भूषण के कमरे से उसका फोन गायब हो चुका था, लेकिन जितना परेशान भूषण नहीं था, उससे कहीं ज़्यादा परेशानी इस वक्त मंदिरा के चेहरे पर नजर आ रही थी। मंदिरा ने परेशानी के साथ भूषण की तरफ देखा और फिर हैरानी से कहा, ‘’भूषण यह क्या किया तुमने? तुम्हें इस तरह फोन यहाँ भूलकर जाना ही नहीं चाहिए था…''
भूषण के लिए मंदिरा का यह रवैया बिल्कुल नया था, उसने एक पल के लिए हैरानी के साथ मंदिरा को देखा और कहा, ‘’रिलैक्स मंदिरा, मैं कोशिश करता हूँ ढूँढने की…''
भूषण को यूं हैरान देख, मंदिरा ने अपने चेहरे से परेशानी के भाव हटाए और उन्हें फ़िक्र में बदलते हुए कहा, ‘’भूषण, वह क्या है न कि मैंने वह फोन रुल्स तोड़कर तुम्हें दिया था, अब अगर नहीं मिलेगा तो तुम्हारा नुकसान होगा, और मुझे भी कहा जाएगा तो.. खैर.. ढूंढते हैं।
मंदिरा की बात सुनकर भूषण ने हामी में सिर हिलाया, लेकिन कहीं न कहीं मंदिरा का यूं परेशान होना उसे समझ नहीं आया। भूषण ने इस बात पर मगर, और ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और फोन ढूँढने लगा। कमरे में हर चीज़ उथल-पुथल करने के बाद भी उसका फोन कहीं नहीं मिला। उसके मन में एक ही सवाल था, फोन आखिर गया कहाँ? भूषण ज़्यादा परेशान इसलिए भी था क्योंकि उसके लिए उसका फोन सिर्फ एक डिवाइस नहीं था। उसमें कई जरूरी ईमेल, मैसेज और फोटोज़ थीं। सबसे बड़ा डर उसे यह था कि अगर फोन गलत हाथों में गया, तो वह मुसीबत में पड़ जायेगा। भूषण को परेशान देख मंदिरा ने कहा, ‘’एक काम करते हैं, हम बाहर चलकर फ़ोन ढूंढते हैं, मुझे लगता है यह किसी रिज़ॉर्ट मेम्बर का काम है।''
भूषण मंदिरा की बात मानकर उसके साथ बाहर चला गया, दोनों ने रिज़ॉर्ट के हर हिस्से को खंगालने का फैसला किया। पहले उन्होंने लॉबी देखी, भूषण को उम्मीद थी कि शायद फोन वहीं कहीं छूट गया हो, लेकिन वहाँ कुछ नहीं मिला। इसके बाद गार्डन और डाइनिंग एरिया की तरफ देखा, भूषण की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। किसी भी जगह फोन न मिलने पर उसका गुस्सा भी बढ़ने लगा। उसने खुद पर झल्लाते हुए कहा, ‘’आखिर फोन गया कहाँ? यहाँ कोई क्यों ले जाएगा मेरा फोन?''
मंदिरा(सांत्वना देकर)- घबराओ मत, मैंने कहा था न, deep breaths...
मंदिरा और भूषण पूरा रिज़ॉर्ट देख चुके थे। वह गार्डन में फ़ोन ढूंढ ही रहे थे कि फिर उनकी नजर स्टाफ क्वार्टर की तरफ गई। स्टाफ क्वार्टर रिज़ॉर्ट का वह हिस्सा था, जहाँ सिर्फ स्टाफ के लोग रहते थे। भूषण ने हिचकिचाहट के साथ मंदिरा की ओर देखा और कहा, ‘’क्या हमें वहाँ जाना चाहिए? वह उनका प्राइवेट space है...''
