एपिसोड – 46: दोस्ती, मतलब सबकुछ
“3 लाख रुपए!” मेल्विन सोच में पड़ गया, “अगर मैं अपनी एफडी तुड़वाकर पैसे निकलवाऊं तब भी डेढ़–दो लाख से ज्यादा की मदद मैं नहीं कर पाऊंगा। आपने पीटर से बात की?”
“नहीं। डॉक्टर ओझा से बात करने के बाद मैंने सीधा तुम्हें कॉल किया है मेल्विन।”
“ठीक है, मैं पीटर को कॉल करता हूं। उसके पास से एक–डेढ़ लाख रुपये जरूर निकल आएंगे। शायद पूरे 3 लाख ही निकल आए।” मेल्विन में इतना कहकर कॉल कट कर दिया।
कॉल कट करने के बाद मेल्विन ने तुरंत पीटर को कॉल लगाया।
“हेलो पीटर, अभी-अभी राम स्वरूप जी का कॉल मेरे पास आया था। वे कह रहे थे कि और डॉक्टर ओझा के लड़के का एक्सीडेंट हो गया है। उसके सिर पर सीरियस चोट आई है। तुरंत 3 लाख रुपए की जरूरत है। क्या तुम अभी डेढ़–दो लाख रुपए का बंदोबस्त कर सकते हो?”
“एक्सीडेंट!” पीटर ये खबर सुनकर शॉक्ड हो गया था, “डेढ़–दो लाख रुपए इतना अर्जेंट उठा पाना मुश्किल होगा मेरे लिए मेल्विन। अगर कल तक का टाइम होता तो मैं पूरे 3 लाख रुपए का जुगाड़ कर देता।”
“कुछ भी करो पीटर, लेकिन पैसे का इंतजाम करो। हमें तुरंत सिटी हॉस्पिटल भी पहुंचना होगा।”
“ठीक है मेल्विन, तुम हॉस्पिटल पहुंचो। मैं पैसे का जुगाड़ करके तुमसे वही मिलता हूं।” पीटर ने इतना कहा और फिर कॉल कट कर दिया।
पैसों के मामले में पीटर का नेटवर्क तगड़ा था। वो अपने क्रेडिट पर 25–50 लाख का इंतजाम भी कर सकता था लेकिन इतने शॉर्ट नोटिस पर उसके लिए इस समय डेढ़ 2 लाख का इंतजाम करना भी मुश्किल हो रहा था। इस विषय पर पीटर ने अपने एक साथी से बात की।
“राजेश, मुझे अर्जेंट 3 लाख रुपयों की जरूरत है। एक 13 साल के लड़के की जिंदगी और मौत का सवाल है। क्या तुम अभी मुझे कहीं से 3 लाख रुपए लाकर दे सकते हो?”
“3 लाख रुपए! पीटर, तुम तो जानते हो हमारा काम कैसे होता है। तुम कल मांगो, मैं तुम्हें 3 लाख क्या, 30 लाख दे दूंगा। लेकिन 3 लाख अभी मैं तुम्हें कहां से लाकर दे पाऊंगा? कल तक रुको तो मैं बेशक तुम्हें 3 लाख रुपए लाकर दे पाऊंगा।”
“कल तक रुकना ही होता तो फिर तुम्हारी क्या जरूरत थी राजेश!” पीटर ने कहा, “कल तक तो मैं भी पैसों का इंतजाम कर सकता हूं। कोई और तरीका बताओ राजेश। इस वक्त कौन है यहां जो मेरी मदद तुरंत कर सकता है?”
“विश्वनाथन से बात करो। उसके पास यूं ही 8–10 लाख हमेशा पड़े ही रहते हैं।” राजेश ने सुझाव दिया।
पीटर ने तुरंत विश्वनाथन नाम के उस शख्स को कॉल किया। एक घंटी बजने ही सामने से कॉल पिक किया गया।
“हेलो पीटर, कैसे हो तुम?* विश्वनाथन ने कॉल पिक करते ही जोश में पूछा, “बहुत दिनों बाद आज याद किया।”
“ठीक नहीं हूं विश्वनाथन। मुझे तुरंत 5 लाख रुपए चाहिए। क्या तुम मुझे कल तक के लिए 5 लाख रुपए दे सकते हो?” पीटर ने विश्वनाथन से 3 की बजाय 5 लाख मांगते हुए पूछा।
“5 लाख रुपए तुरंत!” विश्वनाथन सोच में पड़ गया।
“हां तुरंत। क्या तुम इंतजाम कर सकते हो?” पीटर ने विश्वनाथन से फिर पूछा।
“ठीक है पीट,र इंतजाम हो जाएगा। लेकिन मैं तुमसे ऊपर से एक लाख और लूंगा।” विश्वनाथ ने कहा।
“एक लाख एक दिन का ब्याज!” पीटर ने हैरान होते हुए पूछा, “विश्वनाथन, तुम तो मजबूरी का फायदा उठा रहे हो दोस्त!”
