उलझनों में फँसी रिया को अब अपने किए पर पछतावा हो रहा था। कबीर का जाना उसकी ज़िंदगी में एक खालीपन दे गया था। उसे याद आ रहा था कि कबीर कभी उसे हारने नहीं  देता था। वह अब सब ठीक करना चाहती थी मगर बिना कबीर के नहीं, उसे कबीर का साथ हर हाल में चाहिए था। सच मगर यही था कि कबीर अब कभी वापस नहीं आने वाला था। कबीर को याद कर रिया रो देती है।  

रिया: सब मेरी ही गलती है कबीर..  मैंने हर बार कुछ बड़ा करना चाहा और उसमें तुम्हें खो दिया। तुम वापस आ जाओ कबीर प्लीज... वापस आ जाओ।

रिया बुरी तरह टूट चुकी थी.. अपने कमरे से निकलना अब उसे अच्छा नहीं लग रहा था। अपनी बिखरी जिन्दगी के टुकड़े वह जोड़ना तो चाहती थी मगर करती भी तो कैसे? उधर विक्रम को समझ आ रहा था कि रिया कबीर के जाने के बाद और अकेली पड़ गई है। वह उससे बात करने उसके कमरे में जा ही रहे थे कि पीछे से शनाया आकर उन्हें रोकती है और कबीर की मौत का सच बताती है,

शनाया: विक्रम, कबीर की मौत नॉर्मल नहीं  है। वह ड्रग ओवर डोज़  से मरा है।

विक्रम यह जानकर गहरी चिंता में आ गए कि कबीर की मौत ड्रग्स के ओवर डोज़  से हुई है। पहले ही रिया काफी मुसीबत में थी, और अब यह सब! इससे रिया की परेशानी और बढ़ सकती थी। अपना माथा पकड़ कर विक्रम सोफे पर बैठ गए।

विक्रम: यह क्या हो रहा है शनाया? मैं अपनी बेटी की परेशानियां कम क्यों नहीं कर पा रहा हूँ? अगर अब वह फिर गिरफ्तार हुई तो बर्दाश्त नहीं कर पाएगी।

शनाया: रिया को सच बताना ही पड़ेगा और तब जाकर ही वह अपनी जिन्दगी नए सिरे से शुरू पाएगी। भले ही यह मुश्किल है, पर और कोई तरीका नहीं है।

कबीर की मौत का सच सुनने के बाद विक्रम की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह रिया से बात करे। उसे वापस खो देने का डर उन्हें रिया के पास जाने से रोक देता है जबकि रिया को आज किसी अपने के साथ की जरुरत थी।

कभी कभी जिन्दगी में हालात ऐसे बन ही जाते हैं कि इंसान सही करना चाहता है पर परिस्थिति की वजह से, वह गलत ही साबित होता है।  

उधर रिया कबीर की मौत से बाहर नहीं निकल पा रही थी। अपने मोबाइल फोन में कबीर के साथ अपने स्टंट वाली तस्वीरें देखकर, हंसते-हँसते रो पड़ती है ।  

उसे फिर याद आता है कि किस तरह हथियारों से भरी गाड़ी, उसने कबीर की मदद से जंगल में जाकर छुपाई थी। उसके हर कदम पर कबीर उसके साथ खड़ा रहा था।  

रिया तस्वीरों से बात करते हुए कहती है,

रिया: कितना अच्छा होता कबीर कि तुम मेरे साथ होते और हम यहाँ से एक नई शुरुआत करते।

 रिया अपने दर्द में डूबी हुई थी, तभी पुलिस की एक टीम घर में दाखिल होती है। पुलिस का आना विक्रम की धड़कनें बढ़ा देता है। एक लेडी पुलिस ऑफिसर विक्रम से कहती है कि उन्हें पूछताछ के लिए रिया को हिरासत में लेना होगा और इस पर वह कुछ नहीं कर पाते। रिया एक बार फिर उनके सामने जेल जा रही थी। उसकी आंखों में दर्द का एक समंदर था जिसे विक्रम अपने दिल में भी महसूस कर पा रहे थे।

