भूषण के कमरे से निकलने के बाद, मंदिरा अपनी मेज़ की तरफ बढ़ी, हल्की बेचैनी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी। ऑफिस के दरवाजे के पास पहुँचते ही उसने जल्दी से दरवाजा बंद किया और अपनी आवाज़ में झिझक को छुपाने की कोशिश करते हुए अपने फोन पर फिर से एक वॉयस मैसेज रिकॉर्ड किया।
मंदिरा (धीमी आवाज़ में)- मैं पूरी कोशिश कर रही हूँ कि आपका सच छिपा सकूँ, भूषण को मुझ पर यकीन होने लगा है, लेकिन मैं ज्यादा दिन तक यह सब नहीं संभाल पाऊँगी।
मंदिरा एक पल के लिए रुकी, जैसे उसके शब्दों का असर खुद पर भी हो रहा हो, उसने एक गहरी सांस ली और मैसेज कर दिया। कुछ ही सेकंड बाद, दूसरी तरफ से एक वॉयस मैसेज आया। जिसमें एक अनजान औरत की आवाज़ थी, “तुम कर लोगी, मंदिरा, तुम्हें सच छिपाना होगा, क्योंकि तुम जानती हो ना क्या दाँव पर लगा है, अगर भूषण को कुछ भी पता चला तो नुकसान सिर्फ मेरा नहीं होगा” इस बात को सुनकर मंदिरा के चेहरे पर एक उदासी सी छा गई। उसकी आँखें झुक गईं, और उसने धीरे से फोन बंद करके टेबल पर रख दिया, उसे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उसके ऑफिस के बाहर कोई खड़ा उसकी बातें सुन रहा था। यह शख्स और कोई नहीं बल्कि राघव था, ऑफिस के बाहर राघव दरवाजे के पास खड़ा था, उसने पूरा वॉयस मैसेज नहीं सुना, लेकिन उस अनजान औरत की आवाज़ उसके कानों में गूँज रही थी, जिसे याद करते हुए कहा, ‘’यह मंदिरा... कहीं भूषण को कोई नुकसान तो नहीं पहुँचाने वाली?''
राघव के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं, वह इस सोच में गुम था कि आखिर यह सब हो क्या रहा है। उसने गहरी सोच में ऑफिस के दरवाजे को देखा और फिर वहाँ से चला गया। दूसरी ओर, भूषण अपने कमरे में अकेला बैठा था। दोपहर के खाने में अभी वक्त था, इसलिए उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया था, उसके सामने एक पुरानी फोटो एलबम खुली हुई थी, जिसे वह अपने साथ लाया था। वह पन्नों को पलटते हुए उस पल को याद कर रहा था जब वह रिनी के साथ goa गया था,॥ उसकी आँखों में वह पल तैरने लगे, जब रिनी के साथ वह समंदर किनारे बैठा हुआ था, और कैमरा लेकर लगातार हर छोटी बड़ी चीज़ की तस्वीरें खींच रहा था, जिसपर रिनी ने उससे हैरान होकर पूछा, ‘’हर चीज़ की तस्वीर लेते हो तुम? ऐसा क्यों?''
भूषण (मुस्कान के साथ)- मैं इन्हें हमेशा अपनी यादों में रखना चाहता हूँ। यह लम्हे... और यह तस्वीरें मुझे इन लम्हों की याद दिलाएंगी.. अगर मैं इन लम्हों को भूल भी गया तो..
रिनी ने भूषण को मुस्कुराकर देखा और फिर वह उठकर समंदर के करीब जाने लगी। भूषण एकटक उसे देखता रहा, आज भी भूषण की आँखों के सामने वह लम्हा ज़िंदा था, क्योंकि यह उसकी और रिनी की साथ में आखिरी trip थी। भूषण तस्वीरों को देखकर धीरे से मुस्कुराया, लेकिन फिर उसकी मुस्कान फीकी पड़ गई। उसने परेशान होते हुए कहा
भूषण (खुद से)- क्या से क्या हो जाता है? मैं तुम्हें भूलना नहीं चाहता था, रिनी... लेकिन अब मुझे तुम्हें भूलना है। मैं तुमसे बदला लेना चाहता था, लेकिन देखो ना... यहाँ आकर मैं वह बात तक भूल गया, मैं तुम्हारा बुरा सोच ही नहीं पाता। क्या तुम कभी मुझे याद करती होगी?
