मि. सिंघानिया, नाराज़गी से दांत पीसते हुए बोले, “हकीकत में तो तुम उस लड़के, आर्यन के लिए, उसकी ना की वजह से, उस बिल्डिंग से बिना अपनी जान की रत्ती भर भी फिक्र किए, खुद कूदी थी। एम आई राइट, मिस ध्रुवी सिंघानिया?”

अपने पिता की बात सुनकर ध्रुवी ने अपनी नज़रें दूसरी ओर फेर लीं।

"लुक एट मी, ध्रुवी," मि. सिंघानिया ने नाराज़गी से कहा, “आई एम टॉकिंग टू यू!!”

ध्रुवी ने अपने पिता की ओर देखते हुए नज़रें झुकाकर कहा, “डैड, मैं...बस... (एक गहरी साँस लेकर) आई एम सॉरी, डैड!!”

मि. सिंघानिया ने गुस्से से कहा, “नो, यू आर नॉट। नहीं हो तुम अपने किए के लिए बिल्कुल भी सॉरी। नहीं हो। क्योंकि अगर तुम वाकई में सॉरी होतीं, तो तुम मुझसे हरगिज़ झूठ नहीं बोलतीं, ना ही मेरी फिक्र किए बिना, मेरे बारे में सोचे बिना, ऐसा कदम उठाने का ही सोचतीं। (थोड़ी भावुकता से) उस लड़के से मिले तुम्हें अभी सिर्फ़ चंद दिन हुए हैं, और उस चंद दिन की मोहब्बत ने तुम्हें, मेरी मोहब्बत से पल भर में रुसवा करवा दिया। (अपना सिर ना में हिलाते हुए) यू आर नॉट सॉरी। यू आर नॉट!!”

ध्रुवी ने दुखी होकर अपने पिता के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, “नो, डैड, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। आई लव यू, डैड। आई लव यू सो मच। आप मेरे लिए क्या हैं, ये मैं आपको शब्दों में जाहिर भी नहीं कर सकती। यू आर माय वर्ल्ड, डैड। प्लीज़ ऐसा मत सोचिए, डैड। प्लीज़!!”

मि. सिंघानिया ने दुखी भाव से कहा, “मेरे इतना कहने भर से तुम्हें इतनी तकलीफ़ हो रही है, तो सोचो ज़रा तुमने जो ये किया है मेरे साथ, बिना अंजाम की फिक्र किए, मुझ पर और मेरे दिल पर क्या बीत रही होगी तुम्हारे उस एक क़दम के बाद। (एक पल रुककर) क्या एक बार भी अपनी जान को यूँ जोखिम में डालते हुए तुम्हें मेरी याद नहीं आई, ध्रुवी? एक बार भी नहीं?? (भावुकता भरे स्वर में) तुमने एक बार भी नहीं सोचा कि अगर तुम्हें कुछ भी हो गया, तो मेरा क्या होगा? कैसे जीऊँगा मैं तुम्हारे बिना? तुम अच्छे से जानती हो कि मेरा पूरा परिवार, मेरी पूरी दुनिया हो तुम, तो आखिर कैसे कर सकती हो तुम मेरे साथ? क्या वो चंद दिनों पहले जुड़ा रिश्ता तुम्हारे लिए इतना ख़ास और अहम हो गया कि तुम्हारी ज़िंदगी में, तुम्हारे लिए अपने डैड की कोई वैल्यू या अहमियत ही नहीं रही?”

