परिवार, सच सामने आने से उतना कमज़ोर नहीं होता जितना कि सच छुपाने से ho jaata hai. कोई मेंबर कितनी भी बड़ी गलती kanr ke baad, अगर परिवार में सच बता दे तो परिवार situation को सम्भाल लेता है लेकिन जब कोई अपने किए को छुपाने लगता है तब परिवार में दरार padni शुरू हो जाती hai. क्योंकि आप कितने भी माहिर झूठे क्यों ना हों एक के बाद एक झूठ बोलने के बाद झूठ आपके चेहरे पर साफ़ दिखने लगता है. 

आरव भी apna सच छुपाने लगा tha. एक तरफ वो दादा जी और अपने papa के सच छुपाने से गुस्सा tha लेकिन वो खुद भी अब यही कर रहा tha. राजेश ने उसे बहाने से कॉल कर घर से बाहर बुला लिया था जिससे कि वो घर जा कर दादा जी को धमका सके. आरव घर लौटा तो उसे माया का सामना करना पड़ा. उसके पास ये सवाल है कि पापा अभी अभी हॉस्पिटल से लौटे हैं. घर में मेहमान आ रहे हैं और वो इस बीच बिना बताये कहाँ चला गया था?

माया- मुझे नहीं लग रहा कि इस समय कोई मीटिंग इतनी भी इम्पोर्टेंट होगी कि तुम बिना बताये baahar चले गए और घंटे भर में लौट भी आये.

आरव- माया मैं कबीर नहीं हूँ, जो कहीं भी जाऊंगा तो तुम्हें बता कर जाऊंगा. हज़ार बातें हैं, हज़ार काम हैं, सबके लिए मैं किसी से परमिशन तो लेने नहीं जाऊंगा ना. 

माया- परमिशन लेने और बता कर जाने में फर्क होता है. और काश तुम कबीर जितने समझदार रह पाते. 

इतना कह कर माया वहां से चली गयी. आरव उसको कुछ कह नहीं पाया. दादा जी ने उन दोनों को bahas karte हुए देख लिया था मगर इस समय वो सिर्फ राजेश के बारे में सोच रहे थे. उन्हें ये डर सता रहा था कि राजेश का सच जब आरव और निशा के सामने आएगा तो वो कैसे रिएक्ट करेंगे. दादा जी इस बात से अनजान हैं ki जिस तूफ़ान को सोच कर वो घबरा रहे हैं वो उनके घर में घुस चुका है. 

आरव ne bhale hi maya se bahas ki ho, लेकिन उसे समझ आ रहा है कि माया परेशान है. उसे माया की परेशानी jaayaz भी लग रही thi. पहले आरव उसे busy होने के बावजूद भी बहुत वक्त दिया करता था लेकिन अब उससे बात तक नहीं कर पाता. आरव की जिंदगी में भी बहुत कुछ चल रहा है जो माया को nahin pata. आरव अब चाहता है कि वो माया को कुछ ज़रूरी बातें बता दे जिससे कि उसे उसकी परेशानी का अंदाजा लग सके. 

Wahin, कबीर अपने घर की तमाम टेंशन्स से दूर अपने दादा जी के ठीक होकर लौट आने की ख़ुशी मना रहा tha. विक्रम के हॉस्पिटल जाने के बाद वो खुल के हंसा भी नहीं था लेकिन अब वो बहुत खुश है. वो बार बार मंदिर में राम जी की मूर्ति के पास जा कर उन्हें थैंक यु बोल रहा tha. उसके दोस्त चले गए, वो सब अब शाम को पार्टी के लिए आएंगे. कबीर दादू के रूम का दरवाज़ा खोल कर बार बार देख रहा tha. वो उनके जागने का इंतज़ार कर रहा tha. उसे उनसे बहुत सी बातें करनी thin, बहुत कुछ बताना tha. विक्रम की आंख खुलते ही कबीर ने दरवाजे से अपनी गर्दन निकाल कर usse पूछा. क्या वो उनके साथ बैठ सकता है? विक्रम ने मुस्कुरा कर उसे अपने पास बुलाया. Kabir andar gaya aur vikram ke paas baithte hi puchne laga…

कबीर- अब आप Dobara हॉस्पिटल नहीं जाओगे ना?

विक्रम- नहीं बेटा, कभी नहीं जाऊंगा.

कबीर- आप नहीं रहते तो मेरा दिल नहीं लगता. 

हालांकि परिवार के किसी भी मैम्बर के कुछ दिनों के लिए baahar जाने के बाद कबीर उनसे यही लाइन कहता tha. सच तो ये है कि वो किसी को फैमिली से दूर नहीं देख सकता. उसकी बात में इतनी मासूमियत है कि विक्रम ने उसे गले लगा लिया.

