क्या सच में प्रज्ञा बिल्कुल बदल चुकी थी? आर्यन को समझ नहीं आ रहा था कि विपासना के दौरान ऐसा क्या हुआ प्रज्ञा के साथ जो वो एकदम बदल गई थी।
आर्यन ये सब भूल कर अपने काम पर फोकस करने लगा था। तभी आर्यन के बॉस ने सबको वहां आ कर बताया कि कंपनी जो ट्रिप का प्लान कर रही थी। तो उसके डिस्कशन के लिए एक मीटिंग होने वाली थी, जिसमें सभी का होना compulsory था।
हालांकि आर्यन का मीटिंग में जाने का मन नहीं था क्योंकि वो बिल्कुल भी ट्रिप पर जाने के बारे में नहीं सोच रहा था। फिर भी वो सबके कहने पर मीटिंग में शामिल हो गया।
वहां पर सभी लोगों ने आ कर ट्रिप पर जाने के लिए अलग अलग तरह के अपने ideas दिए। कुछ लोगों ने मनाली जाने का suggest किया तो कुछ लोगों को goa की तरफ जाना था। पर बजट को ध्यान में रखते हुए goa जाना expensive हो जाता। पर कुछ लोगों का कहना था पहाड़ों पर उन्हे चक्कर आते थे इसलिए वो पहाड़ों पर नहीं जाना चाहते थे, उन्हें समुंदर की तरफ जाना था। कुछ लोगों को समंदर नहीं पहाड़ों पर जाना था। पहाड़ पसंद करने वाले और समुंदर की लहरों का आनंद लेने वालों के बीच बहस छिड़ गई थी। आर्यन बिल्कुल भी interest न लिए बस सुन रहा था।
तभी प्रज्ञा जो खुद भी उस मीटिंग का हिस्सा थी। अचानक से बोली,
प्रज्ञा: “क्यों न हम ऐसी जगह चलें? जहां हम एक ऐसी लाइफ experience कर पाएं जो हमें कुछ समय के लिए इस पूरे material world से दूर कहीं स्प्रिचुअल space पर ले जाए।”
प्रज्ञा की बात सुन कर सब लोग चुप हो गए। एक अजीब सा सन्नाटा मीटिंग हॉल में तैर गया था। आर्यन कुछ देर प्रज्ञा की तरफ देखने लगा था, इस सोच में कि ये प्रज्ञा को क्या हो गया था?
पर प्रज्ञा की बात सुनकर सिर्फ उनके बॉस ने ही उनका सपोर्ट किया। वो खुद भी इन सब चीजों में interested थे। बॉस का जब सपोर्ट मिला तो प्रज्ञा ने कोयंबटूर में दिशा फाउंडेशन जाने की बात बताई।
धीरे धीरे सब लोगों को idea fascinate करने लगा था। और फिर आखिर में सबने कोयंबटूर जाने का डिसाइड किया।
आर्यन को समझ नहीं आ रहा था, प्रज्ञा कहां से इतना सब कुछ सीख कर आई थी।
आर्यन का बिल्कुल भी interest नहीं था। पर फिर भी उसके बॉस ने बहुत फोर्स किया। पर आर्यन नहीं माना। आर्यन को अभी सिर्फ काव्या और अपने प्रोजेक्ट पर ही ध्यान देना था।
पर काम करते वक्त उसे बीच बीच में काव्या से बात करने का मन हो जाता, तो वो काव्या को टेक्स्ट कर देता।
दोनों हर 5 मिनट में एक दूसरे को टेक्स्ट करते रहते थे। उधर काव्या को अपने डिजाइंस भी बनाने थे। शैलजा मल्होत्रा ने थोड़ा और टाइम दे दिया था पर वो अब इस काम को अच्छे से करना चाहती थी।
उसने डिजाइंस बनाने के ऊपर काम करना शुरू किया तभी उसके पास शैलजा का टेक्स्ट आया। जिन्होंने उसे आज रात अपने मैंशन में बुलाया था। मैसेज देख कर काव्या बहुत नर्वस हो गई थी। आखिर अचानक शैलजा जो nature में सभी को काफ़ी strict और classy लगती थी। जिसके लिए उसकी बॉस भी काफी प्रेशर में रहती थी। वो काव्या को अपने घर बुला रही थी। शायद काव्या और शैलजा की आखिरी बार जो बात हुई थी उससे शैलजा को काव्या काफी पसंद आई हो।
ये सब सोचते हुए काव्या ने रात में मिलने के लिए हां कर दिया था।
पर सबसे बड़ी चीज़ जो काव्या नहीं जानती थी वो ये थी शैलजा आर्यन की एक्स प्रज्ञा की मॉम थी।
वहीं आर्यन जब अपने प्रोजेक्ट में लगा हुआ था। उसके पास प्रज्ञा आई और उसने कहा,
प्रज्ञा: “तुम क्यों नहीं ट्रिप पर चल रहे हो?”
