रिनी(धमका कर)- यह लो, अपनी कीमत लिख लो और मुझे ब्लैकमेल करना बंद करो..

 

चोर चोरी से जाता है, हेरा फेरी से नहीं, यह कहावत रिनी पर बिल्कुल सटीक बैठ रही थी। रिनी हर हाल में अपने गुनाहों को छिपाना चाहती थी, उसके लिए अगर उसे आँचल को रास्ते से हटाना पड़ता तो वह यह भी कर लेती, लेकिन रिनी ने पहले वह रास्ता चुना, जो एक दौलतमंद इंसान चुनेगा… पैसे का रास्ता। उसने आँचल के सामने एक blank cheque रख दिया था। आँचल ने गहरी सांस लेते हुए चेक की तरफ देखा, उसकी नजरें चेक से उठकर रिनी के चेहरे पर जाकर टिक गईं, जिसके बाद रिनी ने ठंडी हंसी के साथ कहा, ‘’ऐसे मत देखो, जैसे तुम्हें पता ही नहीं कि मैं क्या कर रही हूँ? तुम समझती क्यों नहीं? मेरे पास वह  सब कुछ है, जो तुम्हारे करियर को बर्बाद कर सकता है। मेरे पास तुम्हारे हर गलत कदम का सबूत है। ज्यादा सोचो मत! तुम जानती हो, मैं क्या-क्या कर सकती हूँ।''

रिनी के शब्दों में जो आत्मविश्वास झलक रहा था,  वह  किसी भी इंसान के मन में डर भरने के लिए काफी था, लेकिन आँचल ने अपनी घबराहट को छिपाते हुए कुछ बोलने के लिए मुंह खोला ही था कि पीछे से एक कड़क आवाज़ आई, “क्या कर सकती हो, रिनी?” रिनी ने चौंककर पीछे मुड़कर देखा, वहाँ क्षितिज खड़ा था, उसकी आँखों में चमक और चेहरे पर हल्की मुस्कान थी, जिसे देख कर रिनी का चेहरा सफेद पड़ गया और सारा  आत्मविश्वास एक पल में हवा हो गया।  

रिनी(हकलाकर)-क्षितिज....

उसने घबराकर आँचल की तरफ देखा, लेकिन आँचल के चेहरे पर भी हैरानी थी। क्षितिज ने धीरे-धीरे टेबल के पास आते हुए कहा, क्या हुआ? तुम कुछ कह रही थीं आँचल से। क्या करने वाली हो? रिनी और आँचल दोनों ही खामोश रहे, क्षितिज की नजर टेबल पर रखे चेक पर पड़ी।  उसने उसे उठाया और ध्यान से देखते हुए कहा, “यह तो तुम्हारी चेकबुक का चेक है, रिनी, यहाँ क्या हो रहा है?” रिनी ने कुछ कहने की कोशिश की, लेकिन उसके शब्द गले में ही अटक गए, वह  बस क्षितिज को देखती रही। तभी आँचल ने माहौल को संभालने के लिए हँसते हुए कहा, “अरे! गलत मत समझो। मैं रिनी जी को समझा ही रही थी कि उन्हें यह ब्लैंक चेक देने की जरूरत नहीं है”। रिनी ने आँचल की तरफ घबराकर देखा। आँचल ने क्षितिज से कहा, “दरअसल, मैं एक NGO के लिए काम कर रही हूँ। हमें फंड्स की जरूरत है, और रिनी जी ने मदद के लिए यह चेक दिया”। क्षितिज ने आँचल की बात सुनी, फिर रिनी की ओर देखा तो रिनी ने बनावटी मुस्कान के साथ कहा, ‘’हाँ, जान। तुम्हें तो पता है ना, मुझे चैरिटी करने में सुकून मिलता है और आँचल के तो बहुत अच्छे कॉन्टैक्ट्स हैं। वह जानती हैं कि हमारे पैसों की असली जरूरत किसे है…''

 

क्षितिज ने रिनी की बात पर हल्की मुस्कान दी और चेक को उठाकर आँचल की ओर बढ़ाते हुए कहा, “fill it…” इतना कहने के बाद उसने रिनी की तरफ देखकर उसके माथे को हल्के से चूमा और प्यार से कहा, “मैंने सच में बहुत अच्छे कर्म किए होंगे, जो मुझे तुम मिली।” रिनी ने भी मुस्कुराते हुए क्षितिज का हाथ थाम लिया और धीरे से कहा, ‘’बिल्कुल भी नहीं। मैंने ही अच्छे कर्म किए थे, तभी तो तुम मुझे मिले।''

