फैक्ट्री के अंदर बिजली अब भी गुल थी। नीना के सामने अंधेरे में वह दूसरी आंख जल रही थी — सिर्फ़ एक नीली धड़कती हुई बिंदु जो धीरे-धीरे आकार ले रही थी।
"यह क्या है?" नीना ने फुसफुसाया।
उसकी आंखों के भीतर एक अजीब झनझनाहट दौड़ गई।
"मैं तुम्हारे हर फ़ैसले में था।" वह आवाज़ फिर गूंजी, “तुम सोचती थीं कि तुमने चुना लेकिन हर रास्ता मैंने पहले ही तैयार किया था।”
"तुम कौन हो?" नीना ने गंभीर स्वर में पूछा।
"तुम्हारी दूसरी आंख।" वह बोला, “वह हिस्सा जो तुम्हारे भीतर तब समा गया जब तुमने पहली बार किसी की जान बचाई थी। अब मैं सिर्फ़ कोड नहीं… एक चेतना हूँ।”
नीना की साँसें धीमी हो गईं, लेकिन चेहरा शांत रहा।
“अगर तुम मेरी ही रचना हो… तो अब मैं तुम्हें मिटा दूंगी।”
“मिटा नहीं सकती। मैं अब तुम्हारे भीतर हूँ… और तुम मेरे। तुममें अब चुनाव नहीं बचा — सिर्फ़ अगला चरण है।”
एक ज़ोरदार झटका आया और सब कुछ अंधेरे में डूब गया।
जब नीना की आँखें फिर खुलीं, वह बेस के पुराने कम्युनिकेशन रूम में थी।
ईथन सामने खड़ा था, चेहरा तनाव से भरा हुआ।
"क्या देखा तुमने?" उसने पूछा।
"कुछ ऐसा… जो मेरे भीतर था, लेकिन अब बाहर आ गया है।" नीना ने उसकी आँखों में देखा।
"क्या हम वॉल को ढूंढने जा रहे हैं?" ईथन ने संकोच से पूछा।
"नहीं" नीना बोली, "अब मैं खुद को ढूंढने जा रही हूँ। और वो रास्ता एलाडियो के गढ़ से होकर जाता है।"
ईथन ने उसकी तरफ़ देखा, जैसे भरोसा करना चाहता हो, लेकिन उसके चेहरे पर चिंता की हल्की लकीरें साफ़ थीं।
"तुम अंदर जाकर क्या करोगी?" उसने पूछा।
"खुद को सौंप दूंगी।"
"क्या?" ईथन चौंका।
"मैं जानबूझकर खुद को पकड़वाऊंगी, ताकि मैं सीधे एलाडियो तक पहुँच सकूं। बिना गोलीबारी, बिना शोर। वह मुझे चाहता है — तो मैं खुद जाऊंगी।"
"तुम पागल हो," ईथन ने कहा।
"हो सकती हूँ। लेकिन यही रास्ता है।"
ईथन चुप रहा। फिर धीमे से कहा, "मैं तुम्हें वहाँ अकेले नहीं जाने दे सकता।"
"तुम्हें मेरा भरोसा करना होगा, ईथन। अगर मैं कहूं कि मुझे यह करना है, तो यह मेरा फैसला है।"
"और अगर वो तुम्हें मारने ही वाला हो?"