इतना कहकर भूषण ने एलबम का एक और पन्ना पलटा, तभी उसकी नज़र एक तस्वीर पर पड़ी, और उसके चेहरे के भाव बदल गए, उसकी आँखों में गुस्सा झलकने लगा.तस्वीर में उसके मम्मी-पापा थे, जिनके पास एक और कपल खड़ा था, तस्वीर में भूषण छोटा था, और उसके साथ एक लड़की खड़ी थी। भूषण ने तस्वीर पर हाथ फेरा और धीरे से बुदबुदाया, ‘’रिमझिम...''
भूषण तस्वीर को गौर से देख ही रहा था कि तभी राघव कमरे में आया।
राघव(सवाल), ‘’भूषण, तुम यहाँ किसके कहने से आए हो? मतलब, इस रिज़ॉर्ट के बारे में तुम्हें पता कहाँ से चला?''
भूषण पहले तो राघव के सवाल पर हैरान हुआ, फिर जवाब दिया।
भूषण (हैरान) - मेरा दोस्त है अविनाश। उसने बताया था... लेकिन क्यों?
राघव (रहस्यमयी )- नहीं, कुछ नहीं। वैसे तुम्हारी अपनी थेरेपिस्ट के साथ कैसी जम रही है?
भूषण- अच्छी है...अभी इतनी जल्दी क्या बताऊँ, लेकिन तुम यह सब क्यों पूछ रहे हो?
राघव- नहीं, बस यूँ ही, मैं बस यह कहना चाहता था कि उसके ज्यादा करीब मत जाना, एक दूरी बनाकर रखना...
भूषण को राघव की बात अटपटी लगी, लेकिन उसने कुछ कहा नहीं। तभी राघव की नजर भूषण के हाथ में पकड़ी तस्वीर पर पड़ी...
राघव (हैरानी से)- यह कौन है? तुम्हारी फैमिली?
भूषण ने तस्वीर को देखते हुए धीमे स्वर में जवाब दिया।
भूषण- उम्म... हाँ, कभी पहले ऐसा कहा जाता था, यह मेरे मॉम-डैड थे, डैड रहे नहीं, और मॉम..…
भूषण की हिचकिचाहट को समझते हुए राघव ने आगे कोई सवाल नहीं किया। लेकिन उसकी नजर तस्वीर में खड़े दूसरे कपल पर पड़ी।
राघव- अच्छा, यह कौन हैं?
भूषण- यह हमारे पड़ोसी थे, लंदन में! मिस्टर घोष, और यह उनकी बेटी रिमझिम... मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी यह …
राघव ने ध्यान से तस्वीर को देखा और अचानक कुछ सोचते हुए बोला, ‘’यह शक्ल जानी-पहचानी लग रही है ना? सोचो, यह तुम्हारी थेरेपिस्ट की बचपन की तस्वीर लग रही है...''
राघव की बात सुनकर भूषण ने भी ध्यान से तस्वीर को देखा और सोच में पड़ गया, भूषण और राघव के चेहरे पर हैरानी के भाव थे। वहीं दूसरी ओर रिनी के दिमाग में भी हलचल मची हुई थी, क्षितिज के साथ उसका घर बसने वाला था, लेकिन उसकी सास बनने वाली शारदा कपूर उसकी सच्चाई जानती थी। अपने कमरे में बैठी रिनी बार-बार कुर्सी को आगे-पीछे कर रही थी, उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी। तभी दरवाजे की घंटी बजी… पहले तो रिनी अपने विचारों में खोई हुई थी, उसने ध्यान नहीं दिया, लेकिन दूसरी घंटी पर वह अपने ख्यालों से बाहर आई और जल्दी-जल्दी दरवाजे की ओर बढ़ी। दरवाजा खोलते ही वह चौंक गई, सामने कोई नहीं था। उसने इधर-उधर देखा, सीढ़ियों की तरफ झांका, लेकिन ख़ालीपन के सिवाय कुछ नहीं दिखा। जब वह लौटने को पलटी, तो उसकी नज़र दरवाजे के पास पड़े एक छोटे से पैकेट पर गई. उसने झिझकते हुए पैकेट उठाया और दरवाजा बंद कर अंदर चली आई ॥ पैकेट खोलते ही उसकी सांसें रुक गईं। उसमें कुछ तस्वीरें और एक पेन ड्राइव थी, तस्वीरों को देखते ही उसकी आंखें बड़ी हो गईं। वे उसके private moments की तस्वीरें थीं, जिसमें वह एक अजनबी आदमी के साथ थी, उसकी धड़कन तेज हो गई। उसने गुस्से में उन तस्वीरों को फेंक दिया और चिल्लाई, ‘’यह कैसे हो सकता है?''