“इसे मजबूरी का फायदा उठाना नहीं बल्कि बिजनेस करना कहते हैं पीटर। जिसने भी तुम्हारे सामने मेरा नाम लिया है, शायद उसने मेरे काम करने का तरीका तुम्हें नहीं बताया। जिसकी जितनी बड़ी मजबूरी उतना बड़ा ब्याज। अगर तुम मुझे कल के कल 6 लाख रुपए दे रहे हो तो मैं अभी तुम्हारे अकाउंट में 5 लाख रुपए ट्रांसफर कर रहा हूं।”
एक बार को पीटर का मन हुआ कि विश्वनाथन को 2–4 गालियां देते हुए मना कर दे लेकिन चाहकर भी वो ऐसा ना कर सका।
“ठीक है विश्वनाथन, मैं तुम्हें कल छह लाख रुपए वापस कर दूंगा। अब तुम मेरे अकाउंट में 5 लाख रुपए अभी भेजो।”
“ठीक है।” विश्वनाथन ने कहा और फिर फोन कट कर दिया। अगले ही पल पीटर के बैंक अकाउंट में 5 लाख रुपए ट्रांसफर हो गए।
5 लाख रुपए अपने अकाउंट में आते ही पीटर सिटी हॉस्पिटल के लिए वहां से निकल गया।
दूसरी तरफ सिटी हॉस्पिटल में रामस्वरूप जी और मेल्विन पहुंच हो चुके थे। उनके आते ही डॉक्टर ओझा ने सबसे पहले रामस्वरूप जी से कहा, “कहां हैं 5 लाख रुपए? लाइए, मुझे दीजिए।”
“अभी तो सिर्फ 3 लाख रुपए का इंतजाम हो सका है डॉक्टर साहब।” रामस्वरूप जी ने कहा, “मेल्विन ने पीटर से बात की है। बाकी के पैसे लेकर वो आता ही होगा।”
“आपके बेटे की हालत कैसी है डॉक्टर साहब? डॉक्टर ने क्या बोला है?” मेल्विन ने पूछा।
“उसके सिर पर बेहद गंभीर चोट आई है मेल्विन। स्कूल के लिए पैदल ही जा रहा था। अचानक पीछे से एक तेज बाइक आई और उसे टक्कर मार कर चली गई। शरीर के दूसरे हिस्से पर कोई चोट नहीं आई है लेकिन डॉक्टर उसके सिर की हालत क्रिटिकल बता रहे हैं।”
“फिलहाल ये 3 लाख रुपए आप जमा करवा दीजिए ताकि ऑपरेशन शुरू हो जाए।” मेल्विन ने कहा, “जैसे ही पीटर और पैसे लेकर आता है, मैं वो भी ट्रांसफर करवाता हूं।”
अभी मेल्विन ने इतना कहा ही था कि उन्हें सामने से पीटर आता हुआ दिखाई दिया। डॉक्टर ओझा की पीटर से बहुत उम्मीदें थीं। पीटर को देखकर उनके चेहरे पर एक सुकून भरा भाव आ गया था।
“पीटर, क्या बाकी के 2 लाख का इंतजाम हुआ?” डॉ ओझा ने पीटर के आते ही पूछा।
“फिक्र मत कीजिए डॉक्टर साहब। मैं पूरे 5 लाख रुपए लेकर आया हूं। आपके बेटे को कुछ नहीं होगा।” पीटर ने डॉक्टर ओझा को हिम्मत देते हुए कहा, “मेल्विन, 5 लाख रुपए मैं तुम्हारे अकाउंट में ट्रांसफर करता हूं। डॉक्टर साहब के लड़के का ऑपरेशन तुरंत शुरू करवाओ।”
“मैं जानता था पीटर, तुम खाली हाथ नहीं लौटोगे।” मेल्विन ने कहा। उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट थी, “ 3 लाख रुपए हम पहले ही इकट्ठा कर चुके हैं। तुम्हारे इस 5 लाख से डॉक्टर ओझा की और मदद हो जाएगी।”
*नहीं मेल्विन, मुझे सिर्फ 5 लाख ही चाहिए। न इससे एक रुपए ज्यादा और न 1 रुपए कम।” डॉक्टर ओझा ने मेल्विन को मना करते हुए कहा।
*आप इस समय पैसे के मामले में कुछ भी मत बोलिए डॉक्टर साहब। कुछ पैसे आप अपने पास बचाकर रखिए। आगे आपको काम आएंगे। फिलहाल मैं ये पैसे काउंटर पर जाकर जमा करके आता हूं। बाकी पैसे आप अपने पास रखिए।”
मेल्विन इतना कहकर तुरंत रिसेप्शन की ओर दौड़ पड़ा। उसके पीछे-पीछे पीटर भी गया।
रिसेप्शन पर मेल्विन को लक्ष्मण दिखाई दिया। उसे वहां देखकर न सिर्फ मेल्विन हैरान था बल्कि राम स्वरूप जी भी हैरान थे।
“लक्ष्मण तुम यहां?” मेल्विन ने पूछा।
