“मैंने सोच लिया है मेल्विन!” पीटर ने कहा, “मैं डायना से मिलने पुणे जा रहा हूं।”
मेल्विन ने फिर दोबारा पीटर को नहीं समझाया। वो वापस हॉस्पिटल के अंदर चला आया था।
“डॉक्टर साहब, बस एक बार!” डॉक्टर ओझा सीनियर डॉक्टर से रिक्वेस्ट कर रहे थे, “मुझे बस एक बार मेरे बेटे से मिलने दीजिए।”
“आप बात को समझ नहीं रहे हैं डॉक्टर ओझा!” सीनियर डॉक्टर ने कहा।
“मैं एक डॉक्टर हूं। इस बात की गंभीरता को अच्छे से समझता हूं।” डॉक्टर ओझा ने फिर रिक्वेस्ट करते हुए कहा। तब जाकर सीनियर डॉक्टर ने उन्हें आईसीयू में जाने की इजाजत दे दी थी।
ऑपरेशन थिएटर में तनाव साफ झलक रहा था, तूफान से पहले की नम हवा की तरह। डॉक्टर ओझा के साथ मेल्विन भी अंदर गया था। उसके दिमाग में सुमित की हालत के बारे में सवाल कई सवाल घूम रहे थे।
“आगे क्या होने वाला है?”
लेकिन वो जानता था कि अभी समय नहीं है। इसके बजाय, उसने डॉक्टर ओझा के हाथ के आरामदायक दबाव और उनके चारों ओर मशीनों की स्थिर लय पर ध्यान केंद्रित किया।
मिसेज ओझा अपने बेटे को आईसीयू में देखने के लिए खुद को तैयार नहीं कर पाई थी। वो बोली, “मैं जीते जी मर जाऊंगी डॉक्टर साहब, अपने बेटे को इस समय नहीं देख पाऊंगी। मैं उन मांओं की तरह नहीं हूं जो किताबों में पढ़ने के लिए मिलती हैं।”
जब सभी प्रतीक्षा कर रहे थे, तो कमरा भोर में अस्पताल की शांत आवाज़ों से भर गया: नर्सों के चलते ही मद्धम आवाज, धीमी बातचीत की फुसफुसाहट और कभी-कभी एम्बुलेंस की दूर से आने वाली चीखें। ये जीवन की नाजुकता, मरीजों के परिवार जनों के छोटे से दायरे से भीतर लड़ी जा रही लड़ाइयों की एक कठोर याद दिलाता था।
“ये आसमान, ये हवाएं, ये फिजाएं, ये कभी नहीं बदलती। फिर चाहे स्थिति जैसी भी हो।” मेल्विन ने खिड़की की ओर देखते हुए कहा, जहाँ सूरज की पहली किरणें पर्दों से झांकने लगी थीं। उसने सुमित के लिए बनाए गए कार्टूनों के बारे में सोचा, जिसके उसके चेहरे पर मुस्कान आ सके। उसने उन हँसी के बारे में सोचा जो डॉक्टर ओझा और उसने साथ में ट्रेन की सवारी के दौरान साझा की थी। किस तरह से डॉक्टर ओझा हमेशा उसके लिए एक बड़े भाई की तरह आगे खड़े रहते थे। मेल्विन ने महसूस किया कि उसके गाल पर एक आंसू बह रहा है और उसने जल्दी से उसे पोंछ दिया, क्योंकि वो कमरे का बोझ और नहीं बढ़ाना चाहता था।
जैसे-जैसे मिनट घंटों में बदलते गए, दोस्त जागते रहे, हर कोई सुमित के ठीक होने के लिए अपनी-अपनी मौन प्रार्थनाओं में खोया रहा। वे चिंता और उम्मीद की एक झलक थी, जो वर्षों से लोकल ट्रेन में बने बंधनों का प्रमाण थे। और उस पल में, मेल्विन को पता था कि भविष्य में चाहे जो भी हो, वे उसका सामना एक साथ करेंगे।
