रिया ने अनन्या की डायरी खोल ली। अपनी मां को अच्छे से जानने के लिए वह उस डायरी को पढ़ना शुरू करती है। पहले ही पन्ने पर दर्द की आहटें सी सुनाई देने लगी। डायरी पढ़ते हुए रिया अपनी मां को बहुत करीब महसूस कर रही थी,मानो अनन्या की आवाज़ रिया को सुनाई देने लगी,
अनन्या: मैं और यह डायरी! रिया के अलावा, बस इतनी ही तो है मेरी दुनिया, तुम न होती तो मैं किसको दिल खोलकर अपने सारे दर्द सुनाती। थैंक्स, मेरी प्यारी डायरी।
पहले पेज पर सबसे पहले अपनी डायरी को अपना दोस्त बताकर अनन्या ने लिखना शुरु किया।
अनन्या : मैं दर्द में नहीं हूँ, न ही मैं बीमार हूँ। बस बहुत अकेली हो गई हूँ । कोई मेरे पास नहीं है जिस से बात कर सकूँ पर मेरे पास हँसने की एक बहुत बड़ी वजह है, मेरी बेटी रिया । उसकी एक मुस्कुराहट मेरे सारे दर्द खत्म कर देती है।
आज विक्रम आने वाले हैं, पूरे एक महीने बाद घर लौट रहे हैं। आज खाना मैंने खुद बनाया है। महीने भर बाहर का खाना खाने के बाद उन्हें घर का खाना खाकर अच्छा लगेगा।
रिया डायरी में डूब गई, जैसे उसके सामने सारी घटनाएं हो रही हों।
डायरी के शब्दों में विक्रम की आवाज़ गूंजती है,
विक्रम: अरे अनन्या, तुम अभी तक उठी हुई हो, खाना भी नहीं खाया। कितनी बार कहा है, मेरा इंतजार मत किया करो। टाइम से खाना खाकर दवा खा लिया करो वरना तुम्हारी दवा लेट हो जाती है। चलो तुम खा लो जल्दी। एक मीटिंग में लेट हो गया था तो शनाया के साथ खा लिया ।
विक्रम सुबह जल्दी उठने का बोलकर सोने चले गए। अनन्या अकेले बैठी, आंसू रोकने की कोशिश करते हुए खाना खाती है क्योंकि दवा खानी थी। जल्दी जल्दी खत्म कर अपने कमरे में आती है कि बैठकर थोड़ी देर विक्रम से बात करेगी पर कमरे में पहुंचती है तो विक्रम सो चुके थे। डैड को पूछते पूछते रिया तो पहले ही सो चुकी थी, बस वही थी जिसकी आँखों से नींद कोसों दूर थी। विक्रम को गहरी नींद में देख, अनन्या उन्हें चादर ओढ़ाकर, वहीं उनके पास बैठ गई और डायरी में आगे लिखने लगी।
अनन्या : मैं गलत निकली, उन्हें शायद घर का खाना अब याद नहीं आता। आज भी किसी बिजनेस मीटिंग में शनाया के साथ खाना खाकर आए थे।
दवाई खाने के आधे घण्टे बाद जैसे तैसे नींद आई और वह वहीं बैठे बैठे ही सो गई। वैसे भी विक्रम का रोज का अब यही नियम हो गया था, सुबह जल्दी जल्दी में ब्रेकफास्ट करके निकल जाते थे, और रात में सबके सोने के बाद आते थे।
सोने तक भी उनके कॉल्स आने बन्द नहीं होते थे और सुबह कई बार अलार्म से पहले मोबाईल बजने लगता था।
सुबह का समय… रिया की जिद थी कि वह नया ड्रेस डैड से ही पहनेगी। अनन्या उसे समझा कर किसी तरह बातों में उलझा रही थी। तभी विक्रम आकर नाश्ता करने बैठे और उनकी नजर डायनिंग टेबल पर रखी कैंडल पर पड़ी । विक्रम को याद आया कि रात को अनन्या उसका वेट कर रही थी, मगर उसके बारे में बात ना करके वह रोती हुई रिया को उसका नया ड्रेस पहनाने लगते हैं.,
रिया (बच्ची की आवाज): अरे डैड, आपको तो कुछ भी नहीं आता। पहले इसको सीधा तो करिए।