ध्रुवी ने मि. सिंघानिया के कंधे से गले लगकर भावुकता से कहा, “डोंट से दैट, डैड। प्लीज़ डोंट से दैट। आई एम सॉरी। आई एम रियली सॉरी, डैड। मैं जानती हूँ, मैंने जो कुछ भी किया वो गलत था, लेकिन मेरी ज़िंदगी में आपकी कोई अहमियत नहीं है, ये सरासर गलत है, डैड। क्योंकि मैं खुद की जान से बढ़कर आपको चाहती हूँ, डैड। मैं मानती हूँ उस वक़्त मैं जज़्बाती हो गई थी और जज़्बातों में आकर वो कदम उठा बैठी, लेकिन मैं सच में सॉरी हूँ, डैड। और आई प्रॉमिस, आई प्रॉमिस कि आइंदा मैं कभी भी ऐसी कोई हरकत नहीं करूँगी जिससे मेरे डैड को तकलीफ़ हो या थोड़ा भी दुख पहुँचे। (एक पल रुककर) आप मेरी ज़िंदगी हैं, डैड, और आपके लिए मेरे दिल में कभी प्यार कम नहीं हो सकता, कभी भी नहीं!!”

मि. सिंघानिया ने बिना किसी भाव के कहा, “अच्छा, और उस लड़के आर्यन की क्या जगह और अहमियत है आखिर तुम्हारी ज़िंदगी में?”

ध्रुवी ने अपनी सूखी होंठों पर ज़ुबान फ़िराते हुए कहा, “डैड, मैं...”

मि. सिंघानिया ने ध्रुवी की बात बीच में ही काटते हुए कहा, “मुझे सिर्फ़ सच सुनना है, ध्रुवी, सिर्फ़ सच!!”

ध्रुवी ने एक गहरी साँस लेते हुए कहा, “आपसे अलग होकर अगर मैं जी नहीं सकती, डैड, तो आर्यन के बिना भी मैं मर जाऊँगी, डैड। अगर आप मेरी ज़िंदगी हैं, डैड, तो आर्यन मेरी ज़िंदगी जीने की वजह है, डैड। आप अगर मेरे लिए मेरी दुनिया हैं, तो आर्यन उस दुनिया में बिखरे रंगों की तरह है जिसके साथ से मेरी ज़िंदगी में खुशियों के रंग बिखरे हैं। आप मेरा दिल हैं, तो आर्यन मेरी धड़कन। आप मेरी ज़िंदगी हैं, तो आर्यन मेरी साँसें हैं। और (भावुक होकर) और मैं नहीं रह सकती उसके बिना, डैड, नहीं रह सकती। आई लव हिम, डैड। आई लव हिम सो मच, डैड!!!!”

मि. सिंघानिया ने पूछा, “मुझसे भी ज़्यादा?”

ध्रुवी ने अपनी भीगी पलकें उठाकर मि. सिंघानिया की ओर देखते हुए कहा, “डैड...”

मि. सिंघानिया ने बीच में ही ध्रुवी की बात काटते हुए कहा, “अगर तुम्हें इन दोनों रिश्तों में से किसी एक रिश्ते को चुनना पड़े, तो तुम क्या करोगी, ध्रुवी? किसे चुनोगी?”

ध्रुवी हैरानी से खड़े होकर भावुकता से बोली, “डैड, प्लीज़ ऐसा मत कहिए। मैं कभी नहीं कर पाऊँगी ऐसा, कभी भी नहीं। मैं किसी एक को चुन ही नहीं सकती, डैड, क्योंकि मैं आप दोनों के ही बिना नहीं रह पाऊँगी, डैड, नहीं रह पाऊँगी!!”

मि. सिंघानिया ने गंभीर और सख़्त भाव से कहा, “तो तुम भी आज मेरी एक बात कान खोलकर सुन लो, ध्रुवी। मैंने तुम्हें हमेशा से लेकर आजतक भी कभी भी किसी भी चीज़ के लिए ना तो फ़ोर्स किया, और ना ही मना ही किया, और ना ही अब भी करूँगा। मैंने हमेशा बस तुम्हारा भला ही सोचा है, लेकिन उस लड़के आर्यन से शादी की इजाज़त मैं तुम्हें कम से कम इस जन्म में तो हरगिज़ से भी हरगिज़ नहीं दूँगा, क्योंकि वो लड़का ना तो तुम्हारे लायक है और ना ही तुम्हारे लिए किसी भी और मायने में ठीक ही है, और मैं तुम्हें खुद यूँ अपने हाथों से अपनी ज़िंदगी बर्बाद करने की इजाज़त हरगिज़ नहीं दे सकता, कभी भी नहीं!!”