प्रज्ञा के अचानक आने से आर्यन को समझ नहीं आया कि वो कैसे रिएक्ट करे। उसने कंधे उचकाते हुए कहा,
आर्यन: “ऐसे ही! I have work!”
प्रज्ञा उसके पास कुर्सी ले कर बैठ गई। आर्यन को समझ नहीं आया कि अचानक से प्रज्ञा क्या बातें करने वाली थी। उसने आर्यन को कहा,
प्रज्ञा: “I know तुम्हारे अंदर अपने काम को ले कर कितना dedication है। पर तुम्हे थोड़े ब्रेक की भी ज़रूरत है। ये मैं तुमसे इसलिए कह पा रही हूं क्योंकि हाल ही में i experienced. एक चीज से दूसरी चीज होती जाती है और आपको पता ही नहीं चलता कि कब कोई बुरी तरह थक चुका है। Present में रहने के लिए जरूरी है कि हम थोड़ा ब्रेक लें। और विश्वास करना ये ट्रिप तुम्हारे लिए, तुम्हारी life में कितना change ले कर आयेगी।”
आर्यन प्रज्ञा की बातें एकटक हो कर सुन रहा था। उसने प्रज्ञा की तरफ हैरानी जताते हुए कहा,
आर्यन: “are you real?”
ये सुनकर प्रज्ञा मुस्कुराई, उसने कहा,
प्रज्ञा: “हम असल में कैसे हैं ये हमें तब पता चलता है जब हम नए नए experience जिंदगी के करते जाते हैं और हर बार एक नई चीज खुद में अपनाते हैं और एक बुरी चीज छोड़ते हैं। तुम्हें भी एक नए experience की जरूरत है। अपने से ज्यादा उस रिलेशन में आने के लिए, जहां तुम अपने पास्ट की चीजों को ले कर न आओ।”
प्रज्ञा के मुंह से इतनी समझदारी की बात सुनकर आर्यन की आंखें फटी की फटी रह गई थी। कहीं ये प्रज्ञा का कोई पुनर्जन्म तो नहीं था। या किसी तरह की कोई आत्मा प्रज्ञा के शरीर में घुस गई हो। आर्यन हैरान हो कर सोच रहा था और प्रज्ञा इतना कहते हुए वहां से उठ कर चली गई थी।
कुछ देर बाद आर्यन के मन में प्रज्ञा के शब्द फिर गूंजने लगे थे। प्रज्ञा की बात उसको सही लगी थी कि उसे एक ब्रेक की जरूरत तो थी। काव्या के साथ उसका एक नया रिश्ता शुरू हो गया था जिसके लिए वो हर तरह से available रहना चाहता था। पर ट्रिप पर जाने के लिए भी वो काव्या से पूछना चाहता था।
लेकिन जब आर्यन ऑफिस वापिस घर आया तो घर पर कोई नहीं था। न ही चंचल थी और न काव्या। उसने काव्या से फोन करके पूछा, तो काव्या ने बताया कि उसे अपने क्लाइंट से मिलने जाना था इसलिए वो घर देरी से आयेगी। आर्यन अपनी खिड़की के पास बैठा मौसम का मज़ा ले रहा था। बहुत तेज़ आंधी तूफान आना शुरू हो गया था।
तभी दरवाजे खुलने की आवाज़ हुई, इस उम्मीद में कि काव्या आई होगी, आर्यन अपने कमरे से निकल कर दरवाजे की बढ़ा तो चंचल खड़ी हुई थी।
चंचल ने काफी अच्छी ड्रेस पहन रखी थी। उसने आते ही आर्यन से कहा,
चंचल: “चाय पियोगे? काफ़ी तेज़ बारिश होने वाली है, तो मैंने सोचा बारिश के साथ चाय पीते हैं।”
आर्यन ने खुशी से हां कर दी। चंचल के साथ उसका एक ऐसा relation बन चुका था जिसमें वो कुछ भी बात चंचल से share कर सकता था। दोनों हाथ में चाय लिए बालकनी के पास बैठ कर चाय का आनंद ले रहे थे।
तेज़ बिजली कड़कना चालू हो चुकी थी। वहीं दूसरी तरफ काव्या मल्होत्रा के मैंशन पर शैलजा से मिलने पहुंची थी। उनके घर पर कोई नहीं था सिवाय शैलजा के।
शैलजा हाथ में व्हिस्की का ग्लास आगे बढ़ाते हुए काव्या से बोली,
शैलजा: “लो! Today i was alone. तो मैंने सोचा क्यों न तुम्हें invite करूं। जाने कब से मैं चाहती थी मुझे कुछ अकेले का वक्त मिले और आज जब मिला है तो ऐसा लग रहा है, मैं अकेली पड़ गई हूं। इसलिए मैंने तुम्हे यहां बुलाने का सोचा।”
काव्या ने चीयर्स करते हुए शैलजा से पूछा,
शैलजा: “आज सब कहां गए? आपकी एक बेटी भी है न?”
