सुबह का समय था, और guest house के आस-पास हल्की ठंडक थी। पहाड़ों पर चाँदी जैसी धुंध छाई हुई थी। मंदिरा और भूषण गाड़ी में बैठने के लिए निकलने ही वाले थे कि तभी मंदिरा का फोन बज उठा। फोन उठाते ही उसकी आँखों में चिंता की लकीरें आ गईं। उसने जल्दी से फोन उठाया और दूसरी तरफ से आने वाली आवाज़ को ध्यान से सुना… सुनकर मंदिरा का चेहरा एकदम सख्त हो गया। उसने घबराते हुए कहा,
मंदिरा- क्या? यह कैसे हो सकता है?
कॉल कटते ही मंदिरा ने गहरी सांस ली और तुरंत बाहर जाने की तैयारी करने लगी। उसकी बेचैनी साफ दिखाई दे रही थी। मंदिरा ने फोन रखा और बाहर निकलते हुए भूषण को देखा, जो गाड़ी में बैठकर उसका इंतजार कर रहा था। मंदिरा की आँखों में चिंता थी, जो उसके चेहरे पर भी साफ नजर आ रही थी। भूषण ने मंदिरा को परेशान देखकर चौंकते हुए कहा
भूषण- क्या हुआ? तुम इतनी परेशान क्यों लग रही हो? अभी तक तो ठीक थी, कोई दिक्कत?
मंदिरा (थोड़ा झिझकते हुए)-
भूषण , हमें तुरंत रिजॉर्ट जाना होगा। एक problem हो गई है...
भूषण- क्या हुआ? कौन सी problem?
मंदिरा-
विराज का फोन आया था। प्रिया और शौर्य का छोटा सा एक्सीडेंट हुआ है, अब वह दोनों को लेकर रिजॉर्ट जा रहे हैं...
भूषण (चिंता से) : और राघव? वह ...
मंदिरा(परेशान)- अभी कुछ नहीं पता। फिलहाल हमें रिजॉर्ट पहुंचना चाहिए, ताकि अगर कोई और उलझन हो तो पहले ही संभाल सकूं। तुम नहीं जानते, आनंद सर प्रिया को लेकर कितने पजेसिव हैं। अभी वह रिजॉर्ट में नहीं हैं, तो शायद मैं इस सबको संभाल पाऊं, लेकिन अगर वह आ गए तो बड़ा बवाल हो सकता है...
भूषण (हां में सिर हिलाते हुए)- ठीक है, फ़िक्र मत करो... सब ठीक होगा..
भूषण कार स्टार्ट करने लगा कि तभी मंदिरा ने उसकी ओर देखा और उसके हाथ पर अपना हाथ रखकर कहा
मंदिरा (भूषण को देखती हुई) : मुझे माफ कर दो, मैंने तुम्हारे साथ घूमने का प्लान किया था और यह सब हो गया...
भूषण (मंदिरा को समझाते हुए) : अरे, यह क्यों कह रही हो? यह तो सिर्फ एक random प्लान था ना। तुमसे मैंने कभी कोई वादा तो नहीं किया था, मैं यहाँ तुम्हारे साथ हूं, और यह मेरे लिए सबसे बड़ी बात है। हम फिर कभी घूमने चले जाएंगे, कौन सा हम दोनों कहीं जा रहे हैं...
भूषण ने गाड़ी स्टार्ट की और मंदिरा को चलने का इशारा किया। वह गाड़ी में बैठी, लेकिन उसकी आँखों में एक अनकहा डर था। उसने मन ही मन सोचते हुए कहा
मंदिरा- जिस दिन भूषण को मेरी सच्चाई का पता चलेगा, उस दिन न जाने वह मुझे क्या समझेगा...
मंदिरा का मन बेचैन था, लेकिन उसकी बेचैनी की सभी वजहों से भूषण बिलकुल अनजान था. कुछ देर बाद दोनों रिजॉर्ट पहुंच गए, गाड़ी के दरवाजे पर खड़ा विराज उन्हें देखकर थोड़ा घबराया हुआ सा नजर आया। मंदिरा ने गाड़ी से उतरते ही उसे घूरते हुए कहा,
मंदिरा- क्या है विराज? मैंने कहा था न, थोड़ा मैच्योर रहो। यह सब क्या हो रहा है?
