Vikram ke hospital se lautne par एक ही दिन में शर्मा परिवार में अंदर ही अंदर कितना कुछ हो गया tha. आरव माया के सामने रो पड़ा, राजेश फिर एक बार दादा जी के सामने आ धमका, विक्रम को कबीर ने बता दिया कि उनसे मिलने उनका कोई दोस्त आया था, विक्रम भी समझ गए कि ये राजेश ही था. इन सबके बाद जब कबीर की दादू के लिए दी गयी वेलकम पार्टी में सब खुश थे तभी एक गिफ्ट बॉक्स ने राघव जी की हालत खराब कर दी. उस बॉक्स पर राजेश का नाम लिखा tha जिसके बाद दादा जी बस यही कहे जा रहे the कि इस बॉक्स को बाहर फेंको. 

क्या कोई बेटा apne पिता के लिए डरावने सपने की तरह भी बन सकता है? फिलहाल राजेश तो दादा जी के लिए एक डरावने सपने से भी खतरनाक बन गया है. माया और निशा दादा जी को इस हालत में देख कर परेशान thin. वो दोनों पार्टी खराब होने के डर से शोर भी नहीं मचा सकतीं. इस बीच निशा ने आरव को बुला लिया. आरव दादा जी को समझा रहा tha कि ये सिर्फ एक गिफ्ट बॉक्स है, लेकिन दादा जी कह रहे the कि उन्हें पता है इसमें कुछ ना कुछ ऐसा होगा जिससे हमारी फैमिली को खतरा है. 

आरव बताता है कि ये गिफ्ट उसके दोस्त राजेश मित्तल ने भेजा है लेकिन दादा जी मानने को तैयार नहीं. वो बस उस बॉक्स को baahar फेंकने की ज़िद कर karte hain. आरव दादा को वो बॉक्स खोल कर दिखाना चाहता tha लेकिन वो उसे खोलने नहीं देते. अगर राजेश ने शर्मा परिवार का पास्ट बताते हुए आरव को अपना असली नाम बताया होता तो वो समझ जाता कि दादा जी क्यों इतना डर रहे the, लेकिन उसने अपनी कहानी में अपना नाम रंजन शर्मा बताया tha. इस वजह से वो भी नहीं समझ पा रहा कि आखिर दादा जी क्यों इतने डरे हुए हैं. 

इंसान किसी अपने की अचानक से ऐसी हालत देख कर पहले डरता है लेकिन अगर सामने वाला बार बार एक ही बात दोहराता रहे तो उसे चिढ़ मचती है. आरव को भी दादा जी की एक बात बार बार दोहराने पर अब चिढ़ होने लगी थी. उसकी आवाज़ बार बार tez होती जा रही थी, निशा और माया उसे समझा रहे थे कि वो दादा जी पर इस तरह से गुस्सा ना करे. 

दादा जी- आरव इस बॉक्स को अभी के अभी बाहर फेंक. तू नहीं जानता इसमें kuch भी हो सकता है. कोई बॉम्ब, सांप या कुछ भी जो हमारी फैमिली को खत्म कर देगा. वो शैतान हमें तबाह कर देगा. कबीर को भी यहाँ से कहीं दूर ले जा. जल्दी कर, जा इसे बाहर फेंक. 

आरव- दादा जी आप समझ क्यों नहीं रहे, ये गिफ्ट मेरे एक Known ने भेजा है. इसमें कुछ भी ऐसा नहीं जैसा आप सोच रहे हैं. आप कहें तो मैं इसे खोल कर दिखा देता हूँ. 

आरव के बार बार कहने पर भी दादा जी नहीं मानते जिसके बाद आरव उठ कर जबरदस्ती बॉक्स खोलने लगता है. दादा जी उसे रोकने की कोशिश karte हैं. लेकिन आरव बॉक्स खोल कर ज़ोर से कहता है..

आरव- देख लीजिये, कहाँ hai इसमें bomb या फिर सांप? पापा के लिए ये छोटा सा केक है इसमें. कहें तो ये केक भी काट कर दिखा दूं? अब तो ठीक है ना?

बॉक्स खुलते ही दादा जी ऐसे शांत हो गए जैसे उन्हें किसी ने नींद से जगा दिया हो. आरव झल्ला कर wahan se chala gaya. अगर बच्चो ने तेज आवाज़ में सॉंग ना लगाया होता तो आरव की आवाज़ पक्का sab tak pahuch जानी थी. माया ने दादा जी को पानी दिया और उनसे पूछा कि क्या वो आराम करना चाहते हैं? दादा जी कुछ नहीं बोले. ये सब माया ने क्या निशा ने भी पहली बार देखा tha. दादा जी कभी भी इस तरह से पैनिक नहीं करते थे. माया ने उन्हें party mein chalne के लिए कहा लेकिन उन्होंने कहा कि वो थोड़ी देर में आते हैं. माया उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी लेकिन उनके कहने पर उसे भी जाना पड़ा. Udhar राजेश ये अच्छे से जान रहा था कि उसके भेजे केक का दादा जी पर क्या असर हुआ होगा. वो अपनी जीत पर खुश हो रहा tha.  

