मंदिरा (घबराई हुई)- हमें तुरंत रिज़ॉर्ट लौटना होगा।

मंदिरा ने भूषण को यह बात तब कही जब वह दोनों बाजार की तरफ ड्राइव करते हुए जा रहे थे और अचानक मंदिरा के फोन पर ऐड्मिन वाले गुप्ता अंकल का फोन आया। उसने फोन उठाया, और दूसरी तरफ से गुप्ता जी की घबराई हुई आवाज सुनाई दी। “मंदिरा  जल्दी आओ! यहाँ एक गेस्ट ने ज़हर खा लिया है। और... और उसकी हालत बहुत खराब है। साँसें भी नहीं चल रही हैं!”

मंदिरा की बात सुनते ही भूषण ने बिना कुछ कहे गाड़ी घुमा ली। बाजार जाने का ख्याल अब उनके दिमाग से पूरी तरह मिट चुका था। resort  पहुंचते ही मंदिरा तेजी से गाड़ी से उतरी। गेट पर खड़े गुप्ता जी ने उन्हें अंदर बुलाया। उनकी आँखों में घबराहट और चेहरे पर तनाव साफ झलक रहा था। मंदिरा गुप्ता जी के साथ अंदर की ओर बढ़ी। लेकिन जाते-जाते उसने भूषण की ओर देखा और कहा, ‘’तुम अपने कमरे में जाओ, तुम्हारा वहाँ चलना ठीक नहीं.''

भूषण ने उसकी बात मान ली, लेकिन उसके मन में बेचैनी थी। वह धीरे-धीरे अपने कमरे की ओर बढ़ा। रास्ते में उसका दिमाग बार-बार गुप्ता जी की बातों को दोहरा रहा था। जब वह अपने कमरे के पास पहुंचा, तो उसकी नजर राघव के कमरे पर पड़ी… भूषण ने अंदर देखा तो राघव वहां नहीं था। भूषण ने मन ही मन सोचते हुए कहा, ‘राघव कहाँ गया? अभी कुछ देर पहले तो यहीं था।’

भूषण के दिल में डर बढ़ने लगा। उसे लगने लगा कि कुछ तो गड़बड़ है। उसने खुद से बुदबुदाते हुए कहा, ‘’क्या... क्या राघव ने कुछ किया है? नहीं, ऐसा नहीं हो सकता।''


भूषण ने बिना देर किए राघव को ढूंढने का फैसला किया, वह तेजी से resort  के उस हिस्से की ओर भागा, जहां मंदिरा और गुप्ता जी गए थे। जब वह वहां पहुंचा, तो उसने देखा कि एक जगह पर भीड़ जमा थी।

भूषण(हड़बड़ाकर)- यहाँ क्या हो रहा है?


उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा, भीड़ को हटाते हुए वह आगे बढ़ा। जैसे ही उसने भीड़ के बीच देखा, उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। जमीन पर एक औरत की लाश पड़ी थी। यह  वही औरत थी, जिसने सुबह भूषण को समझाया था कि जब उसे रास्ता नहीं मिलता, तो किताबें उसका सहारा बनती हैं। उस औरत के निर्जीव शरीर को देखकर भूषण ने मन ही मन कहा, ‘’यह .. यह  क्या हो गया? यह  तो बिल्कुल ठीक थी। फिर इसने यह  कदम क्यों उठाया?''


उस औरत के हाथ में जहर की खाली बोतल थी। भूषण को उसकी कही बात याद आई

भूषण(मन ही मन दोहराते हुए)-जब मुझे रास्ता नहीं मिलता, तब यह  किताब मुझे रास्ता दिखाती हैं....  

भूषण के दिल में भारीपन था।, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह सब क्यों हुआ? फिर उसने खुद को संभालते हुए चारों ओर नजर दौड़ाई, लेकिन राघव वहां नहीं था।

भूषण (घबराकर, मन ही मन)-राघव... राघव कहाँ है?