मंदिरा को भड़कते हुए देख विराज ने उसे समझाते हुए कहा, “मंदिरा, मुझे नहीं पता यह दोनों कब हमसे अलग हुए। मैं और राघव दोनों इनका इंतजार कर रहे थे, लेकिन फिर एक ट्रक आ गया और इनकी गाड़ी ओवरटेक करने के चक्कर में पेड़ से टकरा गई”। विराज की बात सुनकर मंदिरा ने चौंकते हुए पूछा,
मंदिरा- क्या? चोट किसको लगी?
मंदिरा के सवाल पर विराज ने कहा, “शौर्य को ज्यादा चोट आई है। उसे मैंने मेडिकल डिपार्टमेंट भेज दिया है। प्रिया ठीक है, लेकिन…” विराज इतना कहकर रुक गया तो मंदिरा ने थोड़ा घबराते हुए पूछा,
मंदिरा- लेकिन? क्या हुआ?
मंदिरा ने भौंह सिकोड़ कर विराज की तरफ देखा, तब विराज ने उसे थोड़ा दूर हटाकर धीमी आवाज़ में कहा, “मुझे लगता है, उसे मॉर्निंग सिकनेस हो रही है... तुम्हें समझ में आ रहा है न?”। मंदिरा ने उसकी बात को समझने की कोशिश की और फिर चौंकते हुए देखा, जिसपर विराज ने सिर हिलाते हुए कहा, “हाँ, मुझे यकीन है। तुम प्रिया से बात करो, लेकिन प्लीज थोडा ध्यान से..”। विराज की बात पर मंदिरा ने उसे घूरा और फिर सिर झुकाते हुए कहा,
मंदिरा- ठीक है, तुम जाओ। इस बारे में किसी से कुछ नहीं कहना। मैं यहाँ संभाल लूंगी।
विराज और मंदिरा के बीच की बातों को भूषण पूरी तरह से नहीं समझ पाया, लेकिन वह यह जरूर महसूस कर रहा था कि कुछ गंभीर हो रहा है। मंदिरा अन्दर जाने को हुई कि भूषण ने उसे रोकते हुए कहा
भूषण- मंदिरा, क्या हुआ? विराज क्या कह रहा था?
भूषण के सवाल पर मंदिरा ने कुछ कहने के लिए मुँह खोला, लेकिन फिर रुक गई। उसने कड़े स्वर में कहा,
मंदिरा- भूषण , तुम अपने कमरे में जाओ। हम कल बात करेंगे। आज तुम आराम करो। कल से तुम्हारे सेशन शुरू होंगे..
भूषण ने हैरानी से मंदिरा को देखा, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा और धीरे-धीरे अपने कमरे की तरफ बढ़ गया। मंदिरा ने प्रिया के कमरे की ओर कदम बढ़ाए। कमरे में जाते ही मंदिरा ने देखा कि प्रिया एक कोने में लेटी हुई थी, उसके पास एक बूढ़ी औरत खड़ी थी, जिसका नाम माला था और जो प्रिया के घर पर भी उसका ध्यान रखती थी. मंदिरा को कमरे में देख उसने धीरे से कहा, “बेबी बहुत परेशान है.. सर को फ़ोन कर दें? “ मंदिरा ने उस बूढी औरत की बात सुनी और कहा,
मंदिरा- यह बात यहीं तक रखिए, मैं प्रिया से बात करती हूं।
मंदिरा की बात सुनकर माला ने सिर झुकाया और कमरे से बाहर चली गई। मंदिरा ने उसे रोकते हुए कुछ पैसे दिए और कहा,
मंदिरा- माला आंटी, जो कहा है, उसका ध्यान रखना.…
माला के जाने के बाद मंदिरा प्रिया के पास पहुंची और उसके पास खड़ी हो गई, प्रिया ने आंखें खोलीं और धीरे से मंदिरा को देखा, फिर अपनी नजरें फेर लीं। मंदिरा ने प्रिया का चेहरा अपनी ओर घुमाते हुए कहा,