कबीर- आपने कहा था ना राम जी से प्रे करो. मैं roz करता था और उनहोंने आपको ठीक bhi कर दिया. 

कबीर की इस बात पर विक्रम ने उसका माथा चूम लिया. कबीर ने उन्हें बताया कि हीरा अंकल आये थे. उनको चोट लगी थी. उन्होंने कहा है कि वो जल्दी लौटेंगे. इसके साथ ही उसने इस beech घर में हुई सारी बातें बता दीं. उसने उन्हें ये भी बताया कि उनके फ्रेंड आये थे क्या वो उनसे मिले? जब विक्रम ने उससे डिटेल में उस फ्रेंड के बारे में poochha तो समझ गया कि वो राजेश था. वो हॉस्पिटल से ही खुद को राजेश के लिए तैयार कर रहा था. 

डर भी जब बार बार सामने आने लगता है तो इंसान उसके लिए खुद को तैयार कर लेता है. फिर डर उसके लिए उतना डरावना नहीं रह जाता. विक्रम ने भी इस राजेश नाम के डर के लिए खुद को तैयार कर लिया है. दादा जी विक्रम से फिलहाल जो बात छुपाना चाहते थे, कबीर ने अपनी मासूमियत दिखाते हुए वो बात उन्हें बता दी. इसके बाद उसने अपने दादू से कुछ बातें कीं और कहा कि शाम को पार्टी में खूब धमाल करना है. 

Dusri taraf आरव ghar ke baahar garden mein बैठा कुछ सोच रहा tha. दादा जी टहलते हुए uske paas aaye, उनहोंने आरव को कुछ सोचते हुए देखा तो उसके पास बैठ गए. उन्हें लग रहा है शायद उसकी माया से jo बहस हुई है wo इसी वजह से परेशान है.

दादा जी- जब पता है कि झगडा करने के बाद परेशान ही होना है तो फिर झगडा करते क्यों हो? जाओ माया को मना लो, तुम्हारा मन अपने आप शांत हो जायेगा. 

दादा जी को अपने पास बैठा देख आरव अपनी बात कहने से खुद को रोक नहीं पाया. उसने गुस्से में कहा..

आरव- मेरा मन माया की वजह से नहीं आपके और पापा की वजह से disturbed है. 

दादा जी- हमने ऐसा क्या कर दिया? चलो मैं तुम्हें business का पूरा होल्ड देने से manaa किया तो हो सकता है उससे नाराज हो, लेकिन विक्रम तो इतने दिन से हॉस्पिटल में था. उसने ऐसा क्या कर दिया?

आरव- बात आज की नहीं है, बात आप दोनों के पास्ट की है. आप दोनों ने हमसे इतनी बड़ी बात कैसे छुपायी. और तो और मम्मी और दादी ने भी कभी कुछ नहीं बताया हमें.

दादा जी को ये सुनते ही झटका लगा. जो बात वो इतने सालों से छुपाते आ रहे थे वो भला आरव को कैसे पता चल गयी? इसके बाद भी उन्होंने बात से अनजान बनते हुए कहा कि वो क्या बात कर रहा है उन्हें समझ नहीं आ रहा. 

आरव- दादा जी मैं सब जान गया हूँ. आपके दो बेटे हैं, एक विक्रम शर्मा और dusre जो पता नहीं अब इस दुनिया में हैं भी या नहीं. उन्होंने कुछ भी किया हो लेकिन उनके बारे में कम से कम परिवार को तो पता होना चाहिए था. आज वो पता नहीं किस हालत में होंगे और हम उनके हिस्से पर ऐश उड़ा रहे हैं. मुझे सोच कर ही शर्म आ रही है कि हमने किसी का हक़ मारा है. आप तो हमेशा से हमें ईमानदारी का पाठ पढ़ाते रहे ना, फिर आपने अपने ही बेटे के साथ बेमानी कैसे कर दी? मैं अभी ये बातें नहीं करना चाहता. आप लोग चाहे जैसे भी रहे हों मगर मुझ में इंसानियत है. मैं अपने पापा को इस हालत में ये नहीं जानने दे सकता कि उनका काला सच अब मेरे सामने आ चुका है. अच्छा होगा आप भी इस बारे में अभी बात ना करें. सही टाइम आने पर इस बारे में बात होगी और वो भी कायदे से होगी. मेरा बस चलेगा तो मैं kahin se bhi unhein dhoondh launga.

किसी बात को दबाने से भी ज्यादा खतरनाक है उस पर आधी बात होना. आरव ने भी यही गलती की, उसने अपने हिस्से की बात तो कह दी मगर दादा जी की सुनने से पहले उसने अपने पापा की तबियत का हवाला दे दिया. दादा जी ये सोच कर हैरान थे कि आरव को ये raaaz पता कैसे लगा. उन्हें शक हुआ कि हो ना हो ये राजेश ने ही आरव को ये सब बताया होगा. लेकिन फिलहाल उनके पास कोई रास्ता नहीं था. वो बस खामोश रह सकते थे. 