मंदिरा(हामी भरते हुए)- हाँ, लेकिन अगर गलती से कोई staff member इसे अपने साथ ले गया हो, तो? पता करना ज़रूरी है।
भूषण ने मंदिरा की बात मान ली और दोनों स्टाफ क्वार्टर की ओर बढ़े। वहाँ हल्की रोशनी थी और कुछ दूर से बातचीत की धीमी आवाज आ रही थीं। जैसे ही वह दोनों उस आवाज़ के करीब पहुँचे तो उनकी नजर एक लड़की पर पड़ी। वह एक कोने में खड़ी थी। उसके हाथ में फोन था, और वह किसी से फुसफुसाकर बात कर रही थी। भूषण ने ध्यान से देखा, और फिर हैरानी के साथ कहा, ‘’'वह मेरा फोन है।''
मंदिरा(धीमी आवाज़ में)- रुको, मैं बात करती हूँ।
मंदिरा ने शांत कदमों से लड़की के पास जाना शुरू किया। वह शांत थी क्योंकि वह लड़की को डराना या धमकाना नहीं चाहती थी। मंदिरा ने लड़की के पास जाकर कहा, ‘’सुनो, तुम्हें यह फोन कहाँ से मिला? देखो, यह हमारा है, इसे वापस कर दो, वरना तुम्हें पनिशमेंट मिलेगी।''
लड़की ने पहले मंदिरा को देखा, फिर भूषण की ओर, उसकी आँखों में डर और बेचैनी थी। उसने कुछ नहीं कहा। उसने फोन को कसकर पकड़ लिया और अचानक पलटकर भागने की कोशिश की। मंदिरा ने तुरंत उसका हाथ पकड़ लिया। लड़की ग़ुुस्से और डर के मिले जुले भाव में जोर से चिल्लाई और मंदिरा को धक्का देकर भागने लगी। उसने चिल्लाते हुए कहा मुझे जाने दो! मुझे यह फोन चाहिए। भूषण ने हालातों को भांपते हुए तुरंत आगे बढ़कर मंदिरा को बचाया, और उसे पकड़ते हुए चिल्लाया, ‘’यह फोन मेरा है…''
भूषण के चिल्लाने पर लड़की पीछे हट गई, उसकी साँसें तेज हो रही थीं। उसकी आँखों से आँसू गिरने लगे। लड़की ने घबराते हुए कहा “सॉरी, बस कुछ वक्त के लिए चाहिए था। मुझे अपने बॉयफ्रेंड से बात करनी थी। वह ऐसे ही मुझसे ब्रेक-अप नहीं कर सकता, उसे जवाब देना ही होगा”। भूषण और मंदिरा ने एक-दूसरे को देखा। वे हैरान थे, मंदिरा का गुस्सा धीरे-धीरे सहानुभूति में बदल गया। तभी वहां स्टाफ के कुछ लोग आये, और मंदिरा ने उन्हें लड़की को वहां से ले जाने के लिए कहा, ‘’इन्हें इनके कमरे में ले जाओ और इनके therapist से parents को कॉल कराओ। अभी के लिए हम इन्हें नहीं रख सकते।''
जहाँ एक तरफ भूषण और मंदिरा को फ़ोन वापस मिलने की बात सुकून दे रही थी, वहीँ दूसरी तरफ रिनी घबराई सी हुई गाड़ी में बैठी थी। सड़क पर हल्की-हल्की गाड़ियों की आवाजाही हो रही थी, गाड़ी के अंदर रिनी बैठी हुई थी। उसकी आँखों में घबराहट और चेहरे पर तनाव साफ झलक रहा था। उसके ठीक बगल में बैठी थी शारदा, पर शारदा के चेहरे पर अजीब सी चमक थी। उसकी आँखों में ऐसा भाव था, जैसे वह कोई बड़ा खेल खेलने जा रही हो। रिनी बार-बार अपनी उँगलियों को मरोड़ रही थी। उसने एक नज़र शारदा की तरफ डाली और मन ही मन सोचा, ‘’यह बुढ़िया मुझे कहाँ ले जा रही है? ऐसा लग रहा है, जैसे यह मुझे किसी जाल में फँसा देगी।''
