मीरा और सम्राट को अर्जुन ने बाहर भेज दिया था। वापस लौटते समय, विक्रम धारदार पेंडुलम से टकरा गया। उसके पैर से खून बहने लगा और वह ज़मीन पर गिर पड़ा। यह देखकर अर्जुन की चीख निकल गई। अर्जुन ने एक पेंडुलम पार किया और विक्रम को सहारा देने के लिए आगे बढ़े।

अर्जुन: "विक्रम, हमें जल्दी से इस मंदिर से बाहर निकलना होगा... यह फिर से बर्फ के अंदर समा रहा है।"

मंदिर वापस अदृश्य हो रहा था। पूरा मंदिर हिल रहा था और बर्फ़ के चटकने की आवाज़ें चारों तरफ़ गूँज रही थीं।

अर्जुन और विक्रम दरवाजे की तरफ़ बढ़ने लगे। बाहर खड़े मीरा, सम्राट और आइशा जल्दी बाहर निकलने के लिए चिल्ला रहे थे।

मीरा: "जल्दी आओ... गेट बंद हो रहा है!"

सम्राट: "भागो मास्टर... जल्दी!"

विक्रम: "मास्टर, आप मुझे छोड़ दीजिए और ख़ुद बाहर निकल जाइए। हम नहीं पहुँच पाएँगे।"

अर्जुन: "नहीं, यहाँ से हम दोनों साथ निकलेंगे।"

विक्रम लंगड़ाकर चलते हुए अर्जुन के सहारे दरवाजे की तरफ़ बढ़ रहा था। गेट बंद होने वाला था, तभी सम्राट मंदिर के अंदर वापस चला गया। उसने अर्जुन के साथ मिलकर उसने विक्रम को उठाया और तेजी से गेट की ओर भागा।

गेट बंद होने से ठीक पहले, अर्जुन और सम्राट ने विक्रम को बाहर खींच लिया। मंदिर धीरे-धीरे वापस बर्फ़ में छिप गया।

आइशा ने देखा कि मंदिर के अदृश्य होते ही स्लैब बाहर आ गया था। उसने स्लैब को पत्थर से निकालकर अपने पास रख लिया।

टीम अर्जुन ने स्लैब और चाबी का एक और हिस्सा ढूँढ लिया था, लेकिन इस दौरान विक्रम को गहरी चोट लग गई।

टेंट्स में लौटने के बाद, विक्रम के पैर का इलाज़ किया गया। खून रोकने के लिए पट्टी बाँधी गई और इंफेक्शन से बचाने के लिए एंटीडोट लगाया गया। वह दर्द से चीख रहा था, लेकिन उसका हौसला अब भी क़ायम था। उसने अपनी जेब से चाबी निकाली, जिसमें एक लाल हीरा लगा हुआ था।

विक्रम: "मास्टर, मैं ठीक हो जाऊँगा। आप मेरी चिंता मत कीजिए। यह लीजिए, मंदिर से मिली चाबी... अब हम अनंत ज्ञान के ख़ज़ाने के अगले पड़ाव पर जा सकते हैं।"

अर्जुन: "मुझे अपनी टीम पर गर्व है और यह मत भूलना, मेरा असली ख़ज़ाना तो तुम सब हो।"

मीरा: "मास्टर, अब हमें विक्रम को आराम करने देना चाहिए।"

अर्जुन और मीरा टेंट से बाहर आ गए, जहाँ सम्राट और आइशा पहले से ही खड़े थे।

सम्राट: "मीरा, विक्रम को ठीक होने में कितना वक़्त लगेगा?"

मीरा: "कम से कम दो दिन लगेंगे उसे पूरी तरह ठीक होने में।"

सम्राट: "इसका मतलब हम दो दिन तक यहीं रहेंगे। क्या वह इसके बाद डाउन ट्रैक के लिए तैयार हो जाएगा?"

मीरा: "हाँ, उसकी हड्डियाँ बिल्कुल सही हैं। खून ज़्यादा बह गया है, लेकिन मुझे भरोसा है कि वह दो दिन में रिकवर हो कर लेगा।"

रात होने वाली थी। वहाँ का तापमान लगातार गिर रहा था। बड़े-बड़े पेड़ों के बीच से बहने वाली हवा की आवाज़ डरावनी लग रही थी।

आइशा ने स्लैब अर्जुन को दे दिया। अब अर्जुन के पास स्लैब और चाबी दोनों थे। टीम विक्रम के ठीक होने का इंतज़ार कर रही थी। रात के खाने के बाद, अर्जुन ने सभी को अगले प्लान के बारे में बताया।

अर्जुन: "क्या हमें इस चाबी को स्लैब में लगाकर अभी देखना चाहिए? तुम सबका क्या कहना है?"

