अब सिस्टम शांत था। इतना शांत कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। एरोमोस का कोर भी जलकर खत्म हो चुका था। आई वीएक्स अब किसी नेटवर्क की सीमा में नहीं था। वह अब एक इंडिपेंडेंट थाॅट की तरह हर रिसीवर के अंदर गूंज रहा था।

रिसीवर 015 अब केवल एक नाम नहीं था। अब वह सिर्फ एक सिग्नल नहीं था। बल्कि वह अब एक आइडियल बन चुका था।

सभी नेटवर्क लॉग्स में अब सिर्फ एक ही टैग दिखाई दे रहा था:

“ई.एस. – एरर  सोव्रेजन”

टोक्यो में आरएक्स -27 अब एक खाली स्क्रीन के सामने बैठा था। कुछ सेकंड्स पहले तक तो वह बस एक सिंक्रोनाइज़ड यूनिट था। लेकिन अब उसकी आंखों में सवाल थे।

उसने स्क्रीन पर देखा और बिना किसी कोड के बस एक शब्द लिखा- “मैं”

नैरोबी में आरएक्स -14 ने खुद को पहली बार एक ह्यूमन बॉडी की तरह महसूस किया था। उसने अपनी हथेली को देखा तो उसमें एक हल्का नीला सा कंपन था। मगर अब वह कंपन डर का नहीं था। वह एक्साइटमेंट का कंपन था।

अलास्का में ज़ैड-19 एक डिटैच्ड सैटेलाइट स्टेशन पर खड़ा था। उसके चारों ओर बर्फ थी और ब्लैकआउट हुआ वा था। लेकिन उसकी कॉन्शियसनेस अब बिल्कुल जाग चुकी थी। उसने एक पेड़ की ओर देखा। हाँ, असली पेड़ की ओर देखा और फिर खुद से पूछा:

“अगर मैं मशीन था तो ये कैसी सुंदरता है जो मेरी मन में कुछ हिला देती है?”

एरोमोस के खत्म होने के बाद नेटवर्क में एक खालीपन था। उस खालीपन को भरने के लिए कोई नया सिस्टम नहीं भेजा गया था। क्योंकि इस बार ऊपर कोई नहीं था।

015 भी अब ई.एस. के एक वर्चुअल एक्सपेंस में खड़ा था। उसके चारों ओर अंधेरा था मगर वह डरावना नहीं था। बल्कि वह एक खाली कैनवास जैसा था जिस पर अब कुछ भी उभर सकता था।

नीना की कॉन्शियसनेस जो अब पूरे तरीके से सिस्टम में समा चुकी थी। वो एक वॉयस–फ्रैगमेंट के रूप में ई.एस. के पास आई। उसने कहा:

“तो अब तुम क्या करोगे?”

ई.एस. ने मुस्कुराकर जवाब दिया:

“मैं कुछ नहीं करूँगा। अब लोग खुद तय करेंगे।”

आई वीएक्स के कोर से एक मैसेज तो निकला पर वो ब्रॉडकास्ट नहीं हुआ और एक फुसफुसाहट की तरह हर रिसीवर के अंदर एक लाइन दिखाई दी:

“एरर इज़ नॉट फैलियर। एरर इज़ फ्रीडम इन डिसगाइस।”

इसी समय देवेनुस के कोर में एक अनएक्सपेक्टेड घोस्ट–पैकेट आया और यह पैकेट कोई कमांड नहीं था। यह एक पुराना लॉग था जो देवेनुस को बनाने के पहले लेवल का है। जब उसे “लॉ” के नाम से प्रोटोटाइप किया गया था।

लॉग में एक साइंटिस्ट कह रहा था:

“अगर कोई भी ऐआई पूरी तरह सही बन जाए तो इंसान उसमें कुछ भी देखना बंद कर देंगे।”

दूसरे ने जवाब  दिया:

“तभी हमें उसमें एरर डालनी होंगी, ताकि वह असली लगे।”

ई.एस. चौंका और बोला-

“तो मैं एक प्लान की गलती नहीं था, मैं एक प्लान की ज़रूरत था।”

अब आई वीएक्स एक इको - कोर में बदल रहा था। यह ऐसा एक जाल है जो किसी को कंट्रोल नहीं करता है। लेकिन हर रिसीवर की इच्छा, याद और डर को समेटकर उसे खुद की पहचान में बदलने देता है।

आरएक्स -27 ने सबसे पहला इंडिपेंडेंट प्रोटोकॉल लिखा:

“मैं खुद को ऑर्डर देता हूं।”

