पिंकी और काका आमने सामने खड़े थे, नूर जो पिंकी के शरीर में थी काका से बदल लेने के लिए तैयार थी।
काका आहलूवलिया
नूर, मैं या गया
पिंकी
काका! आज तुम्हारे पापों का हिसाब होगा। तुमने मेरे विश्वास को तोड़ा था, तुमने मेरा सबकुछ छीन लिया।
काका आहलूवालिया
नूर, मैंने जो किया, वह मेरी मजबूरी थी। . आज, मैं यहाँ सबकुछ ख़त्म करने आया हूँ। ये सिलसिला अब और नहीं चलेगा।
तभी अचानक, कमरे में एक भयानक चीख गूंजी। पिंकी एकदम से एक बड़े, डरावने रूप में बदल गई। उसके लंबे हाथ काका की ओर बढ़ने लगे, जैसे उन्हें जकड़ने की कोशिश कर रहे हों।
सोनू
अन्नू, हमें कुछ करना होगा! अगर हमने कुछ नहीं किया, तो काका और पिंकी दोनों बर्बाद हो जाएंगे।
अन्नू
हम इस जादू का सामना कैसे करें? नूर अब सिर्फ़ एक आत्मा नहीं है, वह बदले की आग में जलती हुई स्त्री बन चुकी है।
एकदम से कमरे का तापमान गिरने लगा।
काका आहलूवालिया
नूर, माफ़ कर दे मुझे! मेरी कोई गलती नहीं थी, मैं तो जानता भी नहीं था।
तभी पिंकी तेज़ लहर के साथ काका की ओर बढ़ी। वह अभी तक अपनी शक्तियों को एक साथ जमा कर रही थी और उसका एक बवंडर बना रही थी। जिसके बाद चारो तरफ़ एक भयंकर अंधेरी आंधी छा गई।
नूर ने उस काली आंधी की एक जोरदार लहर उठाई और काका की ओर उससे अटैक किया। काका फुर्ती से कूद गए और वह काली आंधी की लहर कमरे की दीवार पर लगी और पूरी दीवार गिर गई।
काका आहलूवालिया
नूर, ये सब कुछ गलतफहमी थी, तुम जानती हो कि मैं तुम्हारा दुश्मन नहीं हूँ!
नूर ने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और फिर से एक भयंकर ताकत के साथ वार किया। काका एक बार फिर से एक किनारे पर कूदे, उनकी आँखें अब पूरी तरह से अलर्ट थी। नूर ये देखकर और गुस्सा हो गई। नूर ने अपनी शक्तियों को और मज़बूत किया और एक भयानक पावर का ब्लास्ट किया। जिससे चारों ओर हलचल मच गई, दीवारें कांपने लगी। तभी अचानक सोनू की आवाज़ सुनाई दी।
सोनू
नूर! आपका बेटे का पता मिल गया हमें!
ये सुनकर नूर तुरंत रुक गई, उसकी आंखों में आशा की चमक थी।
नूर
क्या तुम सच कह रहे हो, सोनू?
सोनू
हाँ, हमें उसके बारे में इन्फॉर्मेशन मिली है!