इधर निशा और राहुल पार्टी से पहले थोड़ी देर के लिए बाहर मिले. निशा चाहती thi कि राहुल के पेरेंट्स आज उनकी शादी की बात कर लें. Is par राहुल का कहना है कि उसे कोई इशु नहीं लेकिन वो खुद 5 महीने बाद मुंबई जा रही है, ऐसे में उन्हें थोडा टाइम इस रिलेशन को देना चाहिए. राहुल ने saaf saaf keh diya कि उसके लिए नया वर्क लोड होगा, नयी जगह होगी, नए लोग मिलेंगे. हो सकता है इन सबसे उसको अपने इस शादी के फैसले पर पछताना पड़ जाए इसीलिए उसे अभी इसे होल्ड पर रखना चाहिए. निशा ने भी इस बात को समझा और सोचा कि उसे कोई एक फैसला लेना पड़ेगा. वो भी बहुत जल्दी. 

Kuch der baad आरव अपने रूम में wapas आ गया. माया उससे नाराज़ तो है लेकिन उसने उसे पहले कभी इतना परेशान नहीं देखा. वो अपनी नाराजगी को एक तरफ रख कर उससे पूछती है कि क्या हुआ? जिसके जवाब में आरव रो पड़ता है. माया को समझ नहीं aata कि वो क्यों रो रहा है. वो उसे चुप कराने की कोशिश करती है लेकिन वो लगातार रोए जाता है. उसे डर है कि कहीं कबीर अपने पापा को इस तरह रोता ना देख ले. वो उठती है और रूम का दरवाजा band देती है. वो आरव को चुप karwate हुए पूछती है कि क्या हुआ है? आरव काफी देर तक रोने के बाद कहना शुरू करता है..

आरव- मैं बहुत बुरी तरह फंस चुका हूँ माया. इस फैमिली में, अपने सपने में, बिजनेस में हर तरफ से मैं उलझ चुका हूँ. मुझे समझ नहीं आ रहा कि कैसे इन सबसे निकलूँ. एक के बाद एक ऐसी बातें मेरे सामने आ रही हैं जो मुझे हारा हुआ महसूस करा रही हैं. पापा की कंडीशन ऐसी है कि मैं उनसे बात नहीं कर सकता. मैंने अपने प्रोजेक्ट के लिए इन्वेस्टर्स को मना लिया था मगर फैस्मिली बिजनेस के लिए उन्हें manaa karna pada aur ab दादा जी मुझे बिजनेस का पूरा कंट्रोल bhi नहीं देना चाहते. बताओ जिस फैमिली के लिए मैंने अपने सपने को छोड़ा वही अगर मुझ पर ट्रस्ट ना करे तो मैं क्या करूं? लेकिन अब मैं खुद को साबित करना चाहता हूँ. कोई मेरा साथ दे ना दे, मुझ पर ट्रस्ट करे ना करे मगर मैंने जो ठान लिया है उसे पूरा कर के ही मानूंगा. 

इतना कह कर आरव फिर से माया के गले लग कर रोने लगा. उसने उसे कहा कि इस बीच वो बहुत कुछ ऐसा करेगा जिससे माया को लगेगा कि वो बदल गया है लेकिन ऐसा नहीं है. वो बस खुद को साबित करना चाहता है. कम से कम माया उस पर ट्रस्ट करे. माया भी उसे समझाती है और कहती है कि वो हर तरह से उस पर ट्रस्ट करेगी. 

Wahin, Dada ji apne kamre mein lete हुए the, वो कुछ सोच रहे the. तभी राजेश उनके कमरे में आता है. उसके साथ कबीर भी है. उसके चेहरे पर ऐसी डरावनी हंसी है जैसे कि वो कबीर के साथ कुछ गलत कर देगा. दादा जी उसे कहते हैं कि वो कबीर को जाने दे. वो उसके साथ बैठ कर बात करेंगे. मगर राजेश कहता है कि अब बहुत बातें हो चुकीं अब उसे बदला चाहिए. जैसे उन्होंने और विक्रम ने मिल कर usse uska परिवार छीना वैसे ही वो भी एक एक कर के सबको उनसे छीन लेगा. इसके साथ ही राजेश चाकू nikaalta है और कबीर की गर्दन पर लगा देता है. दादा जी राजेश को रोकने के लिए आगे बढ़ते हैं लेकिन इससे पहले ही…

 

क्या राजेश बदला लेने के लिए कबीर को भी नुक्सान पहुंचाएगा? क्या शर्मा फैमिली का पास्ट उनके present की खुशियाँ छीन लेगा?

जानने के लिए पढ़िए कहानी का अगला भाग।

 

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