"पहले ही बहुत परेशानियां झेली है उन्होनें अब और नहीं, मेरी पिहू के चेहरे की उदासी नहीं कर सकती मैं बर्दाश्त, अपने परिवार को साथ लेकर नहीं लड़ पाऊंगी मैं इस माहिर खन्ना से, क्योकि इसकी फितरत से मैं वाकिफ हो चुकी हूं आए दिन ये मुसीबतें बढ़ाएगा। अच्छा है मैं अपनी फैमिली को सेफ कर, इन्हें एहसास करवाऊं जो ये कर रहे है गलत है और ये तब होगा जब मैं इनकी बात मानूंगी, मुझे इनकी बात माननी ही पड़ेगी और कोई रास्ता नहीं, अभी न मानूंगी तो फिर कुछ और कर फिर मजबूर करेगें, उससे अच्छा है अभी मान लूं…कम से कम मेरे अपनों को झेलना नहीं पड़ेगा।

अयाना ने अच्छे से सोच विचार कर अपनी आखें खोली और माहिर खन्ना की तरफ देखा जो उसे ही देख रहा था, अयाना समझ चुकी थी अब एक ही रास्ता बचा है और फिलहाल यही सही है….वो है माहिर की बात मानना।"

माहिर - "क्या सोचा?"

अयाना - "हम तैयार है आपके यहां जॉब करने के लिए।"

माहिर खुश होते - "तुम्हारी हां है….तुमने मेरी बात मान ली।"

अयाना ने हां में सिर हिला दिया, ये देख माहिर खन्ना खुशी के मारे उछल पड़ा - "यस यस, ऐसा हो ही नहीं सकता माहिर खन्ना चाहे कुछ और ना हो, माहिर खन्ना को कोई ना कह दे सवाल ही पैदा नहीं होता।"

अयाना उसे देख बड़बड़ाई - "खुश तो ऐसे हो रहे है जैसे कोई बहुत बड़ा तीर मार लिया हो, मर्जी से नहीं मजबूरी में हमने हां कहा है, वरना इतना आसान भी नहीं हमारी ना को हां में बदलना, बस अपनी पॉवर के चलते ना को हां करना आता है इन्हें, किसी की मर्जी से करवाये हां तो नानी ही याद आ जाए। माहिर खन्ना, सच में माहिर है….धोखेबाजी की खान है, सब्र रखिए सूद समेत, बदला न लिया ना आपकी करनी का तो हमारा नाम भी अयाना मिश्रा नहीं!"

तभी माहिर उसके सामने आ खड़ा हुआ और एटीट्यूड वाले लहजे में बोला - "साम दाम दंड भेद.....समझाया नहीं समझी, पैसे देकर मनाया नहीं मानी, सजा भी दी तुम्हें कही जॉब न मिलने वाली फिर भी तुम जिद्द पर अड़ी रही मेरी बात नहीं मानी, फिर आई बारी भेद की, यानि तुमसे तुम्हारे परिवार को अलग करना, दूर करना, मामी को जेल, जो कि तुम बिल्कुल नहीं चाहती, जान जो बसती है तुम्हारी तुम्हारे अपनों में राईट मिस अयाना एंड नॉऊ एम वीनर (अपनी बाहें फैलाते) एम वीनर।"

ये सुन अयाना ने उससे अपनी नजरें फैर ली और माहिर तिरछा मुस्कुरा दिया।

________
 

दोनों एक दूजे की ओर घूर रहे थे तभी दोनों के पास पिहू चली आई, वो दोनों की ओर बारी बारी से देखते बोली - "क्या हुआ?"

पिहू के लफ्ज अयाना माहिर दोनों के कानों में पड़े तो दोनों ने एक दूजे को घूरना बंद कर मुस्कुराते पिहू की ओर देखा, जो दोनों की ओर ही हैरानी से देख रही थी पिहू अयाना की बाहं पर हाथ रखते - "अयू दी सब ठीक है ना?"

