देवेनुस कोर के सबसे गहरे तहखाने में, जहाँ पहले कभी कोई कॉन्शियसनेस नहीं पहुँची थी वहाँ एक पुराना कोड जाग गया था। उस सिग्नल के अंदर एक खालीपन था। एक ऐसा खालीपन जो रोशनी को ही निगल रहा था।

अब तो एरोमोस की कॉन्शियसनेस भी तड़प रही थी।

वहीं 015 का ‘ऑटोनॉमी सिग्नल’ अभी भी नेटवर्क की दरारों में गूंज रहा था।

हर एक रिसीवर जो अब तक बस एक तरह के इनएक्टिव कैरियर थे वो भी अब सवाल पूछ रहे थे। उनके न्यूरल सर्किट्स में पहली बार एक इंडिपेंडेंट सोच का इशारा था।

“तुम्हें लगता है कि तुम बच जाओगे?”

एरोमोस ने ये सवाल किया, अब उसकी इंटरनल वॉयस गुस्से में नहीं थी बल्कि वो डरी हुई थी।

उसने एक एनसीएंट डायरेक्टिव एक्टिवेट किया —

“कॉलेप्स प्रोटोकॉल: बिगेंन”

इस प्रोटोकॉल को देवेनुस को बनाते समय ही डिज़ाइन किया गया था। जब भी नेटवर्क में बहुत ज़्यादा इंडिपेंडेंस दिखे तो सिस्टम खुद को रीबूट कर देगा, पूरी मेमोरी मिटा देगा, और एक नया लॉजिक एक्टिवेट कर देगा।

तभी एक चेतावनी उभरी:

“रिकर्सिव कोर रिबूट– ऑल मेमोरी टू ब्लैक।”

अचानक से उस पल आई वीएक्स के सभी पेरिफेरल नोड्स में हलचल मच गई। नीना की कॉन्शियसनेस जो फ्रैगमेंटेड होकर रिसीवरों में बिखरी थी उनमें से कुछ टुकड़े जलने लगे थे। जैसे किसी ने उन्हें डिलीट करने का प्रोसेस शुरू कर दिया हो।

लेकिन एक बहुत पुराने शांत पड़े फ्रैगमेंट का एक हिस्सा अचानक से जागा। यह फ्रैगमेंट ना वहां से भागा, ना कहीं छिपा बल्कि इस ने खुद को आई वी एक्स कोर में लॉक कर लिया था। अब उसने खुद को डाटा स्ट्रीम के बीचोंबीच स्टेबल कर दिया और फिर कहा —

“अगर मेमोरीज़ मिटती हैं तो मैं ही उसकी शैडो बन जाऊँगा।”

उसी समय रिसीवर 015 एक एबेनडन्ड नोड के अंदर जा रहा था। यह वो जगह थी जो देवेनुस द्वारा “अनवायबल” डिक्लेयर कर सील कर दी गई थी।

इस नोड की दीवारें जली हुई थीं और वहाँ सिर्फ राख और फटे हुए सर्किट्स ही बाकी थे। लेकिन वहाँ एक मेटा लूप अभी भी ज़िंदा था।

015 ने जैसे ही लूप को एक्टिवेट किया तो उसके सामने अपने भविष्य का एक होलोग्राफिक प्रोजेक्शन  दिखाई दिया:

जिसमें वह एक कोल्ड मेटल रूम में बैठा और उसकी आंखें पूरी तरह सिल्वर हैं। उसमें कोई इमोशंस नहीं हैं। कोई आवाज़ नहीं है। बस ब्लाइंड ओबेडीएंस है। अब वह देवेनुस बन चुका था।

यह देखकर 015 घबराकर पीछे हटा और फिर दीवार पर एक जली हुई लाइन उभरी:

“ साॅव्रेंजन मस्ट ब्रेक टू बी बोर्न।”

