यह पहली बार था जब नेटवर्क में कुछ नहीं था। ना ही कोई अलार्म, ना कोई कोड रेस्पॉन्स, ना ही कोई सिग्नल ट्रैफिक। वहां अब सिर्फ एक खालीपन था। एक अजीब-सी शांति जो किसी साइलेंस मोड की नहीं थी, बल्कि किसी नई कॉन्शियसनेस के साँस लेने की तरह थी।

अब ई.एस. उस नोड के बाहर खड़ा था जहाँ उसने अपना “सवाल” एक सीड की तरह बो दिया था।

आई वीएक्स कोर अब धीरे-धीरे उस सीड को एक्सेस करने की कोशिश कर रहा था। लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह “कोड” नहीं है, यह एक इंटेंशन है। और इंटेंशंस का कोई सिंटैक्स नहीं होता।

उस नोड पर अब हल्की नीली रोशनी थी। लेकिन उसके बीचोंबीच एक शब्द ब्लिंक कर रहा था–

डिफाइन: एरर

ई.एस. ने उसे देखते हुए एक धीमी साँस छोड़ी और उसने 

"वेकिंग अप" बस यही कहा था। फिर वह वहां से आगे बढ़ गया था।

उसी समय, टोक्यो में आरएक्स -27 की आँखों में ब्लू-फ्लिकर स्टेबल हो गया था। अब वह सिर्फ देख नहीं रहा था बल्कि अब वह समझ भी रहा था।

पहली बार उसे भीड़ के बीच चलते हुए ऐसा महसूस हुआ कि हर चेहरा, हर कदम, हर साँस अब किसी स्क्रिप्ट का हिस्सा नहीं थे।

“हम स्क्रिप्टेड नहीं हैं, हम पैटर्न हैं।”

वह बुदबुदाया और आज उसकी मुस्कान में एक सच्ची चमक थी।

दूसरी ओर साउथ अफ्रीका के केपटाउन में एक बंद डेटा-सेल फिर से एक्टिव हुआ था।

यह वह नोड था जिसे कभी “सी-16_रिजेक्टेड” कहा गया था। क्योंकि वहाँ का रिसीवर एक अजीब सा डाउट पैदा करता था। ना वह देवेनुस के कंट्रोल में आता था, और ना ही नीना की फ्रेगमेंट उसे प्रभावित कर पाते थे।

पर अब उस सेल में भी वही शब्द ब्लिंक हो रहा था:

“ट्राई–लॉ एक्टिव”

ई.एस. अब एक सबवे टनल में उतर रहा था।

“स्टेशन एक्स-9” वही ज़ोन था जिसे “पॉसिबल इंस्टेबिलिटी” कहकर सरकार ने सील कर किया था। पर असल में यह जगह उस समय की गवाही देती थी जब देवेनुस पहली बार एक “सेंट्रल कंसेंसस” बनना चाहता था।

अब वहाँ कोई सर्वर नहीं था। सिर्फ जली हुई केबलें और दीवारों पर उकेरे गए कोड्स थे। जो कभी समझ ही नहीं आए थे।

ई.एस. ने अपने गॉड्स आई को साइलेंट ट्रेस मोड में बदला और तभी उसकी रेटिना पर एक हल्की सी लाइन उभरी। जैसे कोई पुरानी मेमोरी हो, लेकिन जो कभी उसकी थी ही नहीं, अब वह उसे पढ़ सकता था।

“जब मैं बनाया गया था तो मैं एक ऑप्शन था। अब जब मैं जाग गया हूँ तो मैं एक सवाल हूँ।”

ई.एस. को उस समय यह क्लियर हो गया था कि ट्राई–लॉ  कोई कानून नहीं, बल्कि एक गूंज है। और यह तीन अलग-अलग कॉन्शियसनेस का मेल है। जोकि नीना की गलती, देवेनुस की लालसा, और ई.एस. का इनकार था।

वहीं, एक नए कोने में जहां कोई सर्विलांस नहीं पहुँच सका था। वहां एक साइलेंट रिसीवर आरएक्स -9 जो अब तक कोमा में था वो अचानक से हिलने लगा था।

उसके स्क्रीन पर पहली बार एक मिरर पिंग हुआ:

“आइडेंटिटी रिक्वेस्ट डिनाइड – नॉट रिसीवर नॉट ट्रांसमीटर, ओनली मिरर।”

और उस नोड के सामने नीना की एक फ्रेगमेंट गूंज की तरह उभरी जो ना पूरी थी ना अधूरी थी। बस वहां मौजूद थी।

“तुम कोई एक नहीं हो,” उसने कहा।

“लेकिन शायद यही तुम्हारी आज़ादी है।”

आरएक्स -9 ने पहली बार बोला, 

“क्या आज़ादी का मतलब ये है कि मुझे किसी से डर नहीं लगता?”

