पूरे एक महीने बाद, काफी जिद और अनुरोध करने के बाद, आखिरकार मिस्टर सिंघानिया ने आर्यन की ज़िम्मेदारी पर ध्रुवी को कॉलेज जाने की इजाज़त दे दी थी। हालाँकि, पूरे कॉलेज में यह अफ़वाह फैल चुकी थी कि ध्रुवी और आर्यन रिलेशनशिप में आ चुके हैं। लेकिन ध्रुवी इस बात को खुद लोगों के सामने प्रमाणित करना चाहती थी, और इसीलिए वह जिद करके आर्यन के साथ कॉलेज जाने के लिए तैयार हुई।

आर्यन उसे लेने आया तो मिस्टर सिंघानिया ने ड्राइवर को उन दोनों को कॉलेज ले जाने के लिए कहा। लेकिन आर्यन ने अपनी स्वाभिमान के चलते ऐसा करने से मना कर दिया और खुद टैक्सी से आने की बात कही। ध्रुवी भी जानती थी कि आर्यन कितना स्वाभिमानी है, इसलिए उसने भी मिस्टर सिंघानिया से खुद टैक्सी में जाने की बात कही। हालाँकि, मिस्टर सिंघानिया इसके लिए तैयार नहीं थे, लेकिन वे कभी भी ध्रुवी की जिद के आगे जीत नहीं पाते थे, तो आखिर में यहाँ भी उन्होंने हार मान ली।

आर्यन के साथ ध्रुवी जैसे ही कॉलेज के बाहर टैक्सी से उतरी, वहाँ मौजूद सब लोगों के मुँह खुले के खुले रह गए। इसकी पहली वजह थी ध्रुवी का टैक्सी से आना और उससे भी बड़ी दूसरी वजह थी आर्यन का ध्रुवी के साथ आना। हालाँकि यह अफ़वाह फैल चुकी थी कि आर्यन और ध्रुवी साथ आ चुके हैं, लेकिन अभी भी लोग इसे सिर्फ़ अफ़वाह ही समझ रहे थे। मगर जब अब आर्यन और वह दोनों साथ कॉलेज आए, तो सबके मुँह खुले के खुले रह गए, ख़ासकर समीरा और उसके दोस्तों को तो जैसे काँटों से खून निकल रहा हो।

ध्रुवी ने समीरा को देखकर आर्यन की बाजू में अपनी बाजू डालते हुए जानबूझकर कराहने की आवाज़ निकाली। जिसे सुनकर आर्यन के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आईं और उसने जल्दी से अपनी एक बाजू को ध्रुवी के कंधे पर रखते हुए दूसरे हाथ से उसके हाथ को थाम लिया।

"तुम ठीक हो?? मैंने मना किया था ना कि तुम अभी कॉलेज आने के लिए ठीक नहीं हो, मगर तुम्हें तो सुनना ही नहीं होता कुछ!" आर्यन ने चिंतित स्वर में कहा।

"डोंट वरी इडियट, मैं बिल्कुल ठीक हूँ!" ध्रुवी ने मुस्कुराकर आर्यन की ओर देखते हुए कहा।

"अगर तुम ठीक हो, तो फिर अभी जो तुम कर रही थी, वह क्या था?" आर्यन ने असमंजस से पूछा।

"कुछ ख़ास नहीं, बस कुछ लोगों को अपने बेशुमार प्यार से जलाना था!" ध्रुवी ने सामने की ओर इशारा करते हुए कहा।

आर्यन ने ध्रुवी की बात सुनकर उसकी नज़रों को फॉलो करते हुए अपने ठीक सामने खड़ी समीरा और उसके दोस्तों को देखा, तो उसने झूठी नाराज़गी दिखाते हुए अपनी आँखें छोटी करते हुए ध्रुवी को घूरा।

"तुम नहीं सुधरोगी ना कभी?" आर्यन ने कहा।

"कभी भी नहीं। अब चले मि. मल्होत्रा?" ध्रुवी ने दिलकश मुस्कुराहट के साथ कहा।

"हम्मम, चलो अंदर!" आर्यन ने मुस्कुरा कर कहा।

पूरा दिन कॉलेज में ध्रुवी और आर्यन हॉट टॉपिक बने रहे। सब के सब किसी न किसी तरह से उन दोनों के बारे में ही बात कर रहे थे। कुछ लोग आर्यन की खुशकिस्मती का बखान कर रहे थे, तो कुछ लोग ध्रुवी की खुशकिस्मती की भी बातें बना रहे थे। कुल मिलाकर सभी लोगों की नज़रों में आर्यन और ध्रुवी बेस्ट कपल नज़र आ रहे थे। यूँ ही धीरे-धीरे वक़्त गुज़र रहा था। ध्रुवी के बाहरी और अंदरूनी दोनों ज़ख्म अब वक़्त के साथ भरने लगे थे और इस बीच आर्यन को इंटरव्यूज के बाद कई कंपनियों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली और कंपनियों ने आर्यन को उसके फ़ाइनल एग्जाम के बाद कंपनी ज्वाइन करने का ऑफ़र भी दे दिया था।

