कुछ पल बाद, अचानक आर्यन का सब्र टूट गया। उसने गुस्से से अपनी मुट्ठी मेज़ पर मार दी। यह देखकर मिस्टर सिंघानिया एक पल के लिए स्तब्ध हो गए। मिस्टर सिंघानिया का आर्यन की खुद्दारी और नियत पर उंगली उठाना आर्यन के गुस्से की सीमा तोड़ गया था। उसके चेहरे पर गुस्सा और नाराज़गी साफ़ झलक रही थी। शायद अगर मिस्टर सिंघानिया की जगह कोई और होता, तो आर्यन उसे मुंहतोड़ जवाब देता। मगर मिस्टर सिंघानिया उसकी प्रेरणा थे, और उससे भी बढ़कर ध्रुवी के पिता। इसलिए आर्यन ने अपनी हद में रहकर ही जवाब दिया।
आर्यन (गंभीरता से): बस कीजिए, बहुत हो गया। मैं आपकी इज़्ज़त करता हूँ और आपको अपनी प्रेरणा मानता हूँ। इसका यह मतलब हरगिज़ नहीं है मि. सिंघानिया कि आप इस तरह से मेरी आत्म-सम्मान और नियत पर उंगली उठाकर मुझे बेइज़्ज़त करें।
मि. सिंघानिया (नाराज़गी भरे लहजे से): ना तो मैं तुम्हारी आत्म-सम्मान पर उंगली उठा रहा हूँ, ना ही तुम्हारी नियत पर कोई सवाल। मैं तो तुम्हें हकीकत बता रहा हूँ मिस्टर आर्यन। यू नो व्हाट, जब मैं पहली बार हॉस्पिटल में तुमसे मिला था, तो मुझे लगा था कि तुम बहुत मेहनती और अच्छे लड़के हो। और यह सुनकर कि तुमने मेरी बेटी की जान बचाई है, मेरी नज़रों में तुम्हारी इज़्ज़त और एहसान बहुत बढ़ गए थे। लेकिन आज जब मुझे पता चला कि मेरी बेटी की उस हालत के ज़िम्मेदार तुम थे, और तुम्हारी वजह से उसने बिना एक पल सोचे अपनी जान देने की कोशिश की, बल्कि मुझसे और सब से झूठ भी कहा, अपने पिता से झूठ कहा जिससे आज तक उसने कोई बात नहीं छुपाई थी। और जब आज मेरी आँखों के सामने मेरी बेटी की वह हालत हुई, जो उस दिन तुम्हारी वजह से उसके उस कदम की वजह से हुई थी, और वह हॉस्पिटल के बिस्तर पर मरने वाली हालत में पहुँच गई थी, तो मेरा मन किया कि उसी पल तुम्हारी जान अपने हाथों से ले लूँ, खत्म कर दूँ तुम्हें, अपनी बेटी की ज़िन्दगी से तुम्हारा नामोनिशान भी मिटा दूँ। लेकिन मैं नहीं चाहता कि तुम्हारी वजह से मैं अपनी बेटी को खो दूँ। इसीलिए अब पहले मैं तुम्हारा असली चेहरा और इरादा उसके सामने प्रकट करूँगा, ताकि वह खुद तुम्हें अपनी ज़िन्दगी से बाहर कर दे। और उसके बाद अपनी बेटी के हर एक ज़ख्म और दर्द का बदला लूँगा तुमसे।
आर्यन (कॉन्फिडेंस भरी स्माइल के साथ): कोशिश करके देख लीजिए, यकीनन नाकाम ही रहेंगे। क्योंकि आपकी बेटी अपनी जान से ज़्यादा मुझे चाहती है। (एक पल बाद गंभीरता भरे एक्सप्रेशन के साथ) और रही बात आपके सवालों की या आपकी बेटी के जान देने की कोशिश की, तो खुद अपनी बेटी से ही पूछ लीजिएगा कि वह खुद मेरे पीछे आई थी या मैं उसके पीछे गया था। क्योंकि पिछले बीते अरसे में मैंने उससे ठीक से कभी बात तक नहीं की थी। लेकिन वही थी जो अपनी ज़िद पर अड़ी थी और वही थी जो चाहती थी कि बाय हूक और बाय क्रूक मैं उसके प्रपोज़ल को एक्सेप्ट करूँ।