उसने दोबारा तस्वीरें उठाईं और उन्हें ध्यान से देखा। उनमें वह एक लड़के के साथ बेहद compromised position में थी। डर और घबराहट के बीच, रिनी भागती हुई अपने कमरे में गई, उसने पेन ड्राइव को अपने लैपटॉप में लगाया...उसने देखा कि पेन ड्राइव में दो फोल्डर थे। पहले फोल्डर पर क्लिक करते ही स्क्रीन पर एक वीडियो चलने लगा, यह वही अजनबी लड़का था, और रिनी उसके साथ थी। दूसरे फोल्डर में जो वीडियो थी, उसने रिनी की बेचैनी और बढ़ा दी, इस वीडियो में वह क्षितिज की पत्नी के ड्रिंक में कुछ मिलाती नजर आ रही थी। इसके बाद और भी कई क्लिप्स थीं, जिनमें रिनी कुछ ऐसी हरकतें करती नजर आई, जिन्हें वह किसी भी हाल में दुनिया से छिपाना चाहती थी। इन सब videos को देखकर रिनी के माथे पर पसीना आ गया, उसकी उंगलियां कांपने लगीं। तभी उसका फोन बजा। स्क्रीन पर एक अनजान नंबर था। रिनी ने कॉल उठाते ही कहा, ‘’हेलो?''
दूसरी तरफ से एक मर्दानी हंसी सुनाई दी। उस आदमी ने हंसते हुए कहा, “आवाज में घबराहट बता रही है कि मेरा पार्सल तुम तक पहुंच गया। आदमी की आवाज़ सुनकर रिनी ने चिल्लाते हुए कहा, ‘’कौन हो तुम? यह सब क्यों कर रहे हो?''
रिनी के सवाल पर आदमी हंसा और बोला, “इन बातों में वक्त बर्बाद मत करो, मैं कौन हूं, कहां हूं, यह जानने की जरूरत नहीं है। बस यह जान लो कि मुझे क्या चाहिए।” रिनी ने झल्लाकर पूछा, ‘’क्या चाहिए तुम्हें?''
उसकी बात पर आदमी ने चुटकी लेते हुए कहा, “क्या तुम सोच रही हो कि यह सब तुम्हारे उस प्यारे निकुंज ने दिया है? अरे, वह तो तुम्हारा बस एक खिलौना है, मेरी औकात उससे कहीं ज्यादा बड़ी है”। आदमी की बात सुनकर रिनी की सांसें थम गईं... उसने लड़खड़ाते हुए कहा, ‘’तो फिर तुम कौन हो?''
रिनी के सवाल पर आदमी ने गंभीर आवाज़ में जवाब दिया, “जो प्रॉपर्टी तुम शारदा कपूर को दिलवाना चाह रही हो, वह मुझे चाहिए। सोच लो, क्योंकि शारदा सिर्फ तुम्हारे एक सच को जानती है, लेकिन मैं तुम्हारे हर राज़ को जानता हूं।” आदमी की बात सुनकर रिनी के चेहरे पर डर उभर आया।
रिनी(हैरान)- तुमसे यह सब किसने कहा और मैं तुम्हारी बात क्यों मानूं?
रिनी के सवाल पर आदमी ने हंसते हुए कहा, “तुम्हारे पास ज्यादा ऑप्शन नहीं हैं, सोच समझकर कल शाम 6 बजे पैसिफिक होटल के रूम नंबर 305 में पहुंच जाना। अगर नहीं पहुंची, तो यह वीडियो सीधे क्षितिज कपूर के पास भेज दिए जाएंगे”। इतना कहकर आदमी ने फ़ोन काट दिया। फोन कटते ही रिनी का सिर चकराने लगा
रिनी(चिल्लाते हुए)- यह जमीन मेरी जान ले लेगी... आखिर इसमें ऐसा क्या है, जो हर कोई इसके पीछे पड़ा है? ओह गॉड! मैं क्या करूं?