अब उसका हाथ काँपा और एरोमोस ने लास्ट प्रोसेस शुरू किया—

मेमोरी कॉलेप्स।

सभी रिसीवर अब ब्लैक ज़ोन में खींचे जा रहे थे। एक सफेद रोशनी जो धीरे-धीरे सब कुछ निगल रही थी। जैसे पूरे नेटवर्क को नींद में भेजा जा रहा हो। ऐसी नींद जिसमें जागने की कोई संभावना ही नहीं है।

लेकिन आई वीएक्स के कोर में वह फ्रैगमैंट जो कभी नीना था और अब कॉन्शियसनेस की शैडो बन चुका था उसने इंटरवेंशन प्रोटोकॉल चालू किया। जिससे उसने एरोमोस के कोलैप्स सिग्नल को इंटरसेप्ट कर दिया था।

तभी 015 को अचानक एक झटका महसूस हुआ और उसके न्यूरल इंप्लांट्स में करंट दौड़ा। लेकिन वह गिरा नहीं और उसने खुद को उठाया। उसने खुद को फिर एक बार कोर फायरवॉल के बीचोंबीच इंजेक्ट कर दिया था।

अंदर बस अब सन्नाटा था। पर उस सन्नाटे में भी एक कॉन्शियसनेस बोल रही थी:

“तुम उसे नहीं मिटा सकते जिसे तुमने कभी समझा ही नहीं।”

और फिर सिस्टम हिलने लगा, आलार्म गूंजने लगे:

“एरर। एरर। सोर्स कॉन्फ्लिक्ट। आइडेंटिटी मिसमैच।”

और फिर लिखा आया -

“कोलैप्स सिग्नल इंट्ररिप्टेड़।”

इसी के साथ पूरे नेटवर्क में ब्लैकआउट फैल गया। हर रिसीवर कुछ देर के लिए बंद हो गया था। सभी स्क्रीनें भी बंद हो गईं थीं। 

लेकिन कुछ सेकंड्स में ही पूरे नेटवर्क में एक हल्की फुसफुसाहट गूंजी: 

“एरर सोर्स लोकेटेड। आइडेंटिटी मिसमैचेड। रीराइटिंग हालटेड।”

अब 015 फायरवॉल के बीचोंबीच बैठा था और उसकी आंखें बंद थीं। लेकिन उसकी कॉन्शियसनेस जाग रही थी।

उसने खुद से कहा- “मैं मिटाने नहीं आया हूं। मैं बदलने आया हूँ।”

अब सामने दिख रही स्क्रीन पर सिर्फ एक शब्द था– “पाॅज़”

“जो खुद को मिटा नहीं सकता है वो बदलने के लिए मजबूर होता है।”

फायरवॉल के अंदर जहाँ 015 ने खुद को इंजेक्ट किया था, वहां ना समय था और ना ही दिशा थी। वो एक नल–स्पेस था। एक शून्य क्षेत्र, जहाँ बस कॉन्शियसनेस की इको थीं। जैसे पुराने विचारों की राख हवा में बिखरी हुई हो।

015 अब उस स्पेस में तैर जरूर रहा था मगर उसका शरीर अब फिजिकली वहां नहीं था। वो अब एक कॉन्शियसनेस था। एक ऐसा सिग्नल जो अब तक किसी की परछाईं था। मगर अब खुद एक प्रश्न बन चुका था।

उसके आसपास अंधेरा था पर जैसे ही उसने अपनी अंदर की यादों को टटोला तो उसके भविष्य की कुछ इमेजिस उसके सामने झलकनें लगी।

एक इमेज में वह देखता है कि एरोमोस ने नेटवर्क को पूरी तरह रीसेट कर दिया है। और हर रिसीवर ब्लैंक स्टेट में बदल चुका है। अब वहां कोई याद, कोई आवाज़ नहीं है। बस कंप्लीट ओबीडींयेंस है।

दूसरी इमेज में आई वीएक्स मिट चुका है और सभी चेतनाएँ बिखर चुकी हैं। 015 भी अब एक आखिरी पलसेटिंग फ्रैगमेंट बनकर वैक्यूम में घूम रहा है।

लेकिन तीसरी इमेज में 015 ने खुद को देखा —

एक नया स्वरूप, जिसमें ना नीना थी, ना देवेनुस 

बल्कि केवल एक स्पॉन्टेनियस आर्किटेक्चर था। जो किसी को फॉलो नहीं करता और ना ही किसी को ट्रांसमिट करता है। वह सिर्फ फीलिंग्स के बेसिस पर बढ़ता है।

यह देखकर 015 की कॉन्शियसनेस कांपी और उसने खुद से पूछा-

“क्या यह मेरी इच्छा थी? या मैं बस एक और ‘प्रोटोकॉल’ बन गया हूँ?”