मि. सिंघानिया (एक पल के लिए तिरछी मुस्कान के साथ): यही तो असल में तुम्हारा प्लान था मिस्टर आर्यन, कि ध्रुवी की नज़रों में खुद को दूसरों से अलग दिखाओ, उसे इग्नोर करो, इवन उसके सामने प्रपोज़ करने के बाद भी उसके प्रपोज़ल को ठुकरा दो, ताकि तुम उसकी नज़रों में और भी ज़्यादा महान और अलग बन सको। (अचानक ही कठोर और सख्त भाव से) लेकिन मैं ना तो अपनी बेटी की तरह नादान हूँ और ना ही मासूम। मैं तुम जैसे लोगों की चाल और नियत को अच्छे से जानता भी हूँ और समझता भी हूँ, और मैं अपनी बेटी को किसी भी कीमत पर तुम्हारे जाल में नहीं फँसने दूँगा।
आर्यन (बेफ़िक्री से मुस्कुरा कर): यू नो व्हाट मि. सिंघानिया, अब आप इसे मेरी चाल कहें या मेरा फेंका हुआ जाल, लेकिन आज की हकीकत यह है मिस्टर सिंघानिया कि आपकी बेटी मेरे लिए पूरी दुनिया तो क्या, बल्कि आपके लिए भी ठोकर मार सकती है। और अगर मुझ पर यकीन ना हो, तो शौक से आज़मा कर देख लीजिएगा। आई बेट यू कि हार आपकी ही होगी।
मि. सिंघानिया (गुस्से से लगभग चिल्लाते हुए): बकवास बंद करो, ऐसा कभी नहीं होगा और मेरी बेटी इस पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा मुझे चाहती है और वह किसी के लिए भी कभी भी मुझे ठुकराकर नहीं जा सकती।
आर्यन (सामान्य भाव से): वैल, चिल्लाने से हकीकत बदली नहीं जा सकती मिस्टर सिंघानिया। और रही बात ध्रुवी को लेकर हमारे कॉन्फिडेंस की, तो यह तो भविष्य में ध्रुवी ही तय करेगी और हम दोनों ही उसके फैसले के साक्षी होंगे कि आखिर भविष्य में वह हम दोनों में से किसका चुनाव करती है। (एक पल रुक कर) एंड फॉर योर काइंड इनफॉर्मेशन, आपको बता दूँ कि आपकी बेटी के अपनी जान देने के कदम को उठाने के बाद ही मैंने इस रिश्ते को एक मौका देने का फैसला किया था, जिसे आपकी बेटी ने खुशी-खुशी एक्सेप्ट किया। और आई प्रॉमिस अगर आपकी बेटी मेरी ज़िन्दगी से जाना चाहती है या आप खुद अपनी बेटी को मेरी ज़िन्दगी से निकाल पाएँ, आई प्रॉमिस कि मैं बिना कुछ कहे, खामोशी से आपकी बेटी की ज़िन्दगी से हमेशा-हमेशा के लिए दूर चला जाऊँगा। लेकिन अगर आपकी बेटी ने मुझे चुना, तो आपको भी यह वादा करना पड़ेगा कि आप हमारी ज़िन्दगी में कोई भी समस्या नहीं पैदा करेंगे और कभी हमारे रास्ते के बीच में नहीं आएँगे।
मिस्टर सिंघानिया (गंभीर भाव से): मंज़ूर है मुझे।
आर्यन: तो फिर ठीक है। आप मुझे अपनी बेटी से दूर करने के लिए अपना 100% दीजिए और मैं अपनी मोहब्बत में अपना 100% देता हूँ और देखते हैं फिर कि आखिर जीत किसके हिस्से में आती है। (एक पल रुक कर) फ़िलहाल, भविष्य की बातें भविष्य पर ही छोड़ देते हैं और अभी मैं चलता हूँ। नाइस टू मीट यू मिस्टर सिंघानिया, हैव अ गुड डे।
इतना कहकर आर्यन कुर्सी से खड़ा हुआ और बिना एक पल रुके मि. सिंघानिया के केबिन से बाहर निकल गया। मिस्टर सिंघानिया गुस्से से उसे जाते हुए देखते रहे। दूसरी तरफ़ आर्यन बाहर खड़े होकर ऑटो का इंतज़ार कर रहा था कि अचानक उसका फ़ोन बजा। आर्यन ने फ़ोन पर ध्रुवी का नाम देखा तो उसने फ़ोन रिसीव किया।
आर्यन: हेलो?