मेहमानों ने खाना खा लिया और अब एक एक कर के जा रहे the. इस बीच अनीता ने राहुल की मम्मी से कहा कि अब उन्हें निशा और राहुल की शादी के बारे में जल्दी सोचना चाहिए. शहर में दोनों की लव स्टोरी को लेकर चल रही बातों से राहुल की मम्मी अनजान नहीं thin. वो अनीता की टेंशन समझ रही thin. उनहोंने कहा कि वो जल्दी ही इस बारे में अपने घर में सलाह कर के उन्हें बतायेंगी. इधर निशा अपनी मम्मी के बिहेवियर से खुश lag rahi thi. जिस तरह उनहोंने राहुल की फैमिली को ट्रीट किया उससे उसे बहुत अच्छा लगा. अब धीरे धीरे उसकी सोच अनीता के लिए बदल रही thi. आज अनीता ने माया और निशा दोनों का दिल खुश किया. कबीर के दोस्त bhi चले गए हैं. वो अब दादा जी को खोज रहा है. 

वो उनके रूम में जाता है तो देखता है कि वो रो रहे the. वो दादा जी से पूछता है कि वो क्यों रो रहे हैं. उसे देख कर दादा जी अपने आंसू छुपाते हैं. वो बार बार उनसे उनके रोने की वजह poochta hai. थक कर दादा जी उसे कहते हैं कि उन्हें एक भूत डरा रहा है. कबीर उस भूत के बारे में जानना चाहता tha. दादा जी कहते हैं कि वो उससे बहुत सालों पहले मिले थे. तब वो बहुत प्यारा हुआ करता था फिर वो अचानक से गायब हो गया. अब वो दोबारा लौट कर उन्हें pareshan कर रहा है. कबीर उनकी बातें बड़े ध्यान से सुनता है और बड़ी ही मासूमियत से कहता है कि दादा जी ना घबराएं, वो राम जी से कह कर उस भूत को भगा देगा. राम जी अपने दोस्त हनुमान जी को भेजेंगे और वो अपनी गदा से उस भूत को खूब मारेंगे. 

दादा जी उसकी बातें सुन कर मन ही मन कहते हैं कि काश राम जी अपना कोई दूत भेज देते जो उन्हें इस राजेश नाम के भूत से बचा पाता. दादा जी कबीर को समझाते हैं कि जब तक हनुमान जी आ नहीं जाते तब तक वो कुछ बातों का ध्यान रखे. किसी भी अनजान के साथ बात ना करे, कोई कुछ दे तो उसे na ले, घर से बाहर अकेले na जाए और स्कूल में भी कोई बाहरी मिलने आये तो उससे बात ना करे. कबीर उनकी बातों पर हां में सिर हिलाता है. दादा जी उसे गले लगा कर खूब प्यार करते हैं. 

आज का दिन शर्मा परिवार के लिए बहुत थका देने वाला था. आरव ने निशा और माया को दादा जी वाली बात किसी से भी डिस्कस करने से मन किया था. फिर भी उन्होंने बॉस दादी को इस बारे में बता दिया. बॉस दादी घबराई हुई दादा जी के पास gayin. उनहोंने उनसे उनका हाल पूछा जिस पर वो फिर से रोने लगे. उन्होंने कहा कि उन्हें राजेश का डर सता रहा है. उन्होंने ये भी बताया कि आज सुबह राजेश आया था. दादी को ये बात पहले से पता थी लेकिन उन्होंने उन्हें बोलने दिया. दादा जी ने आगे बताया कि राजेश ने उन्हें धमकी दी है कि अगर उसे हिस्सा नहीं मिला तो वो इस परिवार को तोड़ देगा. 

बॉस दादी- आप hi ने उसे इतना बिगाड़ा है. याद है ना वो आपका लाडला हुआ करता था. जब भी कुछ गलत करता और मैं उसे मारने जाती तो आप उसे बचा लेते थे. इसीलिए आपके सामने इतना बोल लेता है. अब आये तो कहना मुझसे बात करे, फिर देखना मेरी जुत्ती उसे कैसा सबक सिखाती है. वो बस इसलिए बिगड़ा क्योंकि उसे आपका बिलकुल भी डर नहीं था वो हर बार सोचता था कि वो कुछ भी गलत करेगा और आप उसे बचा लेंगे. और रही इस परिवार को तोड़ने की बात तो कहिये उसे, दम है तो तोड़ के दिखाए. यहाँ सब भले एक dusre की बातों पर सहमत नहीं होते मगर ऐसा नहीं है कि किसी के कहने पर अपनों से बगावत कर लेंगे. 

