राघव ने तबेले को पार कर करे पगडंडी वाले रास्‍ते को पकड़ लिया था...पतली सी मिट्टी की पगडंडी चांदनी रात में ग्रे कलर की लम्‍बी सी लाइन जैसी लग रही थी। पगडंडी के अगल-बगल थोड़ी दूरी पर छोटे-छोटे तालाब थे, किसी में कमल खिले थे किसी में गहरी हरी काई जमी थी और किसी में से कुछ गंदी बदबू भी आ रही थी, राघव की समझ में आ गया था कि जरूर इस तालाब में मछली पाली जाती होगी, तभी इतनी गंदी स्‍मेल आ रही है। 

यहां एक भी पक्‍का मकान नजर नहीं आ रहा था, राघव को आश्‍चर्य हो रहा था कि दिल्‍ली जैसी इंटरनेशनल और मेट्रो शहर से लगा यह कस्‍बा इतना पिछड़ा हुआ क्‍यों है, क्‍या अपराधियों का इतना दबदबा है कि पुलिस और आर्मी भी यहां नहीं आ सकती। आखिर क्‍या कारण हो सकता है इस गांव का आधुनिक सुविधा से न जुड़ने का....लालटेन और दीए की रोशनी में ही जिंदगी बिताने को मजबूर है, ऐसा लग रहा था कि सन अस्‍सी और नब्‍बे के समय के किसी गांव का मंज़र हो। 

तभी एक दहशत से भरी चीख सुनकर राघव के कदम जहां थे वहीं रूक गए, कुछ गोलियों के चलने की आवाज आई और फिर सबकुछ एकदम से शांत हो गया…जैसे अभी चार सेकेंड पहले कुछ हुआ ही न हो। हतप्रभ राघव एकदम सावधान हो गया, उसने अपने छोटे-छोटे हथियारों को टटोला, आसपास के घरों में देखा, उन्‍हें इस चीख और गोलियों की आवाज से कोई फर्क ही नहीं पड़ा था, उनके हाव भाव से लग रहा था कि जैसे यह यहां की दिनचर्या का ही एक काम हो, वे दिनभर रोज हजारों ऐसी चीखे सुनते हैं और दिनभर यहां गोलियों की धांय धांय होती रहती है। 

राघव ने चारों ओर देखा, सुमेधा अभी भी करीब आधे किलोमीटर की दूरी पर थी, हे भगवान मैं एक बार उसके पास पहुंच जाऊं फिर सबकुछ देख लूंगा। 

जतिन की खुफिया टीम ने बताया था कि बंसवारी के आसपास सियार और नीलगाय रहती हैं, नीलगाय तो कुछ नहीं करेंगी पर सियार हमला कर सकते हैं, कुछ आदमखोर सियार भी हैं, लेकिन वे सब घने बांस के जंगल में है, सुमेधा को बाहरी और कम घने बांस के जंगल में बनी झोपड़ी में रखा गया है, सियार आग से बहुत डरते हैं, अगर लगे कि वे हमला करने वाले हैं तो आग जलाकर उनके सामने कर देना, वे भाग जाएंगे।

राघव ने अपनी टीशर्ट के भीतर रखा पेपर टटोला, फिर जेब में रखे लाइटल को छुआ, सब अपनी जगह पर थे, बस अब सुमेधा तक पहुंचना था और किडनैपर को ठिकाने लगाना था। राघव को हैरानी हो रही थी कि वह सुमेधा के लगभग इतने करीब आ गया है पर कोई उसे रोकने के लिए क्‍यों नहीं आ रहा था…क्‍या यहां के लोगों ने किडनैपरों को नहीं बताया कि एक अनजान आदमी अंदर घुसा है?

तभी एक भारी और गहरी आवाज राघव के कान में पड़ी, ‘’ऐ अजनबी, रूक…कहां जाता है?‘’ राघव रूक गया, उसे इसी चीज का तो इंतजार था। 

राघव ने पीछे पलट कर देखा कि एक बाइक पर तीन तगड़े मोटे काले भददे आदमी सवार थे वे राघव के पास आ गए, बाइक चला रहे आदमी ने बाइक रोककर अपने मोबाइल की टार्च आन की, और राघव से कड़क आवाज में पूछा, ‘’इधर से कहां जा रहा है?‘’ 

राघव को पता था उसे क्‍या बोलना था, ‘’अपने घर जा रहा हूं हूजुर...’’ 