“हां मेल्विन! मदद करने का हक मेरा भी उतना ही है जितना कि तुम सब का।” लक्ष्मण ने कहा, “मैंने पिताजी की बातें सुन ली थी। मैं 5 लाख रुपए लेकर आया हूं।”
“तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया और लक्ष्मण!” डॉक्टर ओझा भी वहीं आ गए थे, “लेकिन तुम्हारे आने से पहले ही पैसों का इंतजाम हो चुका है। मुझे सच में जितनी उम्मीद थी उससे ज्यादा मुझे मिला है। यहां अकेले मैं तो बिल्कुल डर गया था। अब मेरे बेटे को ऑपरेशन सफल हो जाए तो मैं चैन की सांस लूं।”
“सब ठीक हो जाएगा डॉक्टर साहब!” लक्ष्मण ने कहा, “ऐसे मौके पर अगर हम काम नहीं आएंगे तो फिर हमारा दूसरे के साथ उठने–बैठने का क्या फायदा। रिश्ते वही होते हैं जो निभाए जाएं। बाकी बड़े से बड़ा रिश्ता अगर निभाया न जाए तो उसे रिश्ता नहीं कहते।”
लक्ष्मण की ये बात सुनकर रामस्वरूप जी बेहद खुश हुए थे।
डॉ ओझा के लड़के का ऑपरेशन शुरू हो चुका था। ऑपरेशन थिएटर के बाहर खड़े मेल्विन का फोन उसी समय बजा। फोन पर रेबेका थी।
“हेलो मेल्विन, कैसे हो तुम?” रेबेका ने फोन पिक होते ही मेल्विन से पूछा।
“मैं ठीक हूं रेबेका! कहो, कैसे फोन किया तुमने?” मेल्विन ने पूछा। उसकी आवाज में परेशानी झलक रही थी।
“तुम सच में ठीक हो न मेल्विन? तुम्हारी आवाज कुछ बदली बदली सी लग रही है मुझे।” रेबेका ने पूछा।
“वो दरअसल मैं इस समय सिटी हॉस्पिटल में हूं। डॉक्टर ओझा के लड़के का एक्सीडेंट हो गया है। उसका ऑपरेशन चल रहा है।” मेल्विन ने बताया।
“ओहो, ये कैसे हो गया? वो ठीक तो है न?” रेबेका ने पूछा।
“डॉक्टर ने सीरियस बताया है। अब ऑपरेशन के बाद ही कुछ क्लियर कहा जा सकता है। तुम बताओ, तुमने क्यों फोन किया?” मेल्विन ने पूछा।
“डायना से बात हुई मेरी।” रेबेका ने बताया, “वो पीटर से मिलना चाहती है।”
“पीटर से! लेकिन क्यों?” मेल्विन ने पूछा, “इस वक्त डायना कहां है?”
“वो पुणे में है। वहीं पर डायना पीटर को बुला रही है। मुझे नहीं पता कि वो पीटर से क्या बात करना चाहती है।”
“क्या उन दोनों का मिलना सेफ रहेगा रेबेका?” मेल्विन ने पूछा, “मुझे ये सब कुछ ठीक नहीं लग रहा है।”
“ठीक तो मुझे भी नहीं लग रहा है मेल्विन। लेकिन अगर डायना पीटर से मिलना चाहती है तो हम इनकार नहीं कर सकते। पीटर मुझे मिलते ही डायना के बारे में पूछेगा। मैं उससे झूठ नहीं बोल सकती। न ही मैं डायना से झूठ कह सकती हूं। तुम अपने बाकी साथियों से इस बारे में डिस्कस करो और मुझे फोन करके बताओ कि क्या डिसीजन लिया है तुम लोगों ने।”
“ठीक है, जैसे ही ऑपरेशन हो जाता है मैं अपने साथियों से इस बारे में बात करता हूं।” मेल्विन ने कहा, “अच्छा, अब मैं फोन रखता हूं। बाद में बात करूंगा।”
रात के करीब 12 बजे तक डॉक्टर ओझा के लड़के का ऑपरेशन चलता रहा। करीब 9 घंटे के इंतजार के बाद डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर के बाहर आए। तब तक डॉक्टर ओझा की पत्नी भी अस्पताल में आ चुकी थी। मेल्विन को देखते ही उसने झुककर नमस्ते किया। मेल्विन ने भी होंठों पर हल्की सी मुस्कुराहट लेकर नमस्ते का जवाब दिया।
डॉक्टर के बाहर आते ही सब ऑपरेशन थिएटर के गेट की तरफ दौड़ पड़े।
“डॉक्टर साहब, अब मेरा बेटा कैसा है?” डॉक्टर ओझा ने पूछा, “वो खतरे से बाहर तो है न?”
