जिस रास्ते से माया की प्रेम कहानी निकली है, उस रास्ते की हकीक़त माया को ऐसे मोड़ पर लाएगी, जहाँ से उसका निकल पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन होगा। माया मुंबई से पुणे वापस आ चुकी है। मुंबई की हाई सोसाइटी पार्टी का क्रेज़ देखने के बाद, माया अपने मन में ठान लेती हैं कि वह अब अपने ड्रीम्स को लेकर और भी ज़्यादा डेडिकेटेड होगी, मगर माया जैसे ही घर आती है उसकी आई उसे शादी के लिए प्रेशराईज़ करने लगती है। हर बार की तरह इस बार भी माया, शादी की बात से इनकार कर देती है। एक तरफ़ उसकी आई है, जो टिपिकल इंडियन मदर की तरह रोज़ाना शादी की रट्ट लगाये रहती है, मगर माया, मुंबई की ग्लैमर्स दुनिया देखने के बाद, उस दुनिया का हिस्सा बनना चाहती थी। वह ये नहीं जानती थी कि इस चकाचौंध और रईसी वाली दुनिया की क़ीमत उसे बहुत महंगी pजिस रास्ते से माया की प्रेम कहानी निकली है, उस रास्ते की हकीक़त माया को ऐसे मोड़ पर लाएगी, जहाँ से उसका निकल पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन होगा। माया मुंबई से पुणे वापस आ चुकी है। मुंबई की हाई सोसाइटी पार्टी का क्रेज़ देखने के बाद, माया अपने मन में ठान लेती हैं कि वह अब अपने ड्रीम्स को लेकर और भी ज़्यादा डेडिकेटेड होगी, मगर माया जैसे ही घर आती है उसकी आई उसे शादी के लिए प्रेशराईज़ करने लगती है। हर बार की तरह इस बार भी माया, शादी की बात से इनकार कर देती है। एक तरफ़ उसकी आई है, जो टिपिकल इंडियन मदर की तरह रोज़ाना शादी की रट्ट लगाये रहती है, मगर माया, मुंबई की ग्लैमर्स दुनिया देखने के बाद, उस दुनिया का हिस्सा बनना चाहती थी। वह ये नहीं जानती थी कि इस चकाचौंध और रईसी वाली दुनिया की क़ीमत उसे बहुत महंगी पड़ने वाली है। इस वक़्त माया के ज़ेहन में एक ही बात घूम रही थी और वह है, अपने स्टैण्डर्ड ऑफ़ लिविंग को upgrade करने की। जिस दिन से माया, मुंबई से लौटी थी, उसने ये तय कर लिया था कि वह नौकरी के साथ-साथ अब सोशल मीडिया को भी अपने पैसे कमाने का ज़रिया बनाएगी ।

हमेशा से ही अपने सपनों के पीछे भागने वाली माया को कभी घरेलू काम को तवज्जोह देने की फुर्सत ही नहीं मिली, मगर फिर भी उसने बेसिक चीज़ें सीख रखी थी, ताकि अपने आई बाबा के कहीं जाने पर उसे भूख से बेहाल ना होना पड़े। इन दिनों माया के आई बाबा, महाबलेश्वर गए हुए थे। सो ऑफिस के साथ-साथ वह अपने घर के कुछ बेसिक काम जैसे, साफ़-सफाई, अपने और अपने छोटे भाई केशव के लिए खाना बनाना, कपड़े तह करके रखना, ऑफिस जाने से पहले पौधों को पानी देना वगैरह। माया का घर के काम करते वक़्त इरीटेशन लेवल काफ़ी बढ़ा होता है। इस वक्त उसे डिस्टर्ब करना मतलब खतरे को न्योता देने जैसा है। माया रात के खाने के सारे बर्तन साफ़ कर रही थी। उसी वक़्त उसके फ़ोन पर अननोन कॉल आता है। जिसे माया अपने साबुन वाले हाथ से उठाते हुए तंग आवाज़ में कहती है।

माया (खीजते हुए) : हैलो  

सौरभ (प्यार से) : किसका गुस्सा निकाल रही हो?

