नीना की आँखें आधी खुली थीं। कमरे में हल्की ब्लू लाइट चमक रही थी। शरीर भारी लग रहा था लेकिन उसकी साइबरनेटिक आँखें अब भी धीमे-धीमे सक्रिय थीं।
उसे याद आया—एलाडियो, गोलियाँ, भागना, फिर… अंधेरा। अब जब होश आया तो पहला चेहरा जो दिखा वो ईथन का था।
“तुम... यहाँ?” नीना बुदबुदाई।
ईथन ने उसकी जंजीरों को खोलते हुए कहा, “हमारे बीच बहुत कुछ अधूरा था लेकिन मैं तुम्हें मरने नहीं दे सकता था।”
“तुमने मुझे ढूंढा कैसे?” नीना ने पूछा, आवाज़ थरथराती हुई।
“वैल ने मुझसे संपर्क किया। मरने से पहले उसने मुझे तुम्हारा लोकेशन कोड भेजा था। फिर मैंने कुछ पुराने कॉन्टैक्ट्स की मदद ली—और यहाँ आ पहुँचा।”
नीना का गला रुंध गया।
“वैल… उसने तुम्हें भेजा?”
ईथन ने सिर हिलाया।
“तुम्हारी तरह वो भी बहुत जिद्दी थी। लेकिन तुम्हारे लिए… उसने सब छोड़ दिया।”
कमरे के एक कोने से आवाज़ आई—फुटस्टेप्स।
“जल्दी चलना होगा।” ईथन ने कहा। “उनकी टीम वापस आने वाली है।”
वो दोनों एक गुप्त निकास से बाहर निकले। सुरंगें, पाइपलाइन और टूटे हुए लोहे के रास्तों से होते हुए वे अंडरग्राउंड ट्रांजिट सिस्टम तक पहुँचे। ट्रैक के किनारे भागते हुए नीना ने पूछा, “तुम जानते हो न, मैं अब भी बदल रही हूँ? अंदर कुछ और जाग रहा है।”
ईथन ने उसकी तरफ देखा और काग, “जानता हूँ लेकिन अगर मैं तुम्हें अब भी इंसान समझता हूँ तो शायद तुम हो भी।”
“और अगर मैं कभी नहीं रुक पाई?” नीना की आवाज़ फुसफुसाई।
“तब… मैं तुम्हें खुद रोकूँगा।” ईथन ने शांत लेकिन दर्दभरे स्वर में कहा।
उनके पीछे गूंजती आवाजें तेज़ होती जा रही थीं—साइबरनेटिक एन्फोर्सर्स अब बहुत पास थे। नीना और ईथन ने दौड़ और तेज़ कर दी।
न्यूयॉर्क के अंडरग्राउंड टनल्स की दीवारों पर पानी टपक रहा था। सीलन की गंध, बिजली के तारों की हल्की झनझनाहट और हर कुछ सेकंड बाद सुनाई देती तेज़ भारी बूटों की आवाज़—नीना का दिल अब गर्दन में धड़कने लगा था।
"तेज़ चलो वे बहुत पास हैं!" ईथन ने फुसफुसाते हुए नीना का हाथ खींचा।
नीना जिसका एक पैर अभी भी दर्द कर रहा था उस ग्रेट के नीचे से निकल रही थी जहाँ से वे कुछ सेकंड पहले गिरे थे।
"वो… वो क्या थे?" नीना ने साँसों को काबू में लाते हुए पूछा।
"साइबरनेटिक एनफोर्सर। ह्यूमन नहीं हैं। उन्हें रोