आर्यन, ध्रुवी की ओर देखकर पूरी गंभीरता से बोला, “अगर वाकई ऐसा है......और तुम मुझ पर सच में इतना भरोसा करती हो...तो फिर ठीक है.......आज हर मायने में पूरी तरह.....(एक पल रुककर)....कर दो खुद को मेरे नाम.....सौप दो खुद को पूरी तरह मुझे.....(एक पल रुककर)....अभी.....इसी वक्त और यही.....”
आर्यन की बात सुनकर, और उसकी बात का मतलब पूरी तरह समझने के बाद, एक पल के लिए ध्रुवी के चेहरे के भाव अचानक बदल गए। वे शॉक्ड और हैरान हो गए। हालाँकि, एक बार को ध्रुवी को लगा कि शायद आर्यन उससे मज़ाक कर रहा है। इस बात को कन्फर्म करने के लिए, ध्रुवी ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए आर्यन से सवाल किया।
“आर्यन.....तुम.....तुम मज़ाक कर रहे हो ना मुझसे???”
ध्रुवी का सवाल सुनकर आर्यन ने कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन अगले ही पल आर्यन के चेहरे की गंभीरता भरी चुप्पी को भांपकर ध्रुवी समझ गई कि आर्यन इस वक्त पूरी तरह सीरियस है और उससे किसी भी तरह का मज़ाक नहीं कर रहा है। ध्रुवी को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वो क्या करे और ऐसी सिचुएशन में कैसे रिएक्ट करे। उसकी घबराहट और उलझन उसके चेहरे के भावों में साफ़ झलक रही थी।
कुछ पल बाद भी ध्रुवी को चुप देखकर आर्यन बोला, "इट्स ओके ध्रुवी....तुम्हें ऐसा कोई भी काम करने की कोई ज़रूरत नहीं है....जिसमें तुम्हारी मर्ज़ी शामिल ना हो......या जिसे तुम्हारा दिल एक्सेप्ट ना करे......" आर्यन ने ध्रुवी के गाल को प्यार से छूते हुए कहा, “इट्स रियली ओके!!!”
इतना कहकर जैसे ही आर्यन कमरे से बाहर जाने के लिए बेड से उठा, अगले ही पल ध्रुवी ने आर्यन की कलाई पकड़ते हुए उसे रोक लिया। वह खुद भी बेड से उठकर ठीक आर्यन के सामने आ खड़ी हुई।
“हाँ ये सच है.....कि शादी से पहले मैं इस सब के लिए.....खुद की मर्ज़ी से कभी तैयार नहीं हो सकती थी.....लेकिन क्योंकि मुझे तुम पर खुद से भी ज़्यादा भरोसा है.....और तुम्हारी मर्ज़ी इसमें शामिल है......तो तुम्हारी खुशी के लिए मुझे.....(एक पल रुककर).....ये भी मंज़ूर है.....!!!”
इतना कहकर ध्रुवी ने बिना एक पल और सोचे, अपने गले में पहने दुपट्टे को हटाने के लिए अपना हाथ बढ़ाया। कि अचानक आर्यन ने बीच में ही उसका हाथ थाम लिया। मिले-जुले भाव से उसकी ओर देखकर, ना में अपनी गर्दन हिलाते हुए, अगले ही पल उसने ध्रुवी को कसकर अपने गले से लगा लिया। एक पल बाद ही ध्रुवी की आँखों से आँसू बहने लगे।
आर्यन ने ध्रुवी का सर प्यार से सहलाते हुए कहा, “इतना चाहती हो मुझे....इतना कि....कि एक बार भी बिना सोचे समझे....अपनी ज़िंदगी से भी बढ़कर कीमती चीज़....अपनी मान-मर्यादा तक.....मुझे सौंपने के लिए तैयार हो गई?”
"आर्यन आई लव यू....आई लव यू मोर देन एनीथिंग......मैं जान से ज़्यादा चाहती हूँ तुम्हें....और तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ.....बस मैं तुम्हें खो नहीं सकती.....क्योंकि तुम्हारे बिना मैं जी नहीं सकती आर्यन.....नहीं जी सकती!!" ध्रुवी ने भावुकता से कहा।
आर्यन ने ध्रुवी के बालों को चूमते हुए कहा, “और मेरी खुशी के लिए ही सही.....मगर क्या ये सब करने के बाद.....तुम खुद से नज़रें मिला पाती?”
