रात का सन्नाटा सभी corridors में पसरा हुआ था, हल्की रोशनी में सब कुछ धुंधला-धुंधला सा दिख रहा था। भूषण मंदिरा से नहीं मिल पाया था, जिसकी वजह से वह वापस अपने कमरे में जा रहा था। वह धीमे कदमों के साथ अपने कमरे की ओर लौट रहा था, लेकिन तभी उसकी नज़र राघव के कमरे के बाहर खड़े एक अजनबी आदमी पर पड़ी। भूषण को देखते ही वह पलटकर कॉरिडोर में दौड़ने लगा। यह देखकर भूषण चौंक गया और उसे पकड़ने के लिए तेज़ी से उसके पीछे भागा और तेज़ आवाज़ में बोला, ‘’रुको! कौन हो तुम? यहाँ क्या कर रहे हो?''

भूषण के आवाज़ लगाने पर भी वह आदमी नहीं रुका, और देखते ही देखते वह कॉरिडोर के किसी अंधेरे कोने में गायब हो गया। भूषण ने चारों तरफ नजर दौड़ाई, पर उसे कहीं कुछ दिखा नहीं। उसकी सांसें तेज हो गई और माथे पर पसीने की बूंदें उभर आई। भूषण ने वापस अपने कमरे की तरफ बढ़ते हुए खुद में बड़बड़ाते हुए कहा, ‘’ना जाने क्या-क्या हो रहा है यहाँ? यह जगह अब और अजीब होती जा रही है....''


भूषण अब राघव के कमरे के पास रुक गया, वह सोच रहा था कि राघव से बात करेगा, लेकिन जैसे ही उसने दरवाजा खोला, उसकी आँखें खुली की खुली रह गईं। कमरे में राघव नहीं था, उसकी जगह वहाँ एक लड़की खड़ी थी। लड़की की मौजूदगी ने भूषण को हैरान कर दिया। उसके मन में सवालों का तूफान उठ खड़ा हुआ, उसने सख्ती से पूछा, ‘’तुम कौन हो? और यहाँ क्या कर रही हो?''


भूषण को देखकर लड़की सहम गयी, भूषण को यूँ चिल्लाते देख उसके गले से आवाज़ नहीं निकल रही थी, लेकिन उसने तुरंत खुद को संभाल लिया। गिड़गिड़ाते हुए कहा “प्लीज़, मेरी बात सुनिए। मैं यहाँ कोई गलत काम करने नहीं आई हूँ..मैं बस....” लड़की अभी आगे कुछ कहती, उससे पहले भूषण ने गुस्से में कहा, ‘’यहाँ पार्टी करने आई हो क्या? तुम्हें पता है यह जगह कौन सी है? यह मेल रूम्स हैं, और यहाँ लड़कियों का कोई काम नहीं। तुम यहाँ कैसे पहुँची और राघव कहाँ है?''


लड़की ने एक पल के लिए दरवाजे की ओर देखा, मानो भागने का रास्ता ढूंढ रही हो, लेकिन फिर उसने खुद को रोक लिया। वह हाथ जोड़ते हुए भूषण के सामने खड़ी हो गई। “प्लीज़, मेरी बात सुनिए, शोर मत करिए, यहाँ कोई आ जाएगा. देखिये, मैं यहाँ अपने बॉयफ्रेंड से मिलने आई हूँ। वह यहीं है.. मतलब आने वाला है..” लड़की की बात सुनकर भूषण को गुस्सा आ गया, उसने लड़की की बात को झूठ मानते हुए कड़े लहज़े में कहा, ‘’बकवास मत करो, मैं राघव को अच्छे से जानता हूँ, उसकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं हो सकती। मेरा मतलब है, वह यहाँ ऐसा कुछ नहीं करेगा, तुम झूठ बोल रही हो। तुम रुको...मैं अभी सिक्योरिटी को बुलाता हूँ।''


भूषण की बात सुनकर लड़की ने तुरंत अपने हाथ जोड़ लिए, उसकी आँखों में डर और लाचारी साफ झलक रही थी। भूषण आगे बढ़ा तो लड़की उसके सामने अड़ गयी, और उसने भूषण के सामने गिड़गिड़ाते हुए कहा “शांत हो जाइए! मैं सच बोल रही हूँ। मैं यहाँ अपने बॉयफ्रेंड से ही मिलने आई थी, और राघव यहाँ नहीं है। वह डॉ. विराज से मिलने गए हैं। मेरा नाम प्रिया है, मैं यहाँ मेस में काम करती हूँ। मेरा बॉयफ्रेंड दूसरी बिल्डिंग के मेडिकल डिपार्टमेंट में है...”प्रिया आगे कुछ कहती उससे पहले भूषण ने झल्लाते हुए सख्ती से कहा, ‘’अगर तुम्हारा बॉयफ्रेंड दूसरी बिल्डिंग में है, तो यहाँ क्यों आए हो और तुम यह सब छुपकर क्यों कर रही हो?''

