भूषण अपने अतीत से भागते हुए इस रिज़ॉर्ट में आया था, लेकिन सच यह था कि वह अब भी बहुत सी ऐसी बातों से अनजान था, जो उसके यहाँ आने का कारण बनी। इस बात का अंदेशा भूषण को सबसे पहले तब हुआ जब उसने ऐड्मिन ऑफिस में उस शख्स को देखा। वह शख्स उसके अतीत के उन कड़वे पलों का हिस्सा था, जिन्हें भूषण याद तक नहीं करना चाहता था… वह कोई और नहीं, बल्कि उसके अंकल मिस्टर नायर थे। मिस्टर नायर… भूषण के पिता के पुराने दोस्त और साथ ही, उसकी मॉम के भी। इसी वजह से उसने हर बार मिस्टर नायर को नज़रन्दाज़ करने की कोशिश की थी, , लेकिन आज उन्हें यहाँ देखकर वह ठिठक गया। उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा, उसने अपने आप से सवाल किया, ‘यह यहाँ क्या कर रहे हैं? यह मुझसे मिलने आए हैं या फिर इनका यहाँ किसी और से रिश्ता है?’
उसके मन में सवालों का बवंडर उठने लगा। मिस्टर नायर admin office में बैठे हुए गुप्ता जी से कुछ बात कर रहे थे, उनके हाव-भाव में वही चालाकी नज़र आ रही थी, जिससे भूषण को चिढ थी। उसके दिमाग में तरह-तरह के ख्याल आ रहे थे, उसने मन ही मन सोचा, ‘’अगर इन्हें पता चल गया कि मैं यहाँ हूँ, तो यह मुझे परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे। मुझे यहाँ से निकल जाना चाहिए''
यह बात सोचकर भूषण ने धीरे-धीरे उल्टे कदम बढ़ाने शुरू किए, उसकी कोशिश थी कि बिना किसी को दिखे, वह वहाँ से निकल जाए, लेकिन तभी उसके पीछे से एक जानी-पहचानी आवाज़ आई, ‘’अरे, भूषण! कहाँ जा रहे हो? क्या हुआ, इतनी हड़बड़ाहट में क्यों हो?''
मंदिरा की आवाज़ सुनकर भूषण चौंककर रुक गया। उसने धीरे-से पलटकर मंदिरा की ओर देखा। उसके चेहरे पर हल्की घबराहट आ गई, और उसने सकपकाते हुए कहा, ‘’न-नहीं, ऐसा कुछ नहीं। मैं तो बस तुम्हें ही ढूँढ रहा था, मुझे कहना था कि गेस्ट इंट्रोडक्टरी सेशन बहुत अच्छा था। थैंक यू!''
भूषण इतना कहकर तेज़ी से वहाँ से निकल गया, मंदिरा उसे जाते हुए हैरत से देखती रही। उसे भूषण का बर्ताव थोड़ा अटपटा लगा, लेकिन उसने उसे रोका नहीं। उसके बाद मंदिरा एडमिन ऑफिस की तरफ मुड़ गयी… अंदर गई तो वहाँ मिस्टर नायर खड़े थे। उन्हें देखकर मंदिरा के चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान आ गई। वहीँ दूसरी तरफ भूषण अपने कमरे में पहुंचकर तेज़ कदमों से इधर से उधर चक्कर काटने लगा। उसका चेहरा तनाव से भरा हुआ था। उसने तुरंत अपना फोन उठाया और अविनाश को कॉल मिलाया, फ़ोन उठते ही भूषण ने गुस्से के साथ कहा, ‘’अविनाश, तुमने मिस्टर नायर को मेरा पता दिया था?''
अविनाश ने भूषण के सवाल पर चौंकते हुए कहा क्या? “नहीं, मैंने ऐसा कुछ नहीं किया, क्यों? अविनाश ने जैसे ही क्यों कहा, भूषण ने उसपर चिल्लाते हुए कहा, ‘’वह यहाँ रिज़ॉर्ट में हैं! समझ रहे हो? वह यहाँ भी पहुँच गए, मेरे सिर पर नाचने, न जाने वह मेरा पीछा क्यों नहीं छोड़ते..''
