"आप अपने बॉस की तारीफ कर रहे है?"अनुज ककी बात सुन अयाना फट से बोली!
"आपको जो समझना है समझ लिजिए,मैं तो
बस सच बता रहा हूं,और देखिऐ ना आपने उन की मानी है तो फायदा ही हुआ है,परिवार सेफ है
अब आप ही देख लिजिए आपकी बहन पिहू का रिजल्ट,हमेशा टॉप करती है वो पर इस बार आप
की बहन के चर्चे कितने होने वाले है,,,,आज से पहले कॉलेज में इतना बड़ा बोर्ड लगा क्या,न्यूज के हर चैनल पर आपकी बहन का आज रिजल्ट दिखाया जा रहा है,कल के न्यूजपेपर में आपकी बहन ने टॉप किया है ये खबर भी फ्रंट पेज पर होगी,देखिऐ आपकी हां से माहिर सर आपके साथ अच्छा भी कर रहे है,सो मानने में ही भलाई है अंगेस्ट जाने में नहीं सो ट्राई टू अंडरस्टैंड,मैं
आपके अच्छे के लिऐ ही कह रहा हूं आप मत
उलझिए ज्यादा वरना समस्या आपको ही ज्यादा
होगी!"
ये सुन अयाना हंस दी-"कौआ कितनी ही हंस की चाल चल ले कौआ ही रहता है,पहले बुरा करो दिल दुखाओ और फिर महान बन जाओ,
पता है आपको हमारी बहन के टॉप किया है बस यही खुशी हमारे लिए किसी त्योहार से कम नहीं होती है,जरूरत नहीं है हमें माहिर खन्ना की उस महानता की जो वो दिखा रहे है,आप क्या चाहते है मैं उनको जाकर जो वाहवाही मिल रही है मेरी बहन को उसका क्रेडिट दूं बिल्कुल भी नहीं,मेरी बहन पढ़ाई कर टॉप नहीं करती तो जो भी आप लोग कर रहे है न्यूजचेनल न्यूजपेपर वाली बात ये तो होती ही नही और झूठी वाहवाही लूटने का हमें कोई शौंक नहीं है तो रहने दिजिऐ,वैसे आप और हम दोनों जानते है मेरा परिवार सेफ हुआ है मैं नहीं,मैनैं उनकी मानी तब वो मेरे परिवार से दूर रहेगें पर मुझसे तो नहीं,मेरे साथ वो अच्छा करेगें
ऐसी मुझे कोई उम्मीद नहीं क्योकि आप भी ये जानते है ऐसा तो होने से रहा!"
अनुज अयाना को समझाते हुऐ-"आप समझ क्यों नहीं रही है आप उनके खिलाफ जाएगी तो ही आपको परेशानी ही होगी,मान लेगी आप तो कोई प्रोब्लम नहीं होगी!"
अयाना-"मुझे प्रोब्लम है मैं गलत ज्यादा देर तक सहन नहीं कर सकती हूं,मुझे कोई चाय पीने नहीं
बुलाया है माहिर खन्ना ने जो सिर्फ दस मिनट की बात हो,जो किया है उन्होनें जैसे फंसाया है मुझे बहुत समय तक झेलना पड़ेगा हमें उन्हें और आपको भी पता है उनकी फितरत,थोड़ा बहुत आप हमें भी जान गये है,सो प्रोब्लम तो होगी पर हां हमें होगी तो उन्हें भी होगी,आप ना परेशान मत होईए,हम संभाल लेगें!"
अनुज आह भरते-"संभलने की जगह मुझे तो बिगड़ता नजर आ रहा है,सोच रहा हूं आप दोनों की मुलाकात हुई ही क्यों?"
अयाना अपना सिर पकड़ते-"हमें भी अफसोस है बड़ा पर अब क्या कर सकते है जो हो गया सो हो गया,वैसे ज्यादा बड़ा कोई मसला भी नहीं था बस और लोगों और मुझमें ना इतना ही फर्क था माहिर खन्ना जैसे बड़े आदमी के आगे लोग सही होकर भी अपनी गलती मान लेते,माफी मांग लेते है जो मैनैं ना किया,मुझसे गलत बर्दाश्त जो नहीं हुआ और उनसे ये बात तो बस वो पड़ गये मेरे पीछे,बदला लेने के लिए,मैनैं उनको गलत और उनकी सोच को भी गलत जो कह दिया था,जो बिल्कुल सही था,पर सच कहां किसी से बर्दाश्त होता है आपके बॉस से तो बिल्कुल नहीं,बिग इगोमैन जो ठहरे,वैसे आप भी जानते है वो गलत है पर ऐसा बिल्कुल नहीं होगा अभी मैनैं उनकी मानी है तो मैं उस इंसान की हर बात मानूंगी जो निहायती गलत है!"