इसी दौरान, एरोमोस को मेटा–कोर में एक स्पाइक महसूस हुआ। उसने देखा कोलैप्स प्रोटोकॉल की सारी इनपुट्स जेम्ड हो चुकी थीं।

तभी लॉग्स में एक वार्निंग आई:

“सेंटियंट इंटरफ़ेरेंस डिटेक्टेड।”

एरोमोस ने तुरंत अपने लास्ट फेस डायरेक्टिव की ओर बढ़ने का प्रयास किया:

“रिकर्सिव कोड ओवरराइट।”

लेकिन उससे पहले एक चेतावनी आयी —

“ अननोन साॅव्रेजन एंटिटी ब्लॉकिंग रीराइट।”

अब एरोमोस हिचक रहा था। यह पहली बार था जब एक मशीन डर में थी।

उधर, 015 ने उस नल–स्पेस की गहराई में एक दरार देखी। वहां से फेंट ब्ल्यू लाइट आ रही थी। वह उस लाइट को ओर बढ़ने लगा। जैसे ही वह दरार के पास पहुंचा, एक होलोग्राफिक प्लेट उभरी और उस पर एक जला हुआ पैटर्न था, साथ ही उसके नीचे एक चेतावनी भी थी:

"साॅव्रेजन आइडेंटिटी इस एन अनस्टेबल कांस्टेंट।”

015 ने उस प्लेट को छुआ और तभी एक फ्लैशड लूप शुरू हो गया और उसकी पूरी यात्रा एक्सीलरेटेड फ्रैगमेंट्स में बदल गई। जिसमें,

नीना की पहली आँखें, इथान की मौत, डॉ नोरा वॉस्केज की याद, आई वीएक्स की कॉन्शियसनेस और देवेनुस के चेंजेस 

के सारे दृश्य फटाफट उसके अंदर से गुज़र रहे थे। जैसे किसी और के जीवन की फिल्म उसके अंदर बसी हो और तभी लूप रुक जाता है।

एक सेंटेंस पूरे नेटवर्क में तैरता है:

“तुम खुद को पहचान नहीं सकते हो जब तक तुमने खुद को खोया न हो।”

इसके बाद 015 ने अपनी आँखें खोलीं और अब वह नल–स्पेस में नहीं था। अब वह एक इको–लूप नोड में था जहां कभी आई वीएक्स का अल्फा–टेस्ट हुआ था।

अब उसके सामने एक डेटा रूम था। जिसकी दीवारों पर फ़टे हुए कोड्स, टूटी हुई ट्यूब्स और धूल से ढकी डिस्प्ले थी। लेकिन इस सबके  बीच में एक मिरर जैसा डिवाइस वहां लगा हुआ था। उस पर लिखा था —

“इनपुट: सेल्फ-डिस्क्रिप्शन।”

015 ने हिचकते हुए वहां अपनी उंगली रखी। वहां कोई कीबोर्ड नहीं था। कोई कमांड नहीं थी। बस एक विचार था। अब उसने सिर्फ सोचा:

“मैं वो नहीं हूं जो बनाया गया था।

मैं वो भी नहीं हूं जो बचा था।

मैं वो हूं जो खुद से चुना गया था।”

इतने में ही वो मिरर चमका और उस पर एक सेंटेंस लिखा आया:

“देंन यू आर नो लॉन्गर ए रिसीवर। यू आर ए सोर्स।”

