पुराने raaz भूत की तरह होते हैं, जो दूसरों को नहीं dikhte मगर राज़ जानने वाले को सोते जागते dikhte rehte hain. ये भूत अपनों को आपसे दूर करने का डर दिखाते हैं और इसी डर के हाथों मजबूर हो कर आप अपना ही नुक्सान कर लेते हैं. दादा जी के पीछे भी राजेश नाम का भूत लग चुका tha. उनका बेटा एक दिन उनके साथ ऐसा करेगा, ये उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा.
आज ये राजेश कबीर की गर्दन पर चाकू ले कर खड़ा है. दादा जी पूरी तरह से घबरा गए हैं. वो उसे रोकने के लिए आगे बढ़ते हैं और तभी उनकी आँख खुल जाती है. उनका पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ tha. अगर उन्हें कोई इस हालत में देख ले तो पक्का उन्हें हॉस्पिटल ले जाए. वो बहुत तेज तेज सांस ले रहे the. ऐसा लग रहा tha जैसे उन्होंने कोई भूत देख लिया हो. सपने में उन्होंने भूत ही तो देखा है. एक पुराना भूत जो उनके आज को बर्बाद करने की कोशिश में लगा हुआ है. वो खुद को सम्भालते हैं तेजी में बाहर निकलते हैं, उनकी ऑंखें कबीर को खोज रही हैं. कबीर शाम की पार्टी के लिए रेडी हो कर unke paas aata hai. कबीर को मुस्कुराता देख कर उन्हें थोड़ी राहत मिलती है. वो उसे गले से लगा लेते हैं.
Wahin, विक्रम मन ही मन एक बड़ा फैसला ले रहे the. जिस बात से पूरा परिवार उन्हें दूर रखने की कोशिश कर रहा है वो खुद उसी बात पर लगातार सोचे जा रहे the. जबसे वो हॉस्पिटल से लौटे हैं आरव एक बार भी उनसे मिलने नहीं गया tha. माया ने Aarav ko शांत कराया और पार्टी के लिए रेडी होने के लिए बोला. इसके साथ उसने ये भी कहा कि कल से वो जैसे मन वैसे रहे वो उसे कभी नहीं टोकेगी मगर अभी उसे पापा पर ध्यान देना है. वो जाए और पापा से मिल कर आये. आरव का भी बहुत दिल कर रहा tha पापा से बात करने का लेकिन वो खुद को रोक रहा tha. उसे लग रहा tha कि कहीं पापा के सामने उसका गुस्सा बाहर ना आ जाये. लेकिन फिर भी वो हिम्मत कर के पापा के पास gaya.
वो उनके दरवाजे पर नॉक करता है. Vikram उसे अंदर आने को कहते हैं. दोनों एक dusre को देख कर मुस्कुराते हैं. दोनों को पता है कि ये बेमन की मुस्कराहट है. दोनों के अंदर कुछ और ही चल रहा है. आरव इधर उधर देखता है. समझ नहीं paata कि उनसे क्या बात करे. एक वो भी टाइम था जब दोनों बाप बेटे को बात करने के लिए सोचना नहीं पड़ता था. एक बार आरव हॉस्टल से घर आया था. दोनों बहुत दिनों बाद मिले थे. विक्रम ऑफिस से आये आरव से मिले और जो बातें शुरू हुईं वो सुबह 4 बजे तक चलती रहीं. दोनों बातें करते करते वहीं सो गए. ऐसा अक्सर हुआ करता था. मगर आज इनके पास बात करने के लिए कुछ नहीं.
विक्रम- बिजनेस का कैसा चल रहा है?
आरव जो बातें नहीं करना चाहता था विक्रम ने वही टॉपिक शुरू कर दिया था. आरव ने जवाब दिया अच्छा चल रहा है. Vikram ne कहा कि अब ये सब aarav ko ही देखना पड़ेगा क्योंकि उनमें अब हिम्मत नहीं बची. पहले वाला आरव होता तो ये सब सुन कर खुश हो जाता मगर ये आरव अलग है. अब उसके अंदर बहुत कुछ चल रहा है. उसका मन हुआ कि कह दे वो किसी के हक़ का मारा हुआ बिजनेस नहीं चलाएगा. मगर उसने खुद को रोक लिया. बस हां में सिर हिला दिया. उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या बात की जाए इसलिए उसने निशा का टोपिक छेड़ दिया.
आरव- निशा की शादी का क्या सोचा है aapne?
विक्रम- मैंने तुम्हारी शादी का फैसला भी तुम पर छोड़ा था और उसकी शादी का फैसला भी उसी पर छोड़ा है. तुम्हें कुछ सही नहीं लगा हो तो बताओ.