ध्रुवी और आर्यन दोनों कॉलेज के कैंटीन में बैठे थे। आर्यन ने जब यह बात आज ध्रुवी को बताई तो वह खुशी से खिल उठी।

"वाह! दैट्स अ ग्रेट न्यूज़! कांग्रेचूलेशन!" ध्रुवी ने खुश होकर कहा।

"थैंक्यू!" आर्यन ने मुस्कुरा कर कहा।

"आई नो दैट! मुझे तो तुम्हारी काबिलियत पर पहले से ही पूरा भरोसा है, एंड ऑलवेज नो की तुम्हें तो सेलेक्ट होना ही था!" ध्रुवी ने अपनी कॉफ़ी की सिप लेते हुए कहा।

"हम्मम!" आर्यन ने हल्की मुस्कुराहट के साथ कहा।

"क्या हुआ? तुम खुश नहीं हो? या फिर कोई और बात है जो तुम्हें परेशान कर रही है आर्यन?" ध्रुवी ने आर्यन की ओर देखकर पूछा।

"नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है। ऑफ़कोर्स मैं खुश हूँ, लेकिन टू बी ऑनेस्ट मैं अपनी इस कामयाबी से पूरी तरह 100% संतुष्ट नहीं हूँ। आई मीन मेरे जो ख़्वाब हैं, जो चाहते हैं, वो इन सारी जॉब्स से पूरी तरह मेल नहीं खाते। बट ठीक है, एज़ अ स्टार्ट, ये बेहतर विकल्प हैं!" आर्यन ने अपनी कॉफ़ी की सिप लेते हुए कहा।

"हम्मम! एंड ऑफ़कोर्स बूंद-बूंद से ही सागर बनता है!" ध्रुवी ने मुस्कुराकर कहा।

"ऑफ़कोर्स!" आर्यन ने मुस्कुरा कर कहा।

"अगर तुम कहो, तो क्या मैं डैड से इस बारे में बात..." ध्रुवी ने एक पल रुककर आर्यन की ओर देखते हुए कहा।

"नो! नो वे ध्रुवी! ऐसा करना तो दूर, ऐसा करने की कभी सोचना भी मत! क्योंकि मुझे अपने ख़्वाबों को, अपने जहां को अपनी काबिलियत के दम पर सँवारना है, किसी की सिफ़ारिश या मेहरबानी के बलबूते पर नहीं। प्रॉमिस मी कि तुम कभी भी ऐसा कुछ नहीं करोगी और ना ही मेरे बिना बोले कभी भी तुम मेरी प्रोफेशनल लाइफ़ में किसी भी तरह का कोई इंटरफ़ेयर करोगी!" आर्यन ने चेहरे पर गंभीरता से बीच में ही ध्रुवी की बात काटते हुए कहा।

"अच्छा बाबा! डोंट गेट सीरियस! एंड आई प्रॉमिस मेरे सत्यवादी हरिश्चंद्र कि तुम्हारी प्रोफेशनल लाइफ़ में मैं किसी भी तरह का कभी भी कोई इंटरफ़ेयर नहीं करूँगी। बेहतर?" ध्रुवी ने कहा।

"नो, मच बेहतर!" आर्यन ने मुस्कुरा कर कहा।

आर्यन की बात सुनकर ध्रुवी भी मुस्कुरा देती है। वक़्त अपनी रफ़्तार से गुज़र रहा था और देखते ही देखते गुज़रते वक़्त के साथ वह वक़्त भी आ गया जब कॉलेज के फ़ाइनल एग्जाम होने थे और कुछ ही वक़्त में फ़ाइनल एग्जाम भी हो गए। सुबह का वक़्त था, चारों ओर चिड़ियों की मधुर चहचहाट गूंज रही थी। आर्यन अपने कमरे में आईने के आगे खड़ा हुआ, जल्दी से अपनी शर्ट के बटन लगाते हुए तैयार हो रहा था। आज उसके लिए बहुत स्पेशल दिन था। आज सिंघानिया कंपनी में उसका इंटरव्यू था और सबसे बड़ी बात यह थी कि इस इंटरव्यू के लिए उसे खुद कंपनी ने ही अप्रोच किया था। और बेशक यह कंपनी ध्रुवी के डैड की थी, लेकिन आर्यन से वादा करने के बाद ध्रुवी ने कभी भी अपने डैड से उसकी कोई सिफ़ारिश नहीं की थी और ना ही वह आर्यन की प्रोफ़ेशनल लाइफ़ में किसी भी तरह की कोई दखलअंदाज़ी किया करती थी। और मि. सिंघानिया के अनुसार, उन्होंने आर्यन को सिर्फ़ उसकी काबिलियत और समझदारी की वजह से अप्रोच किया था। तो कह सकते थे कि यह इंटरव्यू आर्यन की अपनी काबिलियत के बलबूते पर ही उसकी झोली में आकर गिरा था।