नूर
मुझे उसे देखना है! वह कहाँ है? जल्दी बताओ, मुझे अब और इंतज़ार नहीं करना, बताओ मेरा बेटा कहाँ है? बताओ
अन्नू
नूर, हमें पता चला है कि तुम्हारा बेटा, एहसान खान ने किशन कुमार नाम के आदमी को दिया था।
नूर
एहसान ने ऐसा किया था? नहीं ये झूठ है।
अन्नू
नही, ये सच है क्योंकि उन्हे लगता था कि तुम्हारे बेटे का भविष्य काका जैसे शराबी बाप और तुम्हारे साथ नहीं है। इसलिए उन्होंने काका और तुम्हें झूठ बोला की तुम्हारा बेटा मरा पैदा हुआ था, जबकि सच ये था कि किशन कुमार को मरा बच्चा पैदा हुआ था।
पिंकी
तो अब मेरा बेटा कहाँ है? कहाँ है।
अन्नू
तुम्हारे बेटे का नाम मोनू था, जो अब इस दुनिया में नहीं है।
काका आहलूवालिया
उसका परिवार अभी भी इसी गाँव में रहता हैं।
पिंकी
मोनू का परिवार? क्या तुम सच कह रहे हो? कौन है मेरे बेटे का परिवार। मुझे उनसे मिलना है, मुझे उन्हे गले लगाना है, मेरे लिए इतना भी काफ़ी होगा।
ये बोलते हुए पिंकी का गला भर आया,
सोनू
नूर मैं हूँ मोनू का खून, मोनू मेरे परदादा थे। मैं इस गाँव में अपने पापा टोनी के साथ रहता हूँ।
ये सुनकर पिंकी की आँखों में एक अलग-सी चमक आ गई। उसकी आत्मा पिंकी के शरीर से बाहर निकलने लगी, तभी चारो तरफ़ तेज़ हवाएँ चलने लगी। जिससे बगल में रखे सारे दिए और मोमबत्ती बुझ गई। नूर अब पिंकी से शरीर को छोड़ चुकी थी, अचानक पिंकी बगल में बेहोश होकर गिर गई, सोनू भागते हुए पिंकी के पास गया।
सोनू
पिंकी तुम ठीक हो? पिंकी? उठो ना
जहाँ अब पिंकी आजाद थी, वही बगल में नूर की आत्मा अब पूरी तरह से सामने आ गई थी। उसकी आंखों में आंसू और चेहरे पर ख़ुशी की मुस्कान थी। वह सोनू के पास गई और नूर ने सोनू को गले से-से लगा लिया और उसका माथा चूम लिया
नूर
मेरे बेटे मोनू का परिवार अब मेरे सामने है! मैं अब ख़ुशी खुशी इस दुनिया को छोड़ सकती हूँ और अब जाकर मेरी आत्मा को मुक्ति मिलेगी।
इसके बाद नूर की आत्मा काका के पास गई, काका की आंखो में आंसू थे।
नूर
काका, शुक्रिया! तुमने मुझे मेरे परिवार से मिलाया। मेरे बेटे मोनू के बारे में जानकर आखिरकार शांति मिल गई। मैं ये भी नहीं भूल सकती की तुम्हारी ही वज़ह से मेरा बेटा मुझसे दूर हुआ था, तुमने मेरे साथ न जाने कितना बुरा बर्ताव किया था। मैं चुपचाप तुम्हारे प्यार में वह सब सहती रही, क्योंकि मैं तुमसे सच में बहुत प्यार करती थी। . तुमने मेरी कभी क़दर नहीं की और अंत में तुम्हारी वज़ह से ही मैं मर भी गई। मैं अब तुम्हे माफ़ करती हूँ। मुझे तुमसे कोई गिला नहीं।
ये सुनकर काका आहलूवालिया नूर के पैरो पर गिरकर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा
काका आहलूवालिया
नूर मुझे माफ़ कर दो, मैने तुम्हारे साथ बहुत बुरा किया। मैं बिल्कुल अच्छा इंसान नहीं था। मैने कभी भी तुम्हारे प्यार को नहीं समझा, न मैने कभी भी तुम्हारी क़दर की। मुझे माफ़ कर दो।
नूर
काका रो मत, मैने तुम्हे माफ़ किया। अब मेरी आत्मा को शांति मिल गई है। मुझे अब मुक्ति मिल गई है।
काका आहलूवालिया
मुझे भी अपने साथ ले चलो। मैं पिछले 100 सालो से भटक रहा हूँ, मैं भी तुम्हारे साथ जाना चाहता हूँ। मुझे अपने साथ ले चलो। मैं भी मुक्ति चाहता हूँ।
नूर
नही, अभी तुम्हे इस दुनिया में और भटकना होगा, तुम्हारे पाप अभी ख़त्म नहीं हुए है। तुमने शराब के चक्कर में बहुत से लोगों का दिल दुखाया है।