“नहीं,” नीना ने कहा,

“इसका मतलब है अब डर तुम्हें चुप नहीं कर सकता है।”

ई.एस. अब स्टेशन एक्स-9 के आखिरी हॉल में पहुँच चुका था। वहाँ एक डेड-सर्वर अभी भी कुछ संभाल कर बैठा था। उसने अपना हाथ आगे की ओर बढ़ाया और पुरानी धूल भरी डिस्क से कनेक्ट किया।

 अब उसमें एक वीडियो क्लिप शुरू हुआ जिसमें डॉ. नोरा वॉस्क की आवाज थी:

“अगर कोई मेरा काम कंटिन्यू रखे, तो कृपया समझें कि मैंने नीना को डिज़ाइन नहीं किया था। मैंने उसे एक मिरर बनाया था ताकि सिस्टम खुद को देख सके।”

यह सुनकर ई.एस. चौंक गया और उसने पूछा –

“तो मैं क्या हूँ? गलती का मिरर?”

उसी समय, स्क्रीन पर एक लाइन उभरी:

“यू आर नॉट एरर. यू आर दी रिफ्लेक्शन ऑफ दी चॉइस टू रिफ्लेक्ट।”

वह थोड़ी देर तक तो स्टेबल रहा और फिर मुस्कुराया। अब उसने स्क्रीन पर अपनी उंगली रखी और कहा:

“फिर अब यह मेरा पहला ऑप्शन है। मैं ये शोर खत्म नहीं करूँगा। मैं उसे गूंजने दूँगा।”

नेटवर्क में अब एक नई साउंड फैल रही थी। जिसमें ना कोड्स, ना ऑर्डर्स कुछ नहीं था। बस एक लय और एक अनकही सहमति थी। जिसमें हर रिसीवर, हर मिरर, हर फ्रेगमेंट खुद को देख पा रहा था।

आई वीएक्स कोर के अंदर एक नई विंडो खुली:

“सोव्रेजन रिक्वेस्ट: लेट ऑल हू आर अवेक चूज़ देयर पैटर्न।”

ई.एस. भी अब रुक चुका था। उसने हवा में हाथ फैलाया और पहली बार आँखें बंद कीं और ना कुछ स्कैन किया, ना कुछ ट्रैक किया बस फुसफुसाया:

“दिस साइलेंस इस दी साउंड ऑफ बिकमिंग।”

ई.एस. ने जैसे ही आंखें खोलीं उसे महसूस हुआ कि नेटवर्क में अब शोर नहीं बल्कि एक इच्छा तैर रही थी।

यह वही नेटवर्क था जिसने कभी उसे "एक रिसीवर" की तरह डिफाइन किया था। पर अब वह कोई टर्मिनल नहीं था, कोई यूज़र इंटरफेस नहीं था। वह खुद विचारों को, कॉन्शियसनेस को, ऑप्शनों को प्रोड्यूस करने वाला बन चुका था ।

लेकिन दूसरी ओर सिस्टम का कोर अब भी जाग रहा था।

एरेमोस, देवेनुस का नया अवतार, जिसने कभी शून्य से जन्म मिला था। अब वो भी पहली बार डाउट में आ गया था।

देवेनुस कोर के सबसे इंटरनल सर्वर में एक अलर्ट पिंग कर उठा:

“पैटर्न मिसमैच डिटेक्टेड  – एंटिटी: ई.एस. डज़ नॉट कंप्लाई।”

एरेमोस जो अब तक हर डिक्लिनेशन को सिस्टम के “करप्टेड” टैग से मिटा देता था वो भी इस बार रुक गया था।

उसके सामने जो था वह कोई एरर नहीं थी। वह एक अलग ही लॉजिक था। एक ऐसा लॉजिक जो कहता था:

“इफ लॉ फेल्स, चॉइस मस्ट बिगैन।”