भूषण ने मंदिरा की ओर देखा। मंदिरा लाश के पास खड़ी थी, उसकी आँखों में गहरी उदासी थी। कुछ देर बाद उस लाश को वहाँ से हटा दिया गया। फॉर्मैलटीज़ पूरी करने के लिए मंदिरा भी वहाँ से चली गई। भूषण ने एक बार मन में सोचा कि वह भी मंदिरा के साथ जाए लेकिन अगले ही पल उसके ज़ेहन में राघव का ख्याल आया।  भूषण ने मन ही मन सोचते हुए कहा, ‘’मुझे राघव को ढूंढना होगा.....वह न जाने कहाँ गया?''


भूषण ने रिज़ॉर्ट के हर कोने में राघव को ढूंढना शुरू किया। उसने लॉबी, गार्डन और डाइनिंग एरिया में देखा, लेकिन राघव कहीं नहीं मिला। तभी उसकी नजर गार्डन के एक बेंच पर पड़ी, वहां राघव अकेला बैठा हुआ था। वह कोने में दुबका हुआ था, जैसे खुद से भागने की कोशिश कर रहा हो, भूषण तेज़ी से उसकी और बढ़ा और बोला, ‘’राघव! तुम यहाँ क्या कर रहे हो? मैं तुम्हें कहाँ-कहाँ नहीं ढूंढता रहा.. और तुम.. जानते हो वहां क्या''


भूषण अपनी बात बोलता जा रहा था, तब राघव ने धीरे से सिर उठाया, उसकी आँखों में अजीब सा डर और उदासी थी, भूषण ने अचानक देखा कि राघव के हाथ में "The Inner Voice" नाम की किताब थी। उसने किताब को राघव के हाथ से लेते हुए कहा, ‘’यह किताब तुम्हें कहाँ से मिली?''

 

राघव(गहरी सांस लेकर)- यह  किताब यहीं, बेंच पर पड़ी थी, एक औरत इसे यहीं भूल गई थी। मैंने सोचा, उसे लौटाने जाऊं... लेकिन...


राघव की आवाज कांपने लगी, उसने अपनी बात पूरी नहीं की। भूषण समझ गया कि वह किस औरत की बात कर रहा है। भूषण ने राघव की तरफ देखकर कहा, ‘’राघव, अंदर चलो, ठंड हो रही है…''

राघव(भूषण का हाथ पकड़ कर)- नहीं। प्लीज, यहीं बैठो। बस थोड़ी देर, ठंड अभी इतनी भी नहीं...


राघव के कहने पर भूषण उसके पास बैठ गया। दोनों के बीच जो खामोशी थी,  वह अब एक सवाल बनकर गूंज रही थी, ज़िंदगी आखिर इतनी मुश्किल क्यों है? कुछ देर की खामोशी के बाद, राघव ने कहा, ‘’मैंने चौथी बार किसी को अपनी आँखों के सामने मरते हुए देखा है, लेकिन आज पहली बार देखा कि उस औरत की आँखों में कोई दर्द नहीं था...एक अलग चमक थी..कभी-कभी सोचता हूँ कि वह दुनिया कैसी होगी? होगी भी या नहीं...''

 

भूषण ने राघव की बात सुनी और अपने ख़्यालों में खो गया, उसे भी याद आया कि वह भी ऐसी कोशिशें कर चुका है, इस ख्वाहिश में कि उसे उसके दर्द से राहत मिल जाएगी॥ . भूषण ने ऊपर आसमान की तरफ देखते हुए कहा, ‘’क्या तुमने कभी सोचा है कि लोग ऐसा कदम क्यों उठाते हैं?''

राघव(उदासी के साथ)- शायद इसलिए क्योंकि वे हार जाते हैं। उन्हें लगता है कि उनके पास कोई रास्ता नहीं बचा। अब तक मुझे समझ आया है कि इंसान दर्द से भागने के लिए खुद को खत्म करना चाहता है, पर क्या दर्द से राहत मिल जाती होगी..