माया (सामान्य) : मोहित ... तुम हो...तुमने अननोन नंबर से क्यों कॉल किया है?

सौरभ (नर्मी से) : ये मेरा पर्सनल नंबर है। तुम जब चाहे इस नंबर पर कॉल कर सकती हो।

माया (धीमी आवाज़) : ओह

सौरभ (सवाल) : तुम अभी फ्री नहीं हो तो मैं बाद में कॉल करूँ?

माया (सामान्य) : हाँ बेटर है, मैं 15 मिनट  में फ्री होकर तुम्हें कॉल करती हूँ।

सौरभ से महज़ 25 सेकंड्स बात करने के बाद, माया ऐसे खिल रही थी, जैसे बरसो पुरानी सुखी ज़मीन पर मूसलाधार बारिश हो गई हो! सौरभ का कॉल आते ही, माया ने अपने काम करने की स्पीड को दुगुना कर दिया। प्यार में पड़े इंसान से दुनिया का मुश्किल से मुश्किल काम कराया जा सकता है अगर बदले में उसे, उसके महबूब के साथ थोड़ा वक़्त गुज़ारने को मिले। ठीक 15 मिनट बाद, माया ने सौरभ यानी मोहित को कॉल किया। पहले तो दोनों के बीच थोड़ी औपचारिकता से भरी बातें हुई जिसको आगे बढ़ाते हुए सौरभ ने माया को बताया की उसे हिन्दी में नाटक लिखना है। इस बात से माया काफ़ी इम्प्रेस हुई और उत्साहित होकर पूछा…

माया (चौंकते हुए) : वाओ, तुम्हें प्लेस लिखना पसंद है।

सौरभ (ख़ुशी से) : हाँ, स्कूल टाइम से ही, तब मैं सोशल इशुज़ पर छोटे-छोटे प्लेस लिखता था। कोलकाता में जब भी कोई नाटक लगता तब मेरी बहन और मैं ठाकुर्दा के साथ हर महीने नाटक देखने जाते।

माया (चहककर) : तुम्हें सुनकर ऐसा लगता है, तुम्हारा बचपन तो काफ़ी इंटरेस्टिंग रहा होगा...

सौरभ (गंभीरता से) : इसका भी किस्सा है, कभी किसी और रोज़ सुनाऊंगा।

माया (मसखरी करते हुए) : मुझे कॉल करने की कोई ख़ास वजह?

सौरभ (मुस्कुराकर) : नहीं बस याद आ गई तो कॉल कर लिया।

माया और सौरभ के बीच, बातों का सिलसिला जारी रहा। जहाँ, सौरभ एक बार फिर बड़े ग़ौर से माया को सुनते जा रहा था। क्लास में टॉप करने से लेकर अपने ग्रेजुएशन के सेकंड इयर में supplementary आने तक के सारे किस्से, माया, सौरभ को बता रही थी। कैसे उसने गवर्नमेंट एग्जाम ना देने की ज़िद पकड़ी और बी कॉम छोड़कर, मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएशन किया। सौरभ बस उसे रेडियो लिसनर की तरह सुनते जा रहा था। जिस इंसान को बरसों से किसी ने ठीक से नहीं सुना, आज उसे एक सुनने वाला मिल गया था। सौरभ की ये आदत ही माया को बार-बार उसकी ओर आकर्षित कर रही थी। कहने को तो माया अपनी आई से ख़ूब बातें करती थी, बाबा के साथ अपने काम को लेकर चर्चाएँ करती थी, हंसी मज़ाक भी करती थी। इस बीच वह भूल गई थी की, उसके भीतर कितनी बातें दबी हुई है। जज्बातों के उलझे हुए धागों का एक सिरा बस सौरभ ने खींचा, जिसके बाद माया उसके आगे बस खुलती चली गई. सौरभ के जिस सुनने की आदत को माया उसका प्यार, उसकी अच्छाई समझ रही थी, वह असल में सौरभ की चाल थी उसकी कमज़ोरियाँ समझने के लिए। इसी दौरान माया की दुखती नब्ज़ सौरभ के हाथ लग चुकी थी - माया ने बातों-बातों में सौरभ से अपने पहले प्यार में मिले धोखे का ज़िक्र किया, जहाँ माया ने उसे बताया कि किस तरह से उसके जज्बातों का मज़ाक पूरे फ्रेंड्स ग्रुप के आगे बना था। उसी वक़्त से माया किसी का भी इज़हार करने से डरती है। इसके बाद सौरभ पूरी तरह से समझ गया था की, सपनों के पीछे भागने वाली माया की कमज़ोरी मोहब्बत में ठहरना है। जैसे ही माया की बातें ख़त्म हुई । सौरभ ने ये बोलते हुए कॉल कट किया कि वह जितनी भी सख्त बनने की कोशिश कर ले,  मगर उसके भीतर का बचपना हमेशा ज़िन्दा रहेगा। माया की ज़िन्दगी में सौरभ पहला ऐसा अजनबी था जिसे वह अपना बनाने का सोच रही थी।