भूषण की बात सुनकर अविनाश ने कुछ कहने की कोशिश की, लेकिन भूषण ने कॉल काट दिया। गुस्से और चिंता से भरे भूषण ने तेज़ी से बेड पर बैठकर कहा, ‘’अब यह सब क्या नया ड्रामा है? यह यहाँ क्या कर रहे हैं?''
भूषण की उलझन बढ़ती जा रही थी, वह यह समझ नहीं पा रहा था कि नायर यहाँ क्यों आए हैं।
जहाँ एक तरफ भूषण रिसोर्ट में मिस्टर नायर को देखकर परेशान था, वहीं मुंबई में रिनी भी एक कशमकश में फँसी हुई थी। क्षितिज ने उसे गुस्से में डांटते हुए एक पते पर बुलाया था। रिनी के दिल में अजीब सा डर था, मन में एक ही सवाल… क्या क्षितिज को सब पता चल गया? वह बार-बार कुछ ख्याल बुनती, लेकिन हर बार और उलझती जा रही थी। वह अपनी कार में बैठी थी, और सड़क पर तेज़ी से गुजरती गाड़ियाँ उसे और बेचैन कर रही थीं। अपनी उँगलियों को बार-बार मरोड़ने लगी और खुद से बड़बड़ाई, ‘अगर क्षितिज को सच पता चल गया, तो सब खत्म हो जाएगा। मुझे किसी न किसी तरह इस इल्ज़ाम को किसी और पर डालना होगा। सबसे पहले तो मुझे शांत रहना होगा, अगर मैं घबरा गई, तो क्षितिज सब समझ जाएगा। मुझे उसके सामने मासूम बनकर पेश आना होगा। ’
रिनी ने एक लंबी सांस ली और खुद को सँभालने की कोशिश की लेकिन उसकी घबराहट उसकी हर हरकत में झलक रही थी। जैसे ही उसकी कार उस पते पर पहुँची, उसने देखा कि वहाँ एक बड़ी इमारत बन रही थी, जिसपर बाहर की तरफ हरे रंग के पर्दें लटक रहे थे। रिनी ने कार से उतरते हुए इमारत को देखा, उसकी आँखों में सवाल था, ‘’क्षितिज ने मुझे यहाँ क्यों बुलाया है? क्या वह सच में मुझे इस बिल्डिंग से नीचे फेंकने वाला है?''
रिनी का दिल तेजी से धड़कने लगा, उसकी आँखों में डर साफ दिखाई दे रहा था। तभी उसके फोन पर शितिज का कॉल आया उसने गम्भीर आवाज़ में कहा अंदर आ जाओ, रिनी तुम्हारे लिए एक सरप्राइज है। क्षितिज की बात सुनकर, रिनी ने फोन रखते हुए गहरी सांस ली और इमारत के अंदर चली गई। जैसे ही उसने अंदर कदम रखा, वहाँ का नजारा देखकर वह हैरान रह गई… वहाँ ढेर सारे लोग खड़े थे, जिनके हाथों में फूलों के गुलदस्ते थे, चारों तरफ रंगीन रोशनी और सजावट थी। बीच में एक बड़ा सा केक रखा था, और दीवार पर एक बैनर लटका हुआ था, जिस पर लिखा था, welcome boss। रिनी की नजरें बैनर पर टिक गईं, उसकी समझ में ही नहीं आ रहा था कि यह सब क्या है। तभी क्षितिज उसके पास आया, मुस्कुराते हुए बोला “तो? कैसा लगा मेरा सरप्राइज?” रिनी ने हैरान होते हुए कहा, ‘’यह सब क्या है, क्षितिज?''
रिनी के सवाल पर क्षितिज ने उसके हाथों को थामते हुए कहा, “यह वही है, जिसका तुमने हमेशा सपना देखा था। तुम्हारा खुद का fashion brand, यह तुम्हारे ब्रांड का नया घर है। यहाँ से तुम्हारा पूरा काम होगा, डिज़ाइन, प्रोडक्शन और सेल्स, सब कुछ एक ही जगह से”. क्षितिज की बात सुनकर रिनी ने चारों तरफ देखा और फिर उसने क्षितिज को देखा। उसकी आँखों में खुशी और हैरानी का मिला-जुला भाव था, उसने हल्की सी मुस्कान दी और कहा, ‘’थैंक यू, क्षितिज, यह सच में बहुत बड़ा सरप्राइज है।''
रिनी ने क्षितिज को गले से लगा लिया। क्षितिज ने उसका हाथ पकड़ा और उसे केक काटने के लिए ले गया। वहाँ मौजूद सभी लोगों ने तालियाँ बजाईं, रिनी ने केक काटा और सबको खिलाने लगी। तभी, उसकी नजर कोने में खड़ी एक लड़की पर पड़ी, लड़की उसकी तरफ एकटक देख रही थी। उसे देखकर रिनी ने हैरान होते हुए पूछा, ‘’आप कौन हैं?''