‘’इधर से तेरा घर कहां पड़ेगा, तू तो इस इलाके का नहीं लगता‘’ उस आदमी ने फिर से कड़क आवाज में पूछा।

‘’हां हूजुर, यहां मैं नया हूं, कानपूर से यहां मजदूरी करने आया हूं, एक ढाबे में हलवाई का काम पकड़ा है, यह जो सामने बंसवारी दिख रही है इसी के अंदर कालका नाम का एक कस्‍बा है ना वहीं मेरा किराए का घर है, यहां से नजदीक पड़ेगा तो यहीं का रास्‍ता पकड़ लिया।‘’ 

वह बदसूरत आदमी राघव को सिर से पांव तक ऐसे देखने लगा मानों वह उसका एक्‍सरे कर रहा हो, अपनी बाइक के पास उसने एक लठ भी खोंस रखी थी। राघव की मटमैली और पुरानी टीशर्ट, उस पर लगे हल्‍दी तेल के दाग और भदरंग पैंट, शरीर से आ रही प्‍याज और लहसून की तीखी गंध, उस आदमी को जरा भी शक नहीं हुआ कि यह एक अंडरकवर आफिसर है और खुद पुलिस कमिश्‍नर ने उसे भेजा है।  

‘’तुझे इस इलाके के बारे में किसी ने कुछ बताया नहीं.?’’ 

‘’नहीं साहब, मैंने तो कालका कस्‍बा जाने के लिए छोटा रास्‍ता किसी से पूछा तो उसने बताया कि इस इलाके से निकल जाओ, जल्‍दी पहुंच जाओगे, साहब मैं जाऊं, घर जाकर खा-पीकर सोना है और सुबह जल्‍दी ही ढाबे पर भी पहुंचना है।‘’ 

उस आदमी ने फिर कहा, ‘तुम टैम्‍पो पकड़कर भी ता जा सकते थे, इस रास्‍ते से पैदल जाने से वह कहीं अच्‍छा था, तुम जल्‍दी पहुंच जाते।‘’ 

‘’जेब में एक फूटी कौड़ी नहीं है हुजूर, अभी तो एक हफ्ता ही हुआ है काम पकड़े हुए...ढाबे का मालिक अभी एडवांस भी देने को तैयार नहीं है, ऐसे में हुजूर गरीब आदमी क्‍या करे कहां से पैसे लेकर आए?

फिर राघव ने उस बाइक पर बाकी दो आदमियों को देखा, बीच वाला नशे में धुत्‍त झूल रहा था वह आगे वाले और पीछे वाले के सहारे टिका था, पर राघव को इससे कोई मतलब नहीं था। उसने उस लठ वाले आदमी से कहा, ‘’हुजूर मुझे भी अपने इस फटफटिया पर बैठाकर ले चलिए, मेरे कस्‍बे तक पहुंचा दीजिए।‘’ 

‘’क्‍या बकवास कर रहा है, पीछे वाला बोला, जिसने बीच वाले नशेड़ी को पकड़ रखा था।…चल भाग यहां से, इसी बंसवारी के किनारे-किनारे होकर जाना....अंदर घुसा तो सियार खा लेंगे, और आइंदा से इधर से कभी मत आना। 

‘’यह मंगल भाई का इलाका है, मंगल भाई के बारे में अपने ढाबे के मालिक से पूछ लेना, वह तो जानता ही होगा,  तू नया है इसलिए तुझे छूट मिल गई पर अगली बार यह गलती करेगा तो यहीं मारकर यहां के किसी तालाब में फेंक देंगे।‘’ 

‘’जी हूजूर बहुत बड़ी गलती हो गई....मैं ध्‍यान रखूंगा।‘’ कहकर राघव एक ओर हो गया जिससे उन बाइक वालों को निकलने का मौका मिल सके। 

बीच वाले की हालत नशे के कारण बहुत खराब हो रही थी...वह अस्‍पष्‍ट सा कुछ बड़बड़ा रहा था, ...जल्‍दी करो मुझे उस लड़की के पास ले चलो, मुझसे और अब बरदाश्‍त नहीं होता...मैं उसे अपनी बाहों में लेना चाहता हूं।‘’ 

‘’शांत हो जाओ मनोहर...आज इतना पी लिया है कि किसी लायक नहीं रह गए हो…जी में आ रहा है कि यहीं किसी तालाब में फेंक दूं, मछलियों के लिए अच्‍छा खाना मिल जाएगा। ’’ फिर उसने बाइक ड्राइव कर रहे आदमी को इशारा किया, अब हम चलें…हमें जरूरी काम करना है और रात को ही करना है।‘’ 

क्‍या उसे होश आ गया होगा?