रिया के जाते ही वह रो पड़े,

विक्रम : अपनी बेटी का दर्द बर्दाश्त नहीं कर सकता मैं। क्या करूँ, कुछ समझ नहीं आ रहा।  

एक बार फिर, रिया जेल की उसी चारदीवारी में थी..  वही घुटन, घबराहट और कबीर की मौत पर हो रहे सवाल जवाब..  रिया के लिए बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था। बार बार उससे वही सवाल पूछे जा रहे थे।  कबीर को इतनी ज़्यादा मात्रा में ड्रग्स लाकर किसने दिये और वह क्या करने गई थी कबीर के पास?  

एक के बाद एक सवाल और खुद पर लगते इल्ज़ाम देख, रिया घबरा गई और चीखते हुए बोली  

रिया: मुझे कुछ भी नहीं पता, मैंने कुछ नहीं किया। मैं कबीर को खोना नहीं चाहती थी! वह मेरा एकलौता दोस्त था, मैं उसे ओवरडोज क्यों करने देती? मुझे यहां से जाने दीजिए प्लीज, मेरा दम घुटता रहा है.. ।

रिया की सिसकियां गूंज रही थी वहाँ, मगर कोई समझने वाला नहीं था।

उधर विक्रम, रिया को बाहर निकालने की हर कोशिश कर रहे थे। उनके लॉयर ने उन्हें फिर चेताया कि रिया का केस बहुत कमजोर है, अगर कोई भी इल्जाम साबित हो जाता है तो उसे सजा होने से नहीं बचाया जा सकेगा। विक्रम मगर हर हाल में रिया को जमानत दिलाना चाहते थे। जमानत के पेपर्स आते ही वह वकील को लेकर रिया को लेने चले जाते हैं। एक कांस्टेबल ने घबराई हुई रिया को आकर बताया कि उसकी जमानत हो गई है। यह खबर सुनकर रिया रो पड़ी और बाहर आते ही वकील के साथ खड़े विक्रम को देख दौड़ते हुए, उनके सीने से लग गई

रिया: डैड… डैड मुझे यहां से निकाल लीजिए, मैं अब यहां फिर कभी नहीं आना चाहती। प्लीज डैड मुझे यहाँ से ले चलिए ।

विक्रम के लिए रिया के इस तरह रोने से ज्यादा दुखद कुछ नहीं था। हालात के सामने टूटती हुई अपनी बेटी को सीने से लगा, विक्रम भी रो पड़े। उन्हें याद भी नहीं था कि इससे पहले उन्होंने रिया को कब गले से लगाया हो... वह रिया के सामने हमेशा सख्त ही बने रहे।  

आज रिया को एक सफल बिजनेसमैन नहीं, सिर्फ़ अपने पिता दिखाई दिया। वह भी एक पल के लिए सब कुछ भूलकर अपने पिता के सीने से लग गई मगर अगले ही पल उसे बीता हुआ सब याद आ गया। वह खुद को संभालते हुए वहां से भागती हुई बाहर निकल आई। उसके पीछे-पीछे विक्रम भी बाहर जाने लगे थे कि इंस्पेक्टर ने विक्रम को रोकते हुए कहा , “मिस्टर सिंह आपकी बेटी एक खतरनाक ड्रग्स रैकेट में शामिल थी। यह कोई मामूली केस नहीं  है। अगर आप उसे बचाना ही चाहते हैं तो उसके हर कदम पर ध्यान दीजिए। उसकी एक गलती उसे सालों तक जेल की सलाखों के पीछे रख सकती है। बिना परमिशन के रिया को कहीं भी जाने नहीं दीजिएगा, वरना उसकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं और अगली बार जमानत मिलना मुमकिन नहीं होगा।  

विक्रम : थैंक यू, इन्स्पेक्टर। मैं पूरा ध्यान रखूँगा और आपकी जानकारी और परमिशन के बिना उसे कहीं नहीं जाने दूंगा।  