 

भूषण के सवाल पर लड़की ने परेशान होकर कहा “हमने डॉ. विराज से मदद मांगी थी।  मेरे बॉयफ्रेंड शौर्य ने उन्हें यहाँ आने की बात बताई थी, बदले में डॉ. विराज ने राघव को वहाँ बुला लिया। मेरा बॉयफ्रेंड बस आता ही होगा, आप उससे पूछ सकते हैं...”। भूषण ने लड़की की बात सुनी और उसे तुरंत वह अजनबी आदमी याद आ गया जिसे उसने थोड़ी देर पहले देखा था, उसने फिर हैरानी और अफ़सोस के साथ कहा, ‘’वह तुम्हारा बॉयफ्रेंड था? ओह, शिट! मैंने उसे देखा था, वह मुझे देखकर भाग गया....मतलब उसे लगा कि मैं कोई स्टाफ मेम्बर हो सकता हूँ, इसलिए शायद…''


भूषण की बात सुनकर प्रिया ने गुस्से से भूषण की ओर देखा। उसने नाराज़गी भरी आवाज़ में कहा “यार, यह क्या कर दिया आपने? आप जानते भी हैं, उसका यहाँ आना कितना मुश्किल था! इतनी मुश्किल से प्लान बनाया था...”। भूषण ने प्रिया की बात सुनकर चिढ़ते हुए कहा, ‘’मुझ पर मत भड़को, मुझे यह सब नहीं पता था। इसमें किसी की गलती है तो वह तुम्हारी है, तुम यह सब छुपकर क्यों कर रही हो? तुम तो स्टाफ हो, आसानी से मिल सकती थी.. मुश्किल क्यों उठानी…''

 
भूषण के सवाल पर प्रिया ने गहरी सांस ली और फिर बेड पर बैठते हुए एक गहरी सांस लेकर बोली बोली “सही कहा, मैं आप पर क्यों भड़क रही हूँ, लेकिन मैं भी मजबूर हूँ, अगर मेरे डैड को पता चल गया कि मैं यह सब कर रही हूँ, तो वह मुझे वापस घर भेज देंगे”। भूषण ने हैरान होकर प्रिया से पूछा, ‘’वापस भेज देंगे, मतलब? तुम्हारे डैड कौन हैं?''


भूषण के सवाल पर प्रिया कुछ देर चुप रही फिर अपने बाल खुजलाते हुए बोली, “आनंद श्री...”। आनंद श्री का नाम सुनते ही भूषण की आँखें हैरानी से चौड़ी हो गयी, उसने हैरानी से कहा, ‘’यानी इस रिज़ॉर्ट के मालिक… मतलब जो यह सब करवा रहे हैं, वह तुम्हारे डैड हैं?''

 

