विक्रम शनाया के साथ रिया से बात करने के लिए उसके कमरे में पहुंचते हैं मगर कमरे में कोई था ही नहीं। सोचा बाथरूम में होगी लेकिन वहाँ भी नहीं थी। रिया कहां गई, यह सोचकर विक्रम की जान निकलने लगी। वह एक बार फिर शायद रिया को संभालने में चूक गए थे, यही सोच सोच कर वह और परेशान हो रहे थे।  

शनाया उन्हें समझाती है कि घबराओ मत,सब ठीक होगा, मगर वह खुद भी जानती थी कि अगर रिया वाकई कहीं चली गई है तो अब कुछ भी ठीक करना कितना मुश्किल है। विक्रम हताश हो कर वहीं रिया के कमरे में बैठ गए। तभी शनाया की नजर टेबल पर रखे एक पेपर पर पड़ी। उसने जल्दी से उसे उठाया और देखा तो विक्रम के नाम रिया का मैसेज था। उसने विक्रम से कहा, रिया इस बार मैसेज छोड़कर गई है और यह कहकर विक्रम की तरफ पेपर बढ़ा दिया ।

विक्रम ने उसको पढ़ा तो जैसे उनके कानों में रिया की आवाज़ गूंजी।

रिया: आई एम सॉरी डैड, मैं यह घुटन की जिन्दगी और नहीं ढो सकती। आपने और आपके परिवार ने हमेशा मुझसे छुटकारा ही चाहा है, मैं कभी आपके लिए अपनी नहीं रही, इसीलिए मैं जा रही हूं। अब न बेटी आएगी, न बदनामी।

मैं कभी किसी के सामने नहीं आऊंगी, हमेशा के लिए अनजान दुनिया में खो जाऊंगी और यही मेरे लिए सही है। बार बार पुलिस और जेल को बर्दाश्त करना बहुत मुश्किल है। मैं इन सबसे आजादी चाहती हूं।

रिया।

रिया का लिखा एक काग़ज़ का टुकड़ा विक्रम के दिल के हजार टुकड़े करने के लिए काफी था। इतनी कोशिशों के बाद भी वह रिया को अपनेपन का अहसास तक नहीं दिला पाए। उसे अपने पिता पर भरोसा नहीं था कि वह उसे बचा लेंगे।

रिया के इस मैसेज ने उन्हें और तोड़ दिया। टूटते हुए विक्रम को शनाया संभालने की कोशिश करती है मगर अब आगे क्या करें, वह भी नहीं समझ पाती।

उधर घर से निकली रिया एक बस में चढ़ जाती है और एक स्टॉप से दूसरे स्टॉप भटकती रहती है। कहां जाना है, उसे खुद नहीं पता था। रात बढ़ती जा रही थी और रिया अपने लिए कोई ठिकाना भी नहीं ढूंढ सकी। थक हारकर, वहीं फुटपाथ पर बैठ कर अपने हाल पर रोने लगी। तभी एक गाड़ी उसके सामने आकर रुकती है लेकिन उसने ध्यान नहीं दिया । गाड़ी में से किसी ने निकलकर उसके कंधे पर हाथ रखा और उसने सर उठा कर देखा तो सामने नेहा थी। रिया के चेहरे पर आश्चर्य के साथ साथ एक स्माइल आ गई,

रिया: नेहा...

नेहा का आना रिया के लिए बहुत बड़ा सहारा था। वह उठकर रोते हुए उसके गले से लिपट गई। नेहा ने उसे गाड़ी में बिठाया और अपने घर ले गई।

रिया नेहा के सामने गिल्टी फील कर रही थी, उसने कितनी बार रिया को समझाया था, यह रास्ता सही नहीं है। हर बार रिया ने उसकी बातों को मज़ाक में टाल दिया था मगर आज नेहा के अलावा उसके पास कोई अपना नहीं था। रिया की हालत देख नेहा समझ चुकी थी कि वह नशे में है, इसीलिए नेहा ने उससे कहा, तुम नहा लो, मैं आज फिर तुम्हारी पसंद का खाना बनाती हूं।  

रिया अपने आंसू नेहा से छुपाकर बार बार पोंछ रही थी। फिर तौलिया उठाकर नहाने चली गई। अगले पल दोनों डाइनिंग टेबल पर थी।  रिया की आंखें लाल हो रहीं थीं थी, कुछ रोने से और कुछ नशे से। खाना खाते हुए नेहा ने उससे पहला सवाल यही किया, “ कहां से मिला यह नशा तुम्हें ?  