भूषण ने राघव की बात सुनी, उसे महसूस हुआ कि राघव सिर्फ उस औरत के बारे में नहीं, बल्कि अपने दर्द के बारे में भी बात कर रहा था, सही मायनों में भूषण भी अपने दर्द से भागने की कोशिश करते हुए यहाँ आ गया था, लेकिन वह राघव के सामने कमज़ोर नहीं दिखना चाहता था, इसलिए उसने राघव को समझाते हुए कहा, ‘’हम हमेशा एक और रास्ता बना सकते हैं। शायद आसान नहीं होता, लेकिन मुमकिन तो है…

राघव- मुझे लगता है, जो लोग खुद को खत्म करते हैं, वे ज़िंदगी के सबसे कठिन सवालों के जवाब नहीं ढूंढ पाते, जैसे कि वह जी क्यों रहे हैं? किसके लिए? उनकी दुनिया हमेशा दूसरों के चारों तरफ होती है, जिसे वह कभी खुद तक नहीं ला पाते और शायद यही उन्हें अंदर-अंदर मार देता है...क्या तुम्हारी दुनिया तुम्हारे इर्द-गिर्द है भूषण?


राघव के सवाल पर भूषण ने एक गहरी सांस ली, उसके पास कोई जवाब नहीं था, क्योंकि अब तक उसकी दुनिया में सिर्फ रिनी थी॥  उसका सुख-दुःख सब उससे होकर गुज़रता था॥  भूषण राघव के सवाल पर चुप रहा। कुछ देर बाद वह दोनों अपने-अपने कमरों में चले गए, हर रात की तरह भूषण के लिए यह  रात भी उतनी ही बोझिल थी। उसे नींद सुबह होने से कुछ देर पहले आई, और घड़ी के अलार्म के साथ वह खुल गयी। भूषण ने कमरे की खिड़की से आती धूप को देखा, हवा के बहाव से उसने महसूस किया कि रिज़ॉर्ट की सुबह हमेशा शांत और ताजा होती थी, लेकिन आज, यह सुबह कुछ भारी लग रही थी। रात की घटनाएँ अब भी भूषण के दिमाग में घूम रही थीं। उसकी आँखों में थकावट झलक रही थी। कुछ देर बाद भूषण ने अपने पहले सेशन के लिए मंदिरा के ऑफिस में कदम रखा। मंदिरा ने भूषण को देखकर मुस्कुराते हुए कहा, ‘’आओ, भूषण, मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी..''


भूषण अंदर आया और कुर्सी पर बैठ गया। मंदिरा के चेहरे पर हमेशा की तरह एक हल्की मुस्कान थी, चेहरे पर चमक थी, लेकिन उसकी आँखों में भी रात का असर साफ दिख रहा था। मंदिरा बखूबी उसे ढ़कने की कोशिश कर रही थी। भूषण को मंदिरा का यूँ नॉर्मल दिखना अजीब लग रहा था, और उसके मन में उस औरत की मौत को लेकर भी सवाल घूम रहे थे, भूषण को देखकर मंदिरा ने कहा, ‘’सेशन शुरू करने से पहले कोई सवाल है, जो पूछना हो?''

भूषण (थोड़ा असमंजस में)- सवाल है, पर पूछूँ या नहीं समझ नहीं आ रहा, मैं समझ नहीं पा रहा... वह औरत, उसने ऐसा क्यों किया?  वह ठीक लग रही थी, उसने मुझसे बातें कीं, किताबों के बारे में बताया...उसमें लिखे का सार बताया,  फिर उसने ऐसा क्यों किया? वह तो खुश थी न, अगर मैं गलत नहीं हूँ तो वह शायद कल अपने घर जाने वाली थी...


