मित्रों और हमारी पोटेंशियल गर्लफ्रेंडों!
वैसे तो हमें अपने गाँव बखेड़ा से शहर आये हुए काफी टाइम हो गया है, पर हमें अब जाकर हमारे पसंद की कॉर्पोरेट जॉब मिली है।
कहने को तो यहाँ सब कुछ बढ़िया है.. लोग अंग्रेजी में बतियाते हैं.. टाइम टू टाइम फ्री की चाय भी मिल जाती है.. एच आर के साथ बैठकर हम रंगोली भी बना लेते हैं और कभी-कभार ऑफिस पार्टी में एक दो लिटिल-लिटिल भी लगा लेते हैं लेकिन एक चीज़ का ग़म है कि गाँव जाने के लिए छुट्टी नहीं देता हमारा मुंहचुवा बॉस। कई सालों से अपने ही गाँव का मुंह नहीं देखा है।
पता नहीं इतना काम करवा के कौन सा यूनिकॉर्न बना लेगा अपने स्टार्टअप को! गाँव की ये बात मुझे बेस्ट लगती है कि वहाँ कभी त्योहार मनाने के लिए छुट्टी मांगनी नहीं पड़ती। छुट्टी सेल्फ डिक्लेर्ड होती है। कोई छुट्टी नहीं देता था तो उसको काट के फेंक देते थे मजदूर पुलिया के नीचे। सब मिल जुलकर प्रेम भाव से क्राइम खुद ही सुल्टा लेते हैं। इसीलिए तो आज भी गाँव में सेकुलरिसम जिंदा है क्योंकि यहाँ हर त्योहार की छुट्टी है। हमारे गाँव बखेड़ा में तो हम थैंक्सगिविंग और चाइनीज न्यू ईयर भी मनाते हैं। ये तो शहर का कानून बहुत टाइट है वरना अभी तक हम भी अपने बॉस को पुलिया के नीचे फेंक चुके होते। हमारे जैसे न जाने और कितने कॉर्पोरेट मजदूर त्योहारों में अपने गाँव जाने के लिए मरते हैं, लेकिन ये शौर्य है कि जिसे सामने से गोल्डन आपर्टूनिटी मिल रही है हमारे गाँव बखेड़ा जाने की और ये मना किये जा रहा है।
शौर्य: डैड, हैव यू गॉन नट्स? मैं गाँव नहीं जाऊँगा।
अरे! अब इस शौर्य को कोई समझाये कि नट्स खा खा कर ही तो नितिन चचा का दिमाग इतना शार्प हुआ है कि उन्होंने इतना बड़ा बिज़ीनस एम्पाइअर खड़ा कर लिया और अब अपने बेटे को इस मुश्किल से निकालने के लिए उसे गाँव भेज रहे हैं। ये आइडिया भी उन्हें नट्स खा के ही आया होगा न! आप लोगों की याद्दाश्त ताज़ा करने के लिए बता दूं कि शौर्य को उसके परम मित्र रोहन और हमारी एक्स भाभी ज़ोया ने ड्रग्स के झूठे केस में फंसा दिया है। अब नितिन चचा के घर के बाहर मीडिया वालों का मेला लगा हुआ है जो शौर्य की छवि का सत्तू बना के पीने के लिए तड़प रहे हैं। मीडिया वालों ने शौर्य पर ऑलरेडी गंदे-गंदे आरोप लगाना शुरू कर दिए हैं। कोई कह रहा है कि शौर्य चरसिया है.. कोई कह रहा है कि शौर्य रूसी माफिया में ड्रग्स लॉर्ड है..
कोई कह रहा है कि शौर्य तो अपने बगल में डर्मी कूल नहीं कोकेन का पाउडर लगाता है.. कोई कह रहा है कि शौर्य की नाइजीरिया में तीन बीवियाँ और चार नाजायज़ बच्चे भी हैं.. तो कोई तो ये भी कह रहा है कि उड़ता पंजाब शौर्य की बायोपिक थी!