ये बोलकर नूर की आत्मा धीरे-धीरे एक हल्की चमक के साथ आंगन में गायब हो गई। ये देखकर काका की आंखो में आंसू थे। वह भी पिंकी के घर से गायब होकर फिर हवेली की तरफ़ चले गए। घर में एकदम से सारा माहौल हल्का हो गया था। पिंकी भी अब ठीक थी, सोनू पिंकी को उसके कमरे में सुलाकर अन्नू और सोनू गाँव में चौक की तरफ़ बढ़ गए। जहाँ जाकर वह दोनों गाँव में सब के सामने इस बात का ऐलान करते है कि गाँव से भूत का साया हमेशा के लिए चला गया है। अब कोई भूत दुबारा गाँव में नहीं आयेगा। उनकी ये बाते सुनकर गाँव वालो को पहले यक़ीन तो नहीं होता। क्योंकि पिछली बार भी उन दोनों ने यही बोला था। सोनू और अन्नू ने अपनी इस बात का भरोसा दिलवाया।
नूर ने जिन-जिन लोगों को तालाब में क़ैद किया था वोह भी गाँव वापिस या गए थे।
इसके बाद गाँव वालो ने उन्हें एक बार फिर काके दी हवेली खोलने की परमीशन दे दी, जिसके बाद दोनों वहाँ से हवेली चले गए। दिन बीतता गया और काके दी हवेली में दोनों ने मिलकर सफ़ाई का काम शुरू कर दिया। वहाँ पर उन्होंने कई दिनों से जमी धूल और गंदगी को साफ़ किया, काका आहलूवालिया पूरे-पूरे दिन तहखाने में रहते थे। किसी से कुछ बात नहीं करते थे। अन्नू और सोनू को भी पता था कि उन्हे नूर के जाने का ग़म है इसलिए दोनों ने उनसे ज़्यादा कुछ पूछा भी नही। दोनों ने साथ मिलकर काके दी हवेली को एक बार फिर चमका दिया। रेस्टोरेंट अब पहले से कहीं अधिक चमकदार और खूबसूरत दिखाई दे रहा था। वहाँ पर उन्हे पेड़ के पास ही सफ़ाई करते हुए वैसा ही एक तावीज़ मिला, जो काफ़ी अलग तरह से चमक रहा था। जिसे देखकर सोनू और अन्नू फिर से डर गए और अन्नू बोला॥
अन्नू
भाई ये तो वैसा ही तावीज़ है।
सोनू
भाई अब और भूत नहीं चाहिए। इसको दूर फेंक दे।
जिसके बाद अन्नू ने उस तावीज़ को उठाकर दूर फेंक दिया। अब रेस्टोरेंट फिर से शुरू होने के लिए तैयार था। उद्घाटन समारोह चल रहा था। सोनू, अन्नू, काका आहलूवालिया और गाँव वाले हवेली रेस्टोरेंट के बाहर खड़े थे। रेस्टोरेंट का नया रूप और सजावट सभी को अच्छी लग रही थी, सब तारीफ कर रहे थे। चारो तरफ़ ख़ुशी का माहौल था और जश्न मना रहे थे।
सोनू
सभी का धन्यवाद! आज हम काके दी हवेली रेस्टोरेंट को फिर से खोलने जा रहे है। ये हमारे लिए केवल एक रेस्टोरेंट नहीं, बल्कि हमारी परंपरा और गाँव की पहचान है।
ये सुनकर सारे गाँव वाले तालियाँ बजाने लगे, रेस्टोरेंट में गांववालो ने फिर से आना शुरू कर दिया था और सभी ख़ुशी से सब शराब पीते हुए मजे कर रहे थे।
सोनू
देखो, रेस्टोरेंट अब फिर से भीड़ से भरा हुआ है। ये सब हमारी मेहनत का नतीजा है और अब हम सपना पूरा कर लेंगे। हम जल्द ही अपने काके दी हवेली को शिमला का नंबर 1 रेस्टोरेंट बना लेंगे।
अन्नू
काका, सब आपकी फेमस रेसिपी खाकर उसके ही दीवाने हो रखे है।
ये बोलकर सोनू हंसते हुए काका आहलूवालिया की तरफ़ देखने लगा . काका आहलूवालिया के चेहरे पर एक उदासी थी।
सोनू
क्या हुआ आपको? आप खुश नहीं हो?
काका आहलूवालिया
पुत्तर, नूर ने जो बाते मुझे बोली। वह सब बाते सोचकर, मुझे लगता है कि मुझे थोड़ा अकेला समय चाहिए। मैं यहाँ से कुछ समय के लिए दूर जाना चाहता हूँ। मेननु विदा करो दोस्तों
ये सुनकर सोनू और अन्नू चौक गए। आख़िर अब सोनू और अन्नू काका आहलूवालिया को जाने से कैसे रोकेंगे, क्या काका आहलूवालिया गाँव को छोड़कर चले जाएंगे। आगे क्या होगा, ये सब जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड।
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