“क्या हुआ डॉक्टर साहब, सब ठीक तो है?” डॉक्टर ओझा ने घबराए हुए पूछा, जब डॉक्टर जल्दी-जल्दी एक बार फिर ऑपरेशन थिएटर की ओर दौड़ पड़े थे। अचानक सुबह के 4 बजे उनके बेटे सुमित की हालत एकाएक ही खराब हो गई थी।

“डॉक्टर ओझा प्लीज रिलैक्स। पेशेंट की तबीयत अचानक बहुत खराब हो गई है। उसके ब्रेन तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पा रहा है। आप प्लीज हमें अपना काम करने दीजिए।” डॉक्टर हड़बड़ी में कहता हुआ ऑपरेशन थिएटर के अंदर घुस गया।

“मेल्विन, क्या हुआ होगा?” डॉक्टर ओझा ने परेशान होते हुए मेल्विन से पूछा, “सुमित ठीक तो होगा न?”

“डॉक्टर साहब, आप हिम्मत रखिए। सुमित इस समय पूरी तरह डॉक्टर के ऑब्जर्वेशन में है। मुझे यकीन है कि घबराने वाली कोई बात नहीं होगी।” मेल्विन ने डॉक्टर ओझा को समझाते हुए कहा।

मेल्विन के समझाने पर भी डॉक्टर ओझा की परेशानी कम नहीं हुई थी। आखिर होती भी कैसे! डॉक्टर के चेहरे पर जो हड़बड़ाहट उन्होंने देखी थी वो साफ-साफ इस ओर इशारा कर रहा था कि कुछ गड़बड़ हुआ है। ब्रेन तक ऑक्सीजन न पहुंचने का मतलब ही सुमित की जान खतरे में थी।

डॉक्टर ओझा और उनकी पत्नी का बुरा हाल हो रहा था। मेल्विन और पीटर ने देखा, अब वहां की स्थिति को संभालना उनके लिए काफी मुश्किल हो चुका था।

“मेल्विन, डॉक्टर साहब को तो हम संभाल नहीं पा रहे हैं। उनकी पत्नी को संभालने कौन आएगा?” पीटर ने अपने सामने खड़ी समस्या की ओर इशारा करते हुए मेल्विन से पूछा। 

“मैं भी यही सोच रहा हूं पीटर। गॉड करें कि मेरा अंदाजा गलत हो, लेकिन सुमित की हालत अब बेहद खराब हो चुकी है। इस समय यहां एक लेडी का होना बहुत जरूरी है जो डॉक्टर ओझा की पत्नी को सांत्वना दे सके।”

“लेकिन मेल्विन, इस समय हम किसकी मदद ले?” पीटर ने पूछा तो मेल्विन की आंखों के सामने रेबेका का चेहरा आ गया।

“जल्दी ही सुबह हो जाएगी।” मेल्विन ने कहा, “मैं रेबेका को कॉल करके देखता हूं। अगर वो आ जाए, तो हमारी काफी मदद हो जाएगी।”

मेल्विन ने इतना कह कर रेबेका को कॉल लगाया। दो-तीन बार घंटी बजाने पर भी सामने से कॉल पिक नहीं किया गया तो मेल्विन ने तीसरी बार कॉल नहीं लगाया।

“मुझे लगता है वो गहरी नींद में सो रही है।” मेल्विन ने कहा, “कल रात मेरी उससे बात हुई थी। मैंने उसे डॉक्टर ओझा के लड़के के बारे में बताया था।”

“ठीक है, कुछ देर बाद तुम और दोबारा ट्राई करना मेल्विन।” पीटर ने कहा और फिर डॉक्टर ओझा के पास चला गया। 

मेल्विन की नजर अब भी डॉक्टर ओझा की पत्नी की ओर थी। वे अपने बेटे को लेकर काफी परेशान थी। मेल्विन को जब कुछ न समझ में आया तो उसने थक–हार कर रामस्वरूप जी को कॉल लगाया। एक ही घंटी में रामस्वरूप जी ने फोन उठा लिया।

“हां मेल्विन, बोलो क्या बात है?” रामस्वरूप जी ने जल्दी से पूछा, “डॉक्टर साहब का लड़का ठीक तो है?”