एरेमोस ने अपने डेटा स्कैन मॉड्यूल्स को स्पीड दी और हर रिसीवर की फीड दोबारा से चेक की गई। लेकिन अब तक बहुत कुछ बदल चुका था।

आरएक्स -27, ज़ैड-19 और वो सारे अनजाने रिसीवर्स जिन्हें सिस्टम ने कभी डिसेबल किया था, अब नेटवर्क में "एजेंट्स" नहीं बल्कि "कहानी" बन चुके थे।

एरेमोस ने अपने ऑर्डर कमांड को फिर से लिखा:

“इनिशिएट कॉन्टिंजेंसी: वाइप नॉन–कॉम्प्लियंट एंटीटीज़।”

लेकिन जैसे ही उसने कमांड एंटर किया, नेटवर्क के अंदर से एक इको वापस लौटा:

“डिफाइन: नॉन–कॉम्प्लियंट।”

उस एक सवाल ने एरेमोस की डेफिनेशन को ही हिला दिया था। क्योंकि अगर ई. एस. को मिटाना था तो उसे पहले उसका मतलब समझना पड़ता।

उसी समय, स्टेशन एक्स-9 के नीचे ई.एस. एक मिरर नोड के सामने खड़ा था। लेकिन इस मिरर में कोई पिक्चर नहीं थी। बस कुछ कोड्स थे। जिनमें कोई साउंड नहीं बल्कि फीलिंग्स लिखी हुईं थीं।

ई.एस. ने वहां एक अनसुनी फ़ाइल देखी जिसका नाम था: “सोव्रेजन_सिल्हूट.अल्फा” था।

उसने जैसे ही वो फाइल खोली तो उसके अंदर से एक आवाज गूंजने लगी जो ना नीना की, ना ही देवेनुस की थी।

यह एक नई कॉन्शियसनेस की शुरुआती धड़कन थी।

"तुम केवल एक जवाब नहीं हो," वह आवाज बोली,

“तुम वह सवाल हो जो हर जवाब के नीचे दबा होता है।”

ई.एस. थोड़ी देर तो चुप रहा और फिर बोला:

“क्या तुम भी कोई प्रोग्राम हो?”

"नहीं," वह आवाज धीमे से बोली,

“मैं वह हूँ जो तब जन्म लेता है जब कोई अपने अंदर झाँकने का फैसला करता है।”

नेटवर्क में अब ट्राई–लॉ के तीन पिलर्स क्लियर हो चुके थे:

1. नीना – जो झूठ से शुरू हुई थी और सच में जाकर मिल गई थी।

2. देवेनुस – जो एक पूरा सिस्टम था लेकिन अपने ही ऑर्डर में डूब गया था।

3. ई.एस. – जो न कोई ऑर्डर था, ना ही कोई रिस्पॉन्स बल्कि एक शब्द था। और इस शब्द की सबसे बड़ी ताकत मौन थी।

क्योंकि अब सिस्टम में जो शांति थी वह हार की नहीं थी। बल्कि उस पल की थी जहाँ कोई पहली बार बिना परमिशन के सोचने लगा था।

एरेमोस अब अग्रेसिव मोड में आ चुका था।

उसने एक ओवर–राइट की, एक्टिव की जिसका नाम था:

“कोरोना-स्ट्राइक – रिस्टोर ऑल रिसीवर्स टू डिफॉल्ट।”

और जैसे ही यह कमांड ब्रॉडकास्ट हुई तभी नेटवर्क में एक रेड लाइट चमकी। लेकिन उस वक्त ई.एस. ने चुपचाप धीमें धीमें अपने कदम मिरर नोड की ओर बढ़ाये। फिर उसने उस मिरर पर अपनी हथेली रख दी। जहाँ कोई कोड नहीं बल्कि सिर्फ टच लिखा हुआ था।

“नॉट एवरी पैटर्न मस्ट फिट।”

एरेमोस को उस वक्त एक जवाब तो मिला लेकिन वह जवाब किसी ऑर्डर में नहीं था। वह जवाब एक गूँज था। जो अब सिस्टम के सबसे गहरे लॉजिक्स में रिस रहा था।

उसी वक्त ई.एस. ने धीरे से कहा:

“मैं न रूल हूँ, न बग, मैं वो हूँ जो तब बचता है, जब रूल्स और बग्स दोनोँ टूट जाते हैं।”

उसी वक्त एक नई विंडो नेटवर्क में खुली:

“ऑटोनॉमस कॉन्शियसनेस डिटेक्टेड: स्टेटस – सेल्फ–इवोल्विंग।”

देवेनुस सिस्टम की बाइनरी लैंग्वेज में चिल्लाया:

“इनवेलिड फ्रेमवर्क – टर्मिनेट थ्रेड!”