उस पीछे वाले ने एक हाथ से नशे में धुत्‍त मनोहर को संभाला बाइक चला रहे आदमी से बोला, ‘’हां अब तक तो आ गया होगा, हमारी राह देख रही होगी…चल जल्‍दी चल बहुत दिनों बाद ऐसा स्‍वादिष्‍ट माल चखने को मिलेगा।

 

यह सुनकर राघव ठीठक कर रह गया, क्‍या ये लोग सुमेधा के बारे में बात कर रहे हैं? तो मतलब जतिन का अनुमान सही था, ये लोग सुमेधा को एक साधारण लड़की समझकर ले आए हैं और अब उसके साथ कुछ ऐसा वैसा करना चाहते हैं। 

नहीं नहीं मुझे इन लोगों से पहले उस तक पहुंचना होगा, वे लोग कहां है जिनके बारे में जतिन ने बताया था कि मेरे बांस के जंगल में पहुंचते ही वह भी पहुंच जाएंगे। पर ये लोग तो बाइक पर हैं और मैं पैदल, इन्‍हें पता है कि सुमेधा कहां है और मुझे तो उसे ढूंढना होगा।

तभी एकाएक जैसे चमत्‍कार हुआ, वह आदमी जो नशे में धुत्‍त था उसने अपनी कमर में खोंसी हुई बंदूक निकाली और सामने बैठे बाइक वाले की सिर में पीछे से ही गोली मार दी...वह वहीं ढेर हो गया, बाइक का बैलेंस बिगड़ गया और इससे पहले की बाइक जमीन पर गिरती वह बीच वाला उछलकर उतरा और खड़ा हो गया, पीछे बैठा वह आदमी शुन्‍य भाव से मनोहर को देखने लगा, ‘यह…यह क्‍या किया तुमने मनोहर, सुजीत को मार क्‍यों डाला?‘’

मनोहर ने उसके किसी भी सवाल का जवाब दिए बिना फिर से गोली चलाई, गोली उसके सीने में लगी और वह भी तुरंत ढेर हो गया। 

राघव को कंपकंपी छूट रही थी, मनोहर बंदूक लिए हुए राघव की ओर मुड़ा और बोला, ‘’अब तुम ऐसे खडे-खड़े देख क्‍या रहे हो, चलो जल्‍दी से आओ इन दोनों की लाश को तालाब में फेंकने में मदद करो, आज मछलियों को अच्‍छी दावत मिलेगी।‘’ 

राघव को अभी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था, मनोहर उसके मन में चल रहे शंका को तुरंत भांप गया और बोला, ‘’मैं यशवर्मन सर के लिए काम करता हूं, पिछले बीस सालों से एक सड़क छाप गुंडा और चेन स्‍नेचर बनकर काम रहा हूं, अब आओगे इन दोनों को तालाब में फेंकने में मेरी मदद करो।‘’ 

राघव जैसे होश में आया, उसने हां में सिर हिलाया और मनोहर की मदद से पहले तो बाइक को खड़ा किया और फिर खून से सने सुजीत की दोनों टांगे पकड़ी, मनोहर ने सुजीत के दोनों हाथ पकड़े और पगडंडी की दूसरी ओर ठहरे एक गहरे तालाब में पूरी ताकत लगाकर फेंक दिया...तेजी से छपाक की आवाज आई, पानी के छींटे राघव और मनोहर के चेहरे पर आ गिरे, बबलू के साथ भी यही प्रक्रिया की गई। 

राघव अभी भी यह सब देखकर हतप्रभ था, मनोहर ने बाइक स्‍टार्ट की और राघव को पीछे बैठने का इशारा किया...राघव उसके पीछे बैठ गया और मनोहर से पूछा, ‘’इनकी डेड बॉडी को ऐसे तालाब में फेंकने का क्‍या मतलब था? इनके घरवालों को सौंप देते, वे पूरे रीति रिवाज से अंतिम संस्‍कार करते।‘’ 

मनोहर ने हंसते हुए बाइक स्‍टार्ट की और बंसवारी वाले जंगल की ओर बाइक को घुमाते हुए बोला, ‘’यहां के किसी भी अपराधी का अंतिम संस्‍कार नहीं होता है, सब ऐसी ही मौत मरते हैं।‘’ 