हमारे माँ बाप कुछ सोच समझकर ही बोला करते हैं, अंजान लोग अगर कुछ खाने का दें तो नहीं लेना, उनसे दोस्ती बिल्कुल मत करना, मगर यहाँ तो माया, अंजान शख़्स से प्यार करने लगे थी, उसे अपना आने वाला कल समझ बैठी थी।

कॉल कट होने के बाद माया के चेहरे पर सुकून था। खुलकर सुने जाने का सुकून। सौरभ से बातें करने के बाद, माया अपने आगे के काम की strategy बनाने में लग गई। उसने अपने सोशल मीडिया कॉन्टेंट को आगे बढ़ाने के लिए ऑनलाइन क्लास में खुद को enroll किया ताकि अपने वीडियोज़ को ट्रेंड पर ला सके। इसके साथ साथ, माया ने ये तय किया कि वह अपने कॉन्टेंट शूट करने के लिए पुणे के हिस्टोरिकल प्लेसेस पर जायेगी। माया को जैसे ही अपने काम से फुर्सत मिली, उसने आधी रात में सौरभ को कॉल करने का सोचा। पहले तो माया ने सौरभ के पर्सनल नंबर पर फ़ोन लगाया, मगर रिंग नहीं गई. दो तीन बार ट्राय करने पर भी जब बात नहीं बनी, तब माया ने सौरभ का ऑफिशियल नंबर ट्राय किया, जो उसे रात के 1: 30 बजे बिज़ी बता रहा था।

एक पल में ही माया के दिमाग़ ने सौरभ के ख़िलाफ़ सवाल उठाने शुरू कर दिए, माया का दिमाग़ पहली बार सौरभ को लेकर उलझ रहा था। माया बस इस सोच में थी कि कहीं उसके साथ फिर से वही चीज़ ना दोहराई जाए, जो सालों पहले हुई थी। वहीं दूसरी तरफ़ सौरभ ने जैसे ही माया का कॉल देखा, वह घबरा गया। सौरभ को लगा कि कहीं  उसका बना बनाया प्लान ना चौपट हो जाए. फ़ोन उठाते साथ ही सौरभ ने कहा।

सौरभ (प्यार से) : हाय, क्या हुआ? सब ठीक है?

माया (झिझकते हुए) : हाँ, सब ठीक है। सॉरी टू डिस्टर्ब यू, हम कल बात करते हैं।

सौरभ (परेशान होकर) : अरे कल क्यों, जब कॉल आज किया है, तो बात भी आज ही होगी।

माया (मायूस होकर) : पर तुम ऑलरेडी बिज़ी हो, मैं तुम्हारी पर्सनल स्पेस स्पोइल नहीं करना चाहती, प्लीज़ कंटिन्यू

सौरभ (नर्मी से) : मैं busy, तुम्हारा कॉल आने से पहले था। अब नहीं हूँ।

माया (धीमी आवाज़) : तुम्हें समझना आसान नहीं है।

सौरभ (नर्मी से) : तो फिर वह करो जो आसान है। सवाल पूछो

माया (सवाल) : सवाल, कैसे सवाल?

