ऑफिस में भी मेल्विन उस दिन उदास ही रहा। एक तरफ वो अपनी मां के वापस चले जाने से उदास था तो वहीं दूसरी तरफ रेबेका को लेकर भी मेल्विन के दिमाग में तरह-तरह के ख्याल आ रहे थे।

तभी मेल्विन के सामने रखे फोन की घंटी बजी। मेल्विन ने फोन उठाते हुए कहा, “हां सर, कहिए!”

“मेल्विन, अभी मेरे केबिन में आओ।” दूसरी तरफ से मेल्विन के बॉस मिस्टर कपूर ने कहा।

अगले ही पल मेल्विन मिस्टर कपूर के केबिन में पहुंच गया।

“मेल्विन, ये कुछ स्केचेस आए हैं मेरे पास। आर्ट एग्जीबिशन में इन स्केचेस को पहला, दूसरा और तीसरा स्थान दिया गया है। मैं इस बारे में तुम्हारी राय जानना चाहता हूं।” मिस्टर कपूर ने मेल्विन के केबिन में आते ही कहा।

मेल्विन ने वे स्केचेस अपने हाथ में लेकर बारी-बारी से देखें।

“ये तो वही स्केचेस हैं सर, जिस पर हम दोनों पहले भी डिस्कस कर चुके हैं। मैं दूसरे नंबर पर रखे इस स्केच को पहला नंबर देना चाहता हूं जबकि मेरा मानना है पहले नंबर पर रखे इस स्केच को तीसरा नंबर देना चाहिए।” मेल्विन ने अपनी राय देते हुए कहा।

“हां, मैंने ये डिस्कशन ऑफिस की दूसरे लोगों के साथ भी किया है।” मिस्टर कपूर ने कहा, “कुछ लोगों की राय तुमसे थोड़ी अलग है मेल्विन। उनका कहना है कि पहले नंबर का स्केच, जो आर्यन रस्तोगी का है इसका सब्जेक्ट बहुत यूनिक है। और इसे स्केच के रूप में दिखाना अपने आप में बेहतरीन आईडिया है। आर्यन रस्तोगी स्केच के सामने अनुराग और विपिन का स्केच कुछ कमतर है मेल्विन।”

“अनुराग के इस स्केच को देखिए सर। मैं मानता हूं कि ये आइडिया यूनिक नहीं है लेकिन महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को एक कार्टून के रूप में क्या खूब दिखाया है इसने। विपिन का आईडिया भी कहीं न कहीं अनुराग के आईडिया से ही मिलता–जुलता दिखाई देता है। इसमें कन्या भ्रूण हत्या को बहुत ही बारीकी से दिखाया गया है। यही वजह है कि मैं इन दोनों को पहले और दूसरे नंबर पर रखना चाहता हूं जबकि आर्यन रस्तोगी ने बढ़ती जनसंख्या को कार्टून के रूप में ढाला है। मेरा मानना है ये आइडिया यूनिक जरूर है लेकिन अनुराग और विपिन से ज्यादा बढ़िया और दमदार नहीं है।”

“ओह! फिर ये मसला आखिर कैसे हाल होगा मेल्विन? मैं सोचता हूं कि क्यों न हम वोटिंग कर ले। हमारे ऑफिस में कुल 27 लोग है। किसी एक तरफ तो रिजल्ट जाएगा ही।” मिस्टर कपूर ने सोचते हुए कहा।

“जैसा आपको ठीक लगे सर। मैंने अपना सजेशन आपको दे दिया है। आगे आप जो चाहे फैसला ले सकते हैं। चाहे तो आप वोटिंग कर सकते हैं सर।”

“ठीक है लंच टाइम में मैं सबके साथ मिलकर वोट कर लेता हूं। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।  मेल्विन, देखते हैं तुम्हारा सोचना आखिर कितना काम आता है।” मिस्टर कपूर ने कहा तो मेल्विन ने उसे बीच में ही टोकते  हुए कहा, “मेरा सोचना वैसे भी कहां काम आया सर। अगर आप मेरी बात मानकर फैसला ले लेते तब मेरी बात का महत्व मैं समझ पाता।”

“ऐसी बात नहीं है मेल्विन। मैं तुम्हारी समझ की दाद देता हूं। लेकिन मैं नहीं चाहता कि कोई भी चीज कंफ्यूजन में रह जाए। मुझे खुशी होगी अगर तुम्हारे आइडिया को ही ज्यादा वोट मिले तो।” मिस्टर कपूर ने कहा।

इधर दूसरी तरफ रामस्वरूप जी पहली बार अपने बैंक के साथियों को लक्ष्मण की शादी की खुशखबरी दे रहे थे।

मोहन नाम का उनका साथी कैशियर ने रामस्वरूप जी से कह रहा था, “बेटे की शादी की तारीख फिक्स हो गई। यहां तक कि आप कार्ड भी छपवा रहे हैं लेकिन हमें इसकी खबर तक नहीं होने दी आपने। आखिर ये सब इतनी जल्दी कैसे हुआ?”