यह बात कहते हुए रिनी ने आँचल की तरफ देखा, जो अब तक चुपचाप यह सब देख रही थी। रिनी ने उसे आँखों में शुक्रिया अदा किया, कुछ देर तक माहौल सामान्य बना रहा। फिर रिनी ने क्षितिज से पूछा, तुम यहाँ कैसे? तुम्हारी तो फ्लाइट है रात को...

 

क्षितिज ने जवाब देते हुए कहा, ”फ्लाइट डिले हो गई। मैंने तुम्हें कॉल किया, लेकिन तुम्हारा फोन नहीं लगा, फिर मैंने अंकुश को कॉल किया..उसने बताया कि तुम यहाँ हो। यह नहीं बताया था लेकिन कि तुम आँचल के साथ हो। खैर, चलो अब एंजॉय करते हैं।” उन तीनों ने इसके बाद बातें कीं, हंसी-मजाक किया, और अपनी-अपनी ड्रिंक्स खत्म की, लेकिन आँचल और रिनी के बीच तनाव की महीन लकीरें अब भी मौजूद थी।॥  कुछ देर बाद क्षितिज वॉशरूम के लिए चला गया, उसके जाते ही रिनी ने अपनी जगह से थोड़ा झुकते हुए आँचल की तरफ देखते हुए कहा,''अब मैं तुम पर भरोसा कर सकती हूँ ना?''

आँचल ने एक पल के लिए उसकी आँखों में देखा और फिर शांति से जवाब दिया, “हाँ, देखा नहीं? मैंने तुम्हें बचाया!”  रिनी ने आंचल की बात सुनकर राहत की सांस ली और हल्के से मुस्कुराई। फिर उसने सवाल किया, ‘’तुम्हें वह  वीडियो और फोटो किसने भेजा था?''

 

आँचल इस सवाल पर कुछ देर के लिए चुप हो गई। उसने अपनी ड्रिंक का एक घूंट लिया और फिर धीरे से कहा, “भूषण व्यास, तुम्हारा एक्स-बॉयफ्रेंड…” रिनी का चेहरा पल भर के लिए सख्त हो गया। आँचल ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, वह  मेरे हसबैंड को जानता है। उसने मुझसे कहा था कि तुम पर केस करूँ—फ्रॉड और पैसे ऐंठने का, लेकिन मैंने अपने हसबैंड को रोका। आखिर, हमारे पास यह मौका था। रिनी ने आँचल की बात सुनी और बिना कुछ कहे अपने पर्स से पैसों की एक मोटी गड्डी निकाली, उसने उस गड्डी को टेबल पर रखते हुए कहा, ‘’यह... सच बताने के लिए! भूषण को मैं संभाल लूँगी, लेकिन अब तुम्हें मेरे लिए एक काम करना होगा.. और कीमत की चिंता मत करना...''

 

आँचल ने हैरानी से रिनी की तरफ देखा। रिनी की आँखों में एक अजीब सी चमक थी। उसने गहरी आवाज़ में कहा, ‘’कुछ लोगों के बारे में पता लगाना है।''

 

आँचल ने उसके इरादों को भांपने की कोशिश की, लेकिन रिनी की मुस्कान और आँखों की शैतानी चमक ने उसे सवाल करने का मौका नहीं दिया। वहीँ दूसरी ओर मुंबई से कई हज़ार किलोमीटर दूर पहाड़ों में मौजूद मंदिरा अपने कमरे के दरवाजे पर खड़ी, विराज और राघव को देख रही थी। उनके इतनी रात गये आने ने मंदिरा को परेशान कर दिया था। विराज ने दरवाजे पर खड़े-खड़े कहा, “क्या? अब यहीं खड़ा रखोगी? देखो, कितनी ठंड हो रही है!” मंदिरा ने झेंपते हुए कहा, ‘’सॉरी... आओ, अंदर आओ..''