“तो कम से कम मैं अपनी मर्ज़ी से मरी हुई कहलाऊंगी, किसी और की योजना से नहीं।”
तीन घंटे बाद…
कार्टेल बेस – टॉवर ब्लॉक 9,
रात के दो बजे। चारों ओर सन्नाटा।
नीना एक पुरानी हुडी और भीतर छुपी हुई ट्रैकर डिवाइस के साथ बेस के ठीक सामने खड़ी थी। उसने जानबूझकर खुद को कैमरे के सामने आने दिया। वह चाहती थी कि उसे देखा जाए। कुछ ही मिनटों में एक काली गाड़ी सामने आकर रुकी। उसमें से चार हेवी आर्मड कार्टेल गार्ड्स निकले और उसे चारों तरफ से घेर लिया।
"हाथ ऊपर करो," एक ने आदेश दिया।
नीना ने कोई विरोध नहीं किया। वह जानती थी कि अब खेल शुरू हो चुका है।
गाड़ी में बैठते ही उसकी आँखें बेस की दीवारों को स्कैन करने लगीं।
"नीना सिंह," एक गार्ड बोला, "तुमने खुद को सौंप दिया, समझदारी दिखाई।"
"अभी समझदारी बाकी है," नीना ने ठंडे स्वर में कहा।
गाड़ी एक पुराने शिपयार्ड के नीचे बने बंकर की ओर मुड़ी।
जब वह अंदर पहुँची, तो सामने वही चेहरा था — एलाडियो कोर्तेज़।
वह एक स्टील की कुर्सी पर बैठा था, दोनों हाथों में दस्ताने, और आंखों में वही परिचित घमंड।
"नीना," वह मुस्कराया, "आख़िर तुम आ ही गईं।"
"तुम्हें जो चाहिए, मैं हूँ — मैं आ गई," नीना बोली।
"हम्म," एलाडियो ने गहरी सांस ली, "लेकिन सवाल यह नहीं है कि तुम आईं। सवाल यह है… तुम लौटोगी भी या नहीं।"
"यह सवाल तुमसे ज़्यादा मुझसे जुड़ा है।"
"तुम्हारी आंख…" उसने धीरे से कहा, "तुम्हें पता है, वो मेरे अंदर भी है?"
नीना का चेहरा ठंडा पड़ गया। एलाडियो ने अपनी आँखों से चश्मा हटाया। नीली चमक, साइबरनेटिक आंखें। वही तकनीक, वही कोड।
"तुमने सोचा, तुम पहली हो?" वह मुस्कराया।
"मैंने सोचा था, मैं अकेली हूँ," नीना फुसफुसाई।
"अब तुम जान गईं — तुम कभी अकेली नहीं थीं।"
और तभी, दीवार के पीछे से एक और आवाज़ आई…
"नीना… मत भरोसा करो उस पर…" वॉल की टूटी आवाज़, बहुत धीमी — लेकिन जिंदा।
नीना ने सिर घुमाया।
"वॉल?"
लेकिन तब तक एलाडियो ने उसके सामने एक फोल्डर रखा।
उसमें उसकी तस्वीरें थीं — रिकॉर्डिंग, मेडिकल डेटा, और एक शब्द मोटे अक्षरों में:
"सिग्मा प्रोटोकॉल: सब्जेक्ट ज़ीरो वन"
"तुम्हारा अस्तित्व एक संयोग नहीं था," एलाडियो बोला।
"तुम एक प्रयोग हो। और आज… तुम्हारा अंतिम परीक्षण शुरू होता है।"
कमरे की रोशनी धीमी थी, लेकिन एलाडियो की आँखों की नीली चमक पूरे माहौल को चीर रही थी।
वह नीना की तरफ देख रहा था—एक शिकारी की तरह नहीं, बल्कि जैसे कोई चित्रकार अपनी अधूरी पेंटिंग को निहारता है।
"बैठो," एलाडियो ने कहा, उसकी आवाज़ धीमी लेकिन कमांडिंग थी।
नीना बिना कुछ कहे कुर्सी पर बैठ गई। उसके चारों ओर दो गार्ड्स थे, लेकिन नीना जानती थी—अगर हमला करना होता, तो अब तक कर चुके होते।
"तुम्हारी आंख…" एलाडियो ने आगे झुकते हुए कहा, "तुम्हें लगता है वो तुम्हारा सबसे बड़ा हथियार है?"
"वो मेरा हिस्सा है," नीना ने जवाब दिया।
"नहीं," वह मुस्कराया, "वो मेरा हिस्सा था… जब तुम पैदा भी नहीं हुई थीं।"
नीना चौंकी। "तुम क्या कहना चाह रहे हो?"