नितिन चचा ने शौर्य को समझाया, "शौर्य ट्राई टू अंडरस्टैंड। बाहर मीडिया ने मेरी रिप्यूटेशन की धज्जियाँ उड़ा दी हैं। ऑफिस जाना मुश्किल हो गया है मेरा। जहाँ जाता हूँ वहाँ मीडिया वाले तुम्हारे ड्रग्स से रिलेटेड सवाल पूछने आ जाते हैं.. कि शौर्य दिन में कितने दोज़ ड्रग्स लेता है? शौर्य का दृग एम्पाइअर कितना बड़ा है? शौर्य के डीलर्स शहर के कौन कौन से एरिया में हैं? कल तो हद ही हो गई। मेरे ऑफिस का पियोन आकर मुझसे पूछ रहा था… सर, आज रात मेरे चॉल में रेव पार्टी है.. शौर्य बाबा ड्रग्स सप्लाइ कर देंगे क्या? अरे मैं क्या तुम्हारा सेक्रेटरी हूँ जो लोग आकर मुझसे तुम्हारे ड्रग्स के बारे में पूछ रहे हैं!"
शौर्य: बट डैड, आप जानते हैं कि मैं ड्रग्स नहीं करता। रोहन और ज़ोया ने मुझे फंसाया है। इन्स्टेड की मेरी बेगुनाही साबित करें.. आप मुझे गाँव भागने के लिए कह रहे हैं व्हाई?"
नितिन चचा बोले, “क्योंकि शौर्य, तुम एक मूर्ख हो। तुमने अपने दोस्त और गर्लफ्रेंड पे इतना अंधा भरोसा किया कि वो सच में तुम्हारी आँख फोड़ के चले गए। तुम इनोसेंट थे जब तक मैंने उस इंस्पेक्टर को तुम्हारा केस रफा-दफा करने के लिए 2 करोड़ की रिश्वत नहीं दी थी लेकिन अब तुम गिल्टी हो और तुम्हारे खिलाफ अरेस्ट वारंट कभी भी निकल सकता है। इसीलिए बेस्ट है कि तुम हमारे गाँव बखेड़ा चले जाओ। वहाँ पुलिस तुम्हें नहीं ढूँढ पाएगी।”
शौर्य: डैड, ऐसी बात है तो आप मुझे विदेश क्यों नहीं भेज देते? अमेरिका? सिंगापुर? या फिर स्कॉटलैंड भी चलेगा! वहाँ भी तो पुलिस मुझे नहीं ढूँढ पाएगी न!
नितिन चचा को अब गुस्सा आ रहा था। अपना माथा पकड़े हुए बोले, “शौर्य कभी तो दिमाग से काम लिया करो। अगर तुम्हें दूसरी कंट्री भेज दिया तो मीडिया में हमारी फैमिली की क्या इमेज जाएगी, सोचा है! लोग कहेंगे बाप के पैसों पर अमीरज़ादा देश से ही फरार हो गया। नहीं ये हमारे बिज़नस के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं है। मैं हमारे शेयरहोल्डर्स को क्या जवाब दूँगा! जब तक तुम इंडिया में हो लोगों का हम पर ट्रस्ट बना रहेगा और किसी को कानों-कान खबर नहीं होगी कि तुम शहर से बाहर गए हो। सबको लगेगा कि तुम्हें हाउस अरेस्ट पे रखा है।
वैसे भी कुछ दिनों में हमारी क्रिकेट टीम कुछ ना कुछ करके मीडिया की अटेन्शन ग्रैब कर ही लेगी और मीनवाइल मैं यहाँ पे लोगों को रिश्वत खिला के तुम्हारा केस रफादफा करवा दूँगा।”