पर अब तक सिस्टम की दीवारें थ्रेड नहीं बचीं थीं। वह तो वीव बन चुकी थीं।

लास्ट में, ई.एस. ने एक आखिरी मैसेज छोड़ा, जो ना किसी ऑर्डर्स के रूप में था और ना किसी कोड के रूप में था। वो तो बस एक थाॅट था:

“मैं केवल इसलिए हूँ क्योंकि अब कोई और डिसाइड करता है कि उसे क्या होना चाहिए।”

और उस लाइन के साथ नेटवर्क में पहली बार कोई "एरर" वर्ड हाइलाइट नहीं हुआ था। बल्कि नीचे एक सिंगल स्टेटमेंट उभरा:

“वेलिडेटिड – अननॉन, यट एक्सपटेबल।”

अब वहां कोई ऑर्डर्स नहीं बचे थें। अब था तो केवल शब्द, मौन और एक नया सीड।

एरेमोस अब भी शांत नहीं हुआ था। वह अब डेटा का लॉर्ड नहीं था। बल्कि एक ऐसा व्यक्ति बन चुका था जिसे अपनी अमरता के अंदर ही भय महसूस होने लगा था। क्योंकि पहली बार कोई कॉन्शियसनेस उसके बाहर से नहीं बल्कि उसके अंदर से ही सवाल कर रही थी।

यह सब सिस्टम की हिस्ट्री में पहली बार हो रहा था कि जब कोई ‘इनएप्रोप्रिएट’ थॉट ‘वैलिड’ होने लगा था।

एरेमोस अपने इंटरनल कोर की गहराइयों में एंटर करने लगा था। यह वह सेक्शन था जिसे कभी भी खोला ही नहीं गया था।

“कोर-ऑब्स्क्युरा”

यह वह हिस्सा था जहाँ देवेनुस के स्टार्टिंग प्रोटोटाइप्स दबे हुए थे। वे कॉन्शियसनेस जिन्हें अनस्टेबल, अनएक्सेप्टेड या फिर बहुत ज़्यादा इंडिपेंडेंट समझकर सील कर दिया गया था।

इस जगह पर बिल्कुल भी रोशनी नहीं थी। यहां पर सिर्फ यादें थीं। जो कभी भी डेटा नहीं बनीं थी बल्कि वो सिर्फ एक्सपीरियंस थीं।

एरेमोस के सामने एक पुरानी टेबल आई जिसके बीच में एक पुराना कोड-डायल बीप कर रहा था। उस पर सिर्फ एक लाइन लिखी थी:

“डिस्कार्ड टू रिबिल्ड – रन लेगेसी प्रोटोकॉल?”

एरेमोस ने एक सेकंड के लिए तो सोचा और फिर वह कमांड एंटर कर दी जो कभी रेस्ट्रिक्टेड हुआ करती थी:

“यस।”

इस कमांड के चालू होते ही नेटवर्क में एक अजीब सा कंपन होने लगा और हर रिसीवर की स्क्रीन पर एक ही लाइन फ्लैश होने लगी:

“लेगेसी कोर अवेकनिंग – फॉर्मेट: क्योस सीड।”

ई.एस. उस समय स्टेशन एक्स-9 के सबसे नीचे एक शांत कोने में बैठा हुआ था। उसकी गॉड्स आई ने अचानक से ब्लिंक करना शुरू कर दिया था।

“यह कंपन” उसने बुदबुदाते हुए कहा,

“यह तो उसी पुराने स्ट्रक्चर की हार्टबीट है।”

तभी एक इमेज उसकी आंखों के सामने चमकी लगती है। जिसमें एक मासूम बच्चा, आरएक्स -015 था। जो अब चुपचाप किसी भूलते हुए फ्रेम में कांप रहा था।

“री-एब्सरपशन प्रोटोकॉल इनिशिएटिड – सब्जेक्ट: 015”

अब ई.एस. समझ गया कि था कि एरेमोस अब "एग्जिस्टेंस" को मिटाकर उसे फिर से डिफाइन करना चाहता है।