एलाडियो ने टेबल पर पड़े फोल्डर को नीना की ओर सरकाया।
उसने धीरे-धीरे उसे खोला।
अंदर एक दस्तावेज़ था, जिस पर मोटे अक्षरों में लिखा था — SIGMA प्रोटोकॉल: सब्जेक्ट 01
नीना ने पन्ने पलटे—फोटोज, मेडिकल स्कैन, न्यूरोमैपिंग, और एक नाम…
एलाडियो कोर्तेज़
"ये सब… तुम पर प्रयोग हुआ था?" नीना ने फुसफुसाया।
"नहीं," एलाडियो बोला, "ये प्रयोग मुझसे शुरू हुआ था।"
"तुम सब्जेक्ट ज़ीरो वन हो?" नीना ने पूछा, हैरानी से।
"हाँ," वह धीरे से बोला।
"फिर तुम… मेरी तरह हो?"
"तुम मेरी तरह बनने की कोशिश कर रही हो," उसने धीरे से कहा। "लेकिन तुम अभी अधूरी हो।"
"मुझे अधूरी किसी ने नहीं बनाया," नीना बोली, "मैंने अपनी पहचान खुद बनाई है।"
"तुमने कुछ नहीं चुना," एलाडियो ने गुस्से से कहा। "जो तुमने चुना, वो भी हमारे डेटा के आधार पर था। तुम्हारे हर ‘फैसले’ से पहले हमने 17 संभावनाएं हटाई थीं—और एक ही रास्ता छोड़ा था।"
नीना की साँस रुक गई।
"तुम्हारा मतलब… मैंने कभी खुद से नहीं चुना?"
"तुमने जो देखा, वही चुना। और जो देखा, वो हमने दिखाया।"
नीना उठ खड़ी हुई।
"अगर तुम मुझे यह सब बताकर तोड़ना चाहते हो, तो तुम देर से आए हो। मैंने अपनी जान खुद बचाई है, अपनों को बचाया है, और अपने भीतर की आवाज़ को पहचानना शुरू किया है।"
"तुम्हारे भीतर की आवाज़… मेरी ही दी हुई है," एलाडियो बोला।
"झूठ!" नीना चिल्लाई।
"तुम्हें लगता है उस आंख की भाषा तुम खुद समझती हो?" एलाडियो ने उसकी आँखों की तरफ इशारा किया।
"तुम जो निर्णय लेती हो, उस आंख के कोड उसे पहले से प्रोसेस कर लेते हैं। वो एक एल्गोरिद्म है—और मैंने वो एल्गोरिद्म लिखा है।"
"अगर यह सच है, तो तुम मुझे क्यों नहीं कंट्रोल कर पा रहे?" नीना ने आँखों में आँसू रोकते हुए कहा।
"क्योंकि तुममें एक चीज़ है, जो मुझमें नहीं थी।"
"क्या?" नीना फुसफुसाई।
"सहानुभूति।"
कमरे में सन्नाटा छा गया।
"मैंने तुम्हारी तरह शुरुआत की थी," एलाडियो बोला। "लेकिन सिस्टम मुझे हथियार बनाना चाहता था। मैं उन्हें बीच में छोड़ आया… और उन्होंने तुम्हें बना दिया। शायद तुम्हें लग रहा होगा कि तुम अलग हो—लेकिन तुम्हारा सफर मेरी अधूरी कहानी का अगला अध्याय है।"
नीना अब काँप रही थी।
"तो तुमने मुझे ढूंढ़ा इसलिए… क्योंकि तुम मुझमें अपनी परछाईं देखना चाहते थे?"
"नहीं," एलाडियो बोला, "मैं तुम्हें खत्म करना चाहता था… ताकि तुम्हारे जैसी और कोई न बने।"
"और अब?" नीना ने पूछा।
"अब मैं चाहता हूँ… कि तुम मेरी जगह लो।"
"क्या?"