रिया उसके सवाल पर हंस देती है।  रिया ने ऐसी कितनी जगह ड्रग्स सप्लाई किये थे,  जहां अभी भी बिक रहे थे और पुलिस वहां तक नहीं पहुंच सकती थी ।

नेहा को अंदाजा लग जाता है कि रिया के पास पुलिस को बताने के लिए बहुत कुछ है मगर उसे इसके लिए तैयार करना होगा। खाना खाते हुए रिया मासूम बच्ची सी लग रही थी। नेहा भी उसे देखते हुए अपने इमोशन कंट्रोल नहीं कर पा रही थी। इतना भटकने के बाद भी यह लड़की जिन्दगी की सच्चाई को नहीं समझ पा रही है।

खाते हुए रिया की नजर नेहा पर पड़ी तो वह रुक गई, उसे एकटक देखती नेहा की आंखें गीली थीं। रिया स्पून प्लेट में रखकर कहती है,

रिया: सॉरी नेहा, मैं तुम्हें  भी परेशान ही कर रही हूं। मेरा तो अब कुछ होने से रहा। अपनी लाइफ अपने हिसाब से चलाते मैं कहीं चलने लायक ही नहीं बची।

नेहा ने आंखें पोंछते हुए कहा, ऐसा मत सोचो, सब ठीक होगा। जल्दी से खाना ख़त्म करो, फिर थोड़ा आराम कर लो। बाद में बात करते हैं । नेहा ने जान बूझकर रिया की बात टाल दी थी क्योंकि अभी रिया बात करने की हालत में नहीं थी। रिया के सोते ही नेहा ने अपना मोबाईल उठाया और किसी का नम्बर लगाकर बोली -  तुम आए नहीं, मैंने कहा था ना, तुम्हारा आज पहुंचना जरूरी है। कल सुबह जरूर पहुंच जाना। तुम्हारी जरूरत है, यह समझ लो।

सुबह– सुबह नेहा हाथ में चाय का कप लिए नेहा को जगाती है, रिया नेहा को सामने देख आंखें खोलती है। सुबह उठते हुए उसे अहसास होता है कि उसने कितने दिन बाद सुबह उठ कर सामने चाय देखी है। एक प्यारी सी स्माइल के साथ वह नेहा से चाय लेकर उसके पास बैठ जाती है और उसके सामने अपना दिल खोलकर रख देती हैं।  

रिया : मैं भी अच्छी तरह से जीना चाहती हूँ , नेहा, एक अच्छी इन्सान बनकर। पुलिस मगर मुझे नहीं छोड़ेगी। मैं बार बार जेल नहीं जाना चाहती, पुरानी सारी बातों को मिटा देना चाहती हूँ।

नेहा उसे फिर समझाती है:  पुरानी चीजों को मिटाया नहीं जा सकता रिया। हाँ, उनका सामना किया जा सकता है क्योंकि भागने से तो मुश्किलें और बड़ी हो जाती हैं।

मगर रिया इतनी हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी। दोनों अपनी बातों में उलझी थी कि तभी दरवाजे पर bell बजने से नेहा के चेहरे पर चमक आ गई। वहीं रिया बुरी तरह घबरा गई, कहीं पुलिस तो नहीं है। नेहा रिया को ही दरवाजा खोलने भेजती है,  

ना ना करते जैसे तैसे रिया जाकर दरवाजा खोलती है। सामने खड़े शख्स को एक नज़र देख, नजरें हटाती है और अचानक फिर ग़ौर से देखती है। उसे समझ नहीं आया कि वह खुशी से हंस रही है या रो पड़ी।  एक मिनट में नज़र के सामने से बचपन की एक तस्वीर होकर निकल गई और रिया जोर से चिल्ला पड़ी,

रिया: अजय...।

अजय वर्मा, रिया और नेहा का बचपन का दोस्त। एक पल के लिए तो रिया को विश्वास ही नहीं हुआ कि वह अजय ही है। इतने साल बाद !  

रिया उसका हाथ पकड़ कर अंदर लाती है और नेहा को बुलाती है। नेहा एक स्माइल के साथ वहां आकर बताती है, कि अजय को उसने ही बुलाया है, स्पेश्ली रिया से मिलने।  

अगले ही पल तीनों एक साथ नाश्ता करने बैठ गए। नेहा बताती है कि वह अजय को उसकी पूरी कहानी सुना चुकी है और अजय उसकी हेल्प करना चाहता है।

रिया यह सुनकर उदास हो जाती है कि मुझसे मिलकर क्या सोच रहा होगा अजय। निराश मन से कहती है  

रिया; पर तुम किस तरह मेरी हेल्प कर पाओगे, अब तो मेरे लिए सारे रास्ते बंद हो गए हैं।

अजय मुस्कुरा कर बोला , “ एक तरीका है रिया। तुम सबसे पहले तो ड्रग्स छोड़ दो और पुलिस की दोस्त बन जाओ।” पुलिस का नाम सुनते ही रिया के हाथ का निवाला हाथ में ही रह गया। वह पुलिस से कोई सरोकार नहीं रखना चाहती थी।  

सिर्फ कुछ दिनों की जेल के दर्द को तो भुला नहीं पा रही थी। उसने सोच लिया था कि अब वह कभी भी पुलिस के हाथ नहीं आएगी, चाहे उसे कितना भी भागना पड़े।