आरव- नहीं ऐसी बात नहीं है. राहुल बहुत अच्छा है. दोनों की अच्छी बनती भी है. Mere हिसाब से तो उन्हें जल्दी ही शादी का फैसला ले लेना चाहिए.
विक्रम- हां, par हम उस पर प्रेशर भी नहीं बना सकते. वो बड़ी है, समझदार है, हमसे बेहतर दुनिया घूम कर आई है. उसकी जिंदगी का फैसला उसी को लेने देते हैं.
आरव ने पापा की बात पर हामी भरते हुए गर्दन हिला दी. वो सोच रहा था कि अगर उन्हें दूसरों के फैसलों की इतनी ही कद्र है तो उसे उसका बिजनेस करने से क्यों रोका? क्यों apne bhai के घर वापस आने के फैसले को बदल दिया. हालांकि आरव ने बहुत हिम्मत दिखाई और ऐसी baaton पर चुप रहा. इसके बाद उसने vikram se पूछा कि घर आ कर unhein कैसा लग रहा है? क्या वो ठीक महसूस कर रहे हैं? विक्रम ने बताया कि घर आ कर उन्हें हमेशा अच्छा लगता है. बाकी कबीर को देखने के लिए मन तरस गया था. आरव ने इसके बाद थोड़ी aur idhar udhar बात की, Phir wahan अनीता aa gayi, unke आते ही वो वहां से चला गया.
शाम हो गयी थी, कबीर के दोस्त भी आ गए थे. आरव ने neelesh को भी बुला लिया था. राहुल अपनी फैमिली के साथ पहुंच गया था. अनीता ने सबका बहुत अच्छे से वेलकम किया. आज हर किसी ने फैसला किया कि यहाँ कोई भी टेंशन वाली बात नहीं होगी. सब बस पार्टी इंजॉय करेंगे और विक्रम को खुश रखने की कोशिश करेंगे. कबीर अपनी पलटन के साथ सबका वैलकम कर रहा tha. वो सब वेटर बने हुए the और सबके आगे स्नैक्स सर्व कर रहे the. इसके बाद वो सबसे जा कर पूछ रहे the ‘आपके लिए कुछ लाऊं?’. इन प्यारे प्यारे वेटर्स को देख कर सब बहुत खुश हो रहे the.
विक्रम का वेलकम केक भी तैयार tha. वो खुद भी तैयार हो कर नीचे aagaye the. वो sabhi मेहमानों से ek ek kar ke मिल रहे the, सब उनकी तबियत के बारे में पूछ रहे the. राहुल के पापा और विक्रम एक dusre को पहले से जानते हैं. दोनों अपने कुछ doston के साथ बैठे पुरानी बातें karne mein busy ho gaye. दादा जी के भी कुछ जानने वाले आये हुए the. बॉस दादी किचन में सुशीला से अपनी ख़ास डिश बनवा रही thi. इसके साथ ही वो बता रही thi कि एक ज़माने में उनकी इस डिश के सभी दीवाने हुआ करते थे. वो दावा करती हैं कि अगर वो आज के ज़माने की होतीं तो इंडिया क्या विदेशों में होने वाले मास्टर शेफ भी जीत लेतीं. उनका कहना है कि उनके पास हिडन रेसिपीज़ का खजाना है. सुशीला उनसे कहती है कि वो उसे भी एक आध डिश सिखा दें तो बॉस दादी उसे पहले इस डिश को ढंग से बनाने की हिदायत देती है. Darasal, बहुत ज्यादा मेहमान नहीं आने वाले थे तो घर की लेडीज़ ने ही खाने का जिम्मा उठा लिया था.
माया और निशा ने matching ड्रेस पहन कर सबको चौंका दिया tha. दोनों बहुत प्यारी लग रही thin. फिलहाल बिलकुल नहीं लग रहा कि ये वही शर्मा परिवार है जिसमें एक साथ इतनी टेंशन्स चल रही हैं. सबके अंदर कुछ और है और चेहरे पर कुछ और. दादा जी भले सबसे बात कर रहे हैं लेकिन जब भी दरवाजे पर कोई दस्तक हो रही है उनका दिल ज़ोर से धडकने lagta hai. उन्हें लग रहा है कि कहीं राजेश ना इस पार्टी में आ धमके. आज सुबह के बाद राजेश उनके लिए एक भूत की तरह हो गया है जो उन्हें हर जगह दिखाई दे रहा है.