रिनी के सवाल पर लड़की ने हंसते हुए कहा, “मैं आँचल हूँ हमारी फोन पर बात हुई थी, लेकिन आपने उसके बाद कोई जवाब नहीं दिया”। आँचल का नाम सुनते ही रिनी के होश उड़ गए, उसकी साँसें अटक गईं। उसने घबराते हुए पूछा, ‘’तुम यहाँ क्या कर रही हो?''
आँचल कुछ कहने ही वाली थी कि तभी क्षितिज वहाँ आ गया, उसने मुस्कुराते हुए कहा “अरे! आँचल! यह तो सरप्राइज है। मुझे नहीं लगा था कि तुम इतने short नोटिस पर आ जाओगी, लगता है आजकल अच्छा काम नहीं मिल रहा तुम्हें।” आंचल ने क्षितिज को देखा, फिर रिनी की तरफ एक तिरछी मुस्कान से देखकर कहा, “अच्छा काम भी मिल जायेगा, क्या पता यहीं से मिल जाए”। क्षितिज और आँचल को बातचीत करते देख रिनी के मन में और सवाल उठने लगे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आँचल को क्षितिज कैसे जानता है वह उन दोनों को वहीं छोड़कर एक कोने में चली गई। उसके चेहरे पर गुस्सा और परेशानी साफ़ झलक रही थी, उसने अपने फोन से किसी को कॉल करते हुए कहा, ‘’मुझे एक काम कराना है, किसी को रास्ते से हटाना है। कीमत जो भी हो, लेकिन काम एकदम परफेक्ट होना चाहिए। मैं फोटो और एडवांस भेज दूँगी, बस काम सफाई से होना चाहिए''
रिनी अभी फोन पर बात कर ही रही थी कि तभी पीछे से एक आवाज़ आई, “किसे एडवांस भेजा जा रहा है, रिनी?” रिनी ने चौंककर पीछे देखा, वहाँ क्षितिज की सौतेली माँ, शारदा, खड़ी थीं। उनकी आँखों में सवाल और चेहरे पर सख्ती थी रिनी के हाथ से फोन गिरते-गिरते बचा। वह हक्की-बक्की रह गई और एक शब्द भी नहीं बोल पाई। जहाँ एक तरफ रिनी हैरान-परेशान थी, तो वहीं दूसरी तरफ भूषण अपने कमरे में बेचैन लेटा था। दिन भर का सुकून, जो सुबह से उसे महसूस हो रहा था, अब कहीं गायब हो गया था। उसकी बेचैनी उसे चैन से बैठने नहीं दे रही थी। उसने करवट बदली, फिर bed से उठकर बाहर जाने लगा और खुद में बड़बड़ाते हुए बोला, ‘’शायद बाहर जाकर थोड़ा टहलने से मन हल्का हो जाए।''
भूषण ने जल्दी-जल्दी चप्पलें पहनीं और कमरे से बाहर निकल गया। लॉन में lights जल चुकी थी, वह धीरे-धीरे चलते हुए लॉन के बीच बनी एक बेंच पर जा बैठा। उसके चेहरे पर बेचैनी और चिंता साफ झलक रही थी। उसकी आँखों में वही पुरानी बातें घूमने लगीं, जो उसने अपने मन के किसी कोने में दबा रखी थीं। तभी, दूर से आती हुई मंदिरा की नजर उस पर पड़ी, मंदिरा ने भूषण के पास आते हुए कहा, ‘’भूषण, क्या हुआ? तुम इतने परेशान क्यों लग रहे हो?''