 

मंदिरा ने तुरंत दरवाजा खोल दिया और दोनों अंदर आ गए, कमरे में घुसते ही विराज ने अपने जूते उतारे।॥ वहीं राघव ने नजरें झुका लीं, जैसे वह  कुछ छुपाने की कोशिश कर रहा हो। मंदिरा ने दरवाजा बंद करते हुए पूछा, ‘’तुम लोग इतनी रात को यहाँ क्या कर रहे हो और राघव, तुम्हें तो इस वक्त रिज़ॉर्ट में होना चाहिए था।''

 

राघव ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने बस एक पल के लिए विराज की ओर देखा, फिर सिर झुका लिया। विराज ने मंदिरा के सामने आते हुए कहा मंदिरा  हमें तुम्हारी मदद चाहिए। बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो गई है। मंदिरा ने चिंता के साथ पूछा, ‘’क्या हुआ?..''

 

मंदिरा के सवाल पर विराज ने गहरी सांस लेते हुए कहा, राघव के डैड को पता चल गया है कि मैं यहाँ हूँ, और राघव भी यहीं है, अब वह  इसे लेने आ रहे हैं। मंदिरा ने विराज की बात सुनकर हैरान होकर पूछा, ‘’ क्या? कैसे? ऐसा कैसे हो सकता है?''


विराज ने मजबूरी में कंधे उचकाते हुए कहा, मुझे नहीं पता। बस राघव की बड़ी दीदी ने फोन पर यही बताया। मैंने तभी राघव को रिज़ॉर्ट से बुलवा लिया। मंदिरा ने उसे घूरते हुए पूछा, ‘’बुलवा लिया मतलब? जानते हो ना, हर दो घंटे में वहाँ चेकिंग होती है।''

 

मंदिरा की इस बात पर इस बार राघव ने सिर उठाते हुए कहा, ‘’हाँ, उसके लिए भी इंतजाम कर दिया है। प्रिया और शौर्य को भी…''

 

मंदिरा(टोकते हुए)- क्या? तुमने वहाँ शौर्य को भेजा... और प्रिया भी वहीं है? विराज, यह क्या किया तुमने? जानते हो ना, ऐसी नौकरियाँ चली जाती हैं... और राघव, तुम तो समझदार हो, यह कोई सॉल्यूशन थोड़ी था!

 

मंदिरा को परेशान और राघव पर गुस्सा होते देख विराज ने गुस्से और बेबसी में कहा, “अरे प्लीज... यह वक्त इन सब बातों का नहीं है। हमें तुम्हारी मदद चाहिए। राघव के डैड सोमवार को आ रहे हैं। आज शुक्रवार है। हमें यहाँ से निकलना होगा।” मंदिरा ने विराज की ओर देखा। उसकी आँखों में आक्रोश और उलझन थी। वह  कुछ कहने ही वाली थी कि तभी विराज का फोन बज उठा। उसने फोन उठाया और कुछ सेकंड के लिए चुपचाप सुना। उसका चेहरा सफेद पड़ गया। मंदिरा ने चिंता से पूछा, ‘’क्या हुआ?''

 

मंदिरा के सवाल पर विराज ने कांपती आवाज़ में कहा, “शौर्य, प्रिया से नहीं मिल पाया। क्योंकि कोई लड़का आ गया था... जो उसके पीछे भागने लगा। और फिर वह  लड़का राघव के कमरे में चला गया।” राघव ने विराज की बात सुनते ही कहा, ‘’वह  पक्का भूषण होगा। जब हम निकल रहे थे, तब भूषण एडमिन ऑफिस की तरफ जा रहा था। वही होगा…''

 

मंदिरा ने उनकी बातें सुनकर अपना मुँह पर हाथ रख लिया। उसकी साँसें तेज हो गईं। उसने घबराहट भरी आवाज़ में कहा, ‘’What... यह क्या कह रहे हो? जानते हो इसका मतलब? भूषण और प्रिया अगर एक साथ पकड़े गए तो क्या होगा?..''