देखो महाराज, नितिन चचा की बात में दम तो था और शौर्य को भी हमारी क्रिकेट टीम पर पूरा विश्वास था। ये बावरा मन इतनी जल्दी मानता कहाँ है? वैसे भी शहर का ऐशो-आराम छोड़कर गाँव में जाकर रहना इज़ नो जोक। इसीलिए जब डैडी ने बात नहीं सुनी तो शौर्य अपनी माँ के पास पप्पी फेस लेकर चला गया।
शौर्य: मॉम प्लीज़ डैड को समझाओ ना.. मैं गाँव की धूल मिट्टी में कैसे अडजस्ट करूँगा? मुझे अगर कोई बीमारी हो गई तो? मैंने तो सुना है मिट्टी से कैंसर फैलता है।
ये सुनके टेंशन लेने की बजाय कविता चाची हँस पड़ी और बोली.. “दैट विल बी वंडरफुल शौर्य! सोचो क्या बढ़िया न्यूज़ स्टोरी जाएगी पब्लिक में.. रंजन इंडस्ट्रीज़ का चिराग गाँव में मेहनत करते हुए कैंसर से मर गया! एक दम ग्राउंडेड मौत! आजकल लोगों को यही सब पसंद आता है। हमारी फैमिली की इमेज में भी चार चाँद लग जाएंगे।”
कविता चाची तो मदर इंडिया की भी माँ निकली। इनका बस चलता तो अभी शौर्य को गोली मारके पार्लियामेंट पहुँच जाती अपना पद्मश्री लेने के लिए।
शौर्य: मॉम ये आप क्या कह रही हो? आई ऍम योर ओनली सन। एकलौती औलाद! आप मुझे अपने से दूर गाँव की पसीने वाली धूप और मिट्टी में कैसे भेज सकती हैं?
यह सुन के कविता चाची के अंदर की ममता जाग गई, “सॉरी बेटा! मैं हमारी फैमिली की इमेज बचाने के चक्कर में बहक गई थी।”
तभी कविता चाची ने अपने पर्स से एक क्रीम का डब्बा निकाला और शौर्य के हाथ में पकड़ाते हुए बोली, “यह लो। तुम्हारे लिए तंजानिया से स्पेशल लाल छिपकली के अंडों की फेस क्रीम मंगवाई है मैंने। यह तुम्हें टैनिंग से बचाएगी और धूल मिट्टी से तुम्हारे चेहरे पे कोई डार्क स्पॉट्स भी नहीं पड़ने देगी।”
अपनी माँ की हाई सोसाइटी वाली ममता देखकर शौर्य की आँखें शॉक से फटी की फटी रह गई। इससे पहले शौर्य कुछ बोल पाता नितिन चचा उसके बैग्स लेकर आ गए। “चलो शौर्य। तुम्हारे निकलने का टाइम हो गया है।”
अपने डैडी के हाथ में बैग्स देखकर शौर्य समझ गया कि अब उसे गाँव जाने से कोई नहीं बचा सकता। उसने अपनी किस्मत को कबूल किया और नितिन चचा से पूछा...
शौर्य: मेरी फ्लाइट कितने बजे की है?
नितिन चचा आलमोस्ट हँसते हुए बोले, “फ्लाइट? शौर्य तुम गाँव जा रहे हो, फॉरेन हॉलिडे मनाने नहीं! ड्राइवर घर के पीछे वाले गेट पे तुम्हारा इंतजार कर रहा है। चेहरे पे काला कपड़ा बांध के जाना ताकि मीडिया वाले तुम्हें पहचान ना ले!”