एक बार फिर दरवाज़ा खुला, और क्लिपबोर्ड के साथ एक नर्स अंदर आई। मॉनिटर की जाँच करने और कुछ नोट्स बनाने से पहले उसने एक छोटी सी मुस्कान दी। "डॉक्टर जल्द ही यहाँ आएँगे!” उसने उन्हें आश्वस्त किया, और फिर वापस गलियारे में गायब हो गई।
मेल्विन के विचार पीटर और उनके बीच के अनकहे तनाव की ओर चले गए। वो जानता था कि पीटर किसी चीज़ से जूझ रहा था, सुमित के डर से कहीं ज़्यादा। अपने रहस्य से दुखी होकर, मेल्विन ने फैसला किया कि अब उसे पीटर को समझाने के लिए एक और कोशिश करनी चाहिए।
वो आईसीयू से बाहर आ गया। उसकी आवाज़ फुसफुसाहट से थोड़ी ऊपर थी जब उसने पीटर से कहा, "पीटर, मुझे तुमसे कुछ और भी कहना है।"
पीटर की आँखें मेल्विन से मिलीं, उसकी कुर्सी के आर्मरेस्ट पर पकड़ मज़बूत हो गई।
"क्या है?" उसने कर्कश आवाज़ में पूछा।
मेल्विन ने देखा कि पीटर का चेहरा उतर गया था, उसका रंग अस्पताल की दीवारों के पीलेपन से मेल खाने लगा था।
"उसका परिवार बहुत स्ट्रिक्ट है।” उसने अपनी आवाज़ को नरम रखते हुए कहा, "वे इसे हल्के में नहीं लेंगे।"
गलियारे में सन्नाटा और भी बढ़ गया। केवल मशीनों की लगातार बीप की आवाज़ सुनाई दे रही थी। पीटर की मुट्ठियाँ भींची हुई थीं, और वो फर्श पर घूर रहा था।
"वे ऐसा नहीं कर सकते। मैं उन्हें ऐसा कुछ भी करने दूंगा।" वो बड़बड़ाया, "हमें उन्हें बताना होगा कि ये सब कितना गलत है।"
मेल्विन ने गंभीरता से सिर हिलाया, उसकी आँखों में स्थिति की गंभीरता झलक रही थी।
"वे सिर्फ़ सख्त नहीं हैं, पीटर!" उसने धीरे से कहा, "वे खतरनाक हैं। वो लड़का याद है जो उसके घर तक उसका पीछा करता था? जिसके बारे में रेबेका ने हमें बताया था।"
स्टॉकर का जिक्र सुनकर पीटर की रीढ़ में ठंडी सिहरन दौड़ गई। वो कहानी अच्छी तरह से जानता था - कैसे डायना के परिवार को पता चला और इस स्थिति से इस तरह निपटा कि वो लड़का बुरी तरह घायल हो गया। उसके मन में हमेशा के लिए एक डर बैठ गया। पीटर के साथ भी ऐसा ही होने का विचार मेल्विन पर भारी पड़ गया।
"लेकिन हम उसे किसी ऐसे व्यक्ति से शादी नहीं करने दे सकते जिससे वो प्यार नहीं करती।" पीटर ने विरोध किया, "हमें उसकी मदद करने का कोई तरीका खोजना होगा।"
डॉक्टर ओझा भी आईसीयू से बाहर आ गए थे।
मेल्विन पीटर के करीब झुका। उसकी आवाज़ धीमी और फुसफुसाहट से भरी थी।
"हम इसका पता लगा लेंगे, लेकिन पहले, हमें सुमित पर ध्यान केंद्रित करना होगा। उसे अभी हमारी ज़रूरत है।" उनकी बातचीत में अब रामस्वरूप जी भी शामिल हो चुके थे। उनकी बात सुनकर पीटर ने सिर हिलाया। स्थिति की गंभीरता उसके कंधों पर भारी पड़ गई। लेकिन जब उसने अपना ध्यान सुमित की ओर फिर से लगाया, तो डायना की दुर्दशा की छाया जाती रही। एक मौन स्वीकृति कि जीवन की चुनौतियाँ अक्सर लहरों में आती हैं, और ये कि उनकी शांत दुनिया बस नाटक और निराशा का भंवर बन गई है।
