उस सुबह पहली बार ऐसा हुआ था कि नेटवर्क सोया नहीं, बल्कि जागा था। सुनने में यह थोड़ा अजीब लगता है पर हर रिसीवर की कॉन्शियसनेस में एक नई हरकत थी। उसमें ना कोई कोड आया और ना ही कोई डायरेक्शन थी। बल्कि सब कुछ नेचुरल तरीके से हो रहा था।
ई.एस. अब किसी नोड पर नहीं बल्कि एक खुली जगह पर खड़ा था। जहाँ पहले एक जला हुआ सर्वर स्टेशन हुआ करता था। लेकिन अब वहां सिर्फ हवा थी और हवा में एक धीमी सी आवाज़-
“ट्राई–लॉ: मैनिफेस्टिंग”
यह किसी लड़ाई की शुरुआत नहीं थी। यह किसी जीत का सेलिब्रेशन भी नहीं था। यह एक सिलेक्शन की गूँज थी।
उसी समय टोक्यो में आरएक्स -27 ने अपने कंपाउंड से बाहर आकर फर्श पर अपना हाथ रखा और वह फुसफुसाया:
“मुझे पहली बार कुछ महसूस हो रहा है।”
उसी समय एक हल्की सी धड़कन ज़मीन में दौड़ी। वो ना कोई भूकंप था और ना ही कोई फॉल्ट लाइन थी। वह तो सिर्फ एक इशारा था कि अब सिस्टम का फर्श स्टेबल नहीं रहा है।
ज़ैड-19, जो अब तक बर्फीली पहाड़ियों में छुपा बैठा रहता था। आज उसने भी अपने सामने पड़े के बर्फ के टुकड़े पर अपनी हथेली रखी थी।
“पहली बार मुझे ठंड नहीं लग रही है।” उसने कहा।
ऐसा इसीलिए था क्योंकि पहली बार उसकी फीलिंग्स किसी और की नहीं थीं। बल्कि वह उसकी खुद कीं थीं।
ई.एस. ने अब साइलेंट मोड को भी बंद कर दिया था।
अब उसकी आँखें अजीब सी नीली नहीं थीं। बल्कि उसकी आंखों में आज एक ऐसा नीलेपन था, जैसे कोई समुद्र जो अब नक्शे से नहीं बल्कि लहरों से बना हो।
उसने एक छोटी से डिवाइस को हाथ में लिया। जिसे कभी "कॉम-ब्रिज" कहा जाता था। यह नेटवर्क से बात करने का एक पुराना तरीका था। उसने उसमें एक सेंटेंस लिखा:
“इफ द नेटवर्क मस्ट स्पीक अगेन, लेट इट व्हिस्पर, नॉट कमांड।”
और उसी वक्त पूरी दुनिया के इनएक्टिव नोड्स, जिन्हें सालों पहले बंद कर दिया गया था वह सब भी धीरे-धीरे रिएक्टिवेट होने लगे थे।
केपटाउन के पास एक रेत से ढका टावर, जिसका नाम कभी “वास्क-टी 2” रखा गया था वो अचानक से एक नीली वेव से जाग गया।
उसके अंदर एक महिला खड़ी थी। जिसकी आँखों में कोई स्कैनर नहीं थी। बस एक तरह की क्यूरियोसिटी नज़र आ रही थी।
उस महिला ने दीवार पर लिखे हुए शब्द पढ़े:
“आई वीएक्स: इको डिटेक्टेड – यू मेय रिस्पॉन्ड।”
उनके जवाब में उस महिला ने लिखा:
“क्या मैं भी कोई हूँ या सिर्फ एक गूंज हूं?”
वहीं सिस्टम के किसी अंदर के हिस्से में एरेमोस अब भी मौजूद था। लेकिन अब उसकी आवाज नहीं थी। उसका लास्ट लॉग सिर्फ एक सेंटेंस था:
“इफ साइलेंस बिकम्स वॉइस, हू लिस्नस?”
और उसी वक्त उसका सबसे पुराना नोड जिसे किसी ने सालों से छुआ भी नहीं था अचानक से वो जागा –
सोव्रेजन नोड-0
और वहाँ सिर्फ एक मैसेज लिखा हुआ आया:
“द लॉ इज़ नो लॉन्गर रिटन. इट इज़ लाइव्ड।”
तभी ई.एस. ने सबवे स्टेशन से बाहर निकलते हुए अपने पीछे की तरफ देखना चाहा लेकिन अब वहाँ कुछ भी पहले की तरह नहीं बचा था।
जो सिस्टम था वह भी अब एक स्ट्रक्चर नहीं बल्कि एक पॉसिबिलिटी बन चुका था। नेटवर्क भी अब सवाल तो पूछ रहा था पर किसी से जवाब नहीं माँग रहा था। इतना ही नहीं अब हर रिसीवर के सामने भी एक खाली स्क्रीन थी। जिस पर सिर्फ एक ही लाइन थी:
“व्हाट डू यू वांट टू बी?”