“ये नए जमाने के लड़के हैं मोहन जी। अपनी शादी ये खुद ही फिक्स कर लेते हैं।” रामस्वरूप जी ने कहा, “मैं तो बस पिता होने के नाते अब बाकी बचा काम देख रहा हूं।”

*मतलब लक्ष्मण ने क्या लड़की खुद ही चुन ली है?” मोहन नाम के उसी बैंक कर्मचारी ने पूछा।

“जरा आहिस्ता बोलो मोहन जी। अगर लक्ष्मण को इस बात की खबर लग गई तो वो मुझे नहीं छोड़ेगा। आप अभी बस इतना याद रखिए कि अगले महीने की 10 तारीख को आपको अपने पूरे परिवार के साथ मेरे यहां आना है। आप मेरे खास मेहमानों में से एक होंगे। मैं बैंक के सभी लोगों को बुलाने का तय किया है। लेकिन उनके लिए ये अभी भी सरप्राइस रहेगा। मैं शादी से दो दिन पहले उन्हें ये खबर दूंगा। उन्हें लक्ष्मण की शादी का बहुत पहले से इंतजार है। अचानक से खबर सुनकर वे खुश हो जायेंगे।”

“अब आप इस उम्र में सर्प्राइज सर्प्राइज खेलने लगे रामस्वरूप जी। चलिए अच्छा है। आखिरी इकलौता लड़का है आपका। खुश होने का मौका तो आपको भी मिलना चाहिए। लड़की क्या अपने ही बिरादरी की है?” मोहन ने पूछा।

“लव मैरिज में जाति बिरादरी का कहां पता चलता है मोहन जी।” स्वरूप जी ने कहा, “लड़की कुम्हार है। वो और उसके घर वाले अच्छे लोग हैं, मेरे लिए इतना काफी है। मुसीबत तो तब हो जाती जब इनमें से कोई एक अच्छे ख्याल वाला न होता। मेरी तो किस्मत अच्छी निकली जो लक्ष्मण की बात मानने से पहले मुझे ज्यादा सोचना नहीं पड़ा। मृणालिनी नाम है लड़की का। बेहद सुशील और संस्कारी है। भरतनाट्यम में महारत हासिल है उसे। लक्ष्मण को बीच में एक बार भरतनाट्यम सीखने का शौक चढ़ गया था। वहीं दोनों की मुलाकात हुई थी। अब ये शौक उस लड़की की वजह से ही था या फिर वहां जाकर लड़की से मुलाकात हुई है, ये तो लक्ष्मण ही जानता है।”

“लक्ष्मण सर और भरतनाट्यम। हा हा रामस्वरूप जी।” मोहन ने हंसते हुए कहा, “अब भी आप इसी सोच में डूबे हुए हैं। ये पक्का लड़की के चक्कर में भरतनाट्यम करने वहां पहुंचे होंगे।” मोहन ने कहा तो रामस्वरूप जी ने उसे चुप कराते हुए कहा, “थोड़ा आहिस्ता बोलिए मोहन जी, वरना अगले महीने की सैलरी आनी मुश्किल हो जाएगी।”

अभी रामस्वरूप जी और मोहन के बीच बातचीत हो ही रही थी कि डॉक्टर ओझा का रामस्वरूप जी को फोन कॉल आया।

“हेलो रामस्वरूप जी, मैं डॉक्टर ओझा बोल रहा हूं।” डॉक्टर ओझा ने रामस्वरूप जी के फोन उठाते ही घबराई भी आवाज में कहा। उनकी आवाज सुनकर रामस्वरूप जी थोड़े चिंतित हो गए।

“जी डॉक्टर साहब, कहिए क्या बात है? आप काफी घबराए हुए लग रहे हैं।” रामस्वरूप जी ने जल्दी से पूछा।

“बात ही कुछ ऐसी है रामस्वरूप जी। मुझे आपकी मदद की सख्त जरूरत है।” डॉक्टर ओझा ने कहा।

“कहिए, मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं डॉक्टर साहब?”

