अनन्या की डायरी सामने रखी थी। रिया पेज आगे पलटते हुए डर रही थी कि पता नहीं क्या लिखा होगा,  मगर वह अपनी माँ के बारे में जानना भी  चाहती थी। क्या वह सचमुच बीमार थी या अपनों की बर्ताव ने उन्हें बीमारियों के गर्त में धकेल दिया था? बेहोशी पड़ी मम्मा को होश में आने पर क्या लगता होगा? कैसे चीजें फिर से नॉर्मल होती होंगी?  

ऐसे ना जाने कितने ही सवाल उसके मन में थे जिनके जवाब उसे इस डायरी से चाहिए थे। हिम्मत कर रिया अगला पन्ना पलट कर आगे पढ़ती है और अनन्या की आवाज़ एक बार फिर उसे अपने पास सुनाई देती है।

अनन्या : मेरी बार बार की बेहोशी से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। उनके पास वक्त ही नहीं है कि एक बार डॉक्टर से पूछ लें कि उनकी पत्नी को प्रॉब्लम क्या है?

पहली ही दो लाईन पढ़कर रिया को फिर झटका लगता है कि डैड को यह भी नहीं पता था कि मम्मा बेहोश होती क्यों है। आगे पढ़ते हुए रिया जैसे उसी वक्त में पहुंच गई। शाम को विक्रम घर आए तो अनन्या उन्हें गेट पर ही मिलती है, बैग उसके हाथ में देते हुए वह कहते हैं,

विक्रम: आज तुम्हारे डॉक्टर का फोन आया था। मैं मीटिंग में था तो उठा नहीं पाया। उस वक्त तो मैं डर गया था कहीं तुम्हारी तबियत तो नहीं बिगड़ गई। फिर काम में उलझ गया तो उसे फोन करना भूल गया।  

अनन्या: अच्छा?  फिर अब डर खत्म हो गया?  

विक्रम: हां भई, तुम सामने जो हो।

अनन्या चुपचाप बैग लेकर चली जाती है और विक्रम कपड़े बदलने। चेंज करके वो डाईनिंग टेबल पर आते हैं जहाँ रिया पहले से बैठी खाना खा रही थी। खाना खाते हुए रिया प्लेट उठाने की कोशिश करती है तो प्लेट गिरकर टूट जाती है और विक्रम उसे डांट देते हैं। नन्हीं सी रिया डरकर अपनी मां से चिपक जाती है।  रिया को डरा हुआ देखकर अनन्या विक्रम को कहती है कि ऐसी गलतियों के लिए वह रिया को डांटा न करे।  

अनन्या: बच्चों को इस तरह नहीं डांटा जाता, ग़लतियों के लिए समझाया जाता है। वैसे भी, एक प्लेट ही तो टूटी  है, इस घर में तो आए दिन दिल तोड़ा जाता है।  

विक्रम: ओह गॉड अनन्या,  तुम्हारे यह बकवास तुम अपने पास ही रखा करो। बच्ची है, गलती करी तो थोड़ा डांट दिया। इस बात को तुम कहां ले जा रही हो?  

अपनी बात सुनाकर वह खाना खाने बैठ गये और अनन्या रिया को खाना खिलाने लग गई। विक्रम के मोबाइल पर फिर कॉल आता है। वह अनन्या की ओर देखते हुए फोन रिसीव करते हैं और बात करते हुए उठकर साइड में चले जाते हैं। अनन्या के लिए यह कोई नई बात नहीं थी। जब उसने पलट कर देखा तो विक्रम सामने ही खड़े थे।

विक्रम: आज तुम्हारी तबियत फिर बिगड़ी और तुम बेहोश हो गई थी??

अनन्या विक्रम की तरफ देखती है और हंस पड़ती है, वह समझ नहीं पा रही थी कि यह फिक्र है या गुस्सा।  हां, बेशक यह गुस्सा ही था कि अनन्या ने उन्हें क्यों नहीं बताया।  घर में क्या हुआ, उन्हें किसी और से पता चल रहा है। वह फोन न उठाएं तो कोई बात नहीं  मगर आते ही उनको सारे दिन की कहानी सुनाना घरवालों की ड्यूटी होनी चाहिए। विक्रम फिर वही सवाल दोहराते हैं। अनन्या उनके हाथ में पानी का ग्लास पकड़ाती है और धीरे से बोलती है,

अनन्या: तबियत बिगड़ी थी, डॉक्टर भी आया था। आपको कॉल किया था तो आप मीटिंग में थे। आपने फोन नहीं उठाया। मीटिंग के बाद भी आपने वापस कॉल नहीं किया। फिर भी मैं ही गलत?