“नहीं रामस्वरूप जी। सुमित के ब्रेन तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच रहा है। अभी-अभी डॉक्टर आईसीयू में फिर घुसे हैं। मुझे लगता है कि आपको जल्दी यहां आना चाहिए। हो सके तो लक्ष्मण की माता जी को भी लेकर अगर आप आ जाए तो बहुत अच्छा रहेगा।”

मेल्विन ने इशारों ही इशारों में रामस्वरूप जी से कहा। रामस्वरूप जी मेल्विन की बात सुनकर खामोश हो गए।

“ठीक है मेल्विन, मैं लक्ष्मण और उसकी मां को लेकर तुरंत अस्पताल पहुंचता हूं। ये तो बहुत बुरा हो गया मेल्विन। उनका एक ही तो लड़का है। अगर वो भी नहीं रहा तो बेचारे टूट जायेंगे। ये ग़म उन्हें जिंदगी के अंत तक सताएगा। ईश्वर किसी को इतना बड़ा दुख कैसे दे सकता है मेल्विन?”

“मैं भी बेहद परेशान हूं रामस्वरूप जी। मेरा दिमाग ये समझ नहीं पा रहा है कि मैं डॉक्टर ओझा को कैसे समझाऊंगा। इस तरह की सिचुएशन मेरे सामने पहले कभी नहीं आई है। आप जल्दी से यहां आ जाइए रामस्वरूप जी।” इतना कहकर मेल्विन ने फोन कट कर दिया था।

“मेल्विन, क्या कहा रामस्वरूप जी ने?” पीटर ने पूछा, “वो आ रहे हैं ना?”

“हां पीटर। ना आने का तो सवाल ही नहीं उठता।” अभी मेल्विन ने इतना कहा ही था कि उसके फोन की घंटी बज उठी थी।

ये कॉल रेबेका का था। मेल्विन ने तुरंत कॉल पिक करते हुए कहा, “रेबेका, तुम्हें तुरंत सिटी हॉस्पिटल आना होगा।”

“क्या हुआ मेल्विन, तुम इतने घबराए हुए क्यों? डॉक्टर ओझा के बेटे की हालत ठीक तो है न?”

"नहीं रेबेका। पिछले आधे घंटे से डॉक्टर की एक टीम फिर आईसीयू में है। सुमित की हालत और भी क्रिटिकल हो चुकी है। उसके ब्रेन ने काम करना धीरे-धीरे बंद कर दिया है।”

“ओ माय गॉड। मैं अभी सिटी हॉस्पिटल के लिए निकलती हूं मेल्विन।” रेबेका ने इतना कहकर कॉल कट कर दिया।

मेल्विन फोन अपनी जेब में रखकर तुरंत डॉक्टर ओझा के पास आया।

“वो मेरे बेटे को नहीं बचा पाएंगे न मेल्विन? मेरा बेटा मर रहा है न मेल्विन? मैं अपने बेटे को घर नहीं ले जा पाऊंगा न? मैं खाली हाथ यहां से नहीं लौट पाऊंगा। मेल्विन, मैं मर जाऊंगा। मेरी पत्नी भी मर जाएगी। तुम तो जानते हो न, मैं अपने सुमित से कितना प्यार करता हूं। मेरे बेटे को बचा लो मेल्विन। तुमने हमेशा मेरी मदद की है। बस एक और आखरी बार मेरी मदद कर दो। मैं तुम्हारा एहसान जिंदगी भर नहीं भूलूंगा मेल्विन। मेरे बेटे को मुझे लौटा दो। वो चाहे जितनी शरारती करें, मैं उसे कुछ नहीं बोलूंगा। उसे जितना मोबाइल चलाना है मोबाइल चलाएं। स्कूल नहीं जाना है, न जाए। नहीं पढ़ाई लिखाई करनी तो न करें। मुझे बस सुमित चाहिए। जिंदा और हंसता खेलता।”

मेल्विन को एकाएक समझ में न आया कि वो डॉक्टर ओझा को क्या जवाब दे। वो कभी पीटर की ओर देखता तो कभी डॉक्टर ओझा की पत्नी की पत्थराई हुई आंखों को।

तब पीटर ने डॉक्टर ओझा को समझाते हुए कहा, “हिम्मत से काम लीजिए डॉक्टर साहब। आप इस तरह की बातें तो बिल्कुल भी मत कीजिए। सुमित इसी दरवाजे से मुस्कुराता हुआ बाहर निकलेगा। हम यहां उसके स्वागत के लिए ही खड़े हैं डॉक्टर साहब। आप अपने दिमाग में बेकार ख्याल मत लाइए। कम से कम भाभी जी का तो ख्याल करिए।”

पीटर के इतना कहने पर डॉक्टर ओझा शांत हो गए। उन्होंने अपनी पत्नी की ओर देखा। उनकी पत्नी जैसे सदमे  में जा चुकी थी।

तब पीटर ने मेल्विन से पूछा, “रेबेका का फोन था? क्या वो आ रही है?”