मेल्विन ने चुप्पी तोड़ते हुए अपना गला साफ किया।
"मैं उससे बात करूँगा," उसने अपनी आवाज़ में दृढ़ता दिखाई, "हम उसे ऐसा नहीं करने देंगे। भरोसा रखो।"
पीटर ने सिर हिलाया। उसकी आँखों में आँसू थे। "धन्यवाद मेल्विन!" उसने फुसफुसाते हुए कहा।
तभी डॉक्टर वहां आ गया। उसका चेहरा गंभीर था। "मिस्टर ओझा!" उसने कहना शुरू किया। उसकी आवाज़ पेशेवर थी, फिर भी सहानुभूति से भरी हुई थी। "हमें सुमित की स्थिति पर चर्चा करने की ज़रूरत है।"
डॉ. ओझा के घुटने थकान और डर से काँप रहे थे, इसलिए गलियारा उनके चारों ओर सिकुड़ता हुआ लग रहा था। डॉक्टर उन्हें एक छोटी, निजी जगह पर ले गए, जहाँ उन्होंने सुमित की स्थिति की गंभीरता के बारे में बताया।
"ब्रेन हेमरेज की संभावनाएँ हैं।" डॉक्टर ने कहा और फिर इसी तरह के और भी आशंकाएं उन्होंने व्यक्त की। कई नकारात्मक शब्द हवा में काले बादल की तरह लटके हुए थे, जो डॉक्टर ओखा के भीतर जल रही उम्मीद की किरण को बुझाने का दुस्साहस कर रहे थे।
"क्या हम कुछ नहीं कर सकते?" डॉ. ओझा की आवाज़ मुश्किल से सुनाई दे रही थी। उनकी आँखें डॉक्टर की आँखों में उम्मीद के किसी भी संकेत को तलाश रही थीं।
डॉक्टर रुक गए। उनकी आँखें हताश पिता और चिंतित दोस्तों के बीच टिमटिमा रही थीं।
"हम वो सब कुछ कर रहे हैं जो हम कर सकते हैं," उन्होंने उन्हें आश्वस्त किया, "लेकिन ये एक नाजुक स्थिति है। हम एक और कोशिश आजमाने जा रहे हैं। लेकिन ये जोखिम भरा है। अगले कुछ घंटे अब भी महत्वपूर्ण हैं।"
डॉक्टर के शब्दों का भार डॉक्टर ओझा के कंधों पर था, जब वे अस्पताल के कमरे में वापस आए। सुमित अब भी बेड पर वैसे ही पड़ा था। अपने कोमा के चंगुल में खोया हुआ।
बाहर मेल्विन ने महसूस किया कि उसका संकल्प मजबूत हो गया है। उसे सुमित और डायना के लिए लड़ते रहना था।
उसने रेबेका को कॉल लगाया।
"पीटर डायना से मिलना चाहता है!" मेल्विन ने अपनी आवाज़ स्थिर रखते हुए घोषणा की, "रेबेका, क्या तुम सुमित के साथ रह सकती हो? मुझे जाना होगा। अगर तुम आज स्कूल छोड़ दो तो।"
“कहां जा रहे हो?” रेबेका ने पूछा।
“घर! ऑफिस तो किसी हाल में आज नहीं जा सकता मैं।”
“ये तुम्हें पहले ही कहना चाहिए था मेल्विन! तुम आखिर टाइम पर डिसीजन लेना कब सीखोगे?” रेबेका ने मेल्विन की बात मानते हुए कहा। उसकी आंखों के सामने सुमित बेहोशी की हालत में नजर आया, “बाई द वे, मेरे पास तुम्हारे लिए एक और चौंकाने वाली खबर है।”
“क्या?” मेल्विन ने तुरंत पूछा।
“जिस हॉस्पिटल में तुम हो वहीं से थोड़ी दूरी पर एक कैफे है। वो कैफे डायना के मामाजी का है। उसका मुझे थोड़ी देर पहले फोन आया था। पीटर से पहले वो तुमसे उस कैफे में मिलना चाहती है।”
“व्हाट?” मेल्विन बड़बड़ाया, “क्या ये मजाक है रेबेका?”
