"तुम्हारी सांसें गिनी जा चुकी हैं, नीना..." एक ठंडी, metallic sound ने अंधेरे को चीर दिया।
नीना की आँखें झटके से खुलीं। धुंधला... सब कुछ धुंधला था। जैसे कोई सपना उसकी आँखों के सामने टूट रहा हो। उसकी साँसें तेज हो गईं, सिर चकरा रहा था, और गर्दन के पीछे एक तेज दर्द... जैसे कोई सुई चुभो दी गई हो।
"मैं... कहाँ हूँ?"
उसने हिलने की कोशिश की, लेकिन तभी एहसास हुआ— हाथ-पैर जकड़े हुए थे। कलाईयाँ रस्सियों से छिल चुकी थीं, खून के धब्बे उसकी त्वचा पर सूख गए थे। वह एक पुरानी, लोहे की कुर्सी से बंधी हुई थी, और चारों तरफ़... बस अंधेरा।
तभी— एक कर्कश हँसी ने उसका ध्यान भंग किया- "तुम्हें याद नहीं आ रहा, है ना?"
सामने से आती रोशनी में एक लंबी परछाईं धीरे-धीरे बढ़ रही थी। आदमी ने कदम बढ़ाया, और नीना की साँसें रुक गईं— डॉ. अलिस्टेयर क्रॉस।
उसकी आँखों में वही खालीपन, वही निर्मम मुस्कान। वह नीना के सामने झुका, उसकी ठुड्डी को ज़ोर से पकड़कर अपनी तरफ़ खींच लिया-
"मैंने तुम्हें चेतावनी दी थी... जो मेरे एक्सपेरिमेंट्स के बारे में जानता है, वह या तो मेरा पार्टनर होता है... या फिर सब्जेक्ट।"
नीना ने अपने होठ काट लिए, खून का स्वाद मुँह में फैल गया वो बोली-
"तुम पागल हो...! पुलिस तुम्हें ढूँढ लेगी।" उसकी आवाज़ काँप रही थी
"पुलिस?" क्रॉस ने ठंडे अंदाज़ में कहा, "तुम्हारी डेड बॉडी के बिना... केस फाइल हमेशा के लिए अधूरा रहेगा, नीना।"
और फिर... उसने अपने कोट की जेब से एक चमकती हुई सुई निकाली।
नीना की आँखें फैल गईं— "No...! NO..."
डॉ. क्रॉस ने एक कदम आगे बढ़ाया, उसके चेहरे पर एक अजीब-सी मुस्कान थी। वो बोला- “तुम्हें लगता है कि तुम जीनियस हो है ना? लेकिन ये सच नहीं है नीना।मुझे सब पता है कि तुम्हारी आँखों के पीछे कुछ और है।”
नीना का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि डॉ. क्रॉस क्या कह रहा है।उसकी आवाज़ हल्की सी कांप रही थी, "क्या… क्या मतलब?"
डॉ. क्रॉस ने उसकी आँखों को गौर से देखा, "तुम्हारी आँखें, नीना। यही तुम्हारी असली पावर हैं।" वो नीना की आंखों में ऐसे देख रहा था जैसे उनमें कुछ ढूंढ रहा हो, फ़िर उसके करीब आ कर फुसफुसाया, "तुम एक एक्सपेरिमेंट हो और तुम्हें अब तक पता भी नहीं था कि तुम कौन हो।"
नीना ने घबराकर कहा, "तुम..तुम झूठ बोल रहे हो,तुम्हें मेरे बारे में कुछ नहीं पता। मैं ब्लाइंड हूँ। मेरी आंखें किसी काम की नहीं हैं।”
डॉ. क्रॉस हल्का सा हंसा। उसकी स्माइल कुछ ऐसी थी जिससे नीना और भी ज्यादा अनकम्फर्टेबल हो गई। उसने कहा, "तुम सच में नहीं समझ रही है ना? तुम्हारे अंदर कुछ और है, एक हिडन स्ट्रेंथ, जिसे तुमने कभी नोटिस ही नहीं किया। लेकिन फिक्र मत करो मैं हूं ना मैं सब ठीक कर दूंगा।”
नीना की सांसें तेज़ हो गईं,वो हकलाती हुई बोली, "म… मुझे नहीं पता कि तुम क्या कह रहे हो? मुझे कुछ नहीं मालूम। तुम मुझे यहाँ क्यों लाये?" उसकी आवाज़ में डर था, लेकिन एक अनकही तकलीफ भी थी, जिसे वह कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी।
डॉ. क्रॉस ने उसकी आँखों में गहरी नजरें डालीं, फिर ठंडी आवाज़ में कहा, “तुम्हें नहीं पता, लेकिन अब तुम जानने वाली हो।”
वह एक कदम और आगे बढ़ा और उसके चेहरे को दबाते हुए खौफनाक तरीके से बोला, "तुम जानने वाली हो तुम्हारी आँखों का राज़, नीना वह सिर्फ एक साधारण आँखें नहीं हैं। तुम्हारी आँखें इस दुनिया के सबसे बड़े रहस्य से जुड़ी हैं। और तुम्हें वह जानने का मौका मिलेगा।"
नीना की धड़कन तेज़ हो गई, और अब वह खुद को पूरी तरह से असहाय महसूस कर रही थी,उसने डरते हुए पूछा, "क्या तुम… क्या तुम मुझे मारने वाले हो?"