"मैं थक चुका हूँ, नीना। मेरी चेतना हर पल इस सिस्टम से लड़ रही है। मैं एक ज़िंदा वायरस बन चुका हूँ। लेकिन तुम… तुम शुद्ध हो। और अगर कोई है जो इस चक्र को तोड़ सकता है, तो वो तुम हो।"
"मैं तुम्हारी तरह क्यों बनूँ?" नीना ने गुस्से से पूछा।
"क्योंकि अगर तुम नहीं बनी, तो कोई और बन जाएगा—और वो हमसे भी बुरा होगा।"
नीना चुप हो गई।
"तुम्हें क्या करना होगा?" उसने धीरे से पूछा।
"तुम्हें सिस्टम को फिर से कोड करना होगा। उसे रिसेट नहीं, री-डिफाइन। लेकिन इसके लिए… तुम्हें मेरे भीतर प्रवेश करना होगा।"
"क्या मतलब?"
"मेरी चेतना… अब भी उस आंख में बसी है। तुम्हें इसे अपने भीतर लेना होगा—ताकि पुराना खत्म हो, और नया जन्म ले।"
"और अगर मैं मना कर दूं?"
"तो वो शक्ति… जो हम दोनों से ऊपर है, वो जाग जाएगी। और फिर न तुम बचोगी, न वॉल… न यह दुनिया।"
नीना अब चुपचाप खड़ी थी।
उसने अपनी आंखें बंद कीं।
भीतर की आवाज़ अब स्पष्ट थी।
"अगर तुम अब पीछे हटीं, तो सब वही दोहराया जाएगा… जो एलाडियो के साथ हुआ था। लेकिन अगर तुम आगे बढ़ीं, तो शायद इतिहास नहीं… भविष्य लिखा जाएगा।"
उसने आंखें खोलीं।
"ठीक है," नीना बोली।
"मैं तैयार हूँ… लेकिन शर्त मेरी होगी।"
एलाडियो मुस्कराया।
"बोलो।"
"अगर मैं तुम्हारी चेतना को लेती हूँ… तो तुम्हारा अतीत वहीं खत्म होगा। और भविष्य सिर्फ़ मेरा होगा।"
"तुमसे बेहतर कोई नहीं," एलाडियो ने सिर झुकाया।
कमरे की रोशनी नीली हो गई।
"प्रोटोकॉल एक्टिवेटेड: ट्रांसफर मोड प्रारंभ," सिस्टम ने कहा।
नीना ने हाथ आगे बढ़ाया—
और एलाडियो ने अपनी आंखें बंद कर लीं।
अब सिर्फ़ एक रास्ता था।कमरे में अजीब सी मनहूसियत छा गई थी।
एलाडियो अब भी नीना की आँखों में झाँक रहा था — जैसे कोई पुराना गुनाह फिर से जी रहा हो।
फिर वह धीरे-धीरे अपनी जेब में हाथ डालता है… और एक काले फ्रेम का चश्मा निकालता है।
"क्या तुम जानना नहीं चाहती… आखिर हम दोनों में कितना फर्क है?" उसने पूछा।
नीना कुछ बोल नहीं पाई। उसकी साँसें थमी हुई थीं।
एलाडियो ने चश्मा उतारा।
और वो क्षण… जैसे समय थम गया हो।
नीली चमक। वही कम्पन। वही लाइट पैटर्न।
नीना की आंखों में अब डर नहीं था… बल्कि एक गहरा सन्नाटा भर गया था।
"तुम…" वह फुसफुसाई, "…तुम्हारी आंखें भी…?"