“आप मेरे लिए अभी 5 लाख रुपए का बंदोबस्त कर सकते हैं?” डॉक्टर ओझा ने पूछा, “मुझे अर्जेंट 5 लख रुपए की जरूरत है।”

“5 लाख रुपए!” रामस्वरूप जी का मुंह खुला का खुला रह गया था, “मैं इस वक्त आपके लिए 5 लाख रुपए की व्यवस्था कैसे कर सकता हूं डॉक्टर साहब? वो भी इतने शॉर्ट नोटिस पर।”

“मैं ये रुपए आपको एक हफ्ते में वापस कर दूंगा रामस्वरूप जी। हो सकेगा तो इससे भी पहले। लेकिन आज के आज मुझे 5 लाख रुपए चाहिए। मैं जानता हूं कि लक्ष्मण की शादी के लिए आपने पैसे बचा रखे होंगे। इस वक्त मेरे दिमाग में सिर्फ आपका ही नाम आया। आप मेरे लिए 5 लाख रुपए की व्यवस्था कर देंगे न रामस्वरूप जी?”

डॉक्टर ओझा ने रामस्वरूप जी से फिर रिक्वेस्ट की तो वे सच में पड़ गए।

“लेकिन डॉक्टर साहब अचानक आपको 5 लाख रुपए की जरूरत क्यों आ पड़ी? सब ठीक तो है?”

“मैं इस वक्त आपको कुछ भी नहीं बता सकता रामस्वरूप जी। इस वक्त मैं आपसे सिर्फ जवाब जानना चाहता हूं। क्या आप मुझे 5 लाख रुपए  अभी दे रहे हैं?”

“मेरे पास इस समय दो से ढाई लाख रुपए होंगे डॉक्टर साहब। अगर इतने से आपका काम हो जाएगा तो मैं अभी व्यवस्था कर देता हूं। इससे ज्यादा मेरे लिए बहुत मुश्किल हो जाएगा।” रामस्वरूप जी ने शांत भाव से कहा।

उनकी बात सुनकर डॉक्टर ओझा कुछ देर के लिए चुप हो गए।

“अच्छा, ठीक है! आप ढाई लाख की व्यवस्था कर दीजिए। लेकिन बाकी के ढाई लाख अगर आप अपने बैंक मैनेजर बेटे से कहकर ले सके तो बड़ी मेहरबानी होगी। मुझे ये रुपए सिर्फ एक हफ्ते के लिए चाहिए रामस्वरूप जी। ज्यादा से ज्यादा एक हफ्ते। हो सकता है मैं ये चार-पांच दिन में ही आपको वापस लौटा दूँ।”

“मैं लक्ष्मण से इतने रुपए कैसे मांग सकता हूं डॉक्टर रोज? ऊपर से आप मुझे ये भी नहीं बता रहे हैं कि अचानक आपको इतने रुपए की जरूरत क्यों आ पड़ी?”

“रामस्वरूप जी, लक्ष्मण आपका बेटा है। आप उससे कुछ भी बहाना करके एक हफ्ते के लिए ढाई लाख रुपए ले सकते हैं। प्लीज, मेरी मदद कीजिए राम स्वरूप जी। ये आपका मुझ पर बहुत बड़ा एहसान होगा।”

“डॉक्टर साहब, क्या घर पर सब ठीक है? भाभी और आपका लड़का ठीक है न? क्या ये पैसे आप उनके लिए मांग रहे हैं?”

अभी रामस्वरूप जी ने इतना पूछा ही था कि डॉक्टर ओझा फोन पर ही जोर-जोर से रोने लगे। उनके रोने की आवाज सुनकर राम स्वरूप जी घबरा गए।

“मेरे बेटे का एक्सीडेंट हो गया है रामस्वरूप जी।” डॉक्टर ओझा ने रोते हुए रामस्वरूप जी को बताया, “उसके सिर पर गंभीर चोट आई है। वो इस समय आईसीयू में है। डॉक्टर ने उसकी हालत क्रिटिकल बताई है। बचने के चांसेस सिर्फ 5% है। 5 लाख का व्यवस्था आज नहीं हुआ तो शायद मैं अपना बेटा खो दूंगा।”

रामस्वरूप जी की हालत ऐसी हो गई थी जैसे काटो तो खून नहीं। इतनी बड़ी जरूरत के समय उनका दिमाग काम करना बिल्कुल बंद कर चुका था। उनके पास इस समय कैश में ये ढाई लाख रुपए भी नहीं थे। इसमें का काफी हिस्सा वे लक्ष्मण की शादी में पहले ही लगा चुके थे। उनकी आंखों के ठीक सामने लक्ष्मण अपने केबिन में बैठा कुछ कस्टमर से बातें कर रहा था। अब उनके सामने सिवाय लक्ष्मण से बात करने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।

“मैं लक्ष्मण से बात करके देखता हूं डॉक्टर साहब। आप बेफिक्र हो जाइए। मैं किसी भी तरह 5 लाख रुपए का इंतजाम करके आपको दोबारा फोन करता हूं। डॉक्टर से कहिए कि इलाज में कोई कोताही न बरतें।*

इतना कहकर राम स्वरूप जी ने कॉल कट कर दिया था। मोहन ने उन दोनों की पूरी बात सुन ली थी।

“ये डॉक्टर ओझा थे?” मोहन ने पूछा, “वही लोकल ट्रेन वाले आपके साथी?”