दादा जी- मुझे भी ऐसा ही लगता था सुमित्रा कि हमारा परिवार नहीं टूट सकता मगर अब मुझे डर लगने लगा है. आरव को राजेश के बारे में पता चल गया है. उसने ये नहीं बताया कि उसे ये सब बातें किसने बतायीं लेकिन अब वो मुझे और अपने पापा को एक धोखेबाज मान रहा है. जब मैंने उससे अपनी बात कहनी चाही तो वो वहां से चला. ये सब मुझे डरा रहा है. 

दादा जी को इस तरह से घबराया देख बॉस दादी ने उन्हें हिम्मत दी लेकिन सच तो ये था कि उनकी बातें सुन अब उन्हें भी घबराहट हो रही थी. उन्हें पता था कि जब कोई इंसान बदला लेने पर आता है तो वो अपने अंदर के सारे emotions और प्यार को भूल जाता है, फिर उसे अपने भी दुश्मन लगते हैं. राजेश के अंदर तो इस समय लालच और बदला दोनों थे. वो बहुत बड़ा ख़तरा था इस परिवार के लिए. आज पूरी रात दोनों की आँखों में नींद नहीं थी. बॉस दादी ने थोडा सोना भी चाहा तो दादा जी की हलात देख कर सो नहीं पायीं.  

आज आरव की फिर से राजेश के साथ मुलाक़ात हुई. उसने उसे दादा जी वाला किस्सा बताया कि किस तरह वो उनके भेजे केक को देख कर डर गए थे और बार बार उसे बाहर फेंकने की बात कर रहे थे. इस पर राजेश ने हँसते हुए कहा कि इस उम्र में अक्सर ऐसा हो जाता है ये कोई बड़ी बात नहीं है. राजेश ये सुन कर मन ही मन खुश होता है कि उसने जैसा सोचा था वैसा ही हो रहा है. वो दादा जी के मन में isi tarah डर पैदा कर के उनसे अपना हिस्सा निकलवाना चाहता tha. इसके लिए ही तो उसने आरव को अपना हथियार बनाया. फिलहाल वो खुश करने के लिए बताता है कि उसका एक विदेशी दोस्त उसके बिजनेस में इन्वेस्ट करने के लिए तैयार हो गया है. वो 10 दिन बाद इंडिया आ रहा है. उससे मीटिंग के बाद अगर उसे आरव का आइडिया पसंद आया तो बड़े से बड़ा इन्वेस्टमेंट करने से पीछे नहीं हटेगा. राजेश आखिर में कहता है कि उसे पूरा भरोसा है उसके विदेशी दोस्त को उसका आइडिया ज़रूर पसंद आएगा. 

आरव khush ho jata hai. इससे पता चल रहा tha कि राजेश ने उसका ट्रस्ट किस हद तक हासिल कर लिया है. वो जल्दी घर पहुंच कर माया को ये खुशखबरी देना चाहता tha. लेकिन वो जब घर पहुँचता है तो देखता है कि वहां अलग ही माहौल है. उसे माया से पता चलता है कि पापा ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है. सब उसका ही इंतज़ार कर रहे थे. 

सबको ये चिंता है कि हॉस्पिटल से आने के baad विक्रम सबसे क्या कहना चाहता है? कहीं कोई ऐसी बात ना हो जिससे उसकी टेंशन और बढ़ जाए और उसकी तबियत खराब हो जाए. डॉक्टर ने पहले ही ये वोर्निंग दे दी thi कि विक्रम के लिए अब स्ट्रेस जानलेवा साबित हो सकता है. इधर कबीर अपने काम पर लगा हुआ tha. वो गले में ड्रम लटकाए पूरे घर में घूम घूम कर शोर मचा रहा tha कि दादू ने मीटिंग बुलाई है. हालांकि उसे इस मीटिंग में शामिल नहीं होना है. सुशीला उसे बाहर आइसक्रीम दिलाने ले जा रही है. 

बाकी सब लोग विक्रम के कमरे में जाते हैं. वो lete हुए the. सबको देख कर वो बेड पर ही उठ कर बैठ जाते हैं. बाक़ी सब भी जगह देख कर बैठ जाते हैं. सबकी नज़रें विक्रम पर हैं….  
 

क्या विक्रम फैमिली के सामने अपने पुराने raaz खोल देगा? अगर ऐसा होता है तो फैमिली का इस पर क्या रिएक्शन होगा?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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