आर्यन अपने बालों को सेट कर रहा था कि तभी ध्रुवी हाथ में नाश्ते की ट्रे लिए कमरे में आई और उसने कमरे में आकर टेबल पर ट्रे रखी और मुस्कुरा कर आर्यन की ओर बढ़ गई।

"सो ऑल सेट मि. मल्होत्रा?" ध्रुवी ने आर्यन की शर्ट के कॉलर को सेट करते हुए पूछा।

"यस, मिस कपूर, ऑल सेट! बस थोड़ा सा नर्वस फील कर रहा हूँ!" आर्यन ने मुस्कुरा कर अपना गले में अपनी बाँहों को डालते हुए कहा।

"मेरा आर्यन हर चीज़ में बेस्ट है और तुम्हें कोई कभी रिजेक्ट कर ही नहीं सकता। यू आर बेस्ट! तो तुम्हें बिल्कुल भी नर्वस होने की ज़रूरत नहीं है। ओके?" ध्रुवी ने प्यार से आर्यन के चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए कहा।

"हम्मम ओके बॉस!" आर्यन ने प्यार से ध्रुवी के माथे को चूमकर कहा।

"चलो अब जल्दी से नाश्ता कर लो, वरना इंटरव्यू के लिए देर हो जाएगी!" ध्रुवी ने आर्यन की बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहा।

"हम्मम!" आर्यन ने कहा।

नाश्ता करने के बाद ध्रुवी ने आर्यन को ऑल दी बेस्ट बोला और आर्यन ध्रुवी को बाय बोलकर जल्दी से इंटरव्यू के लिए निकल गया। यूँ तो ध्रुवी ने आर्यन से खुद के उसके साथ चलने के लिए कहा, लेकिन आर्यन ने उसे अपने साथ आने से मना कर दिया और उसे यही रहकर उसका इंतज़ार करने को कहा। आर्यन कैब लेकर इंटरव्यू देने के लिए सिंघानिया कंपनी में पहुँचा, जो एक बड़ी सी शानदार बिल्डिंग के अंदर बना हुआ था और जहाँ की हर छोटी से छोटी चीज़ भी कीमती और यूनिक थी। पूरे ऑफ़िस की सुविधाएँ और डेकोर किसी सेवन स्टार होटल की तरह ए-वन था। आर्यन ऑफ़िस पहुँचकर रिसेप्शन पर पहुँचा। रिसेप्शनिस्ट ने आर्यन को थोड़ा इंतज़ार करने के लिए कहा। आर्यन वहीं पास ही बने वेटिंग एरिया में बैठ गया और गौर से ऑफ़िस और उसके इंटीरियर को देखकर अपनी सक्सेस के बारे में सोचते हुए अपनी ही सोच में गुम हो गया। कुछ देर बाद रिसेप्शनिस्ट ने आर्यन को इंटरव्यू के लिए अंदर जाने के लिए कहा। आर्यन ने एक गहरी साँस ली और फिर कैबिन की ओर अंदर जाने के लिए बढ़ गया।

"मैं आ सकता हूँ सर?" आर्यन ने कैबिन के दरवाज़े से पूछा।

"कम इन!" कैबिन के अंदर से आवाज़ आई।

आर्यन इजाज़त मिलने के बाद कैबिन के अंदर जाता है तो सामने खुद मि. सिंघानिया को देखकर उसके चेहरे पर एक्साइटमेंट, नर्वसनेस, खुशी और अविश्वास जैसे भाव उभर आए थे। हालाँकि ऐसा नहीं था कि वह मि. सिंघानिया से पहली बार मिल रहा था, लेकिन एज़ अ बिज़नेसमैन और बॉस वह उन्हें पहली बार देख रहा था, जिनके सामने आज उसका इंटरव्यू था। वह ध्रुवी के पिता नहीं, बल्कि यहाँ के वन ऑफ़ दी बेस्ट एंड फ़ेमस बिज़नेसमैन थे। शायद यही वजह थी उसकी नर्वसनेस की।

"सिट डाउन!" मि. सिंघानिया ने कुर्सी की ओर इशारा करते हुए कहा।

"थैं...थैंक्यू सर!" आर्यन ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा।

मि. सिंघानिया ने आर्यन के चेहरे पर थोड़ी नर्वसनेस के भाव देखकर उसकी ओर पानी का ग्लास बढ़ाते हुए कहा, “टेक इट!”