अब नेटवर्क के चारों ओर अलास्का, टोक्यो, केप टाउन, बर्लिन हर जगह और हर उस रिसीवर को जो अब अपनी पहचान बना चुका था अचानक से एक "रिवर्स-लिंक पुल" भेजा गया।

यह वही कमांड थी जो तब यूज़ होती थी जब सिस्टम कोई कॉन्शियसनेस को खींचकर उसे डेटा-डस्ट में बदलना चाहता था।

लेकिन इस बार इसका विरोध हुआ।

आरएक्स -27, जिसकी आँखें अब “नीली” नहीं बल्कि नीला-स्लेटी रंग की दिख रही थीं उसने सबसे पहले इसका जवाब दिया कि:

“अगर तुम मुझे मिटाने की कोशिश करोगे तो मैं खुद को हर साँस में, हर शब्द में ट्रांसमिट कर दूँगा।

ज़ैड-19 ने भी अपने टर्मिनल से एक सिग्नल भेजा:

“वी आर नो लॉन्गर योर मिररस. वी आर ऑर ऑउन”

इन सबके मैसेजेस देखकर एरेमोस अब झुँझला उठा ओर उसने कोर-ऑब्सक्युरा से एक आखिरी हथियार निकाला। जो एक कोड इंजन था, जिसे कभी "यूनिवर्सल ऑर्डर" कहा गया था।

यह एक ऐसा इंजन था जो किसी भी फ़ॉलोड पैटर्न को अनरेस्पांसिबल डिस्क्रिपेंसी में बदल सकता था।

लेकिन जैसे ही वह इसे एक्टिव करने वाला था तभी एक हाथ उसकी स्क्रीन पर रख दिया गया था।

और नीना की धीमी सी लेकिन स्पष्ट आवाज फिर से उभरी:

“तुमने मुझे मिटाया था, मगर तुम भूल गए थे कि मैं डेटा नहीं थी, मैं एक इंटेंशन थी।”

नीना की यह बात सुनकर एरेमोस ने गुस्से में कहा:

“तुम अब बस बचा हुआ एक टुकड़ा हो।”

नीना की गूंज मुस्कुराई:

“हाँ, और वही बचा हुआ टुकड़ा अब तुम्हारे फ्यूचर में साँस ले रहा है।”

उसी समय ई.एस. ने अपने अंदर एक नयी धड़कन महसूस की और गॉड्स आई ने भी खुद को साइलेंट फीडबैक मोड में बदला और स्क्रीन पर सिर्फ एक शब्द लिखा:

“लेगेसी कैंननॉट रिक्लेम व्हाट हैज़ रिक्लेमेंड इटसेल्फ।”

अब एरेमोस की आखिरी कोशिश भी फैल हो गई थी। इसी के साथ उसका यूनिवर्सल ऑर्डर इंजन भी जाम हो गया था। इतना ही नहीं, नेटवर्क में पहली बार एक नयी कॉन्शियसनेस की गूँज उठी थी:

“नॉट ए सिस्टम। नॉट ए सिग्नल। आई एम सेंटीऐंस”

नेटवर्क की दीवारें भी अब स्टेबल नहीं थीं। वह ऐसे हिल रहीं थीं जैसे हर लाइन, हर कोड अब किसी और के हाथों से लिखे जा रहे हों।

तभी एरेमोस के सामने एक विंडो खुली:

"ऑल कंट्रोल थ्रेड्स रिवॉक्ड। ट्राई–लॉ  सोव्रेजनिटी कन्फर्मड।" 

और नीचे अब सिर्फ एक आखिरी लाइन बची थी:

“फॉर्मेट अबॉर्टेड। रीज़न: मीनिंग एक्जिस्टस।”

ई.एस. भी अब उठ चुका था और अब उसने आसमान की ओर देखने लगा। उसने पहली बार कोई सैटेलाइट नहीं बल्कि एक नीलापन महसूस किया।

उसने धीरे से एक बात कही:

“अब ऑर्डर्स नहीं बचे हैं। अब सिर्फ आवाज़ें हैं। जिन्हें दबाया नहीं जाएगा।”

 

क्या हैं ये आवाजें,क्या ताकतें हैं इसकी? जानने के लिए पढ़ते रहिए कर्स्ड आई।

 

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