डॉ. क्रॉस ने कहा, “नहीं, मैं तुम्हें मारने वाला नहीं हूं, तुम अब मेरी एक्सपेरिमेंट का हिस्सा हो नीना। तुम्हारे पास अब वह सब कुछ है, जो मैंने वर्षों से ढूंढ़ा है।”
नीना का चेहरा अब पूरी तरह से भय से भरा था,उसने पूछा, “कौन हो तुम? और यह सब क्या है?”
डॉ. क्रॉस ने फिर से एक ठंडी मुस्कान दी और उसके सामने खड़ा होकर कहा, “मैं वो हूं जो तुम्हें सच बताने वाला हूं, नीना। तुम एक नई दुनिया की चाभी हो। और अब तुम जानने वाली हो कि क्यों मैं तुम्हारा पीछा कर रहा था।”
यह शब्द जैसे नीना के कानों में गूंज रहे थे, और उसका शरीर कांपने लगा। क्या सचमुच उसकी आँखों में ऐसा कुछ था, जिसे वह खुद भी नहीं जानती थी? उसकी आँखों में एक रहस्य था, जो अब उसे डर में डाल रहा था।
सिर्फ अंधेरे में बंधी हुई वह कुर्सी और उस रहस्यमयी आदमी की बातें, नीना को पूरी तरह से अपनी स्थिति का एहसास दिला रही थीं। उसकी जिंदगी अब कभी भी वैसी नहीं रहेगी।
तभी डॉ. क्रॉस नीना के बिल्कुल नज़दीक आया और उसके कान में आहिस्ता से बोला, “आय नो तुम अंधी नहीं हो नीना”
ये सुन कर नीना शॉक्ड हो गई। नीना का दिल तेज़ी से धड़क रहा था, उसकी आँखें अब भी कांप रही थीं। डॉ. क्रॉस का हर शब्द उसके भीतर डर का एक नया गुबार छोड़ रहा था। उसने जो कुछ भी कहा, वह समझने की कोशिश कर रही थी, लेकिन हर एक शब्द उसके दिमाग में कंफ्यूजन का एक नया चक्कर बना रहा था।
वह फिर से चिल्लाई, "तुम झूठ बोल रहे हो! तुम मुझे समझ नहीं रहे!" उसकी आवाज़ में घबराहट थी, वह खुद को बचाने के लिए हर हद तक जाने को तैयार थी। उसकी आँखों में गहरे डर के साथ गुस्सा भी था, लेकिन वह जानती थी कि अगर वह अब भी अपनी बातों को सच साबित करने की कोशिश करती रही, तो उसे बस और दर्द मिलेगा।
डॉ. क्रॉस ने उसकी हड़बड़ी पर एक ठंडी मुस्कान दी। जैसे नीना वह किसी मजाक का हिस्सा हो। उसने बड़े आराम से बोला, “तुम्हारा झूठ मेरे लिए कोई नई बात नहीं है। तुम समझ नहीं पा रही हो कि मैंने तुम्हें सिर्फ एक दिन नहीं बल्कि महीनों से ट्रैक किया है।”
नीना की आंखों में हैरानी और गुस्से का मिला रिएक्शन था। उसने घबराकर पूछा, “क… क्या? त… तुम मुझे महीनों से देख रहे थे?”
डॉ क्रॉस ने ठंडे और सख्त लहजे में कहा, “हाँ. तुम जैसे लोग मेरे लिए सिर्फ एक प्रयोग नहीं होतीं, नीना। तुम मेरे लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी हो, जो कई और लोगों से जुड़ी हुई है। तुम्हारी आँखें और तुम्हारा दिमाग,ये सभी मेरे लिए किसी खजाने से कम नहीं।”
नीना ने और बुरी तरह से उसे घूरा। वह नहीं समझ पा रही थी कि वह इस आदमी के बारे में क्या सोचे। उसने चिल्लाते हुए कहा, “तुम कोई इंसान नहीं हो,तुम क्या चाहते हो मुझसे?”