अगली कोई भी ग़लती रिया के लिए बहुत भारी पड़ सकती थी, विक्रम भी इस सच को समझते थे। जैसे हो वह दोनों घर पहुंचे, रिया का सामना परिवार वालों से होता है जो उसके लिए अपनों के नाम पर दुश्मन थे। रिया के पहुंचते ही सब एक साथ उस पर फट पड़ते हैं। हर तरह से रिया की गलतियों को उसकी अय्याशी बताकर सबने अपने-अपने हिसाब से उसे खूब सुनाया । रिया ने किसी की भी बात का कोई जवाब देना सही नहीं समझा और वह सबको अनदेखा कर अपने कमरे में चली गई। उसके जाने के बाद विक्रम पूरे परिवार को एक बार फिर वॉर्न करता है कि वह इस मुश्किल घड़ी में किसी तरह रिया को संभालना चाहता है तो दोबारा ऐसी हरकत कोई न करे। मगर शालू अभी भी रिया को घर की बदनामी का जिम्मेदार साबित करने पर तुली थी - आप कब तक उसकी गलतियों को बर्दाश्त करते रहेंगे,भाईसाहब? सिर उठाकर बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया आपकी बेटी की  वजह से ।

विक्रम: अगर आप सबको लगता है, रिया आप लोगों की परेशानी की वजह है तो वही सही। मगर जब तक वह इस केस से निकल नहीं जाती, कोई उससे कुछ नहीं कहेगा।

 यह कहकर अपने कमरे में चले गए। पीछे पीछे शनाया भी उनके कमरे में आकर थोड़े अलग ढंग से वही बात दोहराती है  

शनाया: विक्रम, रिया से बात करनी होगी। उसे यह अहसास दिलाना होगा कि उसने बहुत कुछ गलत किया है! रिया को हालात समझना होगा वर्ना रोज परेशानियां बढ़ती रहेंगी।

विक्रम : अभी रिया को सहारे की बहुत ज्यादा जरूरत है। वह टूटती जा रही है, अकेले पन से घबराई हुई है। उसे संभालना होगा, हिम्मत देनी होगी।  

जेल से निकल कर रिया का आकर विक्रम के सीने से लग जाना, उन्हें रिया के अकेले पन का अहसास दिला रहा था। मगर इसके बाद तो शनाया रिया से बात करना और भी जरूरी बताती है।

शनाया : उसे बाहर की दुनिया से बचना और अपनों पर भरोसा करना सिखाना पड़ेगा। हर हाल में रिया को अब उस गंदे माहौल से बचाना होगा जो उसे अपनी तरफ खींचता है। अगर वह इस वक्त बाहर सहारा  तलाश करने लगी तो तुमसे और दूर हो जाएगी। इसके बजाय तुम्हें अपना समझ ले तो आसानी होगी उसे संभालने में।

विक्रम शनाया से सहमत थे मगर बात कौन करे। किसी भी बात से रिया के और दूर हो जाने का डर उन्हें रोक देता था ।

रिया अपने कमरे में खिड़की के पास बैठी बाहर रोड पर दौड़ती हुई गाड़ियों को गौर से देख रही थी। इन तेज रफ्तार गाड़ियों में शायद वह उस रफ्तार को ढूंढना चाहती थी जिस पर कबीर का नाम होता था। उसे याद आने लगे वह दिन जब वो कबीर के साथ ड्राइव पर जाती थी ।  

रिया :  वाह कबीर! तुम्हारे साथ गाड़ी में बैठकर लगता है कि मैं हवा से तेज भाग सकती हूं, पक्षियों से आगे निकल सकती हूं। मुझे तो फ़ील ही नहीं होता कि हम जमीन पर हैं।

