जेल की दीवारों से रिया ने एक समझौता सा कर लिया था। हर हाल में उसे जैसे यहीं रहना था। इसके लिए किसी को भी दोष नहीं दिया जा सकता।
खुद को समझाते हुए रिया, अपनी धुन में बैठी, बचपन के दिनों में खो गई। मां अनन्या का साथ, प्यार और परवाह, सब कितना सुखद था। उसे वह वक्त याद आता है और वह वहीं खो जाती है,
अनन्या: रिया... रिया, कहां है मेरी प्यारी बिटिया।
अनन्या की आवाज़ रिया के कानों में गूंज रही थी और बचपन की तस्वीर आंखों में घूम रही थी।नन्ही रिया, मां से अपने मिट्टी में सने हाथ छुपाने भाग रही थी और अनन्या उसे आवाज़ लगाते हुए गार्डन में चारों तरफ़ ढूंढ रही थी। रिया अपने हाथ पीछे छुपाते अनन्या के सामने आती है और डरते डरते बताती है, गार्डन में उसने न्यू प्लांट्स लगाए हैं इसलिए उसके हाथ में मिट्टी लग गई। अनन्या रिया की मासूमियत पर प्यार से उसके नन्हे से हाथ अपने हाथ में लेकर कहती है,
अनन्या: तो हमारी रिया ने न्यू फ्लावर्स के लिए न्यू प्लांट्स लगाए हैं। जरा मम्मा को तो दिखाइए।
मां का सरकता दुपट्टा पकड़ कर रिया उसे एक अधूरी बनी क्यारी के पास ले गई जहां कुछ छोटे छोटे पौधे लगे थे जो रिया ने लगाए थे। अनन्या अपनी बेटी के काम से खुश हो जाती है और क्यारी ठीक करके रिया को बताती है कि अब उसके प्लांट्स के लिए जब पानी की जरुरत होगी तो क्यारी से पानी नहीं निकलेगा बल्कि जड़ों में जाएगा और जल्दी ही उन प्लांट्स में नए फूल खिलेंगे। रिया खुशी से ताली बजाते हुए उछल पड़ती है।
रिया : वाओ, मम्मा आप कितनी प्यारी हो, आपने तो मेरे प्लांट्स के लिए स्वीट स्वीट होम बना दिया। थैंक यू मम्मा।
रिया अनन्या के साथ अपनी खिलखिलाती हंसी याद कर रो पड़ती है। मां के जाने के बाद से तो उसकी ज़िंदगी में केवल यहां से वहां भागना ही चल रहा था, और अब तो वह अपने आप से ही भाग रही है।
रिया: काश, अभी आप यहां होती मम्मा, तो मैं इतनी अकेली कभी नहीं होती।
अतीत में खोई रिया अपने आप को मुस्कुराने की वजह दे रही थी क्योंकि उसके पास जो भी था हंसने के लिए, सिर्फ उसका अतीत ही था।
उधर नेहा और अजय जाकर पुलिस स्टेशन में रिया के लिए बात करते हैं और शहर के कई ऐसे ठिकानों का पता रिया से निकलवाने का वादा करते हैं जहाँ ड्रग्स सप्लाइ होते थे और बदले में रिया की रिहाई की मांग रखते हैं। पुलिस ऑफिसर उन्हें कोर्ट का हवाला देकर रिया को न्याय दिलवाने का भरोसा दिलाती है। रिया भी अब हर बात के लिए तैयार थी। अजय उसे प्रॉमिस करता है कि वह उसे जल्दी वहां से निकाल लेगा। रिया एक स्माइल के साथ कहती है,
रिया: कोई प्रॉब्लम नहीं अजय, जो होना है उसे कोई नहीं रोक सकता।
हार मानती रिया को अजय विश्वास दिलाता है कि वह उसे हारने नहीं देगा, और जल्दी उसे बाहर निकालेगा।
वहीं विक्रम रिया को अनन्या का सच बताकर उसके मन में पल रही नफरत को कम करना चाहते हैं। नेहा उन्हे कॉल करके बताती है कि रिया ने पुलिस की बात मान ली है, जल्दी उसे bail भी मिल जाएगी। विक्रम नेहा का अहसान मानते हैं कि उसने रिया को संभाल लिया वरना इस बार तो वह उसे खो ही चुके थे। रिया को याद करते हुए विक्रम भी उस वक्त में खो गए जब अनन्या जिंदा थी, उसकी मानसिक स्थिति और बीमारी उसे सबसे दूर कर रही थी। उसी की वजह से उसकी जान चली गई थी जिसके लिए रिया अपने डैड को जिम्मेदार समझ कर उनसे नफरत करती है।
विक्रम रिया की तस्वीर हाथ में लेकर उससे कहते हैं