भूषण के सवाल पर प्रिया ने अपना सिर हिलाया और कहा “अब मैं क्या करूं? मैं वापस रूम पर भी नहीं जा सकती, क्योंकि बाहर गार्ड्स होंगे”। भूषण ने परेशान होते हुए प्रिया को देखा फिर परेशान होकर खुद भी कुर्सी पर बैठ गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करे? वहीँ दूसरी तरफ इन सब बातों से अनजान मंदिरा पहाड़ों के बीच बने गेस्ट हाउस के एक कमरे में बैठी हुई थी, बाहर घना अंधेरा फैला हुआ था। ठंडी हवा के झोंके खिड़की के पुराने शीशों से टकरा रहे थे। कमरे के अंदर एक छोटी सी टेबल पर जलती लालटेन रखी थी। मंदिरा कमरे में मौजूद अपनी स्टडी टेबल पर बैठी थी। उसके सामने उसकी डायरी खुली थी, उसकी आंखों में बेचैनी और चेहरे पर थकान साफ झलक रही थी। मंदिरा सुबह से ही परेशान महसूस कर रही थी, तबियत खराब होने का बहाना करके मंदिरा ने आज गेस्ट हाउस से बाहर कदम भी नहीं रखा था। डायरी के साथ-साथ मंदिरा ने अपनी मेज़ पर एक चार्ट भी रखा हुआ था, जिसमें कुछ लोगों की तस्वीरें और उनके नाम लिखे हुए थे। इस चार्ट को देखकर उसके मन में कई सवाल उमड़-घुमड़ रहे थे, वह धीरे-धीरे अपने सारे सवालों को, उनसे बन रहे विचारों को, डायरी में उतार रही थी, लेकिन मंदिरा के ख्यालों में इस वक्त सिर्फ एक ही नाम छाया हुआ था, वह था भूषण। अचानक मंदिरा का ध्यान अपने काम से हटकर पूरी तरह भूषण पर चला गया और उसने अपनी डायरी में लिखते हुए कहा, ‘’मैं हमेशा तुम्हारे आसपास ही रही, भूषण... लेकिन तुमने कभी मुझे देखा ही नहीं।  मैंने हर बार तुम्हें पहचाना, लेकिन तुमने मुझे कभी पहचाना नहीं। आज भी मैं तुम्हारे आसपास हूं, लेकिन तुम मेरी सच्चाई से अनजान हो।.. मैं तुमसे आज भी अपनी असलियत के साथ मिलना चाहती हूँ, लेकिन क्या करूं, मैं मजबूर हूँ। काश, मैं तुम्हें सच बता सकती … काश! तुम्हें कह सकती कि मैं ही तुम्हारी रिमझिम हूं, लेकिन अब मैं ऐसा नहीं कर सकती। मैंने न जाने कब से यह दुआ मांगी थी कि मैं तुमसे मिलूँ, तुम्हारे साथ वक्त बिताऊ, लेकिन यह सब तुम्हें नहीं बता सकती…''

मंदिरा ने लिखते-लिखते एक गहरी सांस ली और पेन को मेज पर रख दियाऔर कुछ देर के लिए ऊपर छत की ओर देखने लगी। अचानक उसके ख्यालों में अतीत के वह पल तैरने लगे, जब उसने लगभग 12 साल बाद भूषण को मुंबई में देखा था.. जब मंदिरा  ने पहली बार St. Xavier’s कॉलेज में कदम रखा था। फ्रेशर्स के दौरान उसने भूषण को देखा था, जब वह कुछ लड़कियों से बातें कर रहा था। मंदिरा ने उसे तुरंत पहचान लिया था, भूषण के बाल हल्के बिखरे हुए थे, और उसकी आंखों में एक अलग सी चमक थी। उसे देखने भर से ही कोई ये अंदाज़ा लगा सकता था कि वह कॉलेज में कितना मशहूर है। सबका ध्यान उसपर होता, मंदिरा का भी, लेकिन भूषण ने मंदिरा पर कभी ध्यान ही नहीं दिया। मंदिरा अपने इन्हीं ख्यालों में डूबी हुई मुस्कुरा रही थी कि तभी उसके कानों में एक औरत की आवाज़ गूंजी.. औरत ने शिकायत भरे लहज़े में कहा “अगर अपनी बहन की सलामती देखना चाहती हो, तो भूषण को वापस लेकर आओ।” यह आवाज़ आते ही मंदिरा  ने हैरानी से इधर-उधर देखा, कमरे में कोई नहीं था, लेकिन वह आवाज अब भी उसके कानों में गूंज रही थी। उसने खुद को संभालने की कोशिश की कि अचानक, दरवाज़े पर तेज दस्तक हुई।  मंदिरा  ने चौंककर दरवाजे की तरफ देखा. दस्तक इतनी जोरदार थी कि वह घबराकर खड़ी हो गई। मंदिरा  ने डर और हैरानी के साथ धीरे-धीरे दरवाजा खोला, और उसने देखा कि सामने खड़े दो लोग थे। यह लोग कोई और नहीं बल्कि डॉक्टर विराज और राघव थे...मंदिरा ने उन्हें देखकर हैरान होकर कहा, ‘’आप दोनों यहां इतनी रात को?''

 

जहाँ एक तरफ पहाड़ों पर यह रात ठंड और रहस्यों से भर गयी थी, वहीं दूसरी तरफ मुंबई में बने एक क्लब की चकाचौंध के बीच एक कोने की टेबल पर रिनी अकेली बैठी थी। उसके हाथ में एक महंगा ड्रिंक था, लेकिन उसकी आंखें बार-बार अपने फोन की स्क्रीन पर जा रही थी। ज़ाहिर सी बात थी कि रिनी किसी का इंतजार कर रही थी। उसकी बेचैनी आँखों से झलक रही थी। उसके चेहरे पर हल्की झुंझलाहट थी। उसने अपने फोन की स्क्रीन पर वक्त देखा और गहरी सांस लेते हुए खुद से बुदबुदाई, ‘’अब तक क्यों नहीं आई? कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं...''