अपनी पिछली जिन्दगी को याद कर रिया के चेहरे पर पल भर की मुस्कान आ गई। अगले ही पल  वह मुस्कान ग़ायब हो गई, वह समझ ही नहीं पा रही थी उससे गलतियां कहां हुई? क्यों उसने अपने लिए ऐसे रास्ते चुने जिन पर बस कुछ दिन की खुशी मिली और फिर कभी न खत्म होने वाला दर्द? आगे तो पता नहीं क्या होने वाला था? इसी अनिश्चित भविष्य के बारे में सोचते हुए, रिया फिर से घबरा गई।  

रिया: यह ज़मानत कब तक है, किसको पता। अगर कुछ और गलत हो जाए और फिर पुलिस उठा ले जाए तो ?  इस तरह तो मैं कभी भी सेफ नहीं हूं।

नहीं, मैं अब जेल नहीं जाऊंगी, वहां की घुटन में मैं नहीं रह सकती।

बुरा वक्त जब सिर पर आता है सारे फैसले गलत होने लगते हैं और वही ग़लत फैसले जिन्दगी को मुश्किलों से भर देते हैं। रिया भी आने वाले खतरों से अनजान थी और बस इस वक्त सामने खड़ी मुश्किलों से निकलना चाहती थी।

रिया का दिल बैठा जा रहा था किससे मदद मांगे अब। ऐसा तो कोई भी नहीं  दिखाई दे रहा था जो हर हाल में उसके साथ खड़ा रहे । परिवार पहले से ही उसका विरोधी था और डैड के तो सामने से पुलिस उसे पकड़ कर ले जाती है, वह कुछ नहीं कर पाते। ऐसे में किस पर विश्वास करे? बहुत सोचने पर रिया को एक ही रास्ता दिखाई दे रहा था कि वह पुलिस की पहुंच से कहीं दूर चली जाए। इस तरह डर में जिन्दगी बर्बाद करने से अच्छा है वह यहां से भाग जाए।

रिया: हां यही सही है मुझे यहां से भागना होगा। कहीं दूर चली जाऊंगी, किसी से नहीं  मिलूँगी और पुलिस के सामने कभी नहीं आऊँगी। कोई नहीं  पहुंच पाएगा मुझ तक।

बिना अंजाम की परवाह किए, रिया फिर से एक खतरनाक कदम उठाने जा रही थी। इसके बाद तो उसके बचने की सारी उम्मीदें खत्म हो सकतीं थीं। घर से निकल कर कहां जाएगी, कैसे नई शुरुआत करेगी, कौन साथ देगा, कुछ भी समझना रिया को जरूरी नहीं लग रहा था। बस वह इस घुटन से बाहर निकलना चाहती थी। सच्चाई का सामना करने की बजाय, सच से भागने में ही रिया ने अपनी बेहतरी समझी। उसने तो यह भी नहीं सोचा कि पकड़ी गई तो क्या होगा? मौका मिलते ही किसी से कोई सलाह लिए बिना वह चुपचाप घर से निकल गई।

वहीं रिया के फैसले से अनजान विक्रम खुद से बात कर रहे थे :  

विक्रम: आज रिया के साथ बैठकर बात जरूर करूंगा। उसके दिल से सारी कड़वाहट निकाल कर ही रहूंगा। उसके लिए मैं सबसे पहले खुद को चेंज करूंगा। रिया के लिए मुझे यह करना ही होगा।

अपनी सख्त इमोशनलेस छवि को बदल कर वह रिया के सामने एक पिता की तरह बैठना चाहते थे ताकि उसे अहसास दिला पाएं कि वह भी बाकी लड़कियों की तरह अपने पापा की लाड़ली है, कोई मुजरिम नहीं।  

इधर विक्रम, रिया और अपने बीच की दूरी मिटाने के लिए हर संभव कोशिश करने को तैयार थे और उधर रिया क्या क़दम उठा चुकी थी, उन्हें  पता ही नहीं  था।

 

 

कैसा क़दम उठाने जा रही थी रिया?  

क्या इस तरह वह पुलिस के गिरफ़्त से बच पाएगी?  

कहीं उसके भागने से विक्रम क़ानून की गिरफ्त में तो नहीं आ जायेगा ?  

जानने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड। 

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