भूषण ने चौंककर उसकी ओर देखा। कुछ पल के लिए वह चुप रहा, फिर हल्की सी मुस्कान के साथ बोला, ‘’कुछ खास नहीं, बस ऐसा लगता है कि मैं चाहे कुछ भी कर लूँ, इस बेचैनी से छुटकारा नहीं पा सकता और ना ही अपने अतीत से। आज सुबह सब कुछ ठीक लग रहा था, लेकिन अब फिर वही बेचैनी। मुझे समझ नहीं आता कि मैं इसे कैसे संभालूँ''
मंदिरा ने भूषण की बात ध्यान से सुनी। वह कुछ देर तक चुप रही, जैसे उसके शब्दों को समझने की कोशिश कर रही हो, फिर उसने गहरी सांस ली और धीमे से कहा, ‘’भूषण, कभी-कभी हम अपने आपसे ज़्यादा उम्मीदें करने लगते हैं हम सोचते हैं कि हमें हर वक्त खुश रहना चाहिए लेकिन ऐसा ज़रूरी नहीं है। मेरा मतलब है, तुम अपने आप पर इतना दबाव क्यों डाल रहे हो? अपनी फीलिंग्स को फील करो, खुद से यह मत कहो कि तुम्हें अच्छा ही महसूस करना है। खुद को उस बेचैनी को महसूस करने की इजाज़त दो। जब हम अपने इमोशन्स को दबाने की कोशिश करते हैं, तो वह उतनी ही गहराई तक हमें परेशान करते हैं''
भूषण ने मंदिरा की बात को गौर से सुना। उसे समझ आ रहा था कि मंदिरा क्या कहना चाह रही थी। उसके बाद मंदिरा ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘’मंदिराक्या तुमने groundhog day मूवी देखी है?''
मंदिरा के सवाल पर भूषण ने ना में सिर हिलाया, जिसके बाद मंदिरा ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘’उस फिल्म में हीरो एक ही दिन को बार-बार जीता है, और शुरुआत में उसे बहुत गुस्सा आता है लेकिन धीरे-धीरे वह समझता है कि दिन भले ही एक जैसा हो, लेकिन हर दिन को जीने का तरीका उसके हाथ में है। जब वह अपने इमोशन्स को समझता है और उनकी इज्जत करता है, तब उसकी ज़िंदगी बदलने लगती है। बस तुम भी एक दिन लेकर चलो, एक बार में एक दिन। उसमें जो करना है करो, क्या पता कल हो न हो...''
भूषण ने उसकी बात पर ध्यान दिया उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान आई, उसने सवाल करते हुए कहा, ‘’तो तुम्हारा कहना है कि मैं जो महसूस कर रहा हूँ, उसे एक्सेप्ट करूँ, और आगे बढ़ूँ...''
मंदिरा- बिल्कुल, खुद को ठीक होने के लिए समय दो। ज़रूरी नहीं है कि तुम हर वक्त अच्छा महसूस करो, बस अपनी फीलिंग्स के साथ ईमानदार रहो
भूषण ने गहरी सांस ली। मंदिरा की बातें सुनकर उसे हल्का महसूस हो रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे कोई उसका बोझ बाँट रहा हो। भूषण ने कुछ देर तक चुपचाप आसमान की तरफ देखा फिर उसने मंदिरा की ओर देखा और हल्के से मुस्कुराते हुए, उसे अपने फोन की बात बता दी और मंदिरा को वापस देने की बात कही। इसके बाद भूषण मंदिरा के साथ अपने कमरे में गया, लेकिन जब उसने अपना फोन ढूँढने के लिए अपने bed पर रखे तकिये की ओर देखा, तो वह चौंक गया। उसने तकिये को पलटकर देखा, लेकिन फोन वहाँ नहीं था। उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा उसने मंदिरा की तरफ देखा और कहा, ‘’फ़ोन नहीं है, कहां गया?? कहीं कोई उठा तो नहीं ले गया, पर उसमें कुछ ज़रूरी चीज़ें हैं। अब मैं क्या करूंगा?''
कहां गया भूषण का फोन ? आखिर क्या रिश्ता है मिस्टर नायर का मंदिरा के साथ? क्या रिनी का सच जान जाएगा क्षितिज और उसका परिवार? क्या होगा इन बातों का भूषण की ज़िन्दगी पर असर? जानने के लिए पढ़िए अगला भाग।
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