जैसे ही उसने फोन वापस टेबल पर रखा, एक लड़की उसके सामने आकर खड़ी हो गई। उस लड़की के चेहरे पर आत्मविश्वास और होठों पर हल्की मुस्कान थी। उसे देखकर रिनी के चेहरे पर नाराजगी उभर आई। वहीँ लड़की ने मुस्कुराते हुए कहा “तो आखिरकार तुमने मुझे यहां बुला ही लिया, रिनी, मुझे तो लगा था कि अब मुझे तुम्हारे कारनामों के बारे में क्षितिज को ही बताना पड़ेगा”। रिनी ने अपनी झुंझलाहट को छुपाते हुए बार टेंडर की ओर इशारा किया और आर्डर देकर कहा, ‘’इन्हें मेरा स्पेशल ड्रिंक दो...''


इसके बाद रिनी ने लड़की की ओर देखते हुए तंज भरे लहजे में कहा, ‘’आंचल... द जर्नलिस्ट! सुना है, तुम जैसे पत्रकारों के पास खबरों के लिए आंखें और कान होते हैंले, किन तुम इतनी सारी चीजें छोड़कर मेरे पीछे क्यों पड़ी हो? मुझमें ऐसा क्या खास मिल गया तुम्हें?''


आंचल रिनी की बातों को अनसुना करते हुए मुस्कुरा दी… उसकी मुस्कान में गहरा राज़ छिपा था। आंचल ने टेबल पर आगे झुकते हुए कहा, “मुंबई के जाने-माने बिजनेसमैन की पत्नी बनने वाली हो, अपना खुद का फैशन ब्रांड लॉन्च करने जा रही हो, कभी टॉप मॉडल थी, तुमसे अच्छी खबर और क्या हो सकती है, रिनी? और अगर तुम्हारे नाम से जुड़ी कोई कान्ट्रवर्सी मिल जाए, तो क्या ही बात है।” रिनी ने आंचल की मुस्कान का जवाब चालाकी भरी मुस्कान से दिया। उसने अपने पर्स से एक चेक निकाला और उसे टेबल पर रख दिया… वह चेक  खाली था। चेक को सामने करते हुए रिनी ने चालाकी के साथ कहा, ‘’यह लो, जो भी कीमत है तुम्हारी, भर दो...लेकिन इसके बदले मुझे वह वीडियो चाहिए, और उसे भेजने वाले का नाम भी। साथ ही एक वादा, कि इस मुलाक़ात के बारे में किसी को पता नहीं चलेगा।''


रिनी की बात सुनकर आंचल ने एक बार चेक की ओर देखा, फिर रिनी की ओर। उसकी आंखों में अब गुस्से की झलक थी। उसने ठंडे लहजे में कहा “और अगर मैं ऐसा न करूं तो?” आंचल के सवाल पर रिनी ने आत्मविश्वास के साथ कहा, ‘’तो मेरे पास भी तुम्हारे बारे में बहुत कुछ है। तुम्हें और तुम्हारे उस वकील पति को बर्बाद कर सकती हूं। नागपुर रेप केस में उस लड़की को तुम्हारे पति ने ही केस वापस लेने को कहा था ना, और हाल ही के चुनावों में तुमने लीडिंग पार्टी से एक करोड़ रुपये लिए थे, फिर तुमने उनके माउथपीस की तरह काम किया..और क्या सुनना चाहती हो? तुम्हारा अफेयर? तुम्हारे भाई का ड्रग्स केस, जिसे खुद क्षितिज संभाल रहा है?''


रिनी की बातें सुनकर आंचल के चेहरे की चमक उड़ गयी, वहीँ रिनी ने चेक की ओर इशारा करते हुए बात खत्म करते हुए कहा, ‘’मुझे सब पता है, आंचल। अब ज्यादा मत सोचो, चेक लो और वही करो, जो मैं कह रही हूं। वरना तुम जानती हो, मैं क्या कर सकती हूं...''


रिनी की बातें खत्म भी नहीं हुई थीं कि उसके पीछे से एक आदमी की आवाज़ आई, जिसने तेज़ आवाज़ में कहा “क्या कर सकती हो, रिनी?” रिनी ने चौंककर पीछे मुड़कर देखा, तो उसके होश उड़ गये…

 

अब क्या करेगी रिनी? क्या भूषण पर आएगी नयी मुसीबत? क्या है मंदिरा का भूषण की ज़िन्दगी में वापस आने का मकसद? जानने के लिए पढ़िए अगला भाग.

 

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