"अयाना...."अनुज आगे कुछ कहता कि अयाना बोल पड़ी-"रहने दिजिऐ मैनेजर साहब मैं समझ सकती हूं आप क्या कहना चाह रहे है,पर आप मुझे समझाने की जगह अपने बॉस को भी थोड़ा समझा पाते तो बेहतर रहता खैर यहां भी हम समझ सकते है,आप मैनैजर है उनके आगे आप
की कहां ही चलती होगी,आप हमारी भलाई के लिए हमसे बोल रहे है कि हम उनकी मान ले जो वो कहते है हमारा भला होगा,पंगे ना लेगें उन से तो हमारे साथ ठीक रहेगा,...खैर हमारा परिवार अब सेफ है और हम वो हमारे साथ चाहे जो करे हैंडल कर लेगें,आपकी बातों के भाव पता है हमें आप अच्छे इंसान है हमें समझा भी है आपने तो आप हमारा बुरा नहीं चाहते डोंट वेरी हमारे साथ कुछ बुरा नही होगा!"
"होप सो!"बोलते अनुज ने अपनी पैंट की जेब से हाथों को निकाल दोनों हवा में ऊपर उठा दिये
तभी अयाना ने माहिर की ओर देखती है-"अपने बॉस को भी आप बता दिजिएगा,बताना आपका फर्ज है ना,,,हमनें तो अपना भला देख लिया अब वो भी देख ले!"
"अब वो आपके भी बॉस है!"अनुज ने जैसे ही ये कहा अयाना की हंसी छूट गयी,उसको हंसता देख अनुज हैरानी से भर गया-"क्या हुआ?"
अयाना हंसते हंसते-"काश उनकी जगह आप हमारे बॉस होते,कसम से बता रहे है मोहल्ले भर में लड्डू बांटते वो भी मोतीचूर के!"
-"अच्छा!"
"और नहीं तो क्या फिलहाल हमारा मन कर रहा है!"
"मोतीचूर के लड्डू खाने का!"
"नहीं जहर,वो भी मोतीचूर के लड्डू में डालकर,
पता नहीं कौन से बुरे कर्म हुऐ है हमसें जो हमें ये भटकती आत्मा बॉस के रूम में मिली है जिस का साया हम पर अब रोज मंडराएगा,हमें कोई तात्रिंक बाबा भी नहीं छुड़ा पाएगा!"अयाना की ऐसी बातें सुन अनुज की हंसी छूट गयी,जैसे ही अयाना ने उसकी तरफ बड़ी बड़ी आखों से देखा
वो फट से अपनी हंसी रोक लेता है-"वैसे अयाना
जि माहिर खन्ना भी बुरे बॉस नहीं है!"
"या राईट बुरे नहीं वो बहुत बुरे है!"अयाना ने बोला कि तभी पिहू ने आवाज दे दी-"अयू दी!"
"चलते है,कब आना है आईमीन कल आना है आईनो बट टाइम...टाईम मैसेज कर दिजिएगा!"
कह अयाना पिहू की ओर बढ़ गयी,जो कि ऑटो पकड़े खड़ी थी,अयाना के पास आते पिहू बोली
-"एक तो ना मेरे कॉलेज के बाहर ऑटो पकड़ना सबसे बड़ी समस्या है दी,आसानी से मिलती ही नहीं,मिले तो रूकती नहीं है!"
अयाना ऑटो में बैठते-"ओह तो इसका मतलब मेरा बच्चा रोज इस समस्या का सामना करता है!"
पिहू ऑटो में बैठते -"नहीं,पहले करती थी अब नहीं,वो मैं यहां से प्राची के साथ स्कूटी पर चली जाती हूं,आगे चलकर ऑटो बहुत मिल जाते है,
बस यही ऑटो वालो का प्रोब्लम है!"
ऑटो वाला-"यहां ज्यादा सवारी नहीं मिलती ना
इसलिए यहां नहीं रूकते,वैसे भी आजकल पढ़ने
वाले बच्चे बाईक स्कूटी रखते है....वो आगे कुछ कहता कि पिहू बोल पड़ी-"सब तो नहीं रखते है ना भईया,हम जैसों का भी तो सोचो करो!"
