया के पापों का हिसाब करने आया हूँ।
सोनू
मोहन?
आख़िर ये मोहन था कौन? और ये काका आहलूवलिया से अब बदला लेने क्यों आया?
आख़िर अब क्या होगा? क्या भूत काका से बदला ले पाएगा? सोनू और अन्नू को इसके बारे में कब पता चलेगा? ये जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड।
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