दोनों आराम से हॉल में बैठे थे और बाहर मौसम बदलने लगा था। शैलजा ने बताया कि उसकी एक बेटी प्रज्ञा भी है जो फिलहाल घर से बाहर कुछ दोस्तों से मिलने गई हुई है।
उसके बाद काव्या को लगा कि शायद शैलजा designs के बारे में कुछ पूछना चाह रही होंगी तो उसने काम की बात बताना शुरू किया। पर शैलजा ने कहा,
शैलजा: “नहीं मैने तुम्हे डिजाइंस के बारे में जानने के लिए नहीं बुलाया। I want us to be फ्रेंड्स. और किसी का मेरा दोस्त बनना काफ़ी बड़ी बात होती है। तुम लकी हो।”
काव्या को समझ नहीं आया कि वो कैसे रिएक्ट करे। काव्या ने धीरे से स्माइल pass कर दी। फिर शैलजा ने काव्या से उसकी personal life के बारे में सवाल पूछे।
शैलजा: “Are you with someone right नाउ?”
काव्या पहले आर्यन का नाम लेने से हिचकी। क्योंकि सबको आर्यन के बारे में बताना शायद सही नही होगा। उसने बस हां में सिर हिला दिया। और काव्या के चेहरे पर आए ब्लश को देख कर शैलजा ज़ोर की हंसी हंसी।
उसने कहा,
शैलजा: “stupid girl!”
काव्या stupid सुनकर थोड़ा ठिठक सी गई। आखिर शैलजा ने उसे स्टूपिड क्यों बोला।
शैलजा ने और पैग बनाए हुए कहा,
शैलजा: “जिस तरह से तुमने ब्लश किया। तुम कोई स्कूल की बच्ची लग रही थी। स्कूल के बच्ची जिसे अभी भी लगता है, ये लड़का उसकी लाइफ में हमेशा रहेगा।”
काव्या को अचानक से घबराहट होने लगी। ये सुन कर उसके दिमाग में पीयूष का ख्याल आया।
शैलजा ने काव्या के चेहरे को देखते हुए कहा,
शैलजा: “yes! ये फेस जो तुमने बनाया ये हमेशा याद रखना। किसी पर भी भरोसा करने से पहले याद रखना तुम्हारी कोई ऐसी हालत कर सकता है!”
काव्या ने गौर से शैलजा के हर शब्द को सुना फिर जैसे उसके दिमाग में किसी ने लाइट जलाई हो। उसने अचानक कहा,
काव्या: “मुझे नहीं लगता ऐसा कि हम किसी पर भरोसा करके गलती करते हैं।”
शैलजा की मॉम उसकी बात को काटते हुए बोली,
शैलजा : “नहीं नहीं नहीं। तुम मेरी बात नहीं समझीं। भरोसा करना सही गलत नहीं है। सब पर भरोसा करना बेवकूफी है। थोड़ा बहुत शक करना बुद्धिमानी।”
काव्या को शैलजा की बात सही भी लग रही थी। पर उसे लग रहा था शैलजा ये बातें इसलिए कह रही हैं क्योंकि उनके हसबैंड के जाने के बाद वो किसी पर भी भरोसा नहीं कर पाईं।
उधर चंचल और आर्यन साथ में चाय पर चंचल की डेटिंग लाइफ के बारे में डिस्कस कर रहे थे। चंचल का कहना था कि उसे किसी भी तरह के रिलेशन शिप में नहीं आना। वो किसी को भी अपनी जिंदगी में इतना अधिकार नहीं दे सकती वो उसको बताए, उसे कैसे रहना है, कैसे चलना है।
आर्यन ने कहा,
आर्यन: “जो तुमसे प्यार करता होगा वो तुम्हें क्यों ही बताएगा कि तुम्हें क्या करना है। I know कुछ लोग रिलेशन में आने के बाद अपने पार्टनर की लाइफ में इस तरह से कब्जा कर लेते हैं जैसे उन पर बस उसी का हक़ है। पर जो सच में आपको पसंद करता होगा तो वो आपको बदलने की कोशिश नहीं करेगा।”
चंचल फिर भी अभी किसी के साथ भी सीरियस होने के लिए रेडी नहीं थी। वो खुद थी कि उसके पास बातें करने के लिए कोई है, पार्टी में जाने के लिए कोई अलग, और physical करने के लिए कोई और। तो वो कोई एक को अपनी जिंदगी में ले कर एक पर ही सारा भार नहीं डालना चाहती थी।
तभी आर्यन के फोन में प्रज्ञा का टेक्स्ट आया। “Please help me!”