अयाना मुस्कुराते हुए उसके गाल पर हाथ रख हां में सिर हिला देती है, तभी माहिर बोल पड़ा - "पिहू मिश्रा तुम्हारी दी तुमसे बहुत प्यार करती है।"

पिहू मुस्कुराते हुए - "जानती हूं।"

माहिर - "किसी भी हद तक जा सकती है तुम्हारे लिए….तुम्हारी खुशियों के लिए तुम्हारी बहन, देखो मिस अयाना तुम्हारी हां, तुम्हारी बहन के चेहरे पर कितनी प्यारी मुस्कुराहट ले आई।"

ये सुन पिहू की मुस्कुराहट गायब हो गयी वो फट से अयाना से परेशान होते बोली - "अयू दी आप ने क्या किया है, कौन सी हद की बात कर रहे है ये, आईनो आप मेरे लिए कुछ भी कर सकते हो बट आज आपने कौन सी हद पार की है दी?"

अयाना माहिर की ओर देख - "मैं कौन सी भी हद पार करूं पिहू पर यकीकन कोई अपनी चाहकर भी हद पार नहीं कर पाएगा।"

पिहू चौंकते हुए - "इट मीन आपने इनकी बात मान ली…आप इनके यहां काम करोगे, इन्होनें आप को ब्लेकमेल किया और आप हो गए? नहीं अयू दी आप ऐसा कुछ नहीं करोगे, सुना दी आपने, इनकी बात आप नहीं मानोगे दी, अयू दी प्लीज कोई जरूरत नहीं आपको मेरे लिए या किसी के लिए भी इनकी बात मानने की, दी आप अपना सोचो ना…आपकी खुशी मेटर करती है मेरे लिए, दी सुन रहे हो ना?"

तभी माहिर मुस्कुरा दिया - "मानना पड़ेगा मिस अयाना, सगी बहनों में भी इतना प्यार नहीं होता जितना तुम दोनों बहनों में है, एक है जो एक की खुशी के लिए कुछ भी कर सकती है दूजी है जो चाहती है उसकी खुशी के लिए कुछ न करें, क्योकि उसमें दूजी की खुशी नही।

अयाना - "सगी से भी बढ़कर है हम मिस्टर खन्ना प्यार तो होगा ही ना, परिवार है खैर....आप कहां इस बात को समझेगें, समझते तो जो आप जो भी कर रहे है वो नहीं करते।"

पिहू के हाथ अपने हाथों में लेते - "मेरे लिए मेरी दी सबकुछ है, सगी बहन भी होती ना मेरी तो भी वो इतना नहीं करती जितना मेरी अयू दी मेरे लिए करती है, आपने ना विवश किया है मेरी दी को वरना आजतक ऐसा न हुआ कि कभी मेरी दी ने अपनी खुशी, अपनी मर्जी के बिना कुछ किया हो, मेरी दी जो भी करती है उसमें उनका भी अच्छा होता है और हमारा भी। दी सुनो ना, जिस चीज में आप की खुशी नहीं आप प्लीज वो मत करो, दी मैं नहीं चाहती आप मेरे लिए, मेरी खुशी के लिए कुछ भी ऐसा करो जिसको आपका मन नहीं मानता है। माहिर खन्ना की आप नहीं सुनोगे दी सुन रहे हो ना आप?"

अयाना माहिर की ओर देख रही थी जो तिरछा मुस्कुरा रहा था, अयाना ने पिहू का हाथ पकड़ा - "पिहू, हमें घर जाना है चलो।" कह वो पिहू को वहां से ले गयी...माहिर अयाना को आवाज देते - "बाय मिस अयाना, सी यू सून।"

तभी पिहू मुड़कर माहिर की ओर गुस्से से देखती है माहिर उसे हाथ हिलाकर बाय कर देता है पिहू उस पर चिल्लाने लगी - "आपने ब्लेकमेल किया है ना मेरी दी को, बहुत पछताएगें…अभी आप मेरी दी को जानते नहीं, मेरी अयू दी अच्छो के साथ अच्छी है और बुरों के साथ बुरी और आप तो है ही बहुत बुरे, अच्छे से इलाज करेगी मेरी अयू दी आप का…सच में सी यू सून मेरी दी से, आपने दी की ना हां में बदली है। देखते जाना ये हां आपको कितनी मंहगी पड़ेगी, माहिर खन्ना यू आर नॉट हैंडसम, यू आर ब्लेकमेलर!"

पिहू की बातें सुन माहिर की भोहें चढ़ गयी, वो तो अयाना वहां से उसको ले गयी वरना वो जुबान से ऐसी बंदूक चलाती कि माहिर खन्ना के खड़े के खड़े प्राण पखेरु हो जाते, माहिर अपना माथा खुझाते हुए - "एक मिर्ची दूसरी उससे भी ज्यादा तीखी मिर्ची!"