रिनी अपने बालों को झटके से पीछे करते हुए कमरे में इधर-उधर चलने लगी। उसकी आंखों में डर और हैरानी झलक रहे थे। वहीं फोन रखने के बाद, दूसरी तरफ बैठा आदमी हंसते हुए बोला, “यह लड़की अपने आपको बचाने के लिए कुछ भी कर सकती है...बॉस को बता देता हूँ कि काम हो गया।” आदमी ने इतना कहने के बाद किसी को कॉल किया और कहा “मैंने आपका पहला काम कर दिया, उसकी रातों की नींद हराम होने वाली है” आदमी की बात सुनकर दूसरी ओर से आवाज़ आई, “संभलकर करना सब, वह बहुत चालाक है, और मेरा नाम किसी भी हालत में सामने नहीं आना चाहिए”। जहां एक तरफ एक अनजान शख्स रिनी के खिलाफ साजिश रच रहा था, वहीं दूसरी तरफ़ भूषण अपने कमरे में बेचैनी से चहल-कदमी कर रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसकी बेचैनी आखिर क्यों बढ़ रही थी। वह बार-बार खिड़की से बाहर झांक रहा था, जैसे किसी की तलाश कर रहा हो, लेकिन बाहर सिर्फ ठंडी हवा और हल्की-हल्की चांदनी फैली हुई थी। कुछ सोचते हुए भूषण ने अपनी घड़ी पर नजर डाली। रात के ग्यारह बज चुके थे, अचानक उसके दिमाग में एक ख्याल आया, और वह जल्दी से अपने कमरे से निकल कर ऐड्मिन ऑफिस चला गया। वहाँ गुप्ता जी आराम से अपनी कुर्सी पर बैठे झपकी ले रहे थे, मेज़ पर उनकी पुरानी रजिस्टर और एक पेन रखी हुई थी। भूषण ने मेज़ पर हल्की सी थपकी दी, जिससे गुप्ता जी चौंककर उठ गए॥ उन्होंने भूषण को देखकर मुँह बनाते हुए कहा, “क्या हुआ? फिर से फ़ोन चाहिए क्या?”। भूषण ने इधर-उधर की बात न कर सीधा सवाल करते हुए कहा, ‘’मंदिरा कहां है?''
गुप्ता जी ने एक गहरी सांस ली और कहा, “मंदिरा? वह आज रिसॉर्ट में नहीं हैं। जरूरी काम से बाहर गई हैं और कल शाम तक लौटेंगी। क्यों, कोई खास बात?”। भूषण ने अपनी भावनाएँ छुपाने की कोशिश करते हुए जवाब दिया, ‘’नहीं, बस उनसे एक काम था।''
इतना कहकर वह तेजी से वहां से निकल आया। गुप्ता जी उसे जाते हुए देखते रहे, लेकिन कुछ बोले नहीं। भूषण जब वापस अपने कमरे की ओर बढ़ रहा था, तभी उसने देखा कि राघव के कमरे के बाहर एक अजनबी आदमी खड़ा था। भूषण ने थोड़ी दूर से ठिठककर उसे ध्यान से देखा। उससे पहले कि भूषण कुछ पूछ पाता, उस आदमी ने अचानक भूषण की ओर देखा और फिर तेजी से गलियारे में दौड़ने लगा। भूषण ने तुरंत उसके पीछे जाने की कोशिश की, लेकिन वह अजनबी एक कॉरिडोर से मुड़कर दूसरी दिशा में चला गया। भूषण वहीं रुक गया, उसने इधर-उधर देखा, लेकिन अजनबी का कोई नामो-निशान नहीं था। उसकी बेचैनी अब और बढ़ गई थी, वापस लौटते हुए, उसने सोचा कि वह राघव से बात करे और उसे इस बारे में बताए, भूषण ने राघव के कमरे के दरवाजे पर दस्तक देते हुए कहा, ‘’राघव?''
उसने दरवाजे पर हल्का धक्का दिया, और वह आसानी से खुल गया। अंदर घुसते ही भूषण के होश उड़ गए।
आखिर ऐसा क्या देखा भूषण ने? क्या हुआ राघव के साथ? कौन कर रहा है रिनी को ब्लैकमेल? जानने के लिए padhiye अगला भाग.
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