मि० सिंघानिया ध्रुवी का सिर थपथपाते रहे। कुछ ही देर में ध्रुवी दवा और इंजेक्शन के असर से गहरी नींद में सो गई। उसके सोने के बाद मि० सिंघानिया ने उसका माथा चूमा, उसे कंबल ओढ़ाया और आर्यन व डॉक्टर के साथ कमरे से बाहर निकल आए।

तब तक प्रिंसिपल और बाकी स्टाफ को भी ध्रुवी का बयान मिल चुका था। उनकी अटकी साँसें ध्रुवी के बयान के बाद सामान्य हुईं।

मि० सिंघानिया के बाहर आने के कुछ देर बाद सभी ने उनसे विदा ली और वहाँ से चले गए। मि० सिंघानिया ने आर्यन को भी आराम करने को कहा, तो वह मिहिर के साथ वापस हॉस्टल लौट आया।

फ्रेश होने और नहाने के बाद आर्यन बिस्तर पर लेट गया। वह पूरी रात थका हुआ था, इसलिए बिस्तर पर लेटते ही उसे नींद आ गई। मिहिर ने उसे सोता देखा तो बिना डिस्टर्ब किए लंच करने नीचे चला गया।

दोपहर ढलकर शाम हो गई, मगर आर्यन सोया हुआ था। मिहिर ने कमरे की लाइट ऑन की तो आर्यन की नींद खुली। उसने आँखें मसलते हुए मिहिर से समय पूछा।

"क्या वक्त हुआ है?" आर्यन ने अपनी आँखें मसलते हुए पूछा।

"शाम के सात बज चुके हैं!" मिहिर ने उत्तर दिया।

"व्हाट! शाम के सात बज गए? मगर मुझे तो ध्रुवी से मिलने हॉस्पिटल जाना था! तूने मुझे क्यों नहीं उठाया?" आर्यन बिस्तर से उठते हुए बोला।

"तू इतने आराम से सो रहा था, सोचा कुछ देर आराम करने देतूँ!" मिहिर ने कहा।

"हाँ, लेकिन मैं ध्रुवी से मिलने लेट हो गया!" आर्यन ने बिस्तर छोड़ते हुए कहा।

"ठीक है, उससे मिलने जाना, लेकिन पहले कुछ खा ले। तूने कल रात से कुछ नहीं खाया!" मिहिर ने थाली की ओर इशारा करते हुए कहा।

"हम्मम… मैं आता हूँ फ्रेश होकर!" आर्यन ने हाँ में सिर हिलाते हुए कहा।

 

आर्यन फ्रेश होकर आया और अपने बिस्तर पर बैठते हुए मिहिर की लाई हुई थाली से खाना खाने लगा। खाना खाते हुए उसने मिहिर की शक भरी निगाहें खुद पर देखीं और अपनी भौंहें उठाते हुए मिहिर की ओर देखा।

"व्हाट… ऐसे क्यों घूर रहा है, जैसे मैंने तेरी किडनी निकाल ली हो?" आर्यन ने पूछा।

"किडनी का तो पता नहीं, मगर मुझे ऐसा लग रहा है कि तेरे सीने से वो लड़की, ध्रुवी, तेरा दिल ज़रूर निकाल चुकी है!" मिहिर ने अपनी आँखें छोटी करते हुए कहा।

"ऐ… ऐसा कुछ भी नहीं है!" आर्यन झेंपते हुए बोला।

"बेटा, मुझसे चालाकी नहीं कर सकता तू, भले ही पूरी दुनिया से चालाकी कर ले, लेकिन मुझसे… ना… नेवर!" मिहिर ने कहा।

"हाँ तो तूने ही तो कहा था ना कि उसे एक चांस दे दूँ, तो बस तेरी बात का मान रखते हुए मैंने सोचा क्यों ना उसे एक चांस दे दिया जाए!" आर्यन ने खाना खाते हुए कहा।