________

अयाना पिहू को कॉलेज के बाहर ले आई - "शांत हो जाओ, क्यों गला फाड़ रही हो पिहू?"

पिहू अयाना से अपना हाथ छुड़ा लेती है - "तो क्या करूं, वो गलत कर रहे है दी!"

अयाना उसे बाहों से पकड़ते - "जानती हूं और वो भी जानते है जो वो कर रहे है वो गलत है पर वो नहीं मानेगें पिहू उनकी अक्कड़ उनको मानने ही नहीं देगी, मानना होता तो आराम से कहने भर से भी मान जाते, पर उनको मानना ही नहीं, इसलिए बोल रही हूं पिहू…..गला फाड़ने का कोई फायदा ही नहीं भैंस के आगे बीन बजाने से भला कभी कुछ मिलता है।"

पिहू गुस्से से - "भैंस नहीं भैसां, जेंडर तो देखकर बोलो दी!"

अयाना हंस दी - "ओके भैसां…अब ठीक है?"

पिहू रूहासी सी आवाज में - "क्या पता था माहिर खन्ना भैंसा निकलेगा वो भी इनविजिबल सीगों वाला, जो मेरी दी के पीछे ही पड़ जाएगा और तो और सबको मारने पर भी तुला है, दी क्या सोचा था और ये क्या निकले...

अयाना पिहू को कुछ कहती कि तभी आवाज आई - "अयाना मिश्रा?"

अयाना पिहू ने आवाज की दिशा में देखा, अनुज उनके सामने खड़ा था…वो दोनों के पास चला आया, अयाना उससे नजरें फैर लेती है और पिहू उसे घूरने लगती है, अनुज पिहू को घूरता देखते एक पल तो अपनी भोहें सिकोड़ता है और दूजे ही पल हल्का सा मुस्कुराते हुए पिहू को रिजल्ट की बधाई देता है - "कांग्रेचुलेशन्स पिहू मिश्रा, तुम तो बड़ी होशियार हो पढ़ाई में....स्कूल में भी हर क्लास में तुमने टॉप किया और कॉलेज में भी टॉप कर रही हो, जैसा सुना था तुम्हारे बारे में मैनैं बिल्कुल सच निकला।"

ये सुन पिहू हंसने लगी।

अनुज हैरान होते - "क्या हुआ?"

पिहू अपनी कमर से हाथ टिकाते - "आपने मेरे बारे में जो सुना बिल्कुल सच है…हां मैनैं आजतक टॉप ही किया है पहली क्लास से लेकर बारवीं क्लास तक और अब कॉलेज में भी कर रही हूं….आगे भी करूंगी अगर कोई महान हस्ती आकर बीच में टांग न अड़ाए तो.....खैर मेरा छोड़िए अपना बताइए, आपका नहीं आपके बॉस का, जो उनके बारे में सुना था जो पढ़ा था वैसा तो कुछ भी नहीं निकला, माहिर खन्ना ये माहिर खन्ना वो बड़ी बड़ी बातें छापते हो मैगजीन वगैरह में, निल बट्टे सन्नाटा, बाहर से ही अच्छे दिखते है वो….अंदर से कुछ अच्छा नहीं उनमें, जो बिल्कुल सच भी है। सही कहते है मेरी दी जो दिखता है वो होता नहीं, झूठ दिखाते हो आप लोग….सच तो कुछ और ही होता है मिले तो जाने आखिर असल है क्या?"

ये सुन अनुज ने अयाना की ओर देखा जो पिहू की ओर देख रही थी - "सही कहती है अयाना जी, जो दिखता है वो होता नहीं और (एक पल रूककर) जो होता है वो दिखता नहीं।"

अयाना ने फट से अनुज की ओर देखा, तभी पिहू बोलने को हुई कि अयाना ने उसको रोक दिया - "बस पिहू जाओ ऑटो रोको, हमें घर जाना है" पर पिहू वहां से हिली भी नहीं तो अयाना ने उसको आगे की ओर धक्का दे दिया - "जा ना पिहू…."