“बिलकुल नहीं, तुम्हें वहां अभी जाना चाहिए।” रेबेका ने कहा तो मेल्विन ने जवाब देते हुए पूछा, “और क्या तुम यहां आ रही हो?” मेल्विन ने धीरे से पूछा।
"हां, मैं आ रही हूं।" उसने धीरे से कहा, "हम सब एक–दूसरे के लिए यहाँ हैं।"
मेल्विन और पीटर ने एक–दूसरे को त्वरित, समझदारी भरी नज़रों से देखा और फिर मेल्विन गलियारे से बाहर निकल गया। उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था। अस्पताल के गलियारे अनंत काल तक फैले हुए लग रहे थे जब वो उस कैफ़े की ओर बढ़ रहा था जहाँ डायना ने मिलने का अनुरोध किया था। कैफ़े खुशनुमा वातावरण में पॉजिटिवनेस का सिंबल था। कॉफी बनाने की महक और बातचीत की फुसफुसाहट वार्ड के तनाव के बिल्कुल उलट थी।
मेल्विन ने डायना को एक कोने वाले बूथ में पाया। उसकी आँखें रोने से लाल हो गई थीं। उसके कंधे निराशा से झुके हुए थे। जब मेल्विन उसके पास आया, तो डायना ने ऊपर देखा। उसके होंठों पर एक छोटी सी, उम्मीद भरी मुस्कान तैर गई, लेकिन उसके चेहरे पर चिंता की एक झलक दिखाई दी, जब मेल्विन ने उसके हाव-भाव देखे।
"क्या हुआ? तुम मुझसे क्यों मिलना चाहती थी?” उसने पूछा, उसकी आवाज़ कांप रही थी। मेल्विन ने एक गहरी साँस ली और उसके सामने बैठ गया। डायना ने कुछ नहीं कहा।
"मुझे शादी के बारे में पता है," उसने सीधे मुद्दे पर आते हुए कहा, "और मुझे पीटर के लिए तुम्हारी भावनाओं के बारे में भी पता चल चुका है।"
डायना की आँखें सदमे में चौड़ी हो गईं, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा, मेल्विन के आगे बोलने का इंतज़ार करते हुए।
“पीटर से कहो वो गुस्से से काम न ले। उसे समझाओ।” डायना ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा। उसने मेल्विन को पीटर के उसके प्रति प्यार और उसके सामने आने वाले खतरे के बारे में बताया। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए मेल्विन का चेहरा पीला पड़ गया।
"लेकिन पीटर को जानने की ज़रूरत है कि आखिर तुम ये शादी क्यों कर रही हो।" मेल्विन ने ज़ोर दिया, "उसे जानने का हक़ है।"
डायना ने सिर हिलाया, उसकी आँखें आँसुओं से भर गई थीं।
"मुझे पता है।" डायना ने बड़बड़ाते हुए कहा, "लेकिन इससे क्या होगा? अब बहुत देर हो चुकी है?"
मेल्विन ने मेज़ के उपर हाथ बढ़ाया। उसका हाथ डायना के हाथ को छू रहा था।
"हम बहुत देर नहीं होने देंगे।" उसने दृढ़ विश्वास के साथ कहा, "हम तुम दोनों की मदद करने जा रहे हैं। आखिरकार, हम एक–दूसरे के अच्छे दोस्त हैं।"
मेल्विन के शब्दों में दृढ़ विश्वास था जिससे डायना को उसका मनोबल कुछ बढ़ता हुआ महसूस हुआ।
"धन्यवाद।" उसने फुसफुसाते हुए कहा, उसकी आवाज़ घुट रही थी, "देखभाल के लिए धन्यवाद। लेकिन मैं अब भी कोई हंगामा नहीं चाहती मेल्विन!"