क्रॉस ने फिर से कहा, "मैं वही चाहता हूँ जो तुम्हारी आँखों के अंदर है, नीना," वह और भी करीब आ गया, और अब उसका चेहरा इतना करीब था कि नीना महसूस कर सकती थी उसके साँसों की गर्मी। "तुम्हारी आँखों के अंदर वह शक्ति है, जो बाकी सब से तुम्हें अलग करती है।”
नीना अब पूरी तरह से असहाय महसूस करने लगी थी। वह अपनी आखिरी उम्मीद के साथ, फिर से झूठ बोलने की कोशिश की, “मैं तुम्हारे साथ किसी तरह का खेल नहीं खेल रही हूं... तुम कुछ नहीं जानते।”
लेकिन इससे पहले कि वह और कुछ कहती, डॉ. क्रॉस ने जल्दी से अपनी जेब से एक सीरिंज निकाली और उसे नीना के गर्दन में इंजेक्ट कर दिया।
नीना ने घबराते हुए उसकी तरफ देखा, "तुम क्या कर रहे हो?" उसकी आवाज़ में डर था, लेकिन क्रॉस की आँखों में उसे कोई रहम नहीं दिख रहा था।
क्रॉस ने धीमे से कहा, "मैं चाहता हूं,तुम्हें इस दुनिया में जिन्दगी का सच्चा अहसास हो नीना।”
नीना चिल्लाई, “मुझे कोई एहसास नहीं चाहिए, मैं अपनी जिंदगी में खुश हूं जाने दो मुझे।”
डॉ क्रॉस ख़ौफ़ नाक तरीके से बोला, “लेकिन यह वो अहसास नहीं है, जो तुम जानती हो। एक बार तुम दुनिया को उसे नजरिए से देख लोगी जो मैं चाहता हूं फिर तुम्हें समझ में आएगा कि इस संसार के असली ईश्वर हम हैं।”
नीना चीखते हुए बोली, “तुम पागल हो, तुम्हें दिमाग के डॉक्टर की जरूरत है तुम इंसान नहीं दरिंदे हो।”
तभी उसे कुछ चुभा,नीना की आँखें फैल गईं, लेकिन वह कुछ नहीं कह पाई। सीरिंज में डाले गए रसायन ने उसे जैसे सुन्न कर दिया था। धीरे-धीरे, उसकी आँखों के सामने सब कुछ धुंधला होने लगा।लेकिन उसे क्रॉस की आवाज सुनाई दी, "क्या तुम कुछ महसूस कर रही हो?"
फ़िर वो हंसता हुआ बोला, "यह केवल शुरुआत है, नीना।"
नीना ने अपनी आखिरी कोशिश की, उसने अपनी आँखें मिचमिचाईं, लेकिन उसकी आँखों के सामने सब कुछ अब और धुंधला हो गया। सब कुछ काले अंधेरे में खो जाता गया।
नीना का दिल तेज़ी से धड़क रहा था। उसकी आँखें धीरे-धीरे खुल रही थीं, और वह खुद को एक अजनबी माहौल में पाती है। उसका सिर भारी था, जैसे किसी भारी बस्ते से दबा हुआ हो, और शरीर का हर हिस्सा सुन्न था। पहले उसे कुछ समझ नहीं आया—यहाँ वह कहाँ है?
फिर, एक तेज़ शोर और हलचल के बीच, उसने अपनी आँखें पूरी तरह से खोल लीं। वह एक अस्पताल के कमरे में लेटी हुई थी। सफेद दीवारें, डॉक्टर और नर्सों की हलचल, मशीनों की आवाज़ें, और बिस्तर के पास खड़ा एक बड़ा मॉनीटर जो उसकी धड़कन को लगातार रिकॉर्ड कर रहा था।
नीना ने बड़बड़ाते हुए, चुपचाप कमरे में अपनी आँखें घुमाई, "यह क्या हो रहा है?" वह धीरे से बिस्तर से उठने की कोशिश करती है, लेकिन उसका शरीर जवाब नहीं दे रहा था। जैसे कोई अजीब सा बोझ उसे थामे हुए हो।
उसने सांस ली और फिर खुद को खींचकर बिस्तर से उठने की कोशिश की। उसके हाथ काँप रहे थे, और वह यह नहीं समझ पा रही थी कि वह यहाँ कैसे आई। उसकी आखिरी यादें,वो वैन, उस डॉक्टर का चेहरा, और फिर अंधेरा। सब कुछ अब धुंधला था। एसी की सर्द हवा, और कहीं से आती एक हल्की सी आवाज़,वह बिल्कुल उलझन में थी। फिर अचानक उसकी आँखें एक नोटिस बोर्ड पर गईं।
उसने घबराकर बोर्ड को देखा। "नीना शर्मा? ये मेरा नाम है..."