“डॉक्टर ओझा, मैंने ऑपरेशन कर दिया है। आपका लड़का अगले 24 घंटे तक अंडर ऑब्जर्वेशन रखा जाएगा। 24 घंटे तक हम कुछ भी साफ–साफ नहीं कर सकते। आप बस भगवान से प्रार्थना कीजिए कि ये 24 घंटे ठीक-ठाक निकल जाए। इन 24 घंटे में अगर आपका लड़का मौत से जंग जीत जाएगा तो मैं उसे सही–सलामत आपको सौंप दूंगा।”
इतना कहकर डॉक्टर वहां से चले गए। तब मेल्विन ने डॉक्टर ओझा से कहा, “सुमित बेहद स्ट्रांग बच्चा है। वो ये जंग जरूर जीतेगा डॉक्टर साहब!”
“उसे ये जंग जितना ही होगा मेल्विन। वर्ना हम जीते जी मर जायेंगे।” डॉक्टर ओझा ने रोते हुए कहा, “हम दोनों की जीने की वजह हमारा सुमित ही है। उसके बिना हम अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकते।”
“नकारात्मक सोचने की जरूरत नहीं है डॉक्टर साहब!” रामस्वरूप जी ने डॉक्टर ओझा को समझाते हुए कहा, “ऑपरेशन हो चुका है। डॉक्टर के चेहरे बता रहे थे कि ऑपरेशन ठीक-ठाक हुआ है। उनके चेहरे पर परेशानी नहीं थी। उन्हें खुद को भी यकीन है कि अगले 24 घंटे सुमित ठीक-ठाक गुजार लेगा।”
रामस्वरूप जी की बातों ने डॉक्टर ओझा की हिम्मत काफी बढ़ाई थी। उनकी बातें सुनकर डॉक्टर ओझा के होठों पर हल्की मुस्कुराहट आ गई थी।
वो पूरी रात बेहद टेंशन से गुजर रही थी। मेल्विन कभी घड़ी की ओर देखता तो कभी डॉक्टर ओझा और उनकी पत्नी की ओर। रामस्वरूप जी और लक्ष्मण तीन बजे तक घर को लौट गए थे लेकिन मेल्विन और पीटर वहीं अस्पताल में ही रुक गए।
“पहले पता होता कि पैसे का बंदोबस्त हो गया है तो एक दिन का एक लाख रुपया ब्याज नहीं देना पड़ता।” पीटर ने मेल्विन से कहा।
“एक लाख ब्याज! ये तुम क्या कह रहे हो पीटर। एक दिन का एक लाख ब्याज कौन लेता है?”
“मजबूरी मेल्विन। आज का इंसान सिर्फ मजबूरी का फायदा उठा रहा जानता है। वो दूसरों की परेशानी कहां समझता है। इंसान न जाने और कितना गिरेगा। उसे हर चीज में सिर्फ अपना फायदा दिखाई देने लगा है। समझ में नहीं आता कि हम इस दुनिया में क्या लेकर आए थे जिसे लेकर जाने के लिए इतना इकठ्ठा कर रहे हैं।”
“अगर ऐसी बात थी पीटर, तो तुम्हें उसी वक्त उस आदमी के 5 लाख लौटा देने थे जब लक्ष्मण पैसे लेकर आया था।” मेल्विन ने कहा।
“ऐसे नहीं होता मेल्विन। एक बार अगर मैंने पैसे ले लिए तो उसे वापस करते हुए मुझे ब्याज के साथ ही लौटाना होगा।”
अभी पीटर और मेल्विन आपस में ये बातें कर ही रहे थे कि आईसीयू में हड़कंप मच गया। पहले नर्स और फिर डॉक्टर दौड़ते हुए आईसीयू के अंदर गए। उनकी हड़बड़ाहट देखकर डॉक्टर ओझा और उनकी पत्नी बेहद डर गए थे।
आखिर डॉक्टर्स को परेशानी की वजह क्या थी? क्या सुमित की हालत ठीक नहीं थी? ऐसी हालत में पीटर और डायना की मुलाकात कैसे फिक्स होगी? पुणे में कौन से खतरे पीटर और उसके साथियों का इंतजार कर रहे हैं?
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