"वाह बेटे वाह! क्या बात है! आज तक तो मेरी किसी बात का मान नहीं रखा तूने कमीने, इस बात का बड़ी जल्दी मान रख लिया!" मिहिर ने अपनी भौंहें उठाकर कहा।

"हाँ ना रख लिया, तो ठीक है ना अब… क्यों खुजली हो रही है तुझे? इज़्ज़त रास नहीं आती? मिल रही है तो रख ले!" आर्यन चिढ़कर बोला।

"तेरा मुँह दुखता है ये कहने में कि वो तुझे पसंद है या तू भी उसे चाहने लगा है!" मिहिर ने आर्यन की बाजू पर घूंसा जड़ते हुए कहा।

आर्यन ने एक पल मिहिर को देखा, अपनी चम्मच प्लेट में रखकर बोला, “आई डोंट नो ब्रो… कि मेरी फीलिंग क्या है… मुझे खुद समझ नहीं आ रहा… हाँ इतना ज़रूर है कि जब वो लड़की मेरे आसपास होती है तो मैं हमेशा उससे दूर भागने की कोशिश करता हूँ, लेकिन जब वह मेरे आसपास नहीं होती तो मैं हमेशा उसकी कमी महसूस करता हूँ। हालाँकि ये बात कभी भी मेरा दिमाग मानने के लिए तैयार नहीं होता, लेकिन मेरा दिल इस बात को हमेशा कहता है!”

"देख आर्यन, जितना मैंने ध्रुवी को समझा है, वह ऐसी बिल्कुल भी नहीं है जैसा लोग उसके बारे में कहते हैं। वो बिल्कुल अलग है। हाँ, थोड़ी रिजर्व्ड है, लेकिन वह सेल्फिश या गलत नहीं है, और तेरे मामले में तो बिल्कुल भी नहीं… (एक पल रुककर) आज के वक्त में जहाँ लोग प्यार मोहब्बत के नाम पर सिर्फ दिल से खेलते हैं, वहाँ उसने अपना प्यार प्रूफ करने के लिए बिना एक बार भी सोचे समझे सिर्फ तेरे लिए अपनी जान की बाज़ी तक लगा दी। तुझे उसे यह मौका देना चाहिए था और मैं खुश हूँ कि तूने उसे ये मौका दिया। और तू देखना कि एक दिन ऐसा आएगा जब तुझे अपने ही फैसले पर खुशी होगी कि तूने उस लड़की को अपने जीवनसाथी के रूप में चुना!" मिहिर ने गंभीर भाव से कहा।

"होप सो," आर्यन ने हल्की सी मुस्कान के साथ कहा।

 

कुछ देर बातें करने के बाद आर्यन तैयार होकर ध्रुवी से मिलने हॉस्पिटल के लिए निकल गया। हॉस्पिटल पहुँचकर उसने देखा मि० सिंघानिया ध्रुवी को अपने हाथ से सूप पिला रहे थे। जब उसने ध्रुवी की ओर देखा तो ध्रुवी ने नाराज़गी भरी नज़रों से उसे घूरा। आर्यन समझ गया कि यह नाराज़गी इसलिए है क्योंकि वह इतनी देर से आया है। मि० सिंघानिया की नज़रों से बचते हुए आर्यन ने ध्रुवी के सामने अपने कान पकड़े तो ध्रुवी ने नाराज़गी से मुँह फेर लिया।