अनन्या: बेटा, तुम्हारे डैड को कुछ भी सीधा करना नहीं आता, मैं ही पहना देती हूँ। आओ।
विक्रम नज़र उठाकर अनन्या को देखते हैं और रिया का ड्रेस उसे दे देते हैं।
अनन्या उसे तैयार करने लगी थी, इतने में विक्रम जाकर नाश्ता करने लग गए। विक्रम को लग ही रहा था, अनन्या नाराज है तो अपना ब्रेकफास्ट फिनिश करके वह एक प्लेट अनन्या के लिए लगाते हैं और प्लेट उसे ले जाकर देते हुए कहते हैं,
विक्रम : चलो पहले नाश्ता करो और दवाई खा लो। बाकी का तैयार, बाद में कर लेना।
विक्रम की थोड़ी सी केयर देखकर अनन्या फौरन खुश हो गई लेकिन वह प्लेट हाथ में पकड़ भी नहीं पाई थी कि विक्रम के पास शनाया का कॉल आ जाता है।
विक्रम ने झट से अनन्या को प्लेट पकड़ाई और बिना उसकी तरफ दुबारा देखे शनाया से बात करते बैग उठाया और जल्दी जल्दी कदम उठाते चले गए।
अनन्या विक्रम के बिजी शेड्यूल से अपने लिए कभी एक सेकंड भी नहीं मांगती थी मगर जब वह खुद दो मिनिट उसे देना चाहें और शनाया के फोन बीच में आ जाए तो उसे क़तई बर्दाश्त नहीं होता था।
अनन्या रिया को मेड के साथ ऊपर रूम में भेज देती है और प्लेट किनारे रख कर वहीं बैठ जाती है। अपना गुस्से और इमोशंस को कंट्रोल करने की कोशिश में वह टेबल पर सिर टिका देती है और दोनों हाथ की मुट्ठियां बांध लेती है.. आंखें बन्द कर वह शनाया का कॉल भुलाना चाहती है मगर विक्रम का प्लेट उसके हाथ में झटके से छोड़कर जाना उसे बेचैन कर रहा था। आखिर में वह खुद पर से कंट्रोल खो देती है और जोर से चिल्लाती है
अनन्या : विक्रम ... क्यों करते हो बार बार मेरी इन्सल्ट। चले जाओ अपनी दुनिया दारी में। मुझे नहीं चाहिए आपका सपोर्ट। नहींं चाहिए, नहीं चाहिए...
तेज चीखें मारती हुई अनन्या डायनिंग टेबल पलट देती है, और बेहोश हो जाती है। आवाज सुनकर घर के सभी लोग वहां पहुंच जाते हैं, राजेश उसे उठाकर उसके कमरे में लिटा आता है, और डाॅक्टर को कॉल करके कहता है, आपकी पेशेंट को फिर आपकी जरूरत है। डॉक्टर घर पहुंचा तो बेहोश अनन्या के पास रिया और एक मेड के अलावा कोई नहीं था । डॉक्टर आते ही सबसे पहले उसे इंजेक्शन देता है और थोड़ी देर रुककर उसके होश में आने का इंतजार करता है। लगभग आधे घंटे में अनन्या को होश आया तो डॉक्टर उसे फिर एक इंजेक्शन देता है और आराम करने को कहता है। इस बीच डॉक्टर विक्रम को कॉल करता है मगर विक्रम कॉल रिसीव नहींं करते। नन्हीं सी रिया अपनी मां की हालत देख डर जाती है वह डॉक्टर से पूछती है,
रिया ( बच्ची की आवाज) : अंकल मेरी मम्मा बोलती क्यों नहीं??? क्या हुआ मम्मा को।
डॉक्टर उसकी मासूमियत पर मुस्कुरा देता है और रिया के सिर पर प्यार से हाथ रखकर कहता है, कुछ नहीं हुआ आपकी मम्मा को। आप तो बिग गर्ल हो ना तो अपनी मम्मा का ध्यान रखना, ओके ?? उनको रोने नहीं देना।
रिया समझ नहीं पाती रोने से उसकी मम्मा बेहोश क्यों हो गई। वह खुद भी तो रोती है, रोने से बेहोश कौन होता है?