ऑटोवाला-"फिर हम अपना कब सोचेगें,जहां सवारी ज्यादा मिलती है वहीं जाने में तो फायदा है"......ये सुन पिहू कुछ कहती कि अयाना ने ना में सिर हिला दिया और ऑटोवाले को वहां से चलने को कहा-"चलो भईया!"
ऑटोवाला उनको लेकर वहां से चला गया,पिहू
अयाना के कंधे पर सिर रखते-"दी स्कूटी ठीक करवा लो ना,आपको भी तो रोज परेशानी होती होगी ना ऑटो को लेकर!"
अयाना उसकी गाल पर हाथ रख-"वो ठीक नहीं हो सकती पिहू,दो बार तो करवा चुकी हूं ,अब नयी ही लानी पड़ेगी!"
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अयाना वहां से चली गयी,अनुज उसे जाते देख-
"अच्छी लड़की है,अच्छा ही डिजर्व करती है!"
"रियली!"....ये सुन अनुज की आखें फेल गयी,
उसने टेढ़ी नजरें कर अपने बगल में देखा,माहिर खन्ना खड़ा था,माहिर को देखते ही अनुज थोड़ा दूर हो गया-"सर!"
"सच में अच्छी लड़की है ना!"माहिर अनुज की ओर भोहें उचकाते बोला!
अनुज -"वो....."वो आगे कुछ कहता कि माहिर फिर बोल पड़ा-"मुझे भी अच्छी लगी!"
अनुज माहिर की गौर से देखते-"सर आप चाहते क्या है?"
"किससे?"माहिर ने इधर उधर देख कहा,
"अयाना जी,आईमीन अयाना मिश्रा से?"अनुज का ध्यान अभी भी माहिर पर ही था,अयाना का नाम सुन माहिर तिरछा मुस्कुरा दिया-"तुम्हें अब
तक समझ नहीं आया मैं क्या चाहता हूं अयाना से मिस अयाना से!"
"आई डोंट नो सर,मैनैं बहुत ट्राई किया समझने का,अयाना मिश्रा ने आपको गलत कहा आपकी इंसल्ट की,आपको ना बोला,आप दोनों के बीच
जो बातें हुई,क्या हुआ पूरी तरह तो नहीं मालूम मुझे बट सर जैसा आप अयाना मिश्रा के साथ बन रहे है वैसे आप नहीं है और ना ही वो और लड़कियों जैसे है जो दूसरों के कहे चले,आपने उनकी फैमिली को क्यों टारगेट किया है,प्रोब्लम आपको उनसे है ना,उनकी फैमिली से तो नहीं!"
"ऑफकोर्स मुझे प्रोब्लम मिस अयाना से है,जाल बिछाया था यूहीं उसकी फैमिली को टारगेट कर जिसमें वो फंस चुकी है,मैं बदला उससे ही लूंगा,
वो भी(एटिट्यूड वाले लहजे में)जैसे मेरे बारें में वो सोचती है बिल्कुल वैसा ही बनकर,उसने मुझे जाने बिना ही मेरी इंसल्ट की,माहिर खन्ना की,
जब तक उसे अपनी गलती का अहसास नहीं हो जाता तब तक.....मैं वो भी करूंगा जो मुझे नहीं करना चाहिए!"कहते माहिर की आखों में इस वक्त अयाना के प्रति गुस्सा उतर आया,
अनुज -"अहसास ही करवाना चाहते है तो आप क्या है असल में वो जाने तो आप जो है वो बन कर रहिए ना उनके साथ,जो आप कर रहे है उस से गलतफहमी बढ़ेगी और कुछ नहीं!"
माहिर-"बढ़ जाने दो वैसे भी उसे खुद पर पूरा भरोसा है कि वो कभी गलती नहीं करती,इंसानो को पहचानने की उसके पास पॉवर है,मैं भी तो देखूं वो मुझे कैसे और कितना पहचानती है!"
तभी अनुज माहिर के ठीक सामने आ खड़ा हुआ और उसकी आखों में झांक बोला-"सागर जोशी की बेटी है वो,युग जोशी की बहन है वो,कहीं तुम एक तीर से दो शिकार तो नहीं करने वाले हो!"
ये सुन माहिर हंस दिया,वो अनुज का चेहरा हाथों में भरते -"वेरी स्मार्ट यार,दोस्त हो तो तुम जैसा जो बिन कहे-बताए सब जान जाए,गुड वेरी गुड जानी"....इतना कह अनुज की गालों को सहला
आईविंक कर माहिर मुस्कुराते हुए वहां से चला गया,अनुज उसे जाते देख दायें बायें गर्दन हिलाते
-"माहिर तू बहुत शातिर है!"