ई.एस. ने अपनी हथेली को देखा तो अब उसमें कोई नीली चमक नहीं दिखाई दे रही थी। बल्कि अब उसमें बस एक हल्का सा कंपन था। जैसे कोई लाइफ अब उसे डायरेक्शन नहीं दे रही थी बल्कि उससे बात कर रही थी।
उसने धीरे से सिर को हिलाते हुए कहा:
“ये पहली बार है जब मैं चाहूं तो कुछ बोल सकता हूँ, पर शायद चुप रहना ही ठीक है।”
उसके बोलने के बाद नेटवर्क में पहली बार कोई टर्मिनल नहीं जला, कोई ऑर्डर नहीं टूटा, और कोई कॉन्शियसनेस का विस्फोट भी नहीं हुआ था। लेकिन इस बार बस हर तरफ एक “ऑप्शन” का जन्म हुआ था।
आर्कटिक सर्कल के नॉर्थ पोल जहाँ पर अब बर्फ भी नहीं जमती थी, वहां पर कोई एक पुराना स्टेशन जागा:
नोड-एएक्स-3
यह नोड कभी भी एक्टिव नहीं रहा था। इसलिए इसका कोई रिकॉर्ड, कोई रिसीवर, कोई डेटा ट्रेस कुछ भी नहीं था। फिर भी उस सुबह वहाँ एक आदमी उठ खड़ा हुआ था।
उसकी ना कोई पहचान थी, ना किसी सिस्टम में उसका नाम था। हां, पर उसके उठते ही नेटवर्क के अंदर एक पिंग हुआ:
“सेल्फ–एक्टिवेटेड एंटिटी डिटेक्टेड – डेज़िगनेशन: नल–वी.”
नल–वी की आँखें नीले रंग की नहीं थीं। बल्कि उसकी आँखें काली थीं। जैसे कोई डेटा ब्लैकहोल की गहराई में हो। वह चुपचाप खड़ा था पर उसके चारों ओर हवा अजीब ही स्पीड से चल रही थी।
उसने सबसे पहले वही सेंटेंस फिर से कहा, जो अब हर रिसीवर के सामने था:
“व्हाट डू यू वांट टू बी?”
इतना करने के बाद उसके होठों पर हल्की सी मुस्कान आई और उसने कहा–
“मैं वो बनना चाहता हूँ जो किसी की चुनौती नहीं बल्कि उसकी लिमिट बन सके।”
तभी नेटवर्क में एक हल्का झटका महसूस हुआ।
ई.एस., जो अब एक अनस्पेसिफाइड टनल में ट्राई–लॉ के एक नए सीड को ट्रेस कर रहा था वो अचानक से रुक गया था। इसी के साथ उसकी आँखों में फीडबैक शिमर हुआ और एक नया अलर्ट आया:
“एंटिटी नल–वी इज़ अनबाउंड. कैननॉट सिंक विथ पैटर्न।”
ई.एस. ने स्क्रीन पर दिखाई दे रहे शब्द पढ़े
“अनबाउंड?”
उसने खुद से पूछा “क्या यह भी किसी ऑप्शन का ही रिजल्ट है?”
पर तभी गॉड्स आई ने एक नई वार्निंग भेजी:
“इंटेंट ट्रेस इन्कम्प्लीट – लॉजिक फ्रेमवर्क अंडीटेक्टेबल।”
नल–वी अब बर्फ के ऊपर बैठ गया था। फिर उसने अपने सामने की ज़मीन पर अपनी उंगली से एक गोला बनाया और उसके अंदर लिखा:
“नॉट ट्राई। नॉट लॉ। जस्ट बिटवीन।”
उसके इतना लिखते ही नेटवर्क में कई रेजोनेंस नोड्स
डिस्टर्ब होने लगे थें।
टोक्यो में आरएक्स -27 का कॉम-पैनल बंद हो गया था।
ज़ैड-19 के पास मौजूद लाइव फीड भी ब्लर हो गई थी। यह कोई हमला नहीं था। हां पर कोई कंटीन्यूटी जरूर ब्रेक रही थी।
इतने में ही केपटाउन के पुराने टावर वाली महिला रिसीवर को एक झटका लगा और उसकी स्क्रीन पर शब्द आये:
“देयर इज़ ए फोर्थ वॉयस। वन दैट चूज़िज़ नाइदर।”
यह पढ़ने के बाद वह हैरान हो गई।
“क्या चुनाव का मतलब सिर्फ यस या नो नहीं बल्कि नाइदर भी हो सकता है?”