विक्रम : इस बार तुम घर आ जाओ बेटा। मैं सब ठीक करना चाहता हूं। तुम्हारी सारी गलत फहमियां, सारी शिकायतें दूर कर दूंगा। कोई भी बोझ, अब तुम्हारे दिल पर नहीं रहने दूंगा ।
विक्रम खुद को रिया की नजरों में सही साबित करना चाहते थे, अपना ईगो किनारे रखकर अब वह अपनी बेटी से बात करना चाहते थे मगर अब तक रिया इसका अच्छा खासा नुकसान उठा चुकी थी। वक्त के साथ रिया को एक बार फिर जमानत मिल गई, इस बार रिया को लेने विक्रम के साथ नेहा और अजय भी थे, मगर रिया चुपचाप आकर नज़रें नीचे करके नेहा के पास खड़ी हो जाती है।
विक्रम बदली हुई रिया को देख दुःखी हो जाते हैं, उसे बस चलने का इशारा कर वहां से निकाल कर ले आते हैं। अजय और नेहा उसे विक्रम की गाडी में बिठाकर वहां से चले जाते हैं। घर में अन्दर जाते हुए रिया ने एक बार भी इधर उधर नहीं देखा , बस गाड़ी से उतरी और दौड़ते हुए अपने कमरे मे चली गई। अब विक्रम उसे अकेला नहीं छोड़ना चाहते थे इसलिए वह भी उसके पीछे ही उसके कमरे में पहुंच गए। रिया यह देखकर हैरान थी कि आज उसके डैड उसके रूम में उससे बात करने आए हैं,
हमेशा तो उसे ही बुलाते थे।
रिया: डैड आप,,, आप यहां, मतलब, आपने मुझे नहीं बुलाया, बल्कि खुद यहां आए हैं।
विक्रम: बेटा, मुझे तुम्हारी मां के बारे में तुमसे बात करनी है।
इस पर रिया का बिल्कुल ध्यान नहीं था कि विक्रम क्या बात करने आए थे, उसे हैरानी यह थी कि वह उससे बात करने खुद आए। वह उनकी बात सुनने के लिए चुप होकर बैठ गई। विक्रम शब्द ढूंढते हैं कि कहां से शुरू करें किस तरह अपनी बेटी से अतीत की बात करें। विक्रम को अपने आप में उलझा देख, रिया खुद ही पूछ लेती है कि वह उसकी मां के बारे में ऐसा क्या बोलना चाहते हैं जिससे उसके दिल का बोझ कम हो सकता है। उसे जितना याद है उसने अपनी मम्मा को हमेशा रोते ही देखा था। रिया के सवालों से विक्रम का बोलना और मुश्किल हो रहा था,
अपने आप को संभालते हुए वह आखिर बोलना शुरू करते हैं,
विक्रम: रिया, बेटा, तुम्हारी मां बीमार थी, उसको गहरा डिप्रेशन था। मैंने उसे हर वह ट्रीटमेंट दिलवाया जिससे वह ठीक हो जाए, मगर वह ठीक नहीं हो सकी। केवल तुम्हारा साथ उसे खुशी देता था। बाकी उसने सारे रिश्तों से खुद को दूर कर लिया था। उसे वहम हो गया था कि कोई तुम्हें उससे छीन लेगा।
रिया अपनी मां की बीमारी को जानती थी पर डैड की केयर उसे बिलकुल याद नहीं थी। रिया के सामने सैंकड़ों सवाल थे और विक्रम हर सवाल का जवाब देने तैयार बैठे थे। वह आज के बाद कभी रिया की नजरों में नफरत नहीं आने देना चाहते थे। आगे वह आखिर उस सच को खोलते हैं जिस पर एक पिता अपनी बेटी के सामने कभी बात नहीं करना चाहेगा।
विक्रम बताते हैं कि अनन्या की बीमारी के चलते उसे हर किसी पर शक रहता था। कोई उसे मार डालना चाहता है, कोई उसकी बेटी को छीन लेना चाहता है, ऐसे में कभी –कभी शनाया का घर आना या विक्रम का उसके साथ कहीं जाना अनन्या के दिल में घर कर गया था। उसे लगने लगा था कि विक्रम और शनाया के बीच दोस्ती से ज्यादा भी कुछ है और वह अकेली हो गई है, शनाया उससे विक्रम को छीन ले गई।
उस वक्त बिजनेस नया नया था उसे सेट करने में विक्रम को रात रात भर काम करना होता था। ऐसे में अनन्या की हर शंका को दूर करने लायक टाइम उनके पास नहीं होता था।
अपनी मम्मा की हालत सुनते हुए रिया की आंखों से आंसू बह रहे थे। एक सवाल उसने विक्रम से पूछा,
रिया : अगर मम्मा को शक था तो आपने शनाया आंटी को क्यों नहीं छोड़ा? अपनी कामयाबी के लिए आपने मम्मा को ही खो दिया?