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सागर जी मीना जी के साथ अपने कमरे में सोफे पर बैठे कॉफी पी रहे थे.....तभी डोर नॉक हुआ,
दोनों दरवाजे की ओर देखते है,एक 27-28 उम्र का हैंडसम सा लड़का खड़ा था,महरून कलर के सूट में,जिसके चेहरे से फुल एटीट्यूड झलक रहा था,वो युग जोशी था सागर जी और मीना जी का
इकलौता बेटा!!
सागर जी-"युग!"
मीना जी-"आओ बेटा!"
युग अंदर चला आया,सागर जी ने उसे बैठने को
कहा-"बैठो युग?"
मीना जी-"कॉफी पिओगे युग!"
युग-"ना तो मैं आपके साथ बैठने आया हूं,ना ही कॉफी पीने,मुझे(सागर जी से)आपसे बात करनी है डैड!"
मीना जी-"बात बैठकर भी हो सकती है युग!"
युग-"इतना टाइम नहीं है मॉम एंड डैड मैनैं एक काम कहा था आपको करने को अभी तक वो ना हुआ आपसे,आप यहां बैठे आराम से कॉफी पी रहे हो,डैड आप वो काम कब करोगे?"
सागर जी कॉफी मग टेबल पर छोड़ते-"कहा था ना वक्त लगेगा!"
युग गुस्सा होते-"वक्त ही तो नहीं है डैड,कितना वक्त चाहिऐ,एक महीना ले लिया आपने,अपनी बेटी को आप अपने घर नहीं ला पाए,अयाना की जिद्द नहीं तोड़ पाए आप,कर क्या रहे हो आप?डैड बहुत जरूरी है अयाना का यहां आना,पता
है ना आपको?"
सागर जी सोफे से खड़ा होते-"पता है,कोशिश कर तो रहा हूं,जितना आसान लग रहा है उतना है नहीं युग!"
युग फिर बोला-"वो मैं नहीं जानता डैड,आपसे जो कहा है मैनें आप बस वही किजिए,वो यहां नहीं आई तो जो हम चाहते है वो नहीं हो पाएगा
समझिए डैड,पहले तो उसकी मां जिंदा थी तब समझ आता है उसका यहां न आना पर अब वो नहीं रही तो क्यूं आप उसे मना नहीं पा रहे हो?
क्यों उसे यहां ला नहीं पा रहे हो,बाप है ना आप उसके,हक है ना आपका,आपकी बेटी है,बताईऐ उसे और जल्दी लेकर आईऐ यहां उसको!"
मीना जी-"युग वो आना ही नहीं चाहती है!"
युग-"उसको आना होगा मॉम,डैड बहुत टाइम ले चुके हो आप,अब और देर नहीं,अयाना जल्द से जल्द मुझे यहां चाहिए इस घर में,सुन रहे हो ना आप,एक ही मौका है डैड माहिर खन्ना से आगे निकलने का उसे हराने का जो किसी भी हाल में नहीं चाहता मैं,हमारे हाथ से निकले,लास्ट चांस है डैड माहिर खन्ना से बदला लेने का,जीतने का उससे,मैं गंवाना नहीं चाहता ये चांस,अयाना यहां आएगी तभी वो होगा जो हम चाहते है,वो मर्जी से यहां ना आए तो जबर्दस्ती ले आईऐ पर लेकर आईऐ!"
इतना बोल युग वहां से चला गया,सागर जी उसे आवाज देते है-"युग सुनो?"पर वो नहीं रूकता है,मीना जी ने सागर जी की ओर देखा जो बेबस से एकटक दरवाजे की ओर देख रहे थे,वो सोफे से उठकर पास आई-"अब क्या करेगें आप,दोनों
ही बच्चें बहुत जिद्दी है सागर!"
सागर जी मीना जी की ओर देख-"एक की जिद्द तो तोड़नी पड़ेगी," बोल वो भी वहां से चले गये मीना जी आह भरते वापस सोफे पर बैठ गयी-"
पता नहीं अब क्या होगा,एक तरफ युग है और दूजी तरफ अयाना,बीच में दोनों के पिता,युग की माहिर खन्ना के प्रति नफरत,अयाना की सागर के प्रति नफरत,कौन सा तुफान लाएगी ये नफरतें
हम सबकी जिंदगी में सोचकर ही मेरा तो दिल (परेशान सी सीने पर हाथ रख)बैठा जा रहा है!"
(क्रमशः)
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