आर्यन ने बिना कुछ बोले एक साँस में ग्लास का पानी गटकते हुए कहा, “थैंक्यू सर!”

"नाउ फीलिंग रिलेक्स एंड बेहतर?" मि. सिंघानिया ने बिना किसी भाव के पूछा।

"यस सर!" आर्यन ने कहा।

"सो शुरू करें?" मि. सिंघानिया ने पूछा।

"ऑफ़कोर्स सर!" आर्यन ने पूरे कॉन्फ़िडेंस के साथ कहा।

"हम्मम तो आर्यन, आर्यन मल्होत्रा, राइट?" मि. सिंघानिया ने पूरी प्रोफ़ेशनल टोन के साथ पूछा।

"जी सर!" आर्यन ने कहा।

"टेल मी समथिंग अबाउट योर सेल्फ़? लाइक अपनी फैमिली, बैकग्राउंड एंड ऑल!" मि. सिंघानिया ने कहा।

"ओके सर, दरअसल सर मेरी फैमिली में कोई नहीं है, इवन इस पूरी दुनिया में मेरी फैमिली में कोई नहीं है। आई मीन मेरी फैमिली के नाम पर मेरे पेरेंट्स ही थे, लेकिन कुछ सालों पहले एक एक्सीडेंट में मेरे पेरेंट्स की डेथ हो गई। तब से मैं अकेला ही हूँ सर!" आर्यन ने एक गहरी साँस ले कर कहा।

"ओह! सॉरी फ़ॉर योर लॉस! जाना कर दुःख हुआ!" मि. सिंघानिया ने कहा।

"इट्स ओके सर!" आर्यन ने कहा।

"वैल फिर बिना सहारे या फैमिली के तुमने अपनी एजुकेशन कैसे पूरी की?" मि. सिंघानिया ने पूछा।

"स्कॉलरशिप से सर!" आर्यन ने कहा।

"ओह्ह्ह्ह! इसका मतलब तुम समझदार और मेहनती भी हो, सिर्फ़ चालाक नहीं हो। लेकिन मैं समझ सकता हूँ कि जब कोई भी इंसान अपनी ज़िंदगी का एक बड़ा हिस्सा स्ट्रगल और ऐसी मेहनत करते हुए गुज़ारे, तो कहीं ना कहीं एक पॉइंट पर आकर रुक जाता है और वह भी चाहता है कि वह कोई ऐसा शॉर्टकट या तरीका ढूँढ निकाले कि एक पल में उसकी यह मेहनत और स्ट्रगल ख़त्म हो जाए!" मि. सिंघानिया ने कहा।

"मैं कुछ समझा नहीं सर, आप कहना क्या चाहते हैं?" आर्यन ने असमंजस से पूछा।

"वैल मुझे यह बताओ कि तुमने शादी के बारे में क्या सोचा है? आई मीन कब तक तुम यह फ़ैसला लेने वाले हो?" मि. सिंघानिया ने आर्यन के सवाल को इग्नोर करते हुए पूछा।

"मुझे सच में नहीं समझ आ रहा कि आप मुझसे ऐसे सवाल क्यों कर रहे हैं? और आखिर इस जॉब से मेरी शादी का और पर्सनल लाइफ़ का क्या ताल्लुक है?" आर्यन ने असमंजस भरे भाव से पूछा।

"बेशक इस जॉब से तुम्हारी पर्सनल लाइफ़ और शादी का कोई ताल्लुक नहीं है, लेकिन मुझसे है, क्योंकि जिस लड़की को फँसाकर तुम आजकल शादी के सपने दिखा रहे हो, वो लड़की मेरी बेटी है। वैसे कुछ ना कुछ तो क्वालिटी ज़रूर है तुम में, तभी मेरी समझदार और माइंडेड बेटी को भी इतनी आसानी से अपनी बातों और दिमाग के जाल में फँसा लिया!" मि. सिंघानिया ने एक पल रुककर तंज भरे लहजे में कहा।

आर्यन को अब मिस्टर सिंघानिया की कही गई बातों के पीछे का मतलब अच्छे से समझ आ गया था और उसके चेहरे के भाव अब गंभीर हो गए थे। अपना गुस्सा कंट्रोल करने के लिए उसने अपनी मुट्ठी को कसकर बंद कर लिया था, लेकिन हर बढ़ते पल के साथ मि. सिंघानिया की बातें सुनकर उसका गुस्सा निरंतर बढ़ता ही जा रहा था। कुछ पल बाद एकाएक आर्यन के सब्र का बाँध टूट गया और उसने गुस्से से अपनी मुट्ठी को टेबल पर दे मारी। जिसे देखकर एक पल को मिस्टर सिंघानिया भी स्तब्ध होकर खामोश हो गए थे।

 

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