ध्रुवी ने अपना सिर ना में हिलाते हुए कहा, “नहीं, डैड, ऐसा नहीं है, बल्कि आर्यन...”

मि. सिंघानिया ने ध्रुवी की बात बीच में ही काटते हुए सख़्त भाव से कहा, “तुम चाहे उस लड़के के लिए मुझे कितनी भी दलीलें या एक्सप्लेनेशन दे दो, लेकिन मेरी ना हरगिज़ हां में नहीं बदलेगी और ना ही मैं अपनी आखिरी साँस तक इस रिश्ते को मंज़ूरी दूँगा, और ये मेरा आखिरी फ़ैसला है!!”

इतना कहकर मि. सिंघानिया गुस्से भरे भाव से वहाँ से चले गए, और ध्रुवी लगातार उन्हें रोकने के लिए पुकारती रही, मगर वे नहीं रुके। ध्रुवी परेशान होकर अपने बालों में हाथ घुमाते हुए वहीं सोफ़े पर बैठ गई और टेंशन से अपने माथे पर उंगली फिराते हुए सोचने लगी कि आखिर अब वह कैसे इस सिचुएशन से बाहर आए। तभी ध्रुवी से मिलने के लिए दिशा और प्रिया वहाँ आती हैं और ध्रुवी के बुझे और परेशान चेहरे को देखकर उससे उसका कारण जानने की कोशिश करती हैं और ध्रुवी उन्हें अभी कुछ देर पहले हुई मि. सिंघानिया से अपनी सारी बातें बता देती है। ध्रुवी की सारी बात सुनने के बाद उसकी दोनों दोस्त भी उसके लिए परेशान हो उठती हैं। सब इसी उधेड़बुन में थे कि आखिर कैसे अब इस सिचुएशन से बाहर निकला जाए।

 

दिशा ने परेशान होकर पूछा, “अब फिर आगे क्या होगा, ध्रुवी? कुछ सोचा है तूने? क्या सॉल्यूशन निकलेगा इस प्रॉब्लम का?”

प्रिया ने कहा, “अंकल की बातें सुनकर तो ऐसा लग रहा है कि जैसे वे कभी भी इस रिश्ते को मंज़ूरी नहीं देंगे, तो फिर क्या तू आर्यन से... मेरा मतलब है कि तू क्या फ़ैसला लेने वाली है? तूने कुछ सोचा है?”

ध्रुवी ने चिंतित और परेशानी भरे स्वर में कहा, “आई डोंट नो। मुझे नहीं पता कि आगे क्या होगा और मैं क्या करने वाली हूँ, मगर मुझे इतना ज़रूर पता है कि मैं अपने डैड या आर्यन में से कभी भी किसी एक को नहीं चुन सकती, क्योंकि वे दोनों ही मेरे जीने की वजह और मेरी खुशी हैं, और इनमें से एक से भी अलग या जुदा होकर मैं एक पल के लिए भी नहीं रह पाऊँगी!!”

दिशा और प्रिया दोनों ही ध्रुवी की स्थिति को समझ रही थीं और उसके लिए फ़िक्रमंद भी हो रही थीं, क्योंकि ध्रुवी की तरह ही मि. सिंघानिया भी जिद्दी और अपनी बात पर अड़े रहने वाले इंसान थे, जिन्होंने अगर एक बार कुछ करने का ठान लिया, तो फिर वे किसी भी कीमत अपने कदम पीछे नहीं हटाते थे। कुछ देर ध्रुवी को समझाने और सांत्वना देने के बाद दिशा और प्रिया वहाँ से चली गईं। ध्रुवी परेशानी से लिविंग एरिया में इधर से उधर टहल रही थी कि कुछ देर बाद उसने आर्यन को कॉल किया और दूसरी तरफ़ आर्यन ने एक ही रिंग के बाद ध्रुवी की कॉल पिक कर ली।

 

ध्रुवी: “हैलो?”