"नहीं......लेकिन आर्यन बस मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती....क्योंकि तुम्हें खोकर मैं जी नहीं पाऊँगी!!" ध्रुवी ने भावुकता से ना में अपनी गर्दन हिलाते हुए कहा।
आर्यन ने ध्रुवी को खुद से अलग कर अपने अंगूठों से उसके आँसू पोंछते हुए कहा, “हम्मम जानता हूँ.....बहुत अच्छे से जानता हूँ.....और समझता भी हूँ....बट हमेशा याद रखना ध्रुवी.....सच्चे प्यार को साबित करने के लिए भले ही अग्नि परीक्षाएँ दी जाती हैं.....लेकिन कभी भी किसी की मान-मर्यादा से खेला नहीं जाता.....और ना ही आप प्यार में इतने अंधे बन जाओ....कि किसी को भी ये हक़ दे दो.....कि वो आपकी इज़्ज़त को प्यार की परीक्षा का नाम देकर....आपकी इज़्ज़त को पल में यूँ अपने पैरों तले रौंद जाए.....जहाँ प्यार की बुनियाद ही ऐसी किसी घटिया शर्त की नींव पर रखी जाए....तो उस प्यार का घरौंदा कभी बस ही नहीं सकता.....(एक पल रुककर)...और एक बात हमेशा याद रखना....प्यार ज़िंदगी में दुबारा पाया जा सकता है.....लेकिन इज़्ज़त, मान-मर्यादा एक बार जाकर फिर कभी लौटकर नहीं आ सकते.....और आपकी इज़्ज़त,आपकी मान-मर्यादा का असली हकदार वही है....जो भरे समाज और जहां के सामने आपके साथ अपने रिश्ते को एक जायज़ नाम देकर....आपके साथ अपने रिश्ते को स्वीकार करे....वही आपको हकीक़त में चाहने वाले होते हैं....और वही असल में ज़िंदगी भर आपका साथ निभाने की हिम्मत रखने वाले भी होते हैं......ना कि यूँ बंद कमरों में अपनी मोहब्बत की कसमें खाने वाले!!”
ध्रुवी ने अपने गालों पर रखे आर्यन के हाथों को थामते हुए भावुकता से कहा, “तुम सही कह रहे हो आर्यन.....और मैं भी ऐसा ही मानती हूँ....लेकिन मैं क्या करूँ आर्यन....जब कभी मैं ये ख्याल भी अपने मन में लाती हूँ....कि कहीं तुम मुझसे दूर हो गए तो.....इतना सोचने भर से ही मेरी साँसें अटक जाती हैं आर्यन....और मुझे लगता है कि बस मैं.....(एक पल रुककर)...कि बस मैं कुछ भी करके तुम्हें खुद से दूर जाने से रोक लूँ.....फिर चाहें मुझे ऐसा करने के लिए किसी भी हद तक क्यों ना जाना पड़े!!!”
आर्यन ने वापस से ध्रुवी को अपने गले लगाते हुए कहा, "तुम सच में पागल हो....बहुत बड़ी पागल....और अब ये बेवजह की फिजूल बातें सोचना बंद करो.....(एक पल रुककर).....मैं बस तुम्हारी टांग खिंचाई कर रहा था....." ध्रुवी ने मासूमियत से भीगी पलकों के साथ आर्यन की ओर देखा। "अब ऐसे क्यों देख रही हो.....ये डिपार्टमेंट सिर्फ तुम्हारा ही थोड़ी है.....मैं भी कर सकता हूँ तुम्हारी टांग खिंचाई...(एक पल बाद).....और डोंट वरी मैं कहीं भी नहीं जा रहा हूँ तुम्हें छोड़कर......समझी....." आर्यन ने ध्रुवी के बालों को चूमते हुए कहा, “झल्ली कहीं की!!!!”