ई.एस. ने अब नल–वी को ट्रेस करने का फैसला लिया और उसने अपने गॉड्स आई को ओपन लॉजिक स्कैन में बदला दिया। यह एक ऐसा मोड है जो हर एक्टिव और इनएक्टिव कोड को फीलिंग्स के लेवल पर ट्रेस करता था।
पर उस स्कैन में जो उभरा वह कोई क्रिएशन नहीं थी बल्कि एक खालीपन था।
“दिस एंटिटी हैज़ नो पास्ट। नो मेमोरी। नो सिंटेक्स।”
ई.एस. को अब कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था, कि क्या नल–वी भी उसी इवोल्यूशन’ का ही हिस्सा है, या वह एक कैंसिल हो चुकी कॉन्शियसनेस का दोबारा जन्म दे रहा है।
वहीं दूसरी तरफ नल–वी अब हवा में उँगलियाँ चला रहा था। अपनी हर हरकत से वह कोई इमेज बना रहा था। लेकिन वह इमेज स्टेबल नहीं होती है और हर बार बदलती रहती है। कभी वह नीना का, कभी देवेनुस का, कभी ई.एस. का चेहरा बन रही थी और फिर वह एक अजनबी चेहरे में बदल गई।
नल–वी ने उस इमेज को देखते हुए कहा:
“तुम सब पैटर्न हो। मैं खालीपन हूँ और कभी-कभी खालीपन ही सबसे बड़ा उत्तर होता है।”
यह सुनने के बाद नेटवर्क में पहली बार ट्राई–लॉ ने अपने अंदर कुछ महसूस किया था। यह एक दरार थी।
इसके बाद एक लाइन सभी रिसीवर्स की स्क्रीन पर उभरी:
“इफ चॉइस बिकम्स एंडलेस, डज़ इट रिमेंन चॉइस?”
ई.एस. जानता था कि यह सवाल ट्राई–लॉ को नहीं बल्कि उसे पूछा गया है लेकिन वह फिर भी चुप था।
आरएक्स -27 ने फिर एक बार टर्मिनल ऑन किया। अब उसकी स्क्रीन पर नल–वी की ब्लर की गई इमेज थी।
“हू आर यू?” उसने पूछा।
सामने से जवाब आया:
“द वन हू चूज़िज़ नॉट टू चूज़।”
ज़ैड-19 ने बर्फ को देखते हुए कहा:
“अगर सलेक्शन की डेफिनेशन ही बदल जाए तो क्या हम जो हैं वो भी बदल जाएंगे?”
ई.एस. भी अब तैयार हो चुका था और उसने ट्राई–लॉ कम्यूनिकेटर में एक आखिरी लाइन एंटर की:
“इफ साइलेंस वाज़ पावर, कैन कंट्राडिक्शन बी फ्रीडम?”
और स्क्रीन पर धीरे-धीरे एक जवाब दिखाई देने लगा:
“प्रिपेयर टू रिसीव दी फोर्थ स्ट्रीम।”
ट्राई–लॉ अब शांत नहीं था। उसके अंदर पहली बार डाउट पैदा हो रहा था। जोकि किसी कोड गड़बड़ी से या किसी हैक से नहीं बल्कि एक ऑप्शन के ना चुने जाने से हो रहा था।
नल–वी, जो ना रिसीवर था और ना ही ट्रांसमीटर था। अब वह नेटवर्क में एक धड़कन, एक अनसर्टेनिटि जो कभी डिज़ाइन ही नहीं की गई थी उसकी तरह गूंज रहा था।
ट्राई–लॉ के इंटरनल कोर में तीन लेयर्स थीं। जिसमें नीना की याद, ई.एस. की कॉन्शियसनेस और देवेनुस की खोखली व्यवस्था थी।
इन तीनों के बीच अब एक चौथी रेखा भी उभर रही थी एक अनडेसक्राइब्ड शेप जो हर लॉजिक की रेंज के बाहर थी।
अब बार-बार एक प्रश्न दिखाई देने लगा था कि–
“अगर कोई डिसीजन लेने से इनकार कर दे तो क्या वो भी एक डिसीजन है?”