वह कमरे में चारों ओर देखने लगी। एक तरफ डॉक्टर खड़े थे, जिन्हें वह पहचान नहीं पा रही थी। कुछ और नर्सें पास में ही थीं। लेकिन एक नर्स जो उसकी तरफ बढ़ी, वह नीना को बहुत अजनबी लग रही थी।
नर्स ने शांत आवाज़ में पूछा, "आप ठीक महसूस कर रही हैं?" लेकिन नीना के अंदर एक अजीब सी बेचैनी फैल गई।
नीना ने घबराते हुए पूछा, “मैं कहां हूं?”
उसकी आवाज़ में डर और उलझन थी, फ़िर भी सवाल जारी था, "क्या हुआ है मुझे?"
नर्स ने एक पल रुककर उसे देखा, जैसे वह कुछ कहने वाली हो, लेकिन फिर बिना कुछ कहे, वह कमरे से बाहर चली गई। नीना की आँखों में घबराहट बढ़ गई।
इसी बीच, डॉक्टर ने कमरे में कदम रखा। वह एक औसत उम्र का आदमी था, सफेद कोट में। उसकी आँखें गहरी और सख्त थीं, और उसका चेहरा नीना के सामने किसी रहस्य की तरह था।
डॉक्टर ने बिना किसी फॉर्मेलिटी के पूछा, "आपने क्या किया था?"
नीना ने चौंकते हुए उसकी तरफ देखा। “क्या?”
"आपकी मानसिक स्थिति और आपके शरीर में... असामान्य बदलाव दिख रहे हैं," डॉक्टर ने धीमी, पर गंभीर आवाज़ में कहा, उसकी उंगलियाँ नीना के मेडिकल चार्ट पर जकड़ गईं। "जो कुछ भी हुआ, हमें उसकी पूरी जानकारी चाहिए।"
नीना की साँसें तेज हो गईं। उसकी आँखें डॉक्टर के चेहरे पर जमी हुई थीं, मानो वह कोई विदेशी भाषा बोल रहा हो। "क्या... क्या बदलाव?" उसका स्वर काँपा, "यह कैसा मजाक है? मैं तो बिल्कुल ठीक हूँ!"
डॉक्टर ने धीरे से सिर हिलाया, उसकी नज़रों में एक अजीब-सी छटपटाहट थी। "क्या आपको कुछ भी याद नहीं? आप यहाँ एक महीने पहले आई थीं, नीना।"
"एक... महीना?" उसके शब्द हवा में लटक गए। अचानक, कमरे की दीवारें उस पर सिमटने लगीं। नीना ने अपनी कलाइयाँ पकड़ीं—वह ठंडी थीं, बर्फ की तरह। "मैं यहाँ कैसे आई? मुझे तो... कुछ भी याद नहीं..." उसकी आवाज़ एक फुसफुसाहट से ज्यादा नहीं थी।
डॉक्टर ने एक गहरी साँस ली, फिर मेज पर पड़ी एक रिपोर्ट उठाई। कागज़ की सरसराहट नीना के कानों में गूँजी। और फिर...
वह देख पाई।
रिपोर्ट के पार। डॉक्टर की त्वचा के पार। उसकी मांसपेशियाँ, नसें, धड़कता हुआ दिल—सब कुछ साफ़। खून की हर बूँद उसकी नज़रों के सामने से गुज़र रही थी। नीना की चीख़ गले में ही अटक गई।
पर सबसे भयानक वह छाया थी—डॉक्टर के पीछे खड़ी, लंबी, टेढ़ी। उसकी कोई आकृति नहीं थी, बस एक गहरा धुँधलापन... जो मुस्कुरा रहा था।
"आपको... वह दिख रहा है, ना?" डॉक्टर ने अचानक पूछा, उसकी आवाज़ अब पहले से बिल्कुल अलग थी।
आखिर नीना की आंखें जो देख रही थी वह क्या था?
कहां थी नीना? और क्या हो रहा था उसके साथ?
कौन था डॉक्टर क्रॉस और उसे कैसे पता की नीना अंधी नहीं है?
जानने के लिए पढ़ते रहिए “कर्स्ड आई”
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