मैसेज देख कर आर्यन को पहले शक हुआ कि कहीं ये प्रज्ञा का कोई trap तो नही। फिर ये सोच कर कि शायद उसे किसी की ज़रूरत हो। उसने टेक्स्ट का रिप्लाई किया।
तुरंत प्रज्ञा का कॉल आया। आर्यन ने कॉल उठाया तो उधर से प्रज्ञा की आवाज़ आई।
प्रज्ञा: “सॉरी आर्यन! मैं दरअसल एक जगह फंस चुकी हूं बुरी तरह। मेरी कार बीच सड़क पर बंद हो गई। और इतनी बारिश में आस पास कोई भी ऑटो नज़र नहीं आ रहा। मैंने मॉम को कॉल ट्राई किया पर किसी ने उठाया नहीं। क्या तुम मुझे अभी लेने आ सकते हो! Please sorry, तुम्हारे अलावा किसी और को नहीं बुला सकती मैं।”
आर्यन थोड़ा झिझका फिर प्रज्ञा की condition समझ कर उसने पूछा,
प्रज्ञा: “अपनी लोकेशन बताओ!”
प्रज्ञा ने कहा कि वो location भेज रही है। और ये कहकर उसने कॉल काट दी। आर्यन चंचल को ये बोल कर निकल गया कि उसे अपनी friend की help करने के लिए जाना होगा।
उधर काव्या शैलजा के साथ बैठ कर मर्दों के बारे में ये बातें सुनी जा रही थीं कि कितने कारण हैं, किसी भी मर्द पर भरोसा न करने के।
उनके हर प्वाइंट के साथ ड्रिंक का एक पैग अंदर जाता रहता। काव्या ने भी थोड़ी सी पी ली थी। पर शैलजा की बात सुनते सुनते उसको अब नींद आने लगी थी। आर्यन से मिलने के पहले अगर काव्या शैलजा से मिली होती तो वो इन सारी बातों में चस्के ले रही होती। पर अभी आर्यन से मिलने के बाद उसके विचार थोड़े बदले थे। अब वो प्यार पर भरोसा करने लगी थी।
आर्यन प्रज्ञा की बताई लोकेशन पर पहुंच चुका था। प्रज्ञा की कार तेज़ बारिश में चलते चलते ठप्प हो गई थी। आर्यन कैब ले कर वहां पहुंचा। उसने देखा प्रज्ञा के एक पैर में भी मोच आ चुकी थी। पर गाड़ी में बैठ बैठे प्रज्ञा को कैसे मोच आ सकती थी ऐसा आर्यन ने सोचा।
प्रज्ञा ने आर्यन की help मांगते हुए कहा,
प्रज्ञा: “प्लीज़ मुझे गोदी में ले चलो। मैं पैर जमीन पर नहीं रख पा रही।”
आर्यन को कुछ समझ नहीं आया और उसने प्रज्ञा को मजबूरी में गोदी में उठा लिया और कैब में बैठाया। बारिश इतनी तेज़ थी कि दोनों ही भीग चुके थे।
प्रज्ञा ने कहा,
प्रज्ञा: “मुझे मेरे घर ले चलो। मुझे मम्मा से मिलना है अभी।”
आर्यन ने कैब वाले को प्रज्ञा के घर की लोकेशन बताई। और तेज बारिश में उनकी कार प्रज्ञा के घर की तरफ निकल पड़ी। जहां पर काव्या पहले से ही मौजूद थी।
क्या होगा जब प्रज्ञा के यहां, आर्यन और काव्या टकरायेंगे आपस में? क्या आर्यन के साथ प्रज्ञा को देख कर काव्या को लगेगा झटका? क्या होगा जब शैलजा जानेगी काव्या और आर्यन का रिलेशन के बारे में?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
No reviews available for this chapter.