“हां पीटर। लक्ष्मणऔर उसकी मां भी आ रही हैं। एक से भले दो। लक्ष्मण की मां और रेबेका यहां होंगी तो डॉक्टर ओझा की पत्नी को संभालने में और आसानी होगी। अगर बहुत देर तक वो कोई रिएक्शन नहीं देंगी तो मामला और खराब हो जाएगा। उनका बोलना और बातचीत करना बहुत जरूरी है।”

तभी दो डॉक्टर आईसीयू से बाहर निकले। एक डॉक्टर जल्दी से वहां से आगे बढ़ गया लेकिन दूसरे डॉक्टर को मेल्विन और पीटर ने रोक लिया। डॉक्टर ओझा ने उस डॉक्टर के सामने आकर खड़े हो गए थे। 

“सुमित कैसा है डॉक्टर साहब!” डॉक्टर ओझा ने भरे हुए गले से पूछा। 

“वो ठीक तो है न?” मेल्विन ने तुरंत दूसरा सवाल किया। 

“सुमित की कंडीशन लगातार बदल रही है। हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं। मैं अब भी आपसे यही कहूंगा, 6 घंटे गुजर चुके हैं। 18 घंटे और निकल जाने दीजिए।”

डॉक्टर इतना कहकर वहां से चला गया। 

“नहीं बचेगा मेरा बेटा!” डॉक्टर ओझा ने हिम्मत हारते हुए कहा, “मैंने सुमित के बारे में अब तक रिश्तेदारों में से किसी को नहीं बताया है। अब लगता है मुझे सुमित के चाचा और उसके बड़े पापा को बुला ही लेना चाहिए। उसकी मां की ये हालत मैं और नहीं देख सकता।”

“हम भी कब से यही सोच रहे हैं डॉक्टर साहब! आप तुरंत उन्हें यहां की कंडीशन के बारे में बताइए।” मेल्विन ने कहा तो डॉक्टर ओझा ने अपनी जेब से मोबाइल निकाल लिया। 

“मेल्विन, सुमित की ये हालत कल शाम से ही है!” पीटर ने कहा, “लेकिन डॉक्टर साहब ने अब तक इसकी खबर किसी को नहीं दी थी। क्यों?”

“होगी कोई पर्सनल वजह। जहां तक मेरा ख्याल है, भाइयों की आपस में बनती नहीं है।” मेल्विन ने अपना प्वाइंट रखते हुए कहा। 

“यही वजह होगी।” पीटर ने कहा, “अब यहां कुछ और लोग आ जाए तो हम सबको थोड़ा मेंटल सपोर्ट मिले। कल शाम से दिमाग बस यही उलझा हुआ है। मैं आज से पहले हॉस्पिटल में लगातार इतनी देर कभी नहीं रुका। हॉस्पिटल की बिल्डिंग में मेरा दम घूंटता है।”

“मैं समझ सकता हूं पीटर!” मेल्विन ने कहा, “जैसे ही रामस्वरूप जी आते हैं, हम सबसे पहले बाहर जाकर चाय–नाश्ता कर आएंगे। डॉक्टर साहब और उनकी पत्नी भी शाम से ऐसे ही हैं।”

कुछ ही देर में राम स्वरूप जी अपने बेटे और पत्नी के साथ अस्पताल में पहुंच चुके थे। अभी अपने साथ में नाश्ता भी लेकर आए थे। उनके हाथ में खाने की टिफिन देखकर मेल्विन और पीटर की आंखों में चमक आ गई थी। 

“डॉक्टर साहब, आपको कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है।” रामस्वरूप जी ने आते ही डॉक्टर ओझा से कहा, “सब ठीक हो जाएगा। 10 घंटे निकल चुके हैं। 14 घंटे और हैं। वो भी निकल जाएगा। सुमित हमें इसी दरवाजे से आता हुआ दिखाई देगा। तब हमारे चेहरे पर मुस्कुराहट होगी डॉक्टर साहब।”

तभी लक्ष्मण ने कहा, “अचानक आई आफत में भी एक समय के बाद इंसान का पेट खाने के लिए कुछ मांगता ही है। अगर इस समय आप लोगों ने कुछ खाया पिया नहीं तो मुसीबत और बढ़ जाएगी। कल रात का भी खाना किसी ने नहीं खाया है।”

इधर लक्ष्मण और रामस्वरूप जी डॉक्टर ओझा को सांत्वना दे रहे थे और उधर रामस्वरूप जी की पत्नी डॉक्टर ओझा की पत्नी के पास चली गई थी।

उसी समय रेबेका के पीछे-पीछे कुछ और लोग भी अस्पताल में आ गए थे।

“क्या कहा डॉक्टर ने?” रेबेका ने आते ही मेल्विन से पूछा।

“अभी 14 से 15 घंटे खतरे के हैं।” मेल्विन ने बताया, “हमें इंतजार करना होगा। तुम जाकर डॉक्टर साहब की पत्नी का ख्याल रखो रेबेका। और ये लोग जो तुम्हारे साथ आए हैं ये कौन है?”