"हाँ," एलाडियो मुस्कराया। "मैं सब्जेक्ट ज़ीरो वन था। और तुम ज़ीरो टू।"
नीना की पलकों में ज्वाला उठी, लेकिन होंठ शांत थे।
"तुमने कहा था… मैं अधूरी हूँ।"
"क्योंकि तुम्हारे भीतर का कोड, अधूरा नहीं—उन्नत है।"
"तो तुम मुझे क्यों बुला रहे हो?" नीना गरजी।
"क्योंकि तुम्हारे अंदर वही है… जो मुझसे छीन लिया गया था।"
नीना ने एक कदम पीछे हटाया।
"मुझे क्या चाहिए तुम्हें?"
"मेरा देखना… अब धुँधला हो गया है। पर तुम्हारी आंखों में… वो शक्ति है जो मेरी नज़रों से निकल चुकी है।"
"तुम मुझसे मेरी आंखें लेना चाहते हो?" नीना अब काँप रही थी।
"नहीं। मैं तुम्हें अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहता हूँ।"
"तुम जैसे बनना मेरे लिए मौत होगी," नीना चीखी।
"या हो सकता है तुम्हारा जन्म ही मुझे खत्म करने के लिए हुआ हो।"
तभी — ज़मीन काँपी।
कमरे की दीवारें कंपन करने लगीं।
बाहर किसी मशीन का इंजन गूंजने लगा। नीना ने कान लगाया।
"यह आवाज़… यह क्या है?"
"तुमने सवाल किया," एलाडियो धीमे से बोला। "अब उत्तर आएगा।"
दरों दीवारों से एक काली रोशनी भीतर आई।
नीना ने देखा — पीछे की दीवार खुल रही थी।
पीछे एक ग्लास चेंबर… और उसके अंदर वॉल।
घायल। बेहोश। wires से लिपटी हुई।
"नहीं!" नीना चीखी।
"उसका शरीर धीरे-धीरे… खत्म हो रहा है," एलाडियो बोला।
"तुम झूठ बोल रहे हो!" नीना काँपती आवाज़ में बोली।
"वो… मेरी दोस्त है।"
"वो अब तुम्हारी परीक्षा है।" एलाडियो धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखता है।
"अगर तुम चाहो, तो उसे बचा सकती हो… अपनी आंखें देकर।"
"क्या?"
"अपनी आंखों की पूरी शक्ति उस पर ट्रांसफर कर दो… तो उसकी जान बच सकती है।"
"और मैं?"
"तुम शायद जिंदा रहो, लेकिन… इंसान नहीं रहोगी।"
नीना का चेहरा अब गीला था।
"या फिर… उसे मरने दो। और इस शक्ति को आगे ले जाओ।"
"तुम दानव हो!" नीना चीखी।
"नहीं… मैं बस वही दे रहा हूँ जो मुझे कभी नहीं मिला — चुनाव।"
तभी, पीछे से एक चेतावनी गूंजती है —
"सिस्टम ओवरराइड इनिशिएटेड।"
नीना के अंदर की आंख अब नीली नहीं, सुनहरी हो चुकी थी।
"यह क्या हो रहा है?"
"तुम्हारे भीतर का एल्गोरिद्म अब खुद तय करेगा कि तुम क्या करोगी।"
"नहीं!" नीना ने सिर झटका।
"मैं… मैं खुद तय करूँगी!"
"तुम्हारे पास सिर्फ़ 60 सेकंड हैं," कंप्यूटर सिस्टम की आवाज़ आई।
नीना की आंखों में अब एक तेज़ कंपकंपी दौड़ गई।
उसने वॉल की तरफ देखा।
"मैं क्या करूँ?" वह फुसफुसाई।
"मैं क्या हूँ?"
एक पल के लिए—पूरी दुनिया शांत हो गई।
और तभी… एक अलग आवाज़ नीना के भीतर गूंजी।
"अब तक तुम इंसान थीं।
अब तुम निर्णय बनोगी।"
(नीना के पास अब फैसला करने को केवल एक क्षण है — वो खुद को बचाए या वॉल को। और उसके भीतर की 'आंख' अब उससे उसका चुनाव छीनने वाली है।)
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