मंदिरा- प्रिया, मुझे बताओ, सच क्या है? जो कुछ सुना, वह सच है? क्या तुम यह पहले से जानती थी? जानती हो न, यह कोई छोटी बात नहीं है…
प्रिया ने मंदिरा की बात सुनी फिर उसके हाथ पर धीमे से अपना हाथ रखते हुए हल्की आवाज़ में कहा, “यह सच है, मुझे पिछले हफ्ते ही पता चला था। मैंने टेस्ट किया था, और मैं शौर्य को मिलकर सब बताना चाहती थी, face to face”। प्रिया की बात सुनकर मंदिरा ने एक गहरी सांस ली और फिर गुस्से के साथ कहा
मंदिरा- प्रिया, तुम प्रेग्नेंट हो! इसे इतनी हल्के में कैसे ले सकती हो? यह क्या, मैं उससे मिलकर यह बात कहना चाहती थी.. तुम जानती हो तुम्हारे और शौर्य के रिश्ते के लिए आनंद सर कभी नहीं मानने वाले, और तुम हो कि.. इस तरह एक और नई मुसीबत लेकर बैठ गयी..
मंदिरा की डाँट सुनकर प्रिया ने अपनी नज़रे झुकाली, फिर वह धीरे से bed पर उठकर बैठी और सिर झुकाते हुए बोली, “मैंने सोचा था, शायद मैं इसे संभाल सकती हूं, लेकिन… प्लीज, आप मुझपर गुस्सा मत करिए..”। यह बात कहते हुए प्रिया का गला भर आया, क्योंकि वह पहले से ही शौर्य को लेकर परेशान थी और अब उसकी pregnancy की बात भी सामने आ गयी थी। ऐसे में सिर्फ मंदिरा ही उसे समझ सकती थी, और इस बात का अहसास मंदिरा को भी था, इसलिए उसने एक बड़ी बहन की तरह प्रिया को गले लगाते हुए कहा,
मंदिरा- प्रिया, सब ठीक हो जाएगा, ऐसे रोते नहीं। डरने की जरूरत नहीं है, मैं तुम्हारे साथ हूं, लेकिन अब तुम्हें थोड़ा सा mature बनना होगा। इस बात को सावधानी से संभालना होगा…
मंदिरा प्रिया से बात करती रही। प्रिया के मन में घबराहट थी, लेकिन मंदिरा ने उसे यकीन दिलाया कि सब ठीक हो जाएगा। एक ओर मंदिरा प्रिया की परेशानी में उलझी हुई थी, तो दूसरी ओर रिनी अपने कमरे में बेफिक्री से सो रही थी। उसकी ज़िंदगी फिलहाल किसी भी समस्या से आज़ाद थी, रिनी को यही लगता था कि उसने अपनी सभी उलझनों को बड़े अच्छे तरीके से संभाल लिया है। भूषण को रास्ते से हटाने के लिए उसने निकुंज को पीछे लगा दिया था। वहीं, मंजू कपूर के बारे में जानने के लिए उसके भाई अंकुश और उसकी नई नवेली दोस्त, आंचल, काम पर लगे हुए थे, लेकिन रिनी को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि यह बस एक तूफ़ान के आने से पहले की शांति थी। रिनी अपने बड़े से बेड पर गहरी नींद में थी। सूरज की हल्की किरणें खिड़की से अंदर आ रही थीं, लेकिन रिनी को इसकी कोई परवाह नहीं थी। तभी उसके फोन की घंटी बजी, पहली बार घंटी बजी, तो रिनी ने करवट बदल ली। दूसरी बार फोन बजा, तो उसने तकिया अपने सिर पर रख लिया, लेकिन तीसरी बार घंटी बजने पर उसने झुंझलाकर फोन उठाया और कहा
रिनी (नींद में चिढ़ते हुए)- कौन है? इतनी सुबह क्यों परेशान कर रहे हो?