“हां, वही थे। राम स्वरूप जी ने कहा उनके लड़के का एक्सीडेंट हो गया है। उसके सिर पर चोट आई है। आज ही अगर 5 लख रुपए का इंतजाम नहीं हुआ तो शायद उनका लड़का बच नहीं पाएगा।”

“क्या! क्या डॉक्टर ओझा के पास कितने रुपए भी नहीं है रामस्वरूप जी?” मोहन ने पूछा।

“क्या पता ऑपरेशन में और ज्यादा पैसे लग रहे हो मोहन जी। 5 लाख भी कम पड़ रहे हो जिसके लिए उन्हें दूसरों के सामने हाथ फैलाना पड़ रहा है। भगवान ऐसी मजबूरी किसी को न दे। अब मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मैं डॉक्टर साहब की मदद कैसे करूं। मेरे पास तो पूरे ढाई लाख रुपए भी नहीं है। 2 लाख भी मेरी तरफ से निकल जाए तो बहुत होगा। लक्ष्मण तीन लाख का इंतजाम कैसे कर पाएगा। मैं किसकी गारंटी पर लक्ष्मण से वो रुपए लूंगा? अगर डॉक्टर साहब समय पर पैसे न लौटा पाए तो वे शर्मिंदा हो जायेंगे। इससे हमारी दोस्ती पर असर पड़ेगा। लक्ष्मण समय पर ही पैसे वापस ला वो इसमें देरी बर्दाश्त नहीं करेगा।”

रामस्वरूप जी गहरी सोच में डूब गए थे। उन्हें ये बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था कि वे डॉक्टर ओझा की मदद आखिर कैसे करें। तभी न जाने क्या सोच कर उनकी आंखों में चमक आ गई। वो अपने आप से बातें करते हुए बोले, “क्या डॉक्टर ओझा के दिमाग में मेल्विन का नाम नहीं आया? मेल्विन के पास से इस समस्या का बेस्ट सॉल्यूशन मिल सकता है।”

मेल्विन का नाम दिमाग में आते ही राम स्वरूप जी ने तुरंत उसे कॉल लगाया।

दो-तीन बार पूरी घंटी बजने के बाद भी दूसरी तरफ से मेल्विन ने कॉल पिक नहीं किया। तब चौथी बार रामस्वरूप जी ने मेल्विन को कॉल लगाया। इस बार मेल्विन ने कॉल उठा लिया था।

“हेलो रामस्वरूप जी, सब ठीक तो है? एक साथ लगातार चार बार आपने कॉल किया है।” मेल्विन ने फोन उठाते ही रामस्वरूप जी से मुस्कुराते हुए पूछा।

“मेल्विन, क्या तुम्हें डॉक्टर ओझा का फोन आया था?” रामस्वरूप जी ने पूछा।

“नहीं तो।” मेल्विन ने बताया, “क्या बात है रामस्वरूप जी, सब ठीक तो है?”

“डॉक्टर ओझा के लड़के का एक्सीडेंट हो गया है मेल्विन। डॉक्टर ने बताया है कि सर पर गंभीर चोट आई है। वो इस समय आईसीयू में एडमिट है। डॉक्टर साहब ने मुझसे तुरंत 5 लाख का इंतजाम करने को कहा है। मेरे पास मुश्किल से अभी 2 लख रुपए होंगे। 3 लाख रुपए का मैं कहां से इंतजाम करूं ये जानने के लिए मैंने तुम्हें कॉल किया है।”

“इतनी बड़ी बात हो गई और और डॉक्टर साहब ने मुझे नहीं बताया।” मेल्विन सोच में पड़ गया।

“तुम पहले ही काफी परेशान चल रहे हो मेल्विन इसलिए शायद डॉक्टर ओझा ने तुम्हें कॉल नहीं किया होगा। क्या तुम तुरंत ₹300000 का इंतजाम कर सकते हो मेल्विन?”

क्या मेल्विन तीन लाख का इंतजाम कर पाएगा? आखिर 5 लाख का बंदोबस्त रामस्वरूप जी कैसे कर पाएंगे? क्या लक्ष्मण उनकी मदद करेगा?

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