“कोई नहीं चाहता कि हंगामा हो।” मेल्विन ने कहा, “ये समझने की जरूरत शायद तुम्हारी फैमिली को पड़े। मैं इस वक्त इससे ज्यादा तुमसे कुछ नहीं कह सकता।”
डायना को हिम्मत देते हुए मेल्विन खड़ा हो गया। उसमे डायना को अपनों के बारे में विचार के करने के लिए छोड़ दिया।
जैसे ही मेल्विन अस्पताल के गलियारे में वापस आया, मशीनों की बीप और घुरघुराहट उसके कानों में गूंज फिर उठी, जो अस्पताल के कमरे में और उसके बाहर दोनों जगह जिंदगी और मौत से लड़ रहे परिजनों की दृश्य दिखा रही थी।
मेल्विन का दिमाग फिर उससे बातें करने लगा था, “मैं जानता हूं कि हम सबको उम्मीद और वास्तविकता के बीच अदृश्य रेखा को बैलेंस करते हुए सावधानी से चलना होगा।”
लेकिन जब मेल्विन हॉस्पिटल में वापस गया, तो उसे एक नए उद्देश्य का एहसास हुआ।
“हम सुमित को बचा लेंगे। और पीटर और डायना को भी बचा लेंगे। हमें ये करके दिखाना है। इस मुश्किल घड़ी में सिचुएशन का सामना करते समय, हर एक दोस्त को यही करना चाहिए।”
जब वो वापस लौटा, तो पीटर गलियारे पर टहल रहा था। उसकी आँखें चिंता से पागल हो रही थीं। मेल्विन ने एक गहरी साँस ली और उसके पास गया।
"पीटर!" उसने शांत स्वर में कहा, "डायना से मिलने मैं भी तुम्हारे साथ आऊंगा।"
पीटर ठिठक गया, उसकी आँखें चौड़ी हो गईं।
"क्या? क्यों?" वो हकलाया।
मेल्विन ने अपने दोस्त को चुप कराने के लिए हाथ ऊपर उठाया।
"डायना ने मुझे सब कुछ बता दिया है। वो तुमसे प्यार करती है, और उसकी शादी सिर्फ़ दिखावा है।"
पीटर का चेहरा सदमे से गुस्से में बदल गया।
"उसका परिवार, उनका क्या? वहां हाथापाई होने की पूरी संभावना है।" पीटर ने गुर्राते हुए कहा।
"वे उसके साथ ऐसा नहीं कर सकते। हम इससे निपट लेंगे।" मेल्विन ने उसे आश्वस्त किया, "लेकिन पहले, तुम्हें उससे बात करनी होगी। तुम्हें उसे बताना होगा कि तुम उसके लिए कैसा महसूस कर रहे हो।"
दोनों दोस्तों ने एक-दूसरे को देखा। उनके बीच आपस में कुछ तय हुआ। पीटर ने सिर हिलाया, और मेल्विन उसे गलियारे से बाहर ले गया। अस्पताल के गलियारे सफेद और नीले रंग की भूलभुलैया में फैले हुए थे, जो उनके अंदर चल रही उथल-पुथल भरी भावनाओं के बिल्कुल विपरीत था।
क्या मेल्विन पीटर का डायना का मुलाकात कैफे में ही करवा देगा? क्या डायना की फैमिली और पीटर के बीच तीखी बहस होने वाली है? क्या पीटर डायना का प्यार जीत पाएगा? क्या सुमित की जान बच पाएगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए अपनी पसंदीदा कहानी “पालघर तो वीटी लोकल।”
No reviews available for this chapter.