ध्रुवी (नॉनस्टॉप एक ही सवाल दागते हुए): हेलो, कहाँ हो आर्यन तुम? और कैसा रहा तुम्हारा इंटरव्यू? अच्छा तो हुआ ना? मतलब सब ठीक तो है ना? और तुमने कुछ खाया? और…
आर्यन: अरे! अरे! अरे! ब्रेक मारो। इतने सारे सवाल एक साथ। इतने सवाल तो मेरे इंटरव्यू में भी नहीं पूछे गए जितने सवाल तुमने एक साथ एक साँस में मुझ पर दाग दिए।
ध्रुवी (मुस्कुराकर): हाँ तो, मैं कब से तुमसे बात करने के लिए इंतज़ार कर रही थी। मुझे सब जानना है कि कैसा रहा सब।
आर्यन (सोचते हुए): हाँ, अच्छा रहा सब। बाकी बातें मैं घर आकर करता हूँ और हाँ, बहुत जोरों से भूख लगी है तो प्लीज़ देख लेना।
ध्रुवी (मुस्कुराकर): डोंट वरी, आप बस जल्दी से घर आएँ बॉस, आपको खाना तैयार मिलेगा।
आर्यन (मुस्कुराकर): ओके, बाय, बस आता हूँ।
ध्रुवी (मुस्कुरा कर): बाय, टेक केयर।
इसके बाद आर्यन ने फ़ोन रख दिया और ध्रुवी बेसब्री से आर्यन के वापस आने का इंतज़ार करने लगी और वह बड़े ही चाव से उसके लिए खाना बना रही थी। खाना बनाने के बाद उसने टेबल पर खाना लगाया और बेसब्री से आर्यन का इंतज़ार करते हुए बार-बार दरवाज़े की ओर देखते हुए इधर-उधर चक्कर लगाने लगी। कुछ देर बाद डोरबेल बजी तो ध्रुवी एक्साइटेड होकर दरवाज़ा खोलने के लिए बढ़ गई। लगभग भागकर दरवाज़ा खोला तो सामने आर्यन को देखकर उसके होठों पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गई।
ध्रुवी (मुस्कुराकर चहकते हुए): गुड आफ्टरनून मि. मल्होत्रा।
आर्यन (मुस्कुरा कर अंदर आते हुए): गुड आफ्टरनून।
ध्रुवी (दरवाज़ा बंद करते हुए उत्सुकता से आर्यन की ओर देखकर): कैसा रहा तुम्हारा इंटरव्यू? और क्या कहा डैड ने? सब कुछ अच्छा तो रहा ना?