फोन की स्क्रीन पर अनजान नंबर देखकर उसकी भौंहें सिकुड़ गईं। उसने उठाया, तभी दूसरी ओर से आवाज़ आई, “हैलो रिनी, कैसी हो? यह वक्त आराम से सोने का नहीं, मेरा काम करने का है। अपने काम के लिए तुमने निकुंज को भेज दिया, अब मेरा काम तो करो। उस आवाज़ को सुनकर रिनी का चेहरा सफेद पड़ गया। यह वही आवाज़ थी जिसने कुछ दिन पहले उसे ज़मीन के लिए धमकाया था। रिनी तुरंत bed से उठी और चौंकते हुए बोली
रिनी (चौंकते हुए)- तुम? कौन हो तुम और मेरे बारे में इतना सब कैसे जानते हो?
रिनी का सवाल सुनकर दूसरी तरफ से आदमी ने हंसते हुए कहा, “मुझे सब पता है। तुम्हारे हर राज़ की चाबी मेरे पास है। अगर तुम चाहती हो कि मैं शितिज को तुम्हारी असलियत न बताऊं, तो तुम्हें मेरी बात माननी पड़ेगी।” यह बात सुनकर रिनी ने गुस्से में कहा
रिनी (गुस्से और घबराहट में)- तुम बकवास कर रहे हो! मैं तुम्हारी धमकियों से डरने वाली नहीं हूं.…
रिनी की आवाज़ में बौखलाहट साफ़ थी, जिसपर आदमी ने तंज कसते हुए कहा, “डरना तो पड़ेगा, रिनी। मैं सिर्फ ज़मीन नहीं, उससे पहले कुछ पैसे चाहता हूं। एक करोड़ रुपए लेकर तैयार हो जाओ। वरना, तुम्हारे सारे राज़ क्षितिज के सामने होंगे।“ उस आदमी की बात सुनकर रिनी का हाथ कांपने लगा। उसने फोन को जोर से पकड़ा और चिल्लाकर कहा,
रिनी- तुम हो कौन और तुम्हें यह सब कैसे पता है? मैं इतने पैसे कहाँ से लाऊंगी..
रिनी आगे कुछ कह पाती उससे पहले ही आदमी ने उसकी बात को बीच में काटते हुए कहा, “मैं कौन हूं, यह जानने की जरूरत नहीं है। तुम बस एक करोड़ का इंतजाम करो, और हाँ, ज्यादा होशियारी दिखाने की कोशिश मत करना।” आदमी ने इतना कहा और फिर फोन कट गया। रिनी की सांसें तेज हो गई थीं, घबराहट में रिनी ने तुरंत आंचल को कॉल किया और फ़ोन उठते ही कहा
रिनी- आंचल, एक नंबर भेजा है। जल्दी पता करो यह नंबर किसका है, यह इंसान मुझे धमका रहा है। उसे मेरे बारे में सबकुछ पता है।
आँचल ने रिनी की बात पर हामी भरते हुए कहा, “हाँ, ठीक है.. मैं देखती हूँ”। आँचल के फ़ोन रखते ही रिनी ने तुरंत अपने भाई अंकुश को voice message करते हुए कहा
रिनी- अंकुश, जल्दी आकर मुझसे मिलो..हमें कुछ funds निकालने होंगे..
रिनी ने इतना कहकर फ़ोन बंद कर दिया और फिर झुंझलाते हुए अपने कमरे में चली गयी। वहीँ दूसरी तरफ़ रिजॉर्ट में हलचल धीरे-धीरे बढ़ रही थी, दोपहर से शाम हो चुकी थी, भूषण अपने कमरे में था। वह कुछ देर पहले राघव से मिलने गया था, लेकिन राघव ने दरवाजा नहीं खोला था, जिसकी वजह से भूषण ने राघव को और परेशान करना ठीक नहीं समझा। वह अपने कमरे में लौट आया और बिस्तर पर लेट गया.. उसके मन में बहुत सारे सवाल थे, लेकिन जवाब देने वाला कोई नहीं था। उसने अपनी आँखें बंद कर ली और तभी भूषण ने खुद को एक घने जंगल में पाया..चारों ओर सन्नाटा और अजीब सी आवाज़ें थी। वह इधर-उधर देख ही रहा था कि अचानक उसका पैर फिसला और वह एक गड्ढे में जा गिरा। गड्ढा गहरा और अंधेरा था… भूषण ने बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन कोई रास्ता ही नहीं था। तभी उसकी नजर एक कोने में पड़ी अपनी पुरानी डायरी पर गयी, जिसे देखकर भूषण ने हैरानी से कहा
भूषण (हैरानी से) : मेरी डायरी यहां कैसे?