ध्रुवी को सूप पिलाने के बाद आर्यन और मि० सिंघानिया के बीच थोड़ी औपचारिक बातें हुईं। मि० सिंघानिया थके हुए थे, इसलिए आर्यन ने उन्हें घर जाने को कहा, लेकिन मि० सिंघानिया ने साफ़ इनकार कर दिया कि वह ध्रुवी को अकेला छोड़कर कहीं नहीं जाएँगे। आखिर में जब ध्रुवी ने उनसे जाने की ज़िद की तो वे उसके आगे हार गए और उन्होंने आर्यन को ध्रुवी का ख्याल रखने को कहकर वहाँ से चले गए। उनके जाने का एक कारण यह भी था कि उन्हें अब आर्यन पर भरोसा हो गया था कि वह ध्रुवी का ख्याल रख सकेगा क्योंकि उसने उनकी बेटी की जान बचाई थी। उन्होंने अपने पहरेदारों को भी वहीं तैनात कर दिया था।

मि० सिंघानिया के जाने के बाद आर्यन उठकर ध्रुवी के बिस्तर के पास बैठ गया। यह देखकर ध्रुवी ने अपना चेहरा दूसरी ओर फेर लिया।

"उप्स! लगता है कोई बहुत ज़्यादा नाराज़ है मुझसे!" आर्यन ने ध्रुवी की ओर देखकर कहा।

"पर तुम्हें क्या फ़र्क पड़ता है किसी की नाराज़गी से!" ध्रुवी ने आर्यन को नाराज़गी से घूरते हुए कहा।

"बिल्कुल पड़ता है! अब मुझ जैसे मासूम इंसान में तुम्हारे गुस्से का ज्वालामुखी सहने की शक्ति कहाँ है!" आर्यन ने कहा।

"ज़्यादा ओवर स्मार्ट मत बनो और ये बताओ कहाँ थे तुम जो इतनी देर से यहाँ आए हो?" ध्रुवी ने आर्यन को घूरते हुए पूछा।

"सॉरी यार… वो मैं थक गया था तो जाकर सो गया था और सोते-सोते पता ही नहीं चला कि कब इतना वक्त गुज़र गया। और जैसे ही मेरी नींद खुली तो मैं फ़ौरन यहाँ आ गया। एम सॉरी!" आर्यन ने अपनी गर्दन खुरचते हुए कहा।

"इट्स ओके… मैं बस मज़ाक कर रही थी। अच्छा किया तुमने, वरना रात भर जागे रहने से बीमार हो जाते। और डोंट वरी, मैं सिर्फ़ मज़ाक कर रही थी। तुम्हारी टांग खींच रही थी, तो जस्ट चिल!" ध्रुवी मुस्कुरा कर बोली।

"अच्छा मुझे नहीं पता था कि तुम ये शरारतें भी करती हो!" आर्यन ने अपनी भौंहें उठाकर कहा।

"बिल्कुल करती हूँ और अब जब तुम मेरे साथ रहोगे तो तुम मुझे अच्छे से जान भी जाओगे और समझ भी!" ध्रुवी हौले से मुस्कुरा कर बोली।

 

ध्रुवी बहुत कमज़ोर थी और उसकी आवाज़ से यह बात साफ़ जाहिर हो रही थी, लेकिन आर्यन को सामने देखकर उसके चेहरे पर चमक और खुशी साफ़ दिख रही थी। कुछ देर बातें करने के बाद दवा और इंजेक्शन के नशे से ध्रुवी सो गई। आर्यन उसके सोने के बाद बिस्तर से उठा, उसे कंबल ओढ़ाया और खुद सोफ़े पर जाकर लेट गया।

धीरे-धीरे दिन गुज़रते गए, लेकिन अब ध्रुवी के लिए यह हॉस्पिटल और उसका कमरा बोरिंग हो गया था। उसका यहाँ रुकने का मन नहीं कर रहा था, लेकिन डॉक्टर ने उसे जाने की इजाज़त नहीं दी थी। मगर जैसे-तैसे अपनी ज़िद करके ध्रुवी ने पन्द्रह दिन बाद हॉस्पिटल से डिस्चार्ज ले लिया और वह घर आ गई।