फिर राघव ने पूछा, अगर इनके साथियों ने तुमसे पूछा कि ये दोनों कहां है तो क्‍या जवाब दोगे?‘’

मनोहर ने कहा, ‘’यहां कोई किसी से पूछताछ नहीं करता है, यहां कोई किसी का साथी नहीं है, सब अपने-अपने हिस्‍से का क्राइम करते हैं, पैसे कमाते हैं और मौज करते हैं।‘’ 

‘’यह बाइक किसकी है?‘ राघव ने पूछा। 

‘’यह चोरी की है, केवल बाइक ही नहीं, मोबाइल भी चोरी का है‘’ मनोहर ने सपाट उत्‍तर दिया। 

यशवर्मन सर के लिए काम करते हो, और इतनी चोरियां भी करते हो?‘’ 

अगर न करूं तो यहां के क्रीमिनलों की नजर मुझ पर कैसे पड़ती और मैं धीरे-धीरे उनका खात्‍मा कैसे करता?‘

‘ओह अब समझा कि लोग यशवर्मन पर इतना भरोसा क्‍यों करते हैं, अच्‍छा तो तुमने मुझे कैसे पहचान लिया कि मैं वही हूं जो उस सुमेधा नाम की लड़की को छुड़ाने आया हूं?‘

‘’सर ने पहले ही बता दिया था कि तुम बांस के जंगल के बाहर वाली पगडंडी पर मिलोगे, हुलिया भी बता दिया था।‘’ 

राघव कुछ धीरे से बोला, ‘’उस लड़की के साथ क्‍या करने का प्‍लान था?‘’ 

मनोहर ने कहा, ‘’मेरा नहीं उन दोनों का था।

अभी हम कितनी दूर है,’’ राघव अब एक बहुत घने बांस के जंगल से गुजर रहा था, दोनों ओर इतने बांस के पेड़ थे कि उनके बीच में से बाइक बहुत ही मुश्‍किल से होकर गुजर रही थी, बांस की पत्‍तियों की रगड़ से राघव की दोनों बांह में खरोंच आ गई थी, जतिन ने यह नहीं बताया था नहीं तो वह फुल स्‍लीव की टीशर्ट या शर्ट पहन लेता जैसे मनोहर ने फुल बाजु का कुर्ता पहन रखा था।‘’ 

मनोहर ने कहा, ‘’बस अब पांच मिनट में पहुंचने वाले हैं, हम उस लड़की को लेकर कालका वाले रास्‍ते से निकलेंगे, वहां पर एक टैक्‍सी तुम्‍हारा इंतजार कर रही होगी, टैक्‍सी का नंबर मैं तुम्‍हे बता दूंगा, ड्राइवर का नाम दिनेश है, वह तुम्‍हें और सुमेधा को पुलिस हेडक्‍वाटर्र छोड़कर निकल जाएगा, हेडक्‍वाटर्र के अंदर यशवर्मन सर तुम्‍हें मिल जाएंगे।‘’ 

राघव ने हां में सिर हिला दिया। 

‘’अच्‍छा, एक बात बताओ, दिल्‍ली की इस जगह पर लगभग सारे देश के कुख्‍यात अपराधियों ने शरण लिया हुआ है, क्‍या तुम्‍हें कभी डर नहीं लगता है कि अगर किसी समय तुम्‍हारी पोल खुल गई और तुम पकड़े गए तो क्‍या होगा?‘’ 

नहीं सर, मैं भी एक पक्‍का खिलाड़ी बन चुका हूं, क्रीमिनल बनकर क्रीमिनल को मारता तो हूं पर कोई सुबूत पीछे नहीं छोड़ता। 

राघव और मनोहर उस जगह पहुंचे जहां पर सुमेधा को रखा गया था...उसने बाइक को झोपड़ी से बहुत दूर ही रोक दिया था। और दबे पांव उस झोपड़ी की ओर बढ़ते गए, पर झोपड़ी के बाहर का नजारा देखते ही दोनों की टांगे जम गई। मनोहर का माथा पसीने से सराबोर हो गया, सुमेधा को छुड़ाना अभी जितना आसान लग रहा था अब उतना ही बड़ा जी का जंजाल हो गया था। 

 

ऐसा क्या देखा राघव ने झोपड़ी के बाहर? 

क्या सुमेधा सही सलामत बच पाएगी? 

वो कला साया किसका था? 

जानने के लिए पढ़ते रहिए… 'बहरूपिया मोहब्बत'!
 

 

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