डायरी के पेज पलटती रिया की आँखें आंसुओं में भीगी हुई थी। अपनी मां के बेहोश होने की वजह उसे आज समझ आई थी। रिया यह सोचकर दर्द में डूबी जा रही थी कि उसकी मां इतनी अकेली थी कि वह बेहोश हो गई और डॉक्टर को रिसीव करने वाला तक कोई नहीं था।
अपने डैड के लिए मुश्किल से जो थोड़ा सा लिहाज उसके दिल में आज आया था , वह फिर ग़ायब होने लगा। उसे अनन्या के डिप्रेशन का कारण विक्रम ही लग रहा था। अनन्या का लिखा एक एक शब्द रिया को पूरे परिवार से और दूर कर रहा था।
रिया: मम्मा, आप बीमार थीं , यह सही है, मगर आपको ठीक करने की कोशिश भी नहीं की गई। आप ठीक हो सकती थी। काश डैड आपको संभाल लेते, आपका साथ दे देते।
शाम को विक्रम ऑफिस से घर लौटते ही रिया के रूम में पहुंच गए। कमरे में रिया, अपनी मां की डायरी हाथ में लिए गहरी सोच में डूबी थी। विक्रम उसके पास आकर बैठे और सिर पर हाथ रख कर कहा , जल्दी सब ठीक हो जाएगा बेटा, अब तुम ज्यादा टेंशन मत लो। रिया उन की तरफ देखे बिना ही अपनी बात रखती है।
रिया: क्या फर्क पड़ता है डैड, कुछ भी ठीक होने से। झूठ बोलकर कुछ ठीक हो भी जाएगा तो क्या अच्छा होगा?
विक्रम: क्या कहना चाहती हो रिया?
रिया की बात से विक्रम को झटका लगता है। कितनी मुश्किल से रिया का विश्वास जीत पा रहे थे, फिर अब ऐसा क्या हो गया था?
अक्सर ऐसा हो जाता है जब इंसान अपना आज सुधारना चाहता है उसका गुजरा कल उस पर हावी हो जाता है और वह अपने आज को बिखरते देखने के अलावा कुछ नहीं कर पाता।
विक्रम भी अपने गुजरे कल की पहेली में इस कदर फंसे थे कि उनको खुद ही समझ नहीं आ रहा था कि वह सही थे या गलत।
रिया को रोते देख यह साफ था कि जो कुछ हुआ था, वह विक्रम के खिलाफ़ था , मगर वह रिया से पूछकर उसका गुस्सा नहीं बढ़ाना चाहते थे। फिर भी उसे संभालने की कोशिश करते हुए विक्रम कहते हैं,
विक्रम : देखो रिया गुजरी बातों से खुद को दुःख देकर तो वैसे भी कुछ ठीक नहीं होगा, अतीत को पीछे छोड़कर आगे बढ़ना ही जिंदगी है।
रिया: जैसे आप मेरी बीमार मम्मा को छोड़कर आगे बढ़ गए?
उन्हें डिप्रेशन के अटैक आते रहे और आप… क्यों डैड, क्यों आपने मम्मा का साथ नहीं दिया, उन्हें अकेला छोड़ कर आप कैसे अपने बिजनेस के पीछे भागते रहे।
एक बार फिर वही नफरत रिया के शब्दों में निकल रही थी। विक्रम उसे विश्वास दिलाना चाहते थे कि उनकी गलती नहीं थी। उन्हें पता ही नहीं चला जब जब अनन्या को डिप्रेशन के अटैक्स आए। वह तो दिल से चाहते थे कि अनन्या ठीक हो जाए मगर वह इतना ज्यादा सोचती थी कि उसका दिमाग हमेशा स्ट्रेस्ड रहता था।
रिया को विक्रम की हर बात खुद को बचाने का बहाना लग रही थी। एक के बाद एक सवालों के जवाब देते हुए विक्रम भी खीजने लगे थे।
विक्रम : तुम्हे अगर यही मानना है रिया कि अनन्या की मौत मेरी वजह से हुई तो मैं कुछ नहींं कर सकता, पर मैंने उसे बचाने की हर कोशिश की थी। मैं उसे खोना नहीं चाहता था, मुझे उसकी जरूरत थी और आज भी मैं उसकी कमी को महसूस करता हूं।
विक्रम अपनी बात कह कर वहां से चले जाते हैं और रिया उनके उसी पुराने रूप को एक बार फिर देखती है। अगर कोई बात उनके हिसाब से ना हो तो वह चिड़चिड़ा जाते थे। उनके इसी बर्ताव ने अनन्या को डिप्रेशन में पंहुचा दिया था।
जो विक्रम के लिए थोड़ी सी इज्जत रिया के मन में जगह ले रही थी वह फिर खोने लगी। अपनी गलती को सही बताने की बजाय, अगर डैड प्रायश्चित करते तो शायद उन्हें माफ किया जा सकता था, मगर वह, प्यार या गुस्से से, हर तरह से, खुद को सही दिखाना चाहते हैं।
रिया विक्रम के व्यवहार से एक बार फिर टूट गई।
क्या रिया फिर कोई ग़लत क़दम उठा लेगी?
क्या रिया अपनी मां के जख्मों के बारे में पढ़ कर और गहराई में डूब जाएगी?
या क्या वह विक्रम की बात सुनेगी ? क्या उसे कभी माफ़ कर पाएगी?
जानने के लिए पढ़ें अगला एपिसोड।
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