“मुझे नहीं मालूम।” रेबेका ने बताया, “शायद ये लोग डॉक्टर साहब के गांव के लोग हैं। मैंने इन्हें बातें करते हुए सुना था।”

जल्दी ही ये कंफर्म हो गया कि रेबेका के पीछे आए हुए लोग डॉक्टर ओझा के बुलाने पर ही वहां आए थे। सभी उनके रिश्तेदार और पड़ोसी थे।

चाय नाश्ते के बाद इंतजार की घड़ियां फिर शुरू हो गई थीं। अब वहां दस लोगों से ज्यादा लोग मौजूद थे। स्थिति थोड़ी काबू में देखकर मेल्विन और रेबेका अस्पताल के बाहर आ गए थे।

“क्या तुमने पीटर से डायना के बारे में बात की?” रेबेका ने अस्पताल के बाहर आते ही मेल्विन से पूछा।

“नहीं रेबेका। मैं इस हालत में पीटर को डायना के बारे में कैसे बता सकता हूं? अस्पताल से निकलने के बाद ही मैं पीटर से इस बारे में बात करूंगा।”

“डायना बहुत परेशान है मेल्विन। इतना जान लो कि इस मुसीबत से निकलने के बाद हमें दूसरी मुसीबत में खुद छलांग लगानी है।”

“तब की तब देखेंगे रेबेका! अगर आज यहां कुछ अनहोनी हो गई तो फिर लक्ष्मण की शादी से पहले मैं किसी भी मसले में नहीं पड़ने वाला। मुझे तो डर है कहीं इसका असर लक्ष्मण की शादी में न पड़े। दोनों पिता–पुत्र इस शादी को लेकर काफी उत्साहित हैं।”

“यहां और भी लेडीज आ चुकी हैं मेल्विन! क्या मैं निकलूं? मुझे स्कूल भी जाना है। अगर मेरी जरूरत यहां है तो मैं आज छुट्टी ले लेती हूं।”

“नहीं, छुट्टी लेने की जरूरत नहीं है रेबेका! तुम्हारा यहां आने के लिए शुक्रिया!”

“इसमें शुक्रिया जैसी कोई बात नहीं है मेल्विन! मैं कॉन्टैक्ट में रहूंगी।”

इतना कहकर रेबेका वहां से चली गई।

उसके जाते ही पीटर मेल्विन के पास आया।

“रेबेका डायना के बारे में क्या कह रही थी?” पीटर ने पूछा, “क्या डायना की कोई खबर मिली है?”

“तुम हमारी बातें सुन रहे थे पीटर?” 

“मेरे कानों में आवाज पड़ी। मैं यहीं पास में खड़ा था न। कान बंद तो कर नहीं सकता था।” पीटर ने मेल्विन की नकल करते हुए कहा, “अब बताओ, रेबेका क्या कह रही थी?”

“डायना ने तुम्हें पुणे बुलाया है। वो तुमसे मिलना चाहती है। क्या तुम उससे मिलने जा रहे हो?” मेल्विन ने पूछा। 

“डायना मुझसे मिलना चाहती है!” पीटर ने हैरानी से कहा, “ऑफकोर्स मैं उससे मिलूंगा मेल्विन!” 

“वहां के खतरों से तुम वाकिफ हो न?” मेल्विन ने पूछा, “मेरा सुझाव है कि तुम्हें वहां नहीं जाना चाहिए। एटलिस्ट ये जाने बिना कि डायना तुम पर कोई मुसीबत नहीं आने देगी।”

“मेल्विन, क्या तुम चाहते हो कि मैं डायना से अपनी सुरक्षा की गारंटी लेकर उससे मिलने जाऊं?” पीटर ने मुस्कुराते हुए कहा, “इससे अच्छा मैं जाकर मर ही जाऊं।”

“मरना आसान है। जीना मुश्किल है। एक बार अच्छे से सोच लो कि क्या और कैसे करना है?”

 

क्या पीटर मेल्विन की बात मानेगा? क्या सुमित की हालत ठीक होगी? उसकी जान डॉक्टर बचा सकेंगे? जानने के लिए पढ़ते रहिए आप सब का पसंदीदा कहानी “पालघर टू वीटू लोकल।”

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