भूषण ने डायरी उठाया लेकिन उसके पन्ने खाली थी। उसमें बस एक छोटी बच्ची की तस्वीर थी, जिसके साथ एक हेडफोन लिपटा हुआ था। उसे देखकर भूषण ने हैरान होकर कहा
भूषण (हैरान होकर)- हेडफोन? यह तो कॉलेज का है... यह यहां कैसे आया?
भूषण ने इन सभी ख्यालों को एक तरफ कर गड्ढे से बाहर निकलने के लिए मदद मांगी, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। तभी उसे महसूस हुआ कि एक सांप धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़ रहा है, जिसे देखकर भूषण के होश उड़ गये। वह मदद के लिए चिल्लाया लेकिन तभी सांप ने उसे डस लिया..भूषण दर्द से तड़प उठा और अचानक उसकी नींद खुल गयी। भूषण ने अपनी आँखें खोली तो उसे मालूम पड़ा कि वह सपना देख रहा था. भूषण अभी होश में आया ही था कि तभी उसकी नज़र राघव पर गयी, जो उसे बहुत गौर से देख रहा था। राघव ने भूषण को यूँ पसीना-पसीना होते देख कहा
राघव- क्या हुआ? मैंने तुमसे पहले ही कहा था, जब दो पहर मिल रहे हो तो सोना नहीं चाहिए… बुरे सपने आते हैं। आज क्या देखा?
भूषण (हिचकिचाते हुए)- कुछ नहीं... बस एक अजीब सा सपना था।
राघव (मुस्कुराते हुए) : अच्छा, हाँ.. आज का दिन ही अजीब है। देखो न प्रिया और शौर्य का एक्सीडेंट हुआ, और ऊपर से प्रिया की प्रेग्नेंसी वाली बात। मुझे नहीं पता, यह सब कैसे संभालेंगे..वह अभी बहुत young है..
राघव की बात सुनकर भूषण चौंक गया, वह कुछ पूछने ही वाला था कि तभी उन्हें रिजॉर्ट में हलचल का एहसास हुआ। दोनों कमरे से बाहर आए, तो देखा कि हॉल में कुछ नए लोग पहुंचे हैं। राघव ने भीड़ की तरफ इशारा करते हुए कहा
राघव (भीड़ की ओर इशारा करते हुए) : तो यह हैं हमारे नए साथी। प्रिया ने बताया था कि कुछ नए लोग आएंगे...
भूषण (सर हिलाते हुए)- हां, देखो। हमारी तरह कितने दिल टूटे आशिक इकट्ठा हो गए हैं…
भूषण की बात सुनकर राघव हंस पडा, लेकिन तभी उसकी नज़र एक लम्बी काठी वाले लड़के पर पड़ी, जो इन लोगों में सबसे अलग नज़र आ रहा था। राघव ने उसे देखकर कहा
राघव (मजाकिया लहजे में)- उस लड़के को देखो, मुझे नहीं लगता वह इलाज कराने आया है। लगता है किसी को मारने आया है...
भूषण ने राघव की बात सुनकर उस लड़के की तरफ देखा ही था कि अचानक भूषण के चेहरे की मुस्कान गायब हो गयी और उसने चौंकते हुए कहा
भूषण (हैरानी से)- “निकुंज... यह यहां कैसे?”
कैसे जानता है भूषण निकुंज को? क्या निकुंज भूषण को पहुंचाएगा नुकसान? क्या करेगी मंदिरा? कौन कर रहा है रिनी को ब्लैकमेल?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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