विक्रम कोने में खड़े राहुल और निशा को बात करते dekhte hain. उसे उन दोनों की जोड़ी अच्छी लग रही thi. माया ने अभी अभी अनीता और राहुल की मम्मी की कंपनी ज्वाइन की thi. वो sabhi कबीर को वेटर बना हुआ देख के खूब हंस rahe the. Tabhi अनीता राहुल की मम्मी से कहती है..
अनीता- आरव ने जब इसे पसंद किया तो मैं बहुत गुस्सा हुई. उसने फोटो भी दिखाई मन ही मन मुझे बहुत सुन्दर भी लगी मगर फिर भी मैं अपनी ज़िद पर अड़ी रही. मुझे ये डर था कि ये आज की लड़कियां खुद के फ्रीडम के नाम पर परिवार को तोड़ देती हैं. मेरे लिए तो हमेशा से फैमिली फर्स्ट रही है. Maine socha ki ये आएगी तो अपनी जॉब देखेगी या घर परिवार सम्भालेगी? जैसे तैसे दोनों की शादी हुई और मेरा भ्रम टूट गया. ये इतनी प्यारी है कि कभी कोई शिकायत नहीं होने दी. मैं ही पुराने ख्यालों की हूँ, कभी कभी इसे डांट भी देती हूँ मगर इसने कभी पलट कर जवाब नहीं दिया. अभी जब आरव के पापा की तबियत बिगड़ी तो इसने अपना ड्रीम प्रोजेक्ट तक छोड़ दिया फैमिली के लिए. मुझे इस बात का हमेशा अफ़सोस रहेगा कि maya को फैमिली के लिए अपना सपना छोड़ना पडा.”
माया अनीता की बातें सुन कर शॉकड थी. उसे yakeen नहीं हो रहा था कि उसकी सास किसी के सामने उसकी इतनी तारीफ़ कर रही है. Dusri taraf, विक्रम अपने दोस्तों और राहुल के पापा के साथ पुरानी यादों में खोये हुए थे. दादा जी की नज़रें अभी भी दरवाजे पर टिकी हुई थीं. इस बीच बच्चों ने एक नयी गेम शुरू कर दी. वो एक ball uchhaal रहे थे और वो ball जिसके पास भी जा रही थी, वो उन्हें अपना कोई टैलेंट dikhaane के लिए कह रहे थे. सबसे पहले ball विक्रम के एक दोस्त के पास गिरी. सबको पता था कि उनका टैलेंट है सिंगिंग तो उन्होंने एक प्यारा सा गाना सुनाया. Ball जब आरव के पास गयी तो उसने माया के साथ डांस किया जिस पर खूब तालियां बजीं. निशा के पास जब ball गयी तो उसने कहा उसके पास जो पेंटिंग का टैलेंट है उसमें तो बहुत टाइम लगेगा इसलिए वो कबीर के साथ डांस करेगी. दोनों ने खूब डांस किया, कबीर का डांस देख कर सब हंस हंस के लोट पोट हो गए.
Phir ball दादा जी के पास गयी थी. वो ऐसे फंक्शन में अक्सर अपनी लिखी शायरियां सुनाते थे लेकिन अभी उनका बिलकुल भी मन नहीं कर रहा था. उनके मन में अभी पुराना भूत डेरा डाले हुए था. मगर कबीर का दिल रखने के लिए उन्होंने शेर कहना शुरू किया लेकिन तभी डोर बेल बजी jiski आवाज़ सुनते ही दादा जी ke chehre का रंग सफ़ेद हो गया. उन्होंने दरवाजे की तरफ देखा वहां एक लड़का बड़ा सा बॉक्स लेकर खडा था. माया उसके पास गयी और उसने बॉक्स रिसीव कर लिया.
दादा जी धीरे से उसके पास गए और पूछा कि ये किसने भेजा है? माया ने जवाब में कहा किसी राजेश ने भेजा है. इतना सुनते ही दादा जी एक दम कांपने लगे. माया ने unse पूछा कि उन्हें क्या हो रहा है? वो बस इतना कहते रहे कि बॉक्स को मत खोलना. माया उनसे पूछ रही थी कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं? मगर दादा जी बस यही दोहराते रहे कि बॉक्स को मत खोलना.
माया ने बाहर से अनीता और निशा को आवाज़ दी. वो सब दादा जी को देख कर हैरान थे कि अचानक उन्हें क्या हो गया.
दादा जी- माया इस बॉक्स को बहार फिंकवा दे. जल्दी से इसे इस घर से दूर कर दे. इसे यहाँ से हटा दे…
क्या हो सकता है उस बॉक्स में जिसे देख दादा जी इतना डर गए? क्या राजेश के भेजे गिफ्ट की वजह से कबीर की पार्टी खराब हो जाएगी?
जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।
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