भूषण के सवाल पर मंदिरा ने एक गहरी सांस ली, उसने अपने सामने रखे कागजों को किनारे किया और भूषण की ओर देखा

 

मंदिरा(ठहराव के साथ)- कभी-कभी, जो लोग बाहर से सबसे मजबूत दिखते हैं, वह अंदर से सबसे ज्यादा टूटे हुए होते हैं। वह औरत तुम्हें ठीक लगी, क्योंकि उसने अपनी तकलीफ किसी के सामने जाहिर नहीं की। वह मदद चाहती थी, लेकिन शायद उसे लगा कि कोई उसकी मदद नहीं कर सकता, या फिर वह लोगों से बहुत ज़्यादा मदद ले चुकी हैं, तुमने सही कहा वह कल यहाँ से जाने वाली थी, पर उन्हें लेने कोई नहीं आया...

 

भूषण(हैरानी से)- क्या? पर क्यों?

 

मंदिरा (गंभीर आवाज़ में)- 3 साल पहले उनके बेटे की मौत हो गयी थी, उनका एक ही बेटा था, उसे उन्होंने खो दिया और उसके बाद बचे सिर्फ वह और उनके पति। वह डिप्रेशन में चली गयी और उसके बाद उनके पति उन्हें यहाँ छोड़कर चले गए।  पिछले महीने वह आए थे, लेकिन कल जब वह नहीं आए, तब हमें पता चला कि वह 15 दिन पहले अपने घर में मरे हुए मिले, हर 3 दिन में एक काम वाली बाई आती थी, उसी ने देखा...जब कल शांति जी को यह बात बताई गयी तो झेल नहीं पाई, और उन्होंने फैसला कर लिया कि वह अब वह करेंगी जो इन हालातों में सबसे सही है। उनकी दुनिया उनके पति और बच्चे के आसपास ही थी...वह नहीं रहे तो.... इसलिए कल वह उस किताब को लेकर बैठी थी....अपने सवालों का जवाब ढूंढ रही थी...पर अफ़सोस किताब  उन्हें कोई जवाब नहीं दे पाई...


मंदिरा की बात सुनकर भूषण चुप हो गया, वह मंदिरा की बातें समझने की कोशिश कर रहा था, कुछ पल की खामोशी के बाद उसने एक और सवाल किया।

भूषण(चौंकते हुए)-मंदिरा, तुम हर दिन लोगों के दर्द को देखती हो, तुम्हें बुरा नहीं लगता? उस औरत के लिए तुम्हें बुरा नहीं लगा?


मंदिरा ने एक पल के लिए अपनी नजरें झुका लीं, उसकी मुस्कान धीरे-धीरे गायब हो गई। उसने गहरी सांस लेते हुए कहा, ‘’भूषण, बुरा तो बहुत लगता है, लेकिन मैंने इस दर्द के साथ जीना सीख लिया है। जब मैंने इस पेशे को चुना, तो मुझे पता था कि मुझे हर दिन दूसरों की तकलीफों को देखना और महसूस करना होगा। यह भी सच्चाई है कि मैं हर किसी को बचा नहीं सकती, और इस बात को एक्सेप्ट करना पड़ता है कि आप हर वक्त हर किसी के साथ नहीं हो सकते.. मैं खुद को उन चीज़ों के लिए गुनहगार नहीं ठहराना चाहती...क्योंकि शायद फिर मैं कभी किसी की मदद नहीं कर पाउंगी...''


भूषण ने मंदिरा की आँखों में देखा, उसकी आँखों में नमी थी। वह पहली बार मंदिरा को इतने भावुक और कमजोर अंदाज में देख रहा था।

 

भूषण(असमंजस में)- तुम खुद को इतना calm और composed कैसे रख लेती हो? मैं कल से बेचैन हूँ, बार-बार एक ही ख्याल आ रहा है कि अगर मैं यहाँ होता तो…

 

मंदिरा (हल्की मुस्कान के साथ)- तो क्या? भूषण जानते हो, ज़िन्दगी में सबसे ज्यादा ज़रूरी क्या जानना है? यह  बात कि कुछ चीज़ों पर आपका बस नहीं होता, आप सिर्फ खुद को कंट्रोल कर सकते हैं...और यह  समझना कि ज़िंदगी चाहे कितनी भी मुश्किल हो, हमें इसे जीना पड़ता है... 