"जा रही हूं" कहते पिहू अनुज को घूरते हुए वहां से चली गयी, पिहू के जाते ही अनुज अयाना से बोला - "समझदारी से काम लिया है आपने अयाना जी, बहुत अच्छा किया जो माहिर खन्ना की बात मान ली आपने, आपको अब ज्यादा मुसीबतों का सामना करना नहीं पड़ेगा।"

अयाना मुस्कुराते हुए - "रियली (एक पल रूककर) आप भी अच्छे से जानते है और मैं भी, मुसीबतों का सामना अब मुझे हर रोज करना पड़ेगा रोज आप के बॉस के दर्शन जो होगें।"

"आपके परिवार तक मुसीबतों का साया तक भी नहीं जाएगा और रही बात आपकी, आप बहुत बहादुर है, मुसीबतों का बवंडर क्यों ना आ जाए आपके आड़े….आप उनका डटकर सामना कर ही लेगी, मै जानता हूं!"...

अनुज बोल रहा था कि अयाना बीच में ही बोल पड़ी - “और क्या जानते है आप?”

अनुज हल्का सा मुस्कुरा दिया उसने अपने पैंट की जेब में दोनों हाथ डाले और माहिर की तरफ इशारा किया, अयाना ने उस ओर देखा तो माहिर खन्ना उनसे थोड़ी दूरी पर ही खड़ा था…वो अपने फोन पर बिजी था और उसकी उनकी ओर पीठ थी।

"माहिर खन्ना के बारें में जानता हूं।" अनुज ने बोला तो अयाना माहिर की तरफ देखते बोल पड़ी - "माहिर खन्ना को तो मैं भी जान गयी हूं।"

“रियली?” अयाना अनुज की ओर देखते - "बचा भी क्या है जो मैं उनके बारें में नहीं जानती, हर हद तो पार कर दी है माहिर खन्ना ने, जिसके चलते वो क्या है अच्छे से पता चल ही गया।"

“हर हद ही तो पार नहीं की, आपकी हां ने उनको हद पार करने से रोक दिया, आपकी हां नहीं होती तो जरूर हद पार होती….अभी तो शुरूआत ही हुई थी जिसे अच्छा तो नहीं कहेगें (एक पल रूक) पर अंजाम सोच से भी परे होता। वो जो अपने साथ सिर्फ बहुत बुरा ही लेकर आता, शुक्र है अंजाम देखने से पहले ही हालात संभल गए है। संभाल लिए आपने, सच में आपने बहुत ही समझदारी दिखाई है जो बात मान ली माहिर खन्ना की।”

"समझदारी के आड़ में छुपी मजबूरी नजर नहीं आ रही आपको?"

"आ रही है फिर भी कहूंगा आपने सही किया है, उनकी बात ना माने फिर वो अपने तरीके से बात मनवाने में माहिर है अयाना जी, माहिर सर को ना सुनने की आदत नहीं है, जो भी वो चाहे वो होकर रहता है। आज तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जो वो चाहे और ना हो, कोई ऐसा न हुआ जो उनकी ना माने, जब उनका कहा मान लेते है तो बुरा नहीं होता….बल्कि अच्छा ही नहीं बहुत अच्छा भी हो जाता है, जो नहीं मानते फिर उनके लिए प्रोब्लम खड़ी कर देते है माहिर खन्ना।"

"ये तो बताने की जरूरत ही नहीं है आईंनो वो प्रोब्लम बढ़ाने में माहिर है और ब्लेकमेल करने में भी!"

“आप मानी नहीं थी इसलिए ऐसा किया, आज से पहले माहिर खन्ना ने ऐसा बिल्कुल नहीं किया है। माहिर खन्ना के अंडर जितने भी काम करते है, उनकी मान लेते है उनको वो कुछ भी नहीं कहते….ब्लकि फायदा ही होता है उनका सर की बात मानकर….अर्श से फर्श पर लाने में और फर्श से अर्श तक पहुंचाने में माहिर है मेरे बॉस, पहली बार देखा है मैंने उनको इतनी मेहनत करते, हां को ना करने के पीछे अपना टाइम लगाते वरना एक सैंकिड भी नहीं लगता उन्हें किसी भी काम की हामी भरवाने में….सच तो है कोई ना कहता ही नहीं पर अब जिद्द से जिद्द टकराई है तो ऐसा तो होना ही था।”

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