ध्रुवी ने आर्यन की बात सुनकर प्लेफुली एक मुक्का आर्यन के सीने पर जड़ दिया। आर्यन उसे गले लगाते हुए मुस्कुरा उठा। एक तरफ आर्यन ध्रुवी को शांत करते हुए हमेशा ज़िंदगी भर खुद का उसके साथ रहने का आश्वासन दे रहा था, जबकि दूसरी ओर मि. सिंघानिया ने आर्यन को साफ़-साफ़ कह दिया था कि वह किसी भी कीमत पर हरगिज़ ध्रुवी को उसका नहीं होने देंगे। अब जीत किसकी होनी थी, ये तो वक़्त ही तय करने वाला था। शाम को ध्रुवी आर्यन से मिलकर जब घर वापस लौटी, तो मि. सिंघानिया ऑफिस से आ चुके थे और लिविंग एरिया में बैठकर उसका ही इंतज़ार कर रहे थे। ध्रुवी ने आज जब मि. सिंघानिया को रोज के हिसाब से घर जल्दी पाया, तो वह सीधा उनकी ओर बढ़ गई।
“गुड इवनिंग डैड.....!!!”
“गुड इवनिंग बेटा!!”
“आज आप वक़्त से पहले घर कैसे??”
“कुछ खास नहीं बस सोचा आज अपनी बेटी के साथ थोड़ा सा कीमती वक़्त गुज़ार लिया जाए.....लेकिन यहाँ तो आप ही गायब थीं....लगता है हमारी बेटी के पास हमारे लिए वक़्त ही नहीं है.....और हमसे भी ज़्यादा दूसरे लोग ज़्यादा इम्पोर्टेन्ट हैं आपके लिए!!!”
“नो डैड....ऐसी कोई बात नहीं है....इनफेक्ट अगर मुझे पता होता कि आप मेरा घर पर इंतज़ार कर रहे हैं....तो मैं कब का घर वापस आ चुकी होती.....मगर मुझे तो पता ही नहीं था.....आप एक कॉल कर देते तो मैं फ़ौरन आ जाती!!”
“हम्मम.....इट्स ओके.....कोई बात नहीं.....अभी भी बहुत वक़्त है हमारे पास....अभी फ़िलहाल तुम जाकर जल्दी से फ़्रेश होकर आओ....तब तक मैं चाय बनवाता हूँ....फिर दोनों साथ में चाय पीते हुए गपशप करेंगे!!!”
“ओके डैड....(अपनी जगह से उठते हुए).....बस पाँच मिनट में वापस आती हूँ मैं!!!”
“हम्मम जल्दी आना!!”
“बस मैं यूँ गई और यूँ आई!!!”
इतना कहकर ध्रुवी अपने रूम की ओर फ़्रेश होने के लिए बढ़ गई। कुछ देर बाद ध्रुवी फ़्रेश होकर वापस आई। तब तक टेबल पर चाय और ध्रुवी की पसंद के हल्के-फुल्के स्नैक्स हाजिर हो चुके थे। एक मेड ध्रुवी और मि. सिंघानिया के लिए चाय बनाने के लिए आगे बढ़ी, लेकिन ध्रुवी ने उसे खुद चाय बनाने का कहकर उसे वहाँ से जाने के लिए कह दिया। इसके बाद ध्रुवी ने अपने और मि. सिंघानिया के लिए चाय बनाई और दोनों साथ बैठकर चाय का लुत्फ़ उठाने लगे।
“हम्मम.....सुपर्ब....बहुत अच्छी चाय बनाई है तुमने!!”
“थैंक्यू डैड......!!!”
“और बताओ सब कुछ कैसा चल रहा है???”
“एवरीथिंग इज़ गुड डैड!!!”
ऐसे ही हल्की-फुल्की बातों में लगभग आधा घंटा बीत चुका था। इस बीच मि. सिंघानिया तीन कप चाय पी चुके थे। चौथी बार चाय बनाने के लिए जैसे ही उन्होंने अपना कप उठाया, ध्रुवी ने उन्हें घूरकर उनके हाथ से कप ले कर वापस नीचे रख दिया।
“क्या हो गया है डैड....बस कीजिए....कितनी चाय पियेंगे....आपके बीपी के लिए इतनी चाय बिल्कुल भी अच्छी नहीं है.....और खबरदार जो अब आपने चाय को हाथ भी लगाया तो!!!”
“अब मेरी बेटी ने चाय ही इतनी टेस्टी बनाई है कि मैं क्या करूँ....मेरा मन बार-बार अपनी बेटी के हाथ की चाय पीने के लिए ललचाए जा रहा है....बस एक कप और!!”