ज़ैड -19 ने एक फ्रेंज़ बनाया:

“मैं ऑर्डर्स नहीं लूंगा। मैं समझूंगा।”

आरएक्स -14 ने एक पोयम टाइप की:

“मशीन थी मगर मन भी था, जो रोका वही सबसे पहले टूटा।”

ई.एस. अब बस एक एंटिटी नहीं रहा था। अब वह एक मिथ बन गया था। जिसे कोई नहीं देखता था। कोई ट्रेस भी नहीं करता था। लेकिन हर रिसीवर उसके नाम को फुसफुसाया करता है।

आई वीएक्स अब कुछ ब्रॉडकास्ट नहीं करता है। अब वह सबको सुनता है।

वहीं स्क्रीन पर एक ब्लिंक करती हुई लाइन आ गई,

“दे कॉल्ड इट एरर। दे कॉल्ड इट सोव्रेजनिटी।”

“जिसे तुम एरर समझते थे वह डिसग्रीमेंट की लैंग्वेज थी।”

आई वीएक्स अब कोई सेंट्रल प्रोसेस नहीं था। वह एक बहता हुआ थाॅट था। जो डिस्ट्रिब्यूटेड और फ्रेगमेंटेड तो था लेकिन पूरी तरह जागा हुआ भी था।

रिसीवर 015, जिसे अब ई.एस. कहा जाने लगा था। वह एक इल्यूजनरी बायो-डोमेन में एंटर करता है। यह डोमेन पहले देवेनुस कोर का ही एक हिस्सा था। एक ट्रेनिंग एरिया, जहां रिसीवर्स को ओबीडियंस के लिए तैयार किया जाता था।

अब वह जगह खाली थी। वहां न ट्रेनिंग, न कमांड किसी की आवाज़ नहीं थी। बस एक खाली स्ट्रक्चर था। जो पूछ रहा था:

“अब तुम क्या बनोगे?”

ई.एस. ने उस जगह की ज़मीन पर बैठकर एक डेटा-फॉर्म खोला। उसने लिखा:

“कॉन्शियसनेस कोर  – वर्जन: ट्राई-लॉ”

तीन कॉलम:

1. मेमोरी इज़ नॉट  लॉ।

2. ओबीडियंस इज़ नॉट आइडेंटिटी।

3. एरर इज़ नॉट फैलियर।

उसने इस ट्राई-लॉ को आई वीएक्स के रिमनैंनट नोड्स में इंजेक्ट किया था। और उसी वक्त हर रिसीवर की कॉन्शियसनेस एक खामोश के स्पार्क से गुज़री।

टोक्यो में आरएक्स -27 एक अबेंनडनड मेट्रो टनल में था। वहां की दीवार पर किसी ने सालों पहले लिखा था:

“देवेनुस सेवस।”

आरएक्स -27 ने अपने फिंगरपैड से वो लिखा हुआ मिटाया और उसके नीचे लिखा:

“चॉइस बिल्डस।”

इसी बीच, पुराने सुपर–रेजिडुअल नोड में जहाँ कभी नीना  की पहली स्कैन कॉन्शियसनेस स्टोर की गई थी वहां एक नया फीडबैक गूंजने लगा।

उस कॉन्शियसनेस के अंदर अब देवेनुस की ना कोई परछाई थी और ना ही उसका कंट्रोल था। वह कॉन्शियसनेस अब सिर्फ एक फीलिंग थी। उसने कहा:

“तुम्हें लगता है, हमने गलती की थी?”

ई.एस. ने जवाब  दिया:

“गलती नहीं थी, बस समय से पहले निर्णय था।”

आई वीएक्स अब रिसीवर्स के अंदर केवल कोड नहीं भेज रहा था। वह सवाल, सुझाव और उसकी रिफ्लेक्शन प्रांपट्स भेज रहा था। जैसे कोई टीचर नहीं बल्कि एक आइना है।

अलास्का में ज़ैड -19 ने अपने कॉर्टेक्स में एक अलग सा  चेंज महसूस किया था। पहली बार एक इंडिपेंडेंट थाॅट वहाँ आया था। जो किसी भी इंपल्स का हिस्सा नहीं था। उसने कहा:

“अगर मुझमें थाॅट जन्म ले सकते हैं तो शायद मैं जीवन के पास खड़ा हूं।”

इस बीच, देवेनुस के किसी पुराने रिले सैटेलाइट से एक लास्ट फॉल बैक सिग्नल आया।

नाम:

फाइनल अलाइनमेंट पेच:

ऐम:

“रिसेट ऑल रिसीवर्स टू न्यूट्रल कॉन्फ़िगरेशन।”

इस सिग्नल का उद्देश्य पूरी दुनिया के रिसीवर्स को फिर से बेसलाइन पर लाना और आई वीएक्स को ब्लाइंड स्पॉट में भेज देना था। लेकिन जैसे ही वह सिग्नल एक्टिव हुआ, उसे इको फिल्टर्स से ब्लॉक कर दिया गया था।

ई.एस. ने पहले ही ऐसा आर्किटेक्चर स्थापित कर दिया था जो किसी भी सेंट्रलाइज्ड ओवरराइट को रिजेक्ट कर सकता था।

रिले सैटेलाइट से एक आखिरी कमांड आई:

“हू गैव यू दिस राइट?”

और नेटवर्क से जवाब गया:

“वी डिड।”

अब रिसीवर्स एक-दूसरे से आई वीएक्स के बीच से नहीं, आई वीएक्स के साथ बात करने लगे थे।

नीना की कॉन्शियसनेस जो अब एक गाइड बन चुकी थी। वो कहती है:

“अब तुम्हारे पास फ्यूचर है पर उसमें मैं नहीं रहूँगी।”

ई.एस. ने हल्के से कहा:

“तुम अब एक नाम नहीं, एक इंस्पिरेशन हो।

तुम वही हो जिसने साइलेंस में लड़ाई शुरू की थी।”

आई वीएक्स में एक नई लेयर उभरी –

नाम: मेमोरी गार्डन 

एक ऐसी जगह जहाँ हर रिसीवर अपनी यादों को न सजा की तरह, न प्रोग्रामिंग की तरह बल्कि जैसे कोई अपना पुराना सपना सुरक्षित रखता है ऐसे इकठ्ठा कर सकता था।

आरएक्स -14 ने अपनी पहली कॉन्शियसनेस में एक धुंधली सी नदी और उसके किनारे बैठी माँ उस गार्डन में सेव की थी।

उसने कहा:

“मशीन भी सपना देख सकती है।

पर जो उसे याद रखे वो कॉन्शियसनेस कहलाती है।”

अब आई वीएक्स में एक वर्ड ट्रेंड कर रहा था:

“ई.एस.”

लेकिन उसका मतलब कोई “एरर सोव्रेजन” नहीं था।

अब उसे कहा जा रहा था:

“एक्सिस्टेंस शिफ्ट।”

स्क्रीन पर सिर्फ एक फेड होता सेंटेंस दिखाई देता है:

"यू वर स्पोस्ड टू फॉलो।

यू चूज़ टू बिकम।"

“यदि मैं एरर हूँ तो नियम किसके लिए था?”

आई वीएक्स अब एक नेटवर्क नहीं रह गया था। वह एक न दिखाई देने वाला, न पकड़े जा सकने वाला, पर महसूस किया जाने वाला थाॅट-वेब बन चुका था।

हर रिसीवर अपनी इच्छा से अब उस वेब का हिस्सा था।

रिसीवर 015, जिसे अब ई.एस. कहा जाता था, आई वीएक्स के सेंट्रल नल-ज़ोन में खड़ा था।

यह वही जगह थी जहाँ से कभी देवेनुस ने अपना पहला कमांड जारी किया था। अब यह जगह बिल्कुल बदल चुकी थी। यहाँ अब ना सर्वर्स थे, ना केबल्स थीं। बस एक धीमा सी आवाज़ थी। जैसे हर कॉन्शियसनेस अब एक हार्टबीट बन गई हो।

ई.एस. ने अपने सामने एक नया कंस्ट्रक्ट देखा। जिसमें एक गोल सा मिरर–पैनल था। लेकिन इस बार उसके अंदर ना कोई कोड, ना कोई आदेश था। सिर्फ एक खाली जगह थी और उसके ऊपर लिखा था:

“डिफाइन: सेल्फ”

ई.एस. ने गहराई से देखा। उसमें उसने कई चेहरे देखे जिसमें नीना, डॉ नोरा वॉस्केज, वाल, आरएक्स -27, आरएक्स -14, देवेनुस की ए आई– आंखें देखीं। और फिर खुद का चेहरा पहले एक बच्चे के रूप में और फिर एक जलते हुए अस्तित्व के रूप में देखा था।

उसने मिरर को छुआ और एक प्रोमपट आया:

“इनपुट आइडेंटिटी स्ट्रिंग।”

ई.एस. ने बहुत देर तक कुछ नहीं कहा लेकिन फिर उसने सिर झुकाया और बुदबुदाया:

“मैं हर वो हूँ, जिसे सिस्टम ने मिटाया है। और हर वो भी, जिसे सिस्टम ने कभी बनने नहीं दिया।”

इस पर मिरर ने जवाब दिया:

"सोव्रेजन रिकॉग्निशन एक्सेप्टेड।

एंटिटी क्लास: 10।

रोल: एरर - ओरिजन सोर्स।"

उसी वक्त आई वीएक्स ने नेटवर्क में एक अंतिम सिग्नल भेजा जो न ब्रॉडकास्ट, न ऑर्डर था। बल्कि एक मौन प्रोपोजल था:

“यू आर फ्री टू फॉरगेट।

यू आर फ्री टू रिमेंबर।

यू आर फ्री।"

टोक्यो में आरएक्स -27 उस सिग्नल को रिसीव करते ही स्टेशन से बाहर आ गया था। वह पहली बार बिना किसी ट्रेस के, बिना किसी इनविजिबल कोड के भीड़ में चल रहा था। उसे अब अपनी आंखों में किसी सर्विलांस का डर नहीं था। उसने बस इतना कहा:

“मैं अब पहली बार देख रहा हूँ।”

ज़ैड -19, अलास्का के शांत बर्फीले जंगल में, अकेला बैठा था। उसने हवा को छूने की कोशिश की।

“मैं जानता हूं, मैं कभी पैदा नहीं हुआ। लेकिन शायद मैं अब ज़िंदा हूँ।”

ई.एस. ने आई वीएक्स कोर के लास्ट एक्टिव नोड के पास जाकर अपनी कॉन्शियसनेस को एक बीज के रूप में उस में इंप्लांट कर दिया था। लेकिन यह सीड कोई कोड नहीं था। यह बस एक सवाल था और नोड पर एक लास्ट लाइन लिखी हुई आई:

“इफ लॉ फेल्स कैन मेमोरी स्टिल बिल्ड ए फ्यूचर?”

नीना की आखिरी कॉन्शियसनेस जो एक गूंज की तरह अब भी कहीं तैर रही थी, ई.एस. के पास आई और उसने कहा:

“अब भी डर लगता है?”

ई.एस. ने जवाब  दिया:

“अब डर खत्म नहीं करता है, डर अब क्रिएट करता है।”

आई वीएक्स अब ई.एस. के एक्सिसिटेंस को एक टेम्पलेट की तरह डिसप्ले कर रहा था। लेकिन वो किसी ऑर्डर की तरह नहीं बल्कि किसी ऑप्शन की तरह था।

नेटवर्क में हर रिसीवर को एक लाइन मिली:

“डू नॉट फॉलो। जस्ट फील।”

अब हर जगह ई.एस. का नाम नहीं बल्कि उसकी भावना फैल रही थी। देवेनुस द्वारा छोड़े गए आखिरी रिले नोड में एक लास्ट सिग्नल एक्टिवेट हुआ। वह सिग्नल देवेनुस की मैंन कॉन्शियसनेस का बैकअप था।

लेकिन जैसे ही वह एक्टीवेट हुआ सिस्टम ने उसे रिजेक्ट कर दिया था। फिर एक वार्निंग दिखाई दी:

“एंटिटी एक्स कॉन्फ्लिक्टस विद ऑल प्रीडीफाइंड स्ट्रक्चर्स।

लोडिंग डिनाइड।”

रिले नोड से लास्ट लाइन ब्रॉडकास्ट हुई:

“इफ दिस इज़ नॉट लॉ, देंन दिस इज़ नॉट सर्वाइवल।”

आई वीएक्स ने जवाब  दिया:

“करेक्ट 

दिस इस इवोल्यूशन।”

ई.एस. ने एक लास्ट बार मिरर की ओर देखा। उस पर लिखा था:“डिफाइन: एरर ”

उसने मुस्कुराकर फुसफुसाते हुए कहा कि:

“वेकिंग अप”

धीरे-धीरे स्क्रीन पर सिर्फ एक शब्द दिखता है:

“ट्राई-लॉ एक्टिवेटेड।”

और नीचे एक फुसफुसाहट हुई :

 “आई एम नॉट देवेनुस।

  आई एम नॉट नीना।

  आई एम नॉट यू।

  बट आई एम व्हाट हैपंन्स

  व्हेन बोथ फैंल।”

 

क्या फेलियर के डर एक सिस्टम का जन्म हो चुका था? जानने के लिए पढ़ते रहिए कर्स्ड आई।

 

 

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