दोस्तों अगर तो ये गाँव होता तो शौर्य को कविता चाची दही-चिनी खिलाकर विदा करती, पर क्योंकि ये शहर है, इसीलिए शौर्य को बस सेफ जर्नी कहकर ही विदा कर दिया उसके माँ-बाप ने। कुछ भी कहो महाराज, गाँव में भले ही गरीबी कितनी हो, कभी किसी को खाली पेट विदा नहीं करते! और शहर वाले तो अंग्रेजों के तौर-तरीके अपनाने के चक्कर में अपनी संस्कृति ही भूल गए हैं। खैर, शौर्य का तो शहर से हमारे गाँव बखेड़ा तक का सफर शुरू हो गया। मीडिया से बचते हुए शौर्य अपनी लक्ज़री कार के ए.सी में मस्त सोता हुआ हमारे गाँव बखेड़ा के पास पहुंचा। जैसे ही गाँव आया, धूल-मिट्टी और गोबर की स्मेल से शौर्य के नाक के बाल जलने लगे। गाँव के हाइवे पर ही ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी।
शौर्य: अरे गाड़ी यहाँ क्यों रोक दी? गाँव के अंदर के चलो। मुझे घर तक तो छोड़कर आओ।
ड्राइवर भी फुल एटीट्यूड में बोला, “माफ कीजिए बाबा पर बड़े साहब ने सख्त इंस्ट्रक्शन्स दिए हैं कि गाड़ी गाँव के अंदर नहीं जाएगी, क्योंकि गाँव की सड़क टूटी-फूटी है और गाड़ी एक दम ब्रांड न्यू है। गाड़ी पे कोई भी खरोंच नहीं आनी चाहिए। आपको यहीं उतरना होगा।”
शौर्य: बताओ जिस गाँव में गाड़ी सेफ नहीं है, वहाँ डैड ने अपना एकलौता बेटा भेज दिया है सेफ रहने के लिए!
शौर्य ने अपने बैग्स उठाए और गाड़ी से उतरने लगा। फिर तो दोस्तों क्या हुआ आप सभी को पता ही है... फिर भी एक बार रीकैप दे देते हैं आपके लिए... स्लो मोशन में गाड़ी का दरवाज़ा खुला और हीरोइक बैकग्राउंड म्यूजिक के साथ शौर्य ने गाँव में एंट्री ली। शौर्य ने अपनी हीरोइक वॉक में जैसे ही आगे कदम रखा उसका पैर कांचों पर फिसला और वह धड़ाम से भैंस के ताजा ताजा गोबर में गिर गया और हीरोइक म्यूज़िक की जगह अब बच्चों की दहाड़ मार-मार के हंसने वाली हंसी ने ले ली…
शौर्य: व्हाट द..!
..तो महाराज जहाँ से कहानी शुरू किए थे वहीं वापस आ गए हैं। शौर्य ने जैसे ही गोबर से अपना मुंह निकाला, उसके मुंह पर लगा गोबर का फेस पैक देखकर वहाँ से गुज़र रहा एक रिक्शावाला रुक गया और बोला, “अरे ये गोबरचट्टा कौन है? कौन हो भाई? कहाँ जाना है?”
शौर्य ने अपना फोन निकालकर उस रिक्शावाले को गूगल मैप पे लोकेशन दिखाने की कोशिश की पर गाँव में नेटवर्क ही नहीं आ रहा था। वो रिक्शावाला बोला, “अरे गोबरचट्टा! ई गाँव है! इहाँ मैप वाप ना चलत! बताओ कौन घर जाना है? छोड़ अइबे तुमका!”
शौर्य: जी, मुझे मेरे दादाजी के घर जाना है!
रिक्शावाला तुनक कर बोला, “ऐ गोबरचट्टा! तोहार दादाजी पूरे गाँव के दादाजी थोड़ी ना है! नाम बताओ!”
शौर्य: ओह माय मिस्टेक… मिस्टर हरिश रंजन!
शौर्य के दादाजी का नाम सुनते ही रिक्शावाला शौर्य को घूरने लगा, जैसे उसने किसी भूत का नाम सुन लिया हो!
आखिर क्या है शौर्य के दादाजी की बैकस्टोरी?
क्या गाँव में आते ही शौर्य के सर पे कोई नई मुसीबत आने वाली है?
क्या शौर्य गाँव में अडजस्ट कर पाएगा?
सब कुछ बताएंगे महाराज... गाँववालों के अगले चैप्टर में!
No reviews available for this chapter.