आर्यन (ध्रुवी की ओर देखकर एक हल्की सी मुस्कान के साथ): हम्मम… पहले खाना खा ले, बहुत तेज भूख लगी है, फिर इस बारे में आराम से बात करेंगे।
ध्रुवी (मुस्कुराकर): हम्मम… ओके, खाना तैयार है, बस तुम फ्रेश होकर आओ, मैं फटाफट से खाना सर्व करती हूँ।
आर्यन: हम्मम, बस अभी आया।
इसके बाद आर्यन फ्रेश होने के लिए अपने रूम में चला गया और जब तक आर्यन फ्रेश होकर आया, तब तक ध्रुवी ने बचा हुआ बाकी का खाना भी टेबल पर लगा लिया था और वह वही बैठकर उसका इंतज़ार कर रही थी। आर्यन भी आकर ध्रुवी के साथ वाली कुर्सी पर बैठ गया और उसने अपने सामने रखी डिश खोलकर देखा तो खुशी से उसका चेहरा खिल उठा। ध्रुवी ने उसके लिए उसके फेवरेट छोले-चावल और गाजर का हलवा बनाया था। आर्यन ने एक पल को सुखद अनुभूति से अपनी आँखें बंद करते हुए खाने की खुशबू महसूस की और जल्दी से ध्रुवी की ओर इशारा किया। ध्रुवी ने एक हल्की सी मुस्कान के साथ आर्यन की प्लेट में खाना परोसा और उससे खाना खाने का इशारा किया। आर्यन ने जैसे ही खाना लेकर पहली चम्मच अपने मुँह में रखी तो उसने सुखद अनुभूति से अपनी आँखें मूँदकर ध्रुवी की तारीफ़ की।
आर्यन (खाने के चटकारे लेते हुए): उम्म्म्म… यमी… सच में बहुत ही टेस्टी खाना बनाया है तुमने। इवन तुम हमेशा ही बहुत अच्छा खाना बनाती हो और फॉर श्योर यह बात मेरे लिए प्लस पॉइंट है।
ध्रुवी (अपनी ठोड़ी पर अपनी हथेली रखकर आर्यन की ओर देखते हुए): अच्छा जी और वो कैसे?
आर्यन (मुस्कुरा कर ध्रुवी की ओर देखते हुए): वो ऐसे मेरी जान, क्योंकि अब मैं तो हूँ खाने का बहुत बड़ा शौक़ीन और जब मेरी होने वाली बीवी इतनी लाजवाब कुक है तो ज़ाहिर है कि यह मेरे लिए प्लस पॉइंट है क्योंकि मुझे रोज-रोज इतना अच्छा और टेस्टी खाना खाने को मिलेगा।
ध्रुवी (मुस्करा कर): ओह तो बात यह है।
आर्यन (मुस्कुरा कर): बिलकुल यही बात है और वैसे भी यह तो पूरी तरह मेरी ही खुशकिस्मती है, वरना जिस ध्रुवी सिंघानिया की एक झलक देखने के लिए भी दुनिया पागल रहती है, वही द ग्रेट ध्रुवी सिंघानिया स्पेशली मेरे लिए खाना बनाती है। मतलब मेरे लिए तो यह बात सातवें आसमान पर उड़ने जैसी है।
ध्रुवी (मुस्कुरा कर): बस करो मेरे ड्रामेबाज, अपनी नौटंकी बंद करो और खाने पर ध्यान दो।
आर्यन: अरे, आई एम सीरियस यार।
ध्रुवी: हम्मम अब चाहे इसे अपनी खुशकिस्मती कहो या बदकिस्मती, लेकिन हर चीज़ में ज़िन्दगी भर गुज़ारा तो तुम्हें मेरे साथ ही करना पड़ेगा।
आर्यन (ध्रुवी को टीज़ करते हुए): हम्मम क्या कर सकते हैं, कोई दूसरा ऑप्शन भी तो नहीं है ना। ठीक है, अब जो भी जैसी भी मिली है झेल ही लूँगा, वरना पता चला कि दोबारा तीसरे-चौथे माले से कूद गई और फिर मुझे महीनों तक इतने भारी-भरकम वज़न को इधर से उधर गोद में उठाकर घूमना पड़ेगा।
ध्रुवी (अपना मुँह खोलते हुए): हौ आर्यन, यू आर सो बैड। (अपना मुँह दूसरी दिशा में घुमाते हुए) जाओ, मुझे तुमसे बात ही नहीं करनी।
आर्यन (हँसते हुए ध्रुवी को साइड हग करते हुए): अरे, मज़ाक कर रहा हूँ बाबा, जस्ट चिल। (एक पल रुक कर) अच्छा सॉरी, अब तो मान जाओ प्लीज़।