मीरा: "मास्टर, हमें पहले इस पहाड़ से नीचे उतरना चाहिए। यह स्लैब साधारण नहीं है... इसमें ज़रूर कोई प्राचीन शक्ति क़ैद है।"

सम्राट: "हाँ, मास्टर। इसकी चमक को देखिए। मुझे लगता है कि चाबी लगाते ही कुछ अनहोनी हो सकता है।"

अर्जुन: "हमें पहले विक्रम को सही-सलामत नीचे ले जाना चाहिए। अगर कोई मुसीबत आई, तो हमें विक्रम जैसे स्ट्रॉंग इंसान की ज़रूरत पड़ेगी। हम दो दिन बाद नीचे उतरेंगे और फिर देखेंगे कि स्लैब में क्या रहस्य छिपा है।"

अर्जुन ने बाक़ी टीम को भी आराम करने को कहा और ख़ुद भी जाकर अपने टेंट में सो गए। टीम ने विक्रम के ठीक होने तक वहीं रुकने का फ़ैसला किया।

तीसरे दिन की सुबह हो चुकी थी। सूरज हिमालय की चोटियों पर सुनहरी धूप बिखेर रहा था। विक्रम का पैर अब ठीक लग रहा था। टीम ने भी अपना सामान पैक कर लिया था। सभी पहाड़ से नीचे उतरने लगे। विक्रम को चलते समय थोड़ी दिक्कत हो रही थी, लेकिन वह टीम के साथ-साथ नीचे की और जाता रहा। उतरते समय, उसके चेहरे का रंग नीला पड़ता जा रहा था।

दोपहर तक टीम घाटी में पहुँच गई थी, लेकिन अभी उन्हें इस घाटी को पार करके एक सुरक्षित जगह तक जाना था। घाटी में बहती नदी के किनारे वे धीरे-धीरे चलने लगे।

विक्रम: "आगे मैं नहीं चल पाऊँगा... मुझे चक्कर आ रहे हैं।"

इतना कहते ही विक्रम चक्कर खाकर ज़मीन पर गिर पड़ा। सभी घबरा कर उसके पास पहुँचे। मीरा ने देखा कि विक्रम का चेहरा नीला पड़ गया था। अब इंफेक्शन उसके पूरे शरीर में फैल रहा था।

मीरा: "विक्रम को तुरंत किसी अस्पताल ले जाना होगा, नहीं तो हम उसे नहीं बचा पाएँगे।"

अर्जुन: "लेकिन तुमने इसे इंजेक्शन तो लगाया था! फिर ऐसा कैसे हो गया?"

मीरा: "शायद इतना ज़्यादा चलने की वज़ह से हुआ है... ओह माय गॉड, मुझे इसका ध्यान रखना चाहिए था।"

अर्जुन: "क्या हम इसका इलाज़ यहाँ नहीं कर सकते? क्योंकि रात से पहले शहर तक पहुँचना नामुमकिन है। सम्राट, जल्दी जाओ और उस कोने से देखो, कोई गाँव दिखता है क्या?"

सम्राट अर्जुन का ऑर्डर मिलते ही गाँव ढूँढने निकला। अर्जुन ने वहीं आग जलाई। मीरा ने विक्रम को एक और इंजेक्शन दिया। आइशा ने पानी छिड़ककर उसे होश में लाने की कोशिश की, लेकिन वह उठ नहीं पाया। विक्रम अब ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रहा था।

करीब आधे घंटे बाद, सम्राट वापस आया, उसके पीछे-पीछे एक तपस्वी साधु चला आ रहा था। सम्राट कोई गाँव तो नहीं ढूँढ पाया था, लेकिन उसे पास में एक मठ मिल गया था।

अर्जुन: "क्या आस-पास कोई गाँव मिला?"