आर्यन: “हैलो...हम्मम कहो?”

ध्रुवी: “कैसे हो तुम?”

आर्यन ने अपनी कलाई पर बंधी घड़ी में वक़्त देखते हुए कहा, “आई थिंक अभी तुम्हें यहाँ से गए 3 घंटे भी नहीं हुए हैं और तुम्हारी आँखों के सामने मैं बिल्कुल फ़िट एंड फ़ाइन था!!”

ध्रुवी: “हम्मम आई नो, बस मेरा मन थोड़ा परेशान था... (एक पल रुककर) और बस तुमसे मिलने का दिल चाह रहा था!!”

आर्यन: “ठीक है तो किसने रोका है तुम्हें? आ जाओ घर!!”

ध्रुवी: “नहीं, घर नहीं...कहीं बाहर मिलते हैं!”

आर्यन: “ओके, तो फिर तुम मुझे कॉलेज के पास वाले कैफ़े में मिलो!!!!”

ध्रुवी: “ठीक है, मैं बस 10 मिनट में वहाँ पहुँचती हूँ!!!”

आर्यन: “ओके...मगर ध्यान से आना!!”

ध्रुवी: “हम्मम डोंट वरी...बाय!!!”

आर्यन: “बाय!!”

इतना कहकर ध्रुवी ने फ़ोन कट कर दिया और जैसे ही वह अपना बैग लेकर लिविंग एरिया से बाहर मेन डोर के पास आती है, तो मि. सिंघानिया भी उसे अंदर आते हुए नज़र आते हैं, जो उसे देखकर वहीं रुक जाते हैं।

 

मि. सिंघानिया ने नाखुशी भरे लहज़े से कहा, “यकीनन इतनी जल्दी में तुम उस बदतमीज़ और आवारा लड़के से ही मिलने जा रही होगी?”

ध्रुवी: “डैड, प्लीज़...आर्यन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, तो आप उसके बारे में ऐसी बातें करना बंद कीजिए!!”

मि. सिंघानिया: “मैंने पहले भी कहा था और फिर यही दोहराऊँगा कि मुझे तुमसे उसके बारे में कोई एक्सप्लेनेशन नहीं चाहिए। तुम जहाँ जाना चाहती हो जा सकती हो, जिससे मिलना चाहती हो मिल सकती हो, लेकिन सिर्फ़ आज के लिए!!”

ध्रुवी ने असमंजस से पूछा, “मतलब आप कहना क्या चाहते हैं, डैड?”

मि. सिंघानिया ने गंभीरता से कहा, “मैंने कल अपने बिज़नेस पार्टनर के बेटे वंश के साथ तुम्हारी मीटिंग फ़िक्स की है और अगले हफ़्ते तुम्हारी वंश के साथ सगाई है। सो बी प्रिपेयर्ड फॉर दिस!!”

ध्रुवी ने शॉक और हैरानी भरे भाव से कहा, “व्हाट?? ये क्या कह रहे हैं आप, डैड? आप अच्छे से जानते हैं कि मैं आर्यन से प्यार करती हूँ और मैं उसी से शादी करूँगी, फिर भी आप बेवजह क्यों...”

मि. सिंघानिया ने ध्रुवी की बात बीच में ही काटते हुए कहा, “दिस इज़ फ़ाइनल। मुझे कुछ नहीं सुनना और मैं इस बात पर अब कोई बहस या आर्गुमेंट नहीं चाहता। तुम कल उस लड़के से मिल रही हो...मतलब मिल रही हो!!”

इतना कहकर मि. सिंघानिया वहाँ से अंदर की ओर चले गए और उनकी बात को सोचते हुए ध्रुवी ने पूरे गुस्से से अपने फ़ोन को ज़मीन पर दे मारा, जिसकी वजह से एक पल में ही उस कीमती फ़ोन के पुर्जे वहाँ चकनाचूर होकर बिखर गए।

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.