रिया के सवाल से विक्रम सिर झुकाकर रह गए, अपनी सफाई में वह बस इतना ही बोल पाए कि उस वक्त बिजनेस की शुरुआत थी और अगर वक्त नहीं देते तो वह बर्बाद हो जाता। शनाया हर कदम पर साथ देती थी, घर और बिजनेस दोनों जगह उसका बहुत सपोर्ट था। अनन्या की बीमारी के कारण उसे कैसे छोड़ देते जबकि उसकी कोई गल्ती नहीं थी।
रिया विक्रम के जवाब से चुप हो गई, उसकी मां की बीमारी और उसका दुनिया से जाना, ऐसा सच था जिसे बदला नहीं जा सकता था। रिया मन ही मन अपनी गलती भी मान रही थी। विक्रम की परिस्थितियां उसकी गलती बन गई थी। आज कुछ हद तक उसे अपने डैड से कम शिकायत थी। उसे यह महसूस होने लगा था कि अगर उसने अपनी मम्मा को खो दिया है तो उसके डैड ने भी तो अकेले ही जीवन निकाला है और दूसरी शादी भी नहीं की। अपनी उधेड़ बुन में लगी रिया को देख विक्रम फिर बोले
विक्रम : मुझे नहीं पता, बेटा, अब तेरे मन में क्या चल रहा है, पर अगर अभी भी तुझे लगता है, तेरे डैड गलत हैं तो मैं तुझसे माफी मांगने को तैयार हूं। अपने दिल से मगर यह नफरत निकाल कर नई शुरुआत कर, बेटा।
रिया अपनी जगह से उठकर खड़ी हो जाती है और विक्रम को भी आराम करने को कहती है। विक्रम यह तय करके आए थे कि रिया के मन से अतीत का बोझ हटा देंगे मगर उन्हें लगा कि शायद रिया उन्हें अभी भी नहीं समझ पा रही थी। रिया से अपनी बात का कोई जबाव नहीं पाकर विक्रम निराश जाने लगते हैं।तभी रिया उन्हें पीछे से रोक कर कहती है,
रिया: आप भी अपने मन में कोई बोझ मत रखिए डैड। जो हो गया उसे हम बदल नहीं सकते।
रिया के शब्द सुन विक्रम अपने आंसू नहीं रोक पाए, बस इतना ही तो सुनना चाहते थे वह रिया से। अपनी आंखें पोंछते वह वापस आए और रिया को सीने से लगा लिया। अपने डैड में आए बदलाव से रिया शॉक्ड थी। उसे कभी इस इन्सान में पिता नजर नहीं आए और आज वही इन्सान इतना सॉफ्ट कैसे हो गया। रिया के सिर पर हाथ फेर विक्रम बिन बोले वहां से चले गए। उनके जाते ही रिया फूट कर रो पड़ी।
विक्रम शनाया को कॉल करके रिया से हुई बातें बताते हैं। अपने मन का बोझ हल्का होते ही विक्रम भी जी उठे वरना रिया की नफरत उन्हें अन्दर ही अन्दर खोखला बना रही थी।
विक्रम : रिया ने मुझे माफ कर दिया शनाया। आज लग रहा है कि मैं अनन्या के साथ हुए गलत व्यवहार के बोझ से भी बाहर निकल आया। रिया ने मान लिया कि जो हुआ उसे नहीं बदल सकते, उसने मुझे दिल से सारे बोझ हटाने को कहा है शनाया!
शनाया विक्रम को भावनाओं में बहता देख विश्वास नहीं कर पा रही थी क्योंकि विक्रम के नेचर में एक सख्ती थी जिसके चलते वह खुद को कभी इमोशनल होने नहीं देते थे । आज मगर विक्रम को बदलते वह खुद देख रही थी।
उधर रिया विक्रम के बदले व्यवहार के बारे में सोचती है कि काश मां के आगे भी डैड इस तरह एक बार अपनी गलती मान लेते, हो सकता है मां को बीमारी में आराम आ जाता। अनन्या के बारे में सोचते हुए रिया उस कमरे में पहुंच गई जिसे अनन्या की मौत के बाद बहुत कम या न के बराबर खोला जाता था। अन्दर जाते ही रिया के कानों में उनके गाने की आवाज गूंज उठी, एक कोने में रखा उनका प्यानो धूल से भर रहा था। कुछ अधूरी पेंटिंग्स टेबल पर पड़ी थीं वहीं रिया को एक डायरी दिखती है,
उसे उठाकर खोलकर देखती है। वह अनन्या की पर्सनल डायरी थी जिसमें अनन्या ने अपना एक एक पल लिखा था।
रिया डायरी लेकर वापस अपने कमरे में आ गई,,, और बिना देर किए उसे पढ़ना शुरु कर दिया।
क्या लिखा होगा अनन्या ने अपनी डायरी में और क्या असर होगा इसका रिया पर?
विक्रम से रिया के सुधरते रिश्ते कहीं फिर से प्रभावित तो नहीं होंगे?
जानने के लिए पढ़ें अगला एपिसोड।
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