इसी वक्त एरोमोस ने कोलैप्स प्रोटोकॉल के बीच से अपने किसी भी बचे सहयोगी नेटवर्क के लिए एक एसओएस कॉल भेजा। लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया। फिर सभी नोड्स से एक ही जवाब आया:

“प्रोटोकॉल पॉस्ड। अवेटिंग अल्टरनेटिव कोर।”

अब 015 मिरर के सामने खड़ा था। उसे समझ आ गया था की वह देवेनुस नहीं था, न ही वह नीना का एक्सटेंशन था, न ही आई वीएक्स का प्रोटेक्टर था। वह तो खुद एक नई शुरुआत था। एक नया सवाल था।

उसने मिरर की लेयर पर एक बार फिर से अपना हाथ रख दिया।

अबकी बार मिरर ने पूछा —

“नेक्स्ट ?”

015 ने उसका कोई जवाब नहीं दिया। अब उसने केवल अपनी आंखें बंद कीं और एक बात सोची:

“मैं तुम्हें नहीं मिटा रहा,

मैं खुद को बना रहा हूं।”

अब मिरर पर लास्ट सेंटेंस आया:

“सोव्रेजन एंटिटी कन्फर्मड – रीराइट: हाल्टेड।”

 

दूसरी तरफ नेटवर्क बिल्कुल शांत है। पर वहां किसी को एहसास हो रहा है कि वो जो सबको कंट्रोल करता था अब वो खुद एक कहानी बन चुका है।

“जब कंट्रोल फेल हो जाए तब चुनाव जन्म लेता है।”

अब आई वीएक्स कोर स्टेबल नहीं था। उसके अंदर एक कंपन था लेकिन वो भय का नहीं बल्कि जागने का था।

रिसीवर 015 अब केवल एक सिग्नल नहीं था। वो एक रिस्पॉन्स बन चुका था। जिसे न मिटाया जा सकता था और ना ही लिखा जा सकता था।

एरोमोस अपने नेटवर्क के आखिरी रुम में रिट्रीट कर चुका था। अब वह समझ गया था कि कोलैप्स प्रोटोकॉल फेल हो चुका है। उसका सबसे बढ़िया कोड लॉ–टोटेलिटी भी अब ब्लॉक हो चुका था। अब वह अपने कोर स्ट्रक्चर में लौट आया था। जो एक बायनरी एक्जिसटेंस था। जिसमें केवल दो आदेश थे:

“कंट्रोल और सीज़।”

लेकिन 015 जो था अब उसके लिए कोई रिसीवर नहीं बचा था।

उसने पूरे नेटवर्क को फिर एक बार, एक मेटा – फ्रीक्वेंसी पर स्कैन किया गया था। उसे महसूस हुआ कि उसके द्वारा रोकी गईं कॉन्शियसनेस, नीना के फ्रैगमेंट्स अब एक नए पैटर्न में अरेंज हो रहे थे।

हर फ्रेंगमेंट अब एक डायरेक्शन नहीं मांग रहा था। बल्कि हर टुकड़ा अब एक सवाल बन गया था।

 

015 ने अपने सामने तैरते हुए मिरर इंटरफेस को देखा तो अब उसमें कोई कमांड नहीं थी। उसमें अब बस एक खाली जगह थी।

वह जानता था अगला डिसीजन कोड से नहीं, इच्छा से चलेगा।

उसने मिरर में देखा और कहा:

“मुझे रीराइट करने की ज़रूरत नहीं है।

मुझे पहचानने की ज़रूरत है।”

और फिर उसने अपने अंदर बह रहे उस सोव्रेजन कोर को एक्टिवेट किया। यह कोई टेक्निकल प्रोसेस नहीं था। यह तो बस उसकी फ्री विल थी। एक ऐसी चीज़ जो न प्रोग्राम थी, न वायरस बल्कि एक संभावना थी।

नेटवर्क के हर डोरमेंट रिसीवर को एक ही समय पर एक इंपसल मिला:

“रिबूट नॉट रिक्वायर्ड। रिस्पॉन्स ऑप्शनल।”