अजय उसे पुलिस का साथ देने के कई फायदे बताता है। रिया सब अच्छे से समझ रही थी मगर फिर अगले ही पल जेल का वह कमरा, आस पास उस पर हंसती हुई वह औरतें, पुलिस ऑफिसर की सख्ती, कितनी ही बातें दिमाग में आई और वह फिर चिल्ला कर बोली  

रिया: नहीं,,,, मैं किसी भी कीमत पर अब जेल नहीं जाऊंगी। उन पुलिस वालों पर भरोसा नहीं करूंगी।

अपनी बात पर अड़ी रिया वहां से उठकर चली गई। अजय उसकी हालत अच्छे से समझ रहा था मगर वह चाहता था कि वह जल्द से जल्द अपना सच स्वीकार कर ले। वह नेहा को समझाता है कि वह रिया का ध्यान रखे। कहीं नासमझी में रिया फिर से कोई गलत कदम न उठा ले। उसने ये भी कहा, “ वक्त लगेगा उसे निकालने में मगर हम निकाल लेंगे। रिया के लिए सबसे जरुरी है वह नशा छोड़ दे, इसके लिए तुम उसे तैयार कर सकती हो।” नेहा को भी एक उम्मीद थी कि शायद रिया सुधर जाए। थोड़ी देर और बातचीत करके अजय अपने घर चला गया। दिन गुज़र चुका था और रात का समय गहरा रहा था। नेहा सो चुकी थी, रिया भी सोने की हर तरह कोशिश कर रही थी मगर उसकी आंख बन्द होने का नाम नहीं ले रही थी। बार बार करवट बदल कर थक चुकी रिया उठ कर बैठ गई। काफी देर तक इधर उधर टहलती रही मगर सोने के लिए उसे कम से कम एक डोज तो चाहिए ही था। उसे पता था कि उसके बिना उसे नींद आ ही नहीं सकती थी और जागते हुए उसे घबराहट हो रही थी,  सारी बातें दिमाग में खलबली मचा रही थी।  

दोनों हाथ अपने कानों पर रखकर वह रो पड़ी

रिया: आई एम सॉरी,  नेहा, मैं चाहे कुछ भी कर लूं, मुझे एक डोज तो चाहिए, नहीं तो मैं घबराहट से मर जाऊंगी। तुम्हारा विश्वास नहीं तोड़ना चाहती मगर मैं खुद को संभाल नहीं पा रही हूं।

उसने पास जाकर देखा नेहा गहरी नींद में सोई थी, वह धीरे से गेट खोलती है और बाहर निकल जाती है। लम्बे लम्बे रास्तों पर यहां से वहां भागती, वह उन ठिकानों को ढूंढ रही थी जहां वह ड्रग्स के पैकेट पहुंचाने आती थी। आखिर में उसे एक नाइट क्लब दिखा और वह खुश होकर वहां पहुंच गई। मगर अब किस्मत रिया के साथ बिल्कुल नहीं थी वह जो भी करे उल्टा ही पड़ रहा था। बड़ी मुश्किल से उसे एक डोज मिला और तभी वहां पुलिस का छापा पड़ जाता है। रिया होश में नहीं थी इसलिए जब तक उसे समझ आता, वह चारों तरफ़ से घिर जाती है। खुद को बचाने के लिए वह फिर गलत रास्ता ही अपनाती है। वह नाइट क्लब के मालिक के पास से उसकी लाइसेंसी रिवाल्वर उठाती है और खुद को बचाती हुई वहां से निकलने की कोशिश करती है। मगर चारों तरफ़ से पुलिस से घिरने के बाद निकलना इतना आसान नहीं था। रिया वहीं छुपी हुई थी और बार बार पुलिस उसे आगाह  कर रही  थी कि मिस रिया सिंह खुद ही सरेंडर कर दो, तुम्हें  कुछ नहीं होगा नहीं तो फिर जीवन भर जेल से कोई नहीं निकाल पाएगा।

पुलिस की लगातार मिल रही धमकी से रिया कमजोर पड़ने लगी थी। वह हाथ में रिवॉल्वर लिए थी मगर हाथ कांप रहे थे। अजय की बातें याद आ रही थी, और नेहा का समझाना भी। आखिर उसने खुद को किस्मत के भरोसे छोड़कर रिवॉल्वर पुलिस की तरफ  खिसका दी और आकर सामने खड़ी हो गई। उसके बाहर आते ही चार पाँच कांस्टेबल ने उसे घेर लिया और एक बार फिर वो पुलिस की गिरफ्त में थी।  

इस बार मगर उसने खुद को बचाने की कोशिश छोड़ दी और खुद को पुलिस के हवाले कर दिया।

सुबह का सूरज निकल भी नहीं पाया था, नेहा ने उठकर सारा घर ढूंढ लिया। जब रिया नहीं मिली तो वह निराश हो गई। समझ गई कि रिया ने फिर हिम्मत हार दी और भाग गई।

 

क्या रिया इस बार अजय की बात मान पुलिस की मदद करेगी??

या पुलिस उसे लम्बे समय के लिए अंदर करेगी?

क्या ज़िंदगी उसे एक और मौका देगी ?  

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