हॉस्पिटल की तरह ही आर्यन यहाँ भी रोज़ मिलने आया करता था और कॉलेज में क्या चल रहा है या उसकी पढ़ाई कहाँ तक पहुँची, आर्यन ध्रुवी को यह सब बताता था और पढ़ाई में उसकी मदद भी करता था ताकि ध्रुवी पीछे न रह जाए। आर्यन को घर के सभी नौकर-चाकर जान चुके थे और मि० सिंघानिया तो आर्यन पर पहले से ही भरोसा करते थे, तो यहाँ आने-जाने के लिए उस पर कोई रोक-टोक नहीं थी।

 

धीरे-धीरे दिन गुज़रते गए, वक़्त के साथ ध्रुवी और आर्यन की मोहब्बत गहरी होती जा रही थी। हालाँकि मि० सिंघानिया की नज़रों से यह सब छुपा था। उन्हें ध्रुवी और आर्यन सिर्फ़ अच्छे दोस्त ही नज़र आते थे। शायद उनकी नज़रों में आर्यन का एहसान था जिसने ध्रुवी की जान बचाई थी, तो उस पर कोई शक करना या उसके बारे में कुछ भी उल्टा-सीधा सोचना मि० सिंघानिया के लिए मुमकिन नहीं था। उनके इसी भरोसे का नतीजा था कि आर्यन को कोई भी गार्ड या नौकर घर में आने से नहीं रोकता था और आर्यन को बिना किसी सुरक्षा के अंदर आने की इजाज़त थी। इधर दूसरी तरफ़ ध्रुवी की तो जैसे मुँह माँगी मुराद पूरी हो चुकी थी और आर्यन के रूप में उसे अपनी मोहब्बत मिल भी चुकी थी।

 

(एक महीने बाद…)

 

ध्रुवी के साथ हुए एक्सीडेंट को पूरा एक महीना बीत चुका था। लगभग ध्रुवी के ऊपरी घाव भर चुके थे, लेकिन अभी उसके हाथ का फ्रैक्चर पूरी तरह ठीक नहीं हुआ था। उस पर अभी भी प्लास्टर बंधा हुआ था। पन्द्रह दिन पहले ही आर्यन भी हॉस्टल से अपने किराए के फ़्लैट में शिफ़्ट हो गया था क्योंकि यह कॉलेज का आखिरी साल था और अब बस कुछ ही वक़्त में फ़ाइनल एग्ज़ाम होने बाक़ी थे। आर्यन को अब जॉब के लिए आए दिन इंटरव्यू के लिए कंपनी में जाना होता था। हॉस्टल से रोज़ इस तरफ़ आना-जाना उसके लिए मुश्किल होता था, इसलिए आर्यन अपने पर्सनल किराए के फ़्लैट में शिफ़्ट हो गया था जहाँ से उसे आसानी हो सके। ध्रुवी के लिए तो यह दुगनी खुशी थी क्योंकि अब जब भी उसका मन होता वो बिना किसी रोक-टोक के उससे मिल सकती थी।

बीते एक महीने में आर्यन और ध्रुवी के रिलेशनशिप की अफ़वाह लगभग पूरे कॉलेज में फैल चुकी थी और दोनों कॉलेज के मोस्ट हॉट एंड पॉपुलर कपल बन चुके थे। बीते एक महीने में आर्यन का झुकाव भी ध्रुवी की तरफ़ दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा था और उसकी केयर और ध्रुवी के लिए उसकी फ़िक्र, उसका ध्रुवी के लिए बेशुमार प्यार साफ़ झलकता था। दोनों की ज़िन्दगी अब एक-दूसरे के साथ होने से बेशुमार खुशियों से भरी लगने लगी थी। लेकिन क्या सच में चीज़ें जितनी आसान और स्मूथ नज़र आ रही थीं, वाक़ई में हमेशा ऐसे ही रहने वाली थीं या फिर शतरंज जैसी ज़िन्दगी की बिसात पर यह महज़ एक साज़िश थी, एक शुरुआत थी किसी की शह और मात की…!!

 

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