ध्रुवी (मुस्कुराकर): मानूँगी तो तब ना जब मैं तुमसे नाराज़ होंगी क्योंकि हकीकत तो यह है कि मैं तुमसे कभी भी चाहकर भी नाराज़ हो ही नहीं सकती।
आर्यन (मुस्कुराकर प्लेफुली ध्रुवी की नाक पकड़ते हुए): एंड आई नो दैट मेरी झल्ली। अच्छा अब जल्दी से तुम भी खाना खाओ, खाना ठंडा हो रहा है।
ध्रुवी ने आर्यन की बात सुनकर मुस्कुराते हुए अपनी प्लेट में खाना सर्व करने के लिए प्लेट उठाई कि आर्यन उसका हाथ पकड़कर अपनी खाने की प्लेट उसकी ओर बढ़ा देता है और खाते हुए उसे भी खाना खाने का इशारा करता है। ध्रुवी मुस्कुराकर आर्यन की प्लेट से ही खाना शुरू कर देती है। दोनों यूँ ही पूरे वक़्त अपनी बातें करते हुए खाना खा रहे थे। खाना खाने के बाद ध्रुवी ने सारा टेबल समेटा और दोनों के लिए कॉफ़ी बनाकर आर्यन के रूम में चली आई। आर्यन अपने फ़ोन में बिज़ी था। ध्रुवी को देखकर उसने फ़ोन साइड में रखा और उसे अपने पास बैठने का इशारा किया। ध्रुवी ने कॉफ़ी के मग साइड में टेबल पर रखे और आर्यन के सामने आकर बैठ गई। आर्यन के चेहरे पर गंभीरता देखकर ध्रुवी इतना तो समझ चुकी थी कि आर्यन ज़रूर उससे कोई सीरियस बात करने वाला है, लेकिन आर्यन का सवाल सुनकर ध्रुवी असमंजस से उसकी ओर देखने लगी।
आर्यन: डू यू लव मी ध्रुवी?
ध्रुवी (असमंजस भरे भाव से): यह कैसा सवाल है आर्यन?
आर्यन (गंभीर भाव से): जवाब दो मेरे सवाल का।
ध्रुवी (पूरी सच्चाई के साथ): …ऑफ़कोर्स आई लव यू… आई लव यू सो मच… एंड यू नो दैट वेरी वेल।
आर्यन (ध्रुवी का हाथ थाम कर): आई नो, लेकिन फिर भी मैं जानना चाहता हूँ कि तुम मुझे कितना चाहती हो और चाहने से भी ज़्यादा तुम मुझ पर भरोसा कितना करती हो?
ध्रुवी (असमंजस भरे भाव से): मैं समझी नहीं आर्यन कि तुम कहना क्या चाहते हो और आखिर बात क्या है? तुम मुझे साफ़-साफ़ बताते क्यों नहीं?
आर्यन (एक गहरी साँस ले कर गंभीरता से): अगर मैं यह कहूँ कि आज मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे लिए अपने प्यार को प्रूव करो तो तुम क्या करोगी? अगर मैं कहूँ कि अपने लिए मैं आज तुम्हारे प्यार को परखना चाहता हूँ तो?
ध्रुवी (पूरी दृढ़ता के साथ): तो मैं कुछ भी करूँगी और मैं तुम्हारे लिए अपने प्यार को प्रूफ़ करने के लिए अपनी जान भी दे दूँगी और यू नो दैट कि मैं सच में ऐसा कर सकती हूँ।
आर्यन (गंभीर भाव से): आई नो… आई नो दैट… लेकिन अगर वह चीज़ तुम्हारे लिए तुम्हारी जान से भी बढ़कर कीमती और अज़ीज़ हो तो?
ध्रुवी (एक पल सोचने के बाद): मेरे लिए मेरा कुछ भी तुमसे बढ़कर कभी नहीं हो सकता आर्यन, कभी भी नहीं।
आर्यन (ध्रुवी की ओर देख कर पूरी गंभीरता से): अगर वाकई ऐसा है और तुम मुझ पर सच में इतना भरोसा करती हो तो फिर ठीक है… आज हर मायने में पूरी तरह… (एक पल रुक कर) कर दो खुद को मेरे नाम… सौंप दो खुद को पूरी तरह मुझे… (एक पल रुक कर) अभी… इसी वक़्त और यहीं।
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