शारदा ने रिनी की ओर देखा, उसकी नज़रों में अजीब सी गहराई थी, जो रिनी को और ज्यादा बेचैन कर रही थी। रिनी ने तुरंत अपनी नज़रें दूसरी तरफ कर लीं, ताकि शारदा को उसकी बेचैनी का पता न चले। गाड़ी कुछ देर और चली और फिर अचानक रुक गई। शारदा ने रिनी की तरफ देखकर कहा “चलो, बाहर आओ। । हम पहुँच गये।” रिनी ने खिड़की से बाहर झाँककर देखा, सामने एक बड़ी सी खाली ज़मीन थी जो चारों तरफ से झाड़ियों और पेड़ों से घिरी हुई थी।॥ वह इलाका वीरान था, लेकिन उसमें एक अजीब सा आकर्षण था, जिसका पता शारदा की आँखों से ही लग रहा था… वह एकटक उस ज़मीन को देख रही थी। उन्हें देखकर रिनी ने पूछा, ‘’यह कौन सी जगह है?''
रिनी के सवाल पर शारदा ने हंसते हुए जवाब दिया, “यही वह जगह है, जो मुझे चाहिए, और तुम इसे मुझे दिलवाओगी।” रिनी ने अजीब निगाहों से शारदा को देखा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कहना चाहती है। रिनी ने हिचकिचाते हुए पूछा, ‘’मुझे समझ नहीं आ रहा। आप मुझे यहाँ क्यों लाई हैं? मैं कैसे आपको यह जगह दिलाऊंगी?''
रिनी के सवाल पर शारदा ने हंसते हुए कहा, “तुम दिलवा सकती हो। मैंने देख लिया है कि क्षितिज तुम्हारी मुट्ठी में है, तुम उसे मना सकती हो कि वह यह जमीन मेरे नाम कर दे।” रिनी ने शारदा की बात सुनी और उसके चेहरे का रंग उड़ गया। वह हैरानी और गुस्से के मिले-जुले भाव से बोली, ‘’आप यह क्या कह रही हैं? मैं क्षितिज से ऐसा कुछ नहीं कह सकती। आप उससे खुद कह दें, अगर ऐसा है तो। वह आपकी भी बात मानते हैं।''
रिनी की बात पर शारदा ने गुस्से से उसे देखा और कहा “ज़रूर कह देती अगर मेरे नालायक बेटे ने कंपनी के शेयर्स में गड़बड़ी न की होती, क्षितिज ने यह ज़मीन पहले मुझे देने का वादा किया था, लेकिन अब वह ऐसा कुछ नहीं करेगा, लेकिन तुम कहोगी तो वह कुछ भी करेगा, तुम उसकी कमज़ोरी हो”। शारदा की बात सुनकर रिनी ने गहरी सांस ली। वह समझ नहीं पा रही थी कि यह सब क्या हो रहा है। उसने अपनी घबराहट को छुपाने की कोशिश करते हुए कहा, ‘’देखिए, आप जो भी कह रही हैं, उसका मुझसे कोई मतलब नहीं है। वैसे भी, मैं यह सब कैसे कर सकती हूँ?''