भूषण मंदिरा की बातों को ध्यान से सुन रहा था, उसकी आँखों में हल्की चमक आई, जैसे वह कुछ समझने की कोशिश कर रहा हो, मंदिरा ने उससे सवाल करते हुए कहा, ‘’क्या तुम अपने कल को और खुद को बेहतर नहीं बनाना चाहते..?''

 

भूषण(सोचते हुए)-मैं चाहता हूँ.. लेकिन मुझे डर लगता है, कुछ भी करने से। मैं कमज़ोर नहीं दिखना चाहता.. पर कल जब मैंने मौत को इतने करीब से देखा, तो मुझे अजीब लगा। खुद के लिए फ़िक्र हुई। ऐसा नहीं है कि मैंने पहले कोई मौत नहीं देखी, मेरे पापा....

 

भूषण इतना कहकर चुप हो गया, भूषण की बात सुनने के बाद मंदिरा ने अपनी मेज़ की ड्रॉर खोली और फिर उसमें से एक डायरी निकालते हुए भूषण के सामने रखते हुए बोली, ‘’तुम अभी भी मुझपर भरोसा नहीं करते, वरना बोलते हुए रुकते नहीं। कोई बात नहीं, जब बहुत बार आपके करीबियों ने आपका भरोसा तोड़ा हो, तब इस तरह संकोच करना, चलता है। एक डॉक्टर होने के नाते मैं तुम्हें सबसे पहली सलाह यह ही दूँगी कि तुम्हारे मन में जो भी कुछ है, उसे बाहर निकालो। उसे मन का बोझ मत बनने दो, यह डायरी है, लोगों से बेहतर राज़दार होती है आपकी डायरी। भूषण, अगर तुम अपना best version बनना चाहते हो, तो इसकी शुरुआत एक छोटे कदम से करते हैं, JOURNALING..से..''


मंदिरा ने भूषण की ओर वह डायरी बढ़ाई, उसके सादे-सफेद कवर पर Your Journey Begins Here लिखा था। भूषण ने एक अफ़सोस भरी मुस्कान के साथ कहा, ‘’मैं इसमें क्या लिखूंगा? मतलब मैंने ऐसा कुछ किया नहीं....''

मंदिरा (मुस्कुराते हुए): जो भी तुम्हें महसूस हो, जो बातें तुम्हारे दिल में हैं, जो डर तुम्हारे दिमाग में हैं, जैसा तुम्हें कल महसूस हुआ..... सबकुछ, यह डायरी तुम्हारी वह जगह होगी, जहाँ तुम खुद को जाहिर कर सकते हो, बिना किसी डर के...Trust me… मुझपर नहीं, खुद पर तो भरोसा करो...

भूषण (हल्की झिझक के साथ)- क्या यह  वाकई मदद करेगा?


भूषण ने पहली बार मंदिरा के चेहरे पर वह चमक देखी, जो उम्मीद की किरण जैसी थी। मंदिरा ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘’बस याद रखना, हर नई शुरुआत में थोड़ा डर और झिझक होती है, लेकिन जब तुम इस सफर पर चलोगे, तो तुम खुद को बेहतर समझने लगोगे।

 

कुछ देर और बातचीत के बाद भूषण मंदिरा से वह डायरी लेकर उसके ऑफिस से बाहर निकल गया, लेकिन भूषण के जाते ही मंदिरा ने अपने फ़ोन से किसी को वॉयस मैसेज करते हुए कहा, ‘’मैं धीरे-धीरे भूषण के करीब जाने की कोशिश कर रही हूँ, लेकिन मुझे नहीं लगता मैं ज़्यादा दिनों तक उससे आपका सच छिपा पाउंगी.''

 

आखिर क्या कर रही है मंदिरा? क्या सच है जिसे मंदिरा ने भूषण ने छिपाया है? क्या भूषण एक शुरुआत कर पायेगा? जानने के लिए पढ़िए अगला भाग.

 

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