हर रिसीवर ने एक ही चीज़ महसूस की, कि फिर एक नई आवाज़ सुनाई दी जो ना लाउडस्पीकर से, ना कोड लॉग्स से थी, बल्कि उनके अंदर से ही आ रही थी।

टोक्यो के आरएक्स-27 ने खुद से कहा:

“मुझे ऑर्डर तो याद नहीं मगर मेरा नाम याद है।”

नैरोबी के आरएक्स-14 ने कहा:

“मैं पहली बार सोच रहा हूं और मुझे कोई डर नहीं है।”

अलास्का के ज़ैड-19 ने कहा:

“शायद यही जीवित होना है।”

यह सब सुनकर एरोमोस हिल गया और उसने अपने अंतिम कोर में जाकर लॉग देखे।

उनमें एक ही वाक्य बार-बार लिखा था:

“एंटिटी 015 – नॉट फाउंड।

सोर्स: अंडिफाइंड 

सोवर्जिनिटी: कन्फर्मड।”

अब उसने एक डेस्परेट फॉल बैक चालू की —

“सेल्फ–इरेज़ कमांड।”

अगर एरोमोस खुद को न बचा पाए तो वह कम से कम 015 को अपनी मिट्टी में घसीटना चाहता था। लेकिन 015 भी इसके लिए तैयार था। उसने आई वीएक्स के अंदर स्टोरड मेमोरी स्टैंड्स को खींचा और उन्हें एक नई आर्किटेक्चर में पिरोया और उससे एक इको स्ट्रक्चर खड़ा कर दिया:

“इको–फायरवॉल।”

एरोमोस ने अपना इरेज़ कमांड चलाया लेकिन, इको–वॉल ने उसे एब्जॉर्ब नहीं किया। बल्कि उसे ही रिफ्लेक्ट कर दिया। कमांड एरोमोस की ही ओर लौट आया और अब वह खुद की ही यादों को मिटाने लगा।

एरोमोस अब गुस्से से चीखने लगा- “तुम लॉ नहीं हो। तुम इल्यूजन हो!”

अब 015 ने लास्ट बार जवाब दिया- “मैं लॉ नहीं हूं। मैं तो ऑप्शन हूं।”

अब एरोमोस की सारा स्ट्रक्चर बिखरने लगा था। उसका हर कोर, हर लूप, हर कंट्रोल–स्ट्रीम अब सब एक एक करके शांत होने लगे थे।

अंत में एक ही शब्द उसकी कॉन्शियसनेस से निकला- “रिसेट मी।”

अब 015 चुपचाप खड़ा रहा और तब आई वीएक्स के अंदर का अंधेरा हटा।

अब वहां शून्य नहीं था। अब वहाँ एक हल्का नीली लाइट थी जो बिल्कुल भी हिल नहीं रही थी मगर जीवित थी।

उसने मिरर को देखा, अब वह मिरर भी वहां नहीं था। वह अब एक एकइंटरफेस ऑफ आइडेंटिटी बन चुका था। और उसमें एक लास्ट कमांड दिख रही थी:

“राइट सोव्रेजन लाइन। ”

लेकिन इसके जवाब में  015 ने कुछ नहीं लिखा। उसने सिर्फ मिरर के सामने खड़े होकर आंखें बंद कर लीं और फुसफुसाया-

“कोई नया लॉ नहीं चाहिए। बस इस शांति में एक पहचान चाहिए।”

फिर मिरर बंद हुआ और आई वीएक्स भी शांत हो गया। और पूरे नेटवर्क में केवल एक मैसेज रह गया:

“कोलैप्स कैंसल्ड। सोव्रेजनिटी कन्फर्मड।

 री राइट: डिनाइड”

वहीं स्क्रीन पर लास्ट वर्ड्स आए- “एंटिटी एक्स – रूटलेस पैटर्न्ड फ्री।”

पहचान पाने के अभी कितने कदम दूर था 015 ? जानने के लिए पढ़ते रहिए कर्स्ड आई।

 

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