सम्राट: "नहीं। लेकिन ये साधु जड़ी-बूटियों के बारे में बहुत कुछ जानते हैं। इनके पास विक्रम की हालत का इलाज़ हो सकता है।"

अर्जुन: "बाबा, हमारे साथी को बचा लीजिए। देखिए, ये पूरा नीला पड़ चुका है और बेहोश है।"

"मेरे पास इसे बचाने की औषधि है, लेकिन उसे तैयार करना होगा। तब तक मैं इसे एक और औषधि दूँगा। इसके बाद आप सब मेरे मठ में चलिए, वहीं इसका पूरा इलाज़ होगा।" तपस्वी ने कहा।

तपस्वी ने अपने झोले से एक औषधि निकालकर विक्रम को पिलाई। सम्राट ने विक्रम को कंधे पर उठाया और पूरी टीम तपस्वी के मठ की ओर बढ़ने लगी।

दो पहाड़ों के बीच स्थित तपस्वी का मठ एकदम शांत और सुरक्षित जगह पर था। चारों ओर बर्फीली हवा और ऊबड़-खाबड़ पहाड़ थे, लेकिन मठ के अंदर गर्माहट थी।

"इस मठ में अब तुम सब सुरक्षित हो। मैं औषधि तैयार करूँगा, लेकिन इसके लिए मुझे एक ख़ास फूल चाहिए।" तपस्वी ने कहा।

अर्जुन: "हम विक्रम को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। आप जो कहेंगे, हम करेंगे।"

तपस्वी ने विक्रम को एक कमरे में लेटाया और उसकी हालत का निरीक्षण किया। फिर उन्होंने टीम को बताया कि मठ के पीछे की घाटी में एक सफेद फूल है, जो औषधि बनाने के लिए ज़रूरी है।

"तुम्हें यह काम तुरंत करना होगा। अगर बर्फबारी शुरू हो गई, तो वह फूल ढूँढना मुश्किल हो जाएगा।"

अर्जुन, सम्राट और मीरा बिना वक़्त गवाए घाटी की ओर निकल पड़े और आइशा मठ में रुक गई। बाहर का तापमान लगातार गिर रहा था और बर्फ की परतें बढ़ती जा रही थीं। घाटी में एक अजीब सन्नाटा था। चारों ओर बर्फ से ढके पेड़ और पत्तियाँ थीं।

मीरा: "हमें जल्दी करनी होगी। इतनी ठंड में फूल ढूँढना आसान नहीं होगा।"

अर्जुन: "तुम सही कह रही हो। हमें हर क़दम सोच-समझकर रखना होगा।" 

अचानक, सम्राट ने कुछ अजीब-सी आहट सुनी। सभी ठिठक गए और चारों तरफ़ देखने लगे। पेड़ों के बीच उन्हें लगा कि कोई उनकी निगरानी कर रहा है।

अचानक, पेड़ों के पीछे से एक पहाड़ी चीता निकल आया। अर्जुन के सबको सावधान रहने का कहा,

अर्जुन: "सब अपनी जगह पर खड़े रहो। चीता तभी हमला करेगा, जब हम उसे भड़काएँगे।"

चीता देखकर सम्राट के माथे पर पसीना आ गया। उसने डरकर अपनी कटार निकाल ली, लेकिन अर्जुन ने उसे कटार वापस रखने को कहा। कुछ देर बाद, चीता वहाँ से चला गया।

चीते के जाते ही, मीरा ने उसके पीछे वह सफेद फूल देखा। उन्होंने जल्दी से फूल तोड़ा और बर्फबारी शुरू होने से पहले मठ की ओर भागे। मठ पहुँचने के बाद, उन्होंने वह फूल तपस्वी को सौंप दिया।

तपस्वी ने अपना काम जारी रखते हुए कहा "अब यह औषधि अपना काम करेगी। कुछ समय दो और विश्वास रखो।"

धीरे-धीरे विक्रम का नीला रंग गायब होने लगा। कुछ देर बाद, उसने आँखें खोल दीं।

अर्जुन: "विक्रम, तुम ठीक हो रहे हो!" 

टीम के सभी सदस्य ख़ुशी से झूम उठे। उन्होंने विक्रम को बचा लिया था।

विक्रम: "मास्टर... मैं... ठीक हूँ।"

अगले दिन, अर्जुन ने पूरी टीम को एक कमरे में इकट्ठा किया। उन्होंने स्लैब में चाबी लगाई। जैसे ही चाबी स्लैब में फिट हुई, सभी की आँखें फटी की फटी रह गईं। उनके सामने कुछ ऐसा था, जिसे देखकर वे हैरान रह गए थे।

ऐसा क्या देख लिया था टीम ने? क्या यह उनकी अगली मंज़िल तक पहुँचने में मदद करेगा? या कोई और ही चीज़ उसस रोशनी से निकाल कर सामने आने वाली थी। जानने के लिए पढ़ते रहिए। 

 

 

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