विक्रम यह जानना चाहते थे कि ऐसा क्या हुआ था जो अनन्या सहन नहीं कर पाई, मगर अनन्या ने ऐसे जवाब दिया कि वह उससे आगे कुछ नहीं पूछ पाए।  

अनन्या ने डायरी में आगे लिखा, विक्रम डॉक्टर से यह नहीं सुनना चाहते थे कि  उनकी पत्नी बीमार है और उन्हें उसका ध्यान रखना चाहिए। वह तो सबको यह दिखाना चाहते थे कि उनके रहते कुछ गलत नहीं होता।  

विक्रम: देखो अनन्या, तुम्हारी तबियत के अलावा मेरे पास और भी काम हैं, क्या तुम यह समझ पाती हो ??  कितना टेंशन, कितना प्रेशर होता है काम का..  इसलिए डॉक्टर का फोन निकल गया दिमाग से। क्या तुम इतना भी नहीं कर सकती कि खुद का ध्यान रख सको?

अनन्या अब भी मुस्कुरा रही थी, विक्रम जिसे परवाह कहते हैं वह सिर्फ़ एक फॉर्मैलिटी थी, और उसे इस से चिढ़ आने लगी थी। रिया का हाथ पकड़ वह उसे सुलाने चली गई। विक्रम फिर डॉक्टर से बात करते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि अनन्या अचानक से बेहोश क्यों हो जाती है?  फोन काटके मुड़ते हैं तो अनन्या सामने खड़ी थी।  

विक्रम: तुम अपना ख्याल रखो अनन्या। डॉक्टर कह रहे हैं कि तुम किसी भी छोटी सी बात पर बहुत ज्यादा टेंशन पालती हो।

अनन्या: डॉक्टर का काम ही है कहना, कुछ तो कहेंगे। मुझे किस चीज की कमी है, आपने तो मेरे लिए सारी सुविधाएं जुटा रखी हैं। मुझे किस बात का टेंशन?  

अनन्या के उल्टे सीधे जवाबों से खीज कर विक्रम वहां से चले गए और अनन्या फिर अकेली बैठी रह गई। वह अपनी भावनाएँ अपनी डायरी को बताते हुए लिखती है , “ काश विक्रम एक बार पास बैठकर यह पूछते कि क्यों नहीं छोड़ देती सारे टेंशन। काश वह कहते, क्यों सोचती हो इतना, मैं जो हूं तुम्हारे पास।”  

अनन्या: देखो ना, मेरी प्यारी डायरी, आज मैंने फिर अपना मन हल्का कर लिया, तुम इसलिए मुझे सबसे प्यारी हो क्योंकि अगर तुम न होती तो मैं कहां जाती?

कभी डायरी लिखते हुए, अनन्या बैठे बैठे ही सो जाती थी और फिर विक्रम उसे बैड पर सुलाते थे। उनकी इतनी भी केयर कम नहीं थी अनन्या के लिए।  

विक्रम की व्यस्तता से ज्यादा परेशान वह विक्रम के व्यवहार से होती थी मगर वह खुश थी क्योंकि उसके पास रिया थी जिसकी प्यारी सी मुस्कान देख वह सारे टेंशन भूल जाती थी। रिया से ज्यादा important कुछ भी नहीं था उसके लिए।  

अपने लिए अपनी माँ की भावनाएं पढ़कर रिया रो पड़ी। तभी विक्रम ऑफिस से आ जाते हैं।  

रिया: आप क्यों इतने लापरवाह थे डैड? मम्मा आपसे बस थोड़ी-सी केयर ही तो चाहती थी, मगर आपने अपने झूठे घमंड में उन्हें खो दिया। अब मम्मा की तरह आप मुझे भी खो देंगे और तब आपको समझ आएगा कि आप कितने अकेले हैं।

विक्रम रिया के रोज बिगड़ते व्यवहार से परेशान होने लगे थे। उनकी किसी भी बात पर रिया को विश्वास नहीं होता था। वह उसे अकेलेपन से निकालना चाहते थे लेकिन रिया अंधेरे की तरफ बढ़ रही थी इसलिए विक्रम उसे डायरी न पढ़ने की सलाह देते हैं।

विक्रम: अपनी मम्मा की डायरी अब बंद करके रख दो रिया और आगे का सोचो। बीते कल में दर्द के अलावा कुछ नहीं मिलेगा। मैंने भी अनन्या की डायरी इसीलिए कभी नहीं पढ़ी।

रिया: आप उस दर्द से भागना चाहते हैं क्योंकि वह आपने दिया है, मगर मैं उस दर्द को महसूस करना चाहती हूं जो मेरी मम्मा ने जिया है। मैं मम्मा की डायरी पूरी पढ़ कर ही रहूँगी, चाहे मुझे कितना भी दर्द मिले।