सौरभ (हक़ से) : यही की मैं इतनी रात गए कहाँ बिज़ी था।

माया (मायूस होकर) : मैं ये हक़ नहीं रखती।

सौरभ (ख़ुशी से) : तो रख लो अपना हक़ मुझ पर, मैं तो यही चाहता हूँ।

पहले तो माया को सौरभ की बातों पर यक़ीन नहीं हुआ। जिस माया की सांसें, सौरभ का कॉल बिजी सुनकर थम-सी गई थी, वह दोबारा तेज़ धड़कने लगी थी। सौरभ का झूठ, मक्खन की तरह माया के दिल में फिसलता हुआ, उसकी रूह में समा गया। हालांकि अभी दोनों ने एक दूसरे से अपने दिल की बात नहीं कही थी। पर दोनों समझ गए थे। माया अभी भी वक़्त लेना चाहती थी और सौरभ उसे जितना चाहे वक़्त दे रहा था। माया ने वक़्त देखा तो तीन बज रहे थे। उसने सौरभ को गुड नाईट कहा और सोने चली गई.

ये कहानी यहाँ नहीं रुकी। माया के कॉल कट करने के बाद, सौरभ ऑनलाइन डेटिंग एप पर अपने अगले शिकार से बातें कर रहा था। सौरभ के लिए, लड़कियाँ कपड़ों की तरह थी। जिन्हें वह कुछ दिन अपने पास रखता और मतलब निकल जाने पर जीते जी मरता छोड़ देता। सौरभ के लिए दिल तोड़ना अब नशा बन चुका था जिसमें उसे सही ग़लत कुछ समझ नहीं आता था।

आज एक पल के लिए सौरभ की जान, हलक तक आ गई थी। मगर हर बार की तरह इस बार भी सौरभ ने पासा अपने हाथों में ही रखा। सौरभ अपने ऑनलाइन डेट के साथ बातें कर ही रहा था, तभी सुबह के 4 बजे उसके फ़्लैट की घंटी बजी. सौरभ ने जैसे ही डोर ओपन किया, उसके सामने एक लड़की खड़ी थी। जिसके साथ सौरभ का वन नाइट स्टैन्ड का प्लान  था। जहाँ सौरभ बेवफाई की सीढ़ियाँ चढ़ रहा था, वहीं माया को सौरभ के सपने आने शुरू हो गए थे।

माया को सुबह उठते साथ पहली बार सुकून का एहसास हो रहा था। अपनी जिम्मेदारियों के बीच, माया ने कभी प्यार के एहसास को जगह ही नहीं दी थी। प्यार का पहला पड़ाव, माया को दुनिया का सबसे खूबसूरत मंज़र दिखाई दे रहा था। जिसके आगे वह कुछ भी देखने को तैयार नहीं थी। माया अपने और सौरभ के प्यार के सपनों का आशियाँ बना रही थी, तभी ऑफिस ग्रुप में मैसेज आया की इवनिंग रिपोर्टर की तबीयत ख़राब होने की वज़ह से वह छुट्टी पर है और शाम का भी शो माया को करना है। माया का हँसता हुआ चेहरा अचानक उदासी में तब्दील हो गया। माया के पास हाँ के अलावा ना तो दूसरा जवाब था ना ही विकल्प। मजबूरन एक बार फिर माया को सौरभ के ख्यालों पर ब्रेक लगाना पड़ा और अपनी ब्रेकिंग न्यूज़ की गाड़ी भगानी पड़ी।

हर रोज़ सपनों के पीछे भागती माया, क्या कर पाएगी सौरभ की हक़ीक़त का सामना? या सौरभ के इरादे भांप जायेगी। माया, सौरभ के प्यार में फंसती है या यु टर्न लेती है, ये तो वक़्त ही बताएगा।

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