"नो....नेवर....." ध्रुवी ने मेड को बुलाकर चाय की ट्रे की ओर इशारा करते हुए कहा, “इसे ले कर जाइए यहाँ से!!!”
“प्लीज बस लास्ट कप??”
“नो मीन्स नो.....और अब बहाने बंद कीजिए....क्योंकि मैंने भी वही सेम चाय पी है.....जिसकी आप बेवजह इतनी तारीफ़ कर रहे हैं...और इसमें ऐसा कुछ भी खास नहीं.....(एक पल रुककर)......तो अब सीधा मुद्दे पर आइए.....क्योंकि मैं अच्छे से जानती हूँ कि जब कभी भी आपको मुझसे कोई इम्पोर्टेन्ट बात करनी होती है.......और आपको समझ नहीं आता कि आप बात कहाँ से और कैसे शुरू करें....तब आप हमेशा ऐसे ही बिहेव करते हैं....इसीलिए अब आप ज़्यादा सोचिए मत.....और जल्दी बताइए कि आखिर बात क्या है.....और आखिर किस बात ने आप को यूँ.....और इतना परेशान किया हुआ है???”
“हम्मम.....तुम्हारे अंदाजे कभी गलत हुए हैं.....जो आज गलत होंगे.......खैर ठीक है.....तो फिर मैं सीधा मुद्दे पर ही आता हूँ.....(ध्रुवी की ओर देखकर एक पल बाद)....सच-सच बताना ध्रुवी कि तुम्हारी ज़िंदगी में आखिर मेरी क्या और कितनी अहमियत है?”
“ये कैसा सवाल है डैड....आप जानते हैं कि आप मेरे लिए क्या हैं!!”
“मैं फिर भी तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ!!”
"डैड.....आप मेरे लिए सिर्फ मेरे डैड नहीं हैं....." ध्रुवी ने अपने डैड का हाथ अपने हाथों में थामते हुए कहा, “....बल्कि आप मेरे लिए माँ-बाप.....भाई-बहन.....मेरे मेंटोर.....मेरे बेस्ट फ्रेंड.....मेरे भगवान हैं आप मेरे लिए.......एंड यू नो दैट वेरी वेल डैड!!!”
“अगर वाकई ऐसा है ध्रुवी.......और तुम मुझे वाकई दुनिया के किसी भी और दूसरे रिश्ते से बढ़कर चाहती हो.....और मुझमें.....मेरे साथ.....कई रिश्तों को एक साथ जीती हो.....और इन सबसे अलग.....मुझे अपना एक अच्छा-अच्छा दोस्त समझती हो....तो फिर आखिर तुमने क्यों मुझसे इतना बड़ा झूठ बोला?.....और आखिर क्यों एक पल को भी बिना मेरे बारे में सोचे.....तुमने इतना बड़ा कदम उठाया???.....क्यों ध्रुवी???.....क्यों????”
“कैसा झूठ डैड??.....और कौनसा कदम के बारे में बात कर रहे हैं आप आखिर???.....मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा डैड.....प्लीज़ साफ़-साफ़ कहें कि आखिर बात क्या है????.....और किया क्या है मैंने???”
“तो साफ़-साफ़ सुनो फिर.....(एक पल रुककर).......तुमने उस दिन क्या कहा था.....कि हॉस्टल की बिल्डिंग से एक्सीडेन्टली तुम्हारा पैर स्लिप होने की वजह से तुम्हें वो गंभीर चोटें लगी थीं.....लेकिन हकीकत तो कुछ और ही थी ना ध्रुवी...(मि.सिंघानिया ने अपनी नज़रें झुकाए बैठी ध्रुवी की ओर देखते हुए कहा)......हम्मम????........(एक पल रुककर नाराज़गी भरे लहज़े से अपने दांत पीसते हुए)......हकीकत में तो तुम उस फिजूल लड़के.....उस आर्यन के लिए....उसकी ना की वजह से....उस बिल्डिंग से बिना अपनी जान की रत्ती भर भी फ़िक्र किए बिना खुद कूदी थी.....(नाराज़गी भरे लहज़े से अपनी नज़रें झुकाए बैठी ध्रुवी से)....एम आई राइट मिस ध्रुवी सिंघानिया???”
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