कहते हैं कि जब इंसान किसी की बुराइयां देखना शुरू करता है तो उसकी अच्छाइयां भूल जाता है। रिया के साथ यही हो रहा था।  वह विक्रम को सिर्फ अनन्या की डायरी की नजर से देख रही थी। वह यह भूल रही थी कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। बिना वजह ही वह विक्रम से भिड़ रही थी जबकि इस पर बैठकर बात हो सकती थी। विक्रम भी इस पर माफी मांग सकते थे मगर वह अपने आप में सही थे।

इसी बीच रिया डायरी का एक और पेज पलटती है, जो उसके दर्द को और बढ़ाने वाला था।

अनन्या: आज फिर वही हुआ जिससे मुझे सबसे ज्यादा तकलीफ होती है -  विक्रम का चिल्लाना, वह भी पूरे परिवार के सामने। सिर्फ इस बात पर कि मैं दवाई टाइम से नहीं मँगवा सकी।  

छोटी– छोटी बातों से होती तकलीफों में अनन्या इस तरह घुट रही थी कि दवाई से भी उसे कोई फायदा नहीं हो रहा था। विक्रम का चिल्लाना उसे अंदर तक तोड़ देता था।  

वह आगे लिखती है, आप मुझे ठीक नहीं करना चाहते, विक्रम, बल्कि बीमारी की वजह से जो आपको मेरा ध्यान रखना पड़ता है आप उस ज़िम्मेदारी से मुक्ति चाहते हैं।

मैं किसी दिन आपको खुद ही मुक्त कर दूँगी पर तब, जब रिया खुद को सम्भाल सके, क्योंकि आप इतने लापरवाह हैं कि मेरी बेटी भी मेरी तरह अकेली पड़ जाएगी। पढ़ते पढ़ते रिया की आंख से फिर आंसू निकल पड़े थे।

रिया: ऐसा क्या टूट रहा था मम्मा के दिल में, जो हर छोटी बात उन्हें रुला देती थी? आखिर इतनी सी बात डैड कैसे नहीं समझ पाए?  

अनन्या छोटी खुशियों में मुस्कुराती, दुख-दर्द से बोझिल ज़िंदगी गुज़ार रही थी। वह विक्रम को अपनी खुशी की वजह बनाना चाहती थी मगर विक्रम उसके मन को कभी नहीं पढ़ पाए। हर बार खुद का अनदेखा होना अनन्या से नहीं बर्दाश्त हो रहा था और उसने एक दिन विक्रम को कह दिया,  

अनन्या : अब दिल ऊब गया है विक्रम, बीमारी, दवाई, डिप्रेशन … मैं इन सबसे निकलना चाहती हूं।

विक्रम: जरूर निकलोगी, अपना ध्यान अच्छे से रखो, और डिप्रेशन को खुद से दूर रखो, ठीक हो जाओगी।

विक्रम अनन्या का इशारा नहीं समझ पाए। अनन्या ठीक होने की जिद में मेडिसिन के डबल डोज लेने लगी थी। जब सर का दर्द बढ़ता, दो बार दवाई खाने से जल्दी राहत मिलने पर, उसने यह आदत बना ली। उसने डायरी में लिखा भी, “मैं अब दो बार दवाई लूंगी, दर्द बर्दाश्त करने लायक हो जाता है।”  

रिया: मम्मा, आपको खुद यह लग रहा था कि अब आप जा रही हो और डैड इसको भी नहीं समझ पाए। वह बस, आपको जाते हुए देख रहे थे।

जाने के संकेत अनन्या ने विक्रम को भी दिए थे मगर कौन मानता है कि जो मरने की बात करे, वह मर ही जाएगा। विक्रम उसकी हर नेगेटिव बात को उसकी बीमारी का हिस्सा समझकर उसे समझाते थे।

विक्रम: जब तुम यह उल्टा सीधा सोचना बंद कर दोगी तो पूरी तरह ठीक हो जाओगी।

अनन्या की तकलीफ कोई ऐसा ही समझ सकता था जो उसकी तरह अकेला हो क्योंकि विक्रम के अलावा वह जिनसे भी मिलती, वह सिर्फ उसके सारे सुखों को ही देख पाते थे! अपनी जिन्दगी की कमी को या तो वह खुद जानती थी या फिर उसकी डायरी।

रिया अब डायरी का आखिरी पन्ना  पलटती है। उसे पढ़ने के बाद रिया खुद को नहीं संभाल पायी।  

 

क्या लिखा था अनन्या ने आख़िरी पन्ने में जिससे रिया बिखर गई थी?

जानिए अगले एपिसोड में। 

Continue to next

No reviews available for this chapter.