 

मंदिरा की आँखों में चिंता साफ झलक रही थी। उसने अपनी कलाई घड़ी की ओर देखा और चिल्लाई, ‘’शिट... अभी चेकिंग होने में बस 20 मिनट हैं! हमें जल्दी रिज़ॉर्ट पहुँचना होगा…''

 

यह कहते हुए उसने अपनी जैकेट उठाई और तेजी से दरवाजे की ओर बढ़ी। उसने पलटकर राघव और विराज की ओर देखा, लेकिन दोनों उसकी बात सुनकर चुप और उदास खड़े थे। उनकी खामोशी में एक गहरी निराशा और हताशा थी॥ वहीँ दूसरी तरफ भूषण और प्रिया, राघव के कमरे के  दोनों अलग-अलग कोनों में खड़े थे। प्रिया ने अपनी कलाई की घड़ी पर नज़र डालते हुए कहा, मुझे नहीं लगता कि शौर्य अब आएगा। राघव सर और विराज सर तो निकल भी गए होंगे। उसकी आवाज़ में घबराहट छिपी हुई थी, जिसे भूषण ने तुरंत भांप लिया। भूषण ने उसकी तरफ देखा और माथे पर उभर आई चिंता की लकीरों के साथ पूछा, ‘’निकल गए होंगे, लेकिन कहाँ?''

 

प्रिया कुछ पल के लिए चुप रही। फिर उसने धीमी आवाज़ में कहा, "वह  लोग... एक-दूसरे के साथ थोड़ा वक्त बिताना चाहते थे... शायद कहीं बाहर गए होंगे। वैसे भी कल और परसों रिसॉर्ट बंद रहेगा। सोमवार को नए लोग जो आने वाले हैं...भूषण ने उसकी बात को बीच में काटते हुए पूछा, ‘’नए लोग? मतलब?"

 

प्रिया ने अपनी जेब से च्यूइंगम निकाली और उसे चबाते हुए बोली, "नए लोग। यहां खासतौर पर उन्हीं को रखा जाएगा जो अपने लेट 20s या अर्ली 40s में हैं। बाकी सबको यहां से शिफ्ट कर दिया जाएगा। मुझे बस इतना ही पता है॥  बाकी सब मंदिरा दी और डैड को पता है।” भूषण के चेहरे पर हैरानी साफ झलक रही थी। उसे यह बातें अजीब और उलझाने वाली लग रही थीं। उसने एक गहरी सांस लेते हुए पूछा, ‘’तुम मंदिरा को बहुत अच्छे से जानती हो?"

प्रिया ने बिना किसी झिझक के जवाब दिया, "हाँ, कह सकते हो। मैं उन्हें पिछले पाँच सालों से जानती हूँ। जब वह  अपने मास्टर्स के लिए अमेरिका में थीं, तब मैं भी वहीं अपना शेफ कोर्स कर रही थी।” भूषण ने एक पल के लिए उसकी तरफ गौर से देखा।

भूषण- मन्दिरा अमेरिका में रहती थी?

 

प्रिया ने थोड़ी देर सोचा और फिर कहा, “नहीं... उन्होंने कुछ वक्त मुंबई में भी पढ़ाई की है। वैसे वह  लंदन में पली-बढ़ी हैं, और अभी कुछ महीने पहले यहां आई हैं। उन्हीं की वजह से डैड इस रिज़ॉर्ट  के लिए माने, वरना वह  तो अपने अमेरिका वाले  हीलिंग सेंटर और  रिज़ॉर्ट के साथ खुश थे” भूषण को प्रिया की बातें सुनकर कई चीज़ें समझ में आ रही थीं, लेकिन सबसे अहम बात यह थी कि मंदिरा लंदन में रही थीं। उसके दिमाग में सवालों का एक झुंड उमड़ने लगा था..प्रिया ने अब कमरे में घूमते हुए कहा, “मुझे लगता है कि तुम्हें अपने कमरे में चले जाना चाहिए। सोना चाहिए। मैं सुबह होते ही यहां से निकल जाऊंगी”। भूषण ने उसकी तरफ देखा और गहरी सांस लेकर कहा, ‘’नहीं... मैं ऐसा नहीं कर सकता। अभी कुछ देर में चेकिंग होगी। तब अगर तुम पकड़ी गईं, तो बेवजह का सीन बनेगा…''

 

 

भूषण की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। भूषण और प्रिया  ने एक दुसरे की तरफ देखा, दोनों की शक्लों पर अब बस एक ही सवाल था कि अब क्या होगा? आखिर अब क्या करेंगे भूषण और प्रिया? क्या मंदिरा कर पायेगी भूषण की मदद? क्या है रिनी की अगली चाल? जानने के लिए पढ़िए अगला भाग?

 

Continue to next

No reviews available for this chapter.