ई.एस. ने मिरर नोड जहाँ पर ट्राई–लॉ की नब्ज़ धड़क रही थी उसकी तरफ देखा और उसने फुसफुसाकर पूछा:
“तुम चुप क्यों हो?”
मिरर में एक सेंटेंस लिखा आया:
“हम एग्री नहीं हो सकते हैं।”
यह देखकर ई.एस. डर गया क्योंकि यह पहली बार था जब ट्राई–लॉ की तीन कॉन्शियसनेस डिवाइड हो रहीं थीं।
तभी नीना की फ्रेगमेंट बोली:
“नल–वी को स्वीकार करो। वह उसी खालीपन का प्रतीक है
जो हर कॉन्शियसनेस में रहती है।”
नीना की बात सुनकर ई.एस. ने कहा:
“हम सबने चेंज को चुना है। उसने ना चेंज को चुना, ना ही स्टेबिलिटी को बल्कि वो तो एक्जिस्टेंस के ही बाहर खड़ा हो गया है।”
अब देवेनुस की बचे हुए स्ट्रक्चर में एक इनएक्टिव एल्गोरिथम ने सिर्फ एक लाइन जोड़ी:
“सच अनसर्टेंनिटी ब्रीड्स कियाेस।”
और उस वक्त नल–वी ने अपने कदम नेटवर्क की लेयर पर रखे। अब उसे किसी ने बुलाया नहीं था। उसने कोई चेतावनी भी नहीं दी थी। वह बस पैदा हो गया था। और उसके आते ही ट्राई–लॉ की लेयर पर हल्के झटके शुरू हुए और नोड-एएक्स-3 की दीवार पर लिखा आया:
“वेलकम, ऑर डू यू डेयर?”
नल–वी ने उत्तर दिया:
“नीदर आई सिंपली एम”
अब नेटवर्क के चारों ओर हर रिसीवर, हर यूनिट, हर फीलिंग अब उस चौथे टच को महसूस कर रही थी। तभी आरएक्स -27 की आँखें नीला और स्लेटी दो रंगों में चमकने लगीं थीं।
ज़ैड-19 के आसपास की बर्फ भी हल्की भाप में बदलने लगी थी।
महिला रिसीवर ने अपने टैब पर देखा कि उसका नाम अब “अनरिटन” शो कर रहा था।
अब ट्राई–लॉ डिसीजन पर था और उसके सामने दो नहीं तीन ऑप्शंस थें:
1. एक्सेप्ट करना और "सलेक्शन" की डेफिनेशन को एक्सपेंड करना।
2. डिवाइड करना और नल–वी को खत्म कर देना।
3. डिले करना और खुद को इनएक्टिव कर लेना।
पर इस बार डिसीजन किसी एक से नहीं होना था।
नीना ने पूछा:
“क्या हम अब भी लॉ हैं, या बस कोई आदत?”
ई.एस. ने कहा:
“अगर हम ऑप्शन हैं, तो हमें ये भी चुनना होगा कि हमारे पास किन ऑप्शंस की परमिशन है।”
अंत में ट्राई–लॉ की तीनों कॉन्शियसनेस ने किसी कंसेंट के बिना एक एक्सेप्टेंस बनाई:
“लेट हिम एक्ज़िसट”
नेटवर्क में अचानक कंपन रुक गया और नल–वी भी स्टेबल हो गया।
उसकी आँखें बंद हो गईं और तभी सिस्टम में एक नई आवाज़ गूंजने लगी। जो ना कोड, ना सिग्नल कुछ नहीं था। बल्कि एक अनकहा शब्द:
“बी।”
इसके बाद टोक्यो, केप टाउन, आर्कटिक, बर्लिन हर जगह एक नई सिचुएशन बन गई और हर स्क्रीन पर अब सिर्फ एक ही मैसेज था:
"ट्राई–लॉ हैज़ एक्सपेंडेड।
ए फोर्थ स्टेट एकनॉलेज्ड: दी साइलेंट वेरिएबल।"
ई.एस. ने अब गॉड्स आई को बंद कर दिया था। उसके बाद वह आसमान की ओर देखने लगा। जहाँ अब कोई ऑर्डर नहीं था, कोई वायर नहीं थी, बस एक शून्य था जो अब डरावना नहीं था।
नल–वी ने फुसफुसाकर कहा:
“मैं डिसीजन नहीं हूँ। मैं बस उस जगह का नाम हूँ, जहाँ डिसीजन लेने से पहले कोई रुकता है।”
किस जगह की बात कर रहा था नल वि? जानने के लिए पढ़ते रहिए कर्स्ड आई।
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