रिनी के सवाल और उसकी ना सुनकर शारदा ने एक कुटिल मुस्कान के साथ कहा “अच्छा, अगर मैं यह बात क्षितिज को बता दूँ कि तुमने ही उसकी पत्नी और उसके बच्चों की माँ को मरवाया, क्या तब भी तुम्हारा जवाब यही रहेगा?” शारदा की बात सुनकर रिनी के होश उड़ गये, उसके चेहरे का रंग पीला पड़ गया। रिनी के पैर जमीन पर जम नहीं रहे थे, उसे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसकी सांसें रोक दी हों। उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ रही थीं।
वहीँ दूसरी तरफ रिज़ॉर्ट की शांत वादियों में अंधेरा और सन्नाटा गहराता जा रहा था। आसमान में चाँद आधा छिपा हुआ था, और ठंडी हवा खिड़कियों पर हल्की सरसराहट कर रही थी। भूषण अपने कमरे में अकेला बैठा था। वह बिस्तर पर लेटा हुआ था, लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी। तभी दरवाजे पर हल्की दस्तक हुई। भूषण ने चौंककर दरवाजे की ओर देखा और कहा, ‘’इतनी रात को कौन हो सकता है?''
वह धीरे-धीरे दरवाजे की ओर बढ़ा और उसे खोला, सामने मंदिरा खड़ी थी। उसकी आँखों में हल्की चमक थी और होंठों पर हमेशा की तरह एक हल्की मुस्कान। मंदिरा ने भूषण को देखकर कहा, ‘’चलो, घूमकर आते हैं…''
भूषण (हैरान होकर)- इतनी रात को? तुम मजाक कर रही हो, है ना?
मंदिरा (हँसते हुए)- डरते हो मेरे साथ चलने से? अच्छा, मत चलो। वैसे भी मुझे कुछ किताबें लेने मार्केट जाना है और हमारे पास ड्राइवर नहीं है।
भूषण (और भी हैरान होकर)- इतनी रात को किताबें? तुम सच में सीरियस हो?
मंदिरा (कंधे उचकाते हुए)- हाँ। किताबों की दुकान यहाँ से 15 किलोमीटर दूर है। अगर तुम साथ नहीं चलोगे, तो मुझे गुप्ता अंकल को ले जाना पड़ेगा, और तुम जानते हो, वह मुझे लेक्चर देंगे।
मंदिरा की बात सुनकर भूषण ने कुछ देर तक उसे घूरा, जैसे उसकी बातों पर यकीन नहीं हो रहा हो। फिर धीरे से मुस्कुराते हुए उसने हामी भर दी। भूषण मंदिरा के साथ रिज़ॉर्ट से बाहर गया, दोनों गाड़ी में बैठ गए। भूषण ने ड्राइविंग सीट संभाली, रास्ता सुनसान था, और आसमान में तारे हल्की रोशनी बिखेर रहे थे। कुछ देर तक गाड़ी में सन्नाटा छाया रहा, लेकिन फिर भूषण ने अपने दिमाग में शोर कर रहे सवाल को मंदिरा के सामने रखते हुए कहा, ‘’तुम्हें क्या लगता है, उस लड़की ने ऐसा क्यों किया? जिस लड़के से उसका ब्रेकअप हो चुका था, उसी से फिर से बात करने की कोशिश क्यों?''
मंदिरा (गंभीर)- तुमने देखा, उस लड़की की हालत कैसी थी। वह अभी डिनायल फेज में थी।
भूषण- डिनायल फेज मतलब, वही न जब... आप कुछ एक्सेप्ट नहीं कर पाते...
मंदिरा (समझाते हुए)- ब्रेकअप के बाद हर इंसान चार फेज से गुजरता है, डिनायल, गुस्सा, सौदेबाजी, और अंत में acceptance, यह एक sequence है। वह लड़की अभी पहले फेज में थी, इस फेज में इंसान सच को मानने से इनकार करता है, वह बार-बार सोचता है कि सब कुछ फिर से ठीक हो सकता है। यही वजह है कि वह अपने एक्स से कनेक्ट करने की कोशिश कर रही थी।
भूषण ने मंदिरा की बात को ध्यान से सुनी और फिर सवालिया नज़रों से मंदिरा को देखकर कहा
भूषण- तो फिर इसके बाद क्या होता है?
मंदिरा (मुस्कुराते हुए)- इसके बाद आता है गुस्सा। जब चीजें उनकी उम्मीदों के मुताबिक नहीं होतीं, तो उन्हें गुस्सा आता है। यह एक तरह की हॉर्मोनल लड़ाई है, जिससे इंसान गुजरता है।
मंदिरा की बात सुनकर भूषण ने गहरी साँस ली, वह अभी भी सोच रहा था कि क्या वाकई हर इंसान ऐसे ही ब्रेकअप के दौर से गुजरता है। भूषण ने फिर मंदिरा की तरफ देखा और हंसते हुए बोला, ‘’वैसे, तुम्हारी बातें सुनकर ऐसा लग रहा है कि मैं किसी लेक्चर में हूँ।''
मंदिरा (हँसते हुए)- अभी मैं सिर्फ मंदिरा हूँ, थेरैपिस्ट मंदिरा नहीं। वैसे अगर तुम चाहो, तो इस पर सुबह और बात कर सकते हैं। फिलहाल, गाड़ी चलाने पर ध्यान दो। मुझे अभी सिर्फ मंदिरा बनकर रहना है।
भूषण (मजाक करते हुए)- क्या तुम अपनी जिंदगी इसी तरह जीती हो? मतलब, मंदिरा और थेरैपिस्ट मंदिरा में स्विच करते हुए?
मंदिरा (गंभीर होकर)- क्यों? तुम नहीं कर पाते? भूषण और “the game developer” भूषण में फर्क?
भूषण (सोचते हुए)- नहीं.... मतलब, हाँ, लेकिन मेरी social life में भी हम ज्यादातर काम की बातें ही करते हैं। आपको हमेशा updated रहना पड़ता है,
मंदिरा - और यह किसने कहा कि तुम्हें हर वक्त update रखना है या हर वक्त काम की बातें करनी हैं? क्या यह कोई रूल है?
भूषण ने कुछ पल के लिए सोचा। मंदिरा की बातें उसके दिल को छू रही थीं, और उसे सोचने पर मजबूर कर रही थी कि आखिर वह अब तक किस तरह जीता आया है॥ भूषण को खोया हुआ देख मंदिरा ने एक बार फिर से उसे समझाते हुए कहा, ‘’देखो, अपने लिए वक्त निकालना जरूरी है, तुम्हारा दिमाग एक मशीन की तरह है। उसे हर वक्त सोचने के लिए फीड चाहिए, लेकिन उसे आराम भी चाहिए। ब्रेक लेना या boundary set करना कोई crime नहीं है''
भूषण मंदिरा की बातों को अपने जीवन पर लागू करते हुए अपने गुज़रे हुए कल में कहीं खो सा गया था, लेकिन वह ज़्यादा वक्त उस कल में रह नहीं पाया। मंदिरा अभी भूषण को समझा ही रही थी कि तभी उसका फोन बज उठा। उसके फ़ोन की आवाज़ से उन दोनों की बातचीत में खलल पड़ गया। मंदिरा ने फोन उठाया, दूसरी तरफ से एडमिन वाले गुप्ता जी की आवाज आ रही थी। उन्होंने घबराते हुए कहा “मंदिरा जल्दी आओ, यहाँ एक गेस्ट ने ज़हर खा लिया है। और.... और उसकी साँसें नहीं चल रही हैं!” गुप्ता जी की बात सुनकर मंदिरा का चेहरा एकदम सख्त हो गया। उसकी मुस्कान गायब हो गई। उसने भूषण की ओर देखा और गंभीर आवाज़ में कहा, ‘’हमें वापस रिज़ॉर्ट जाना होगा। अभी…''
किस गेस्ट ने खा लिया ज़हर ? क्या रिनी मान लेगी शारदा की बात? क्या सच में रिनी ने कराया था क्षितिज की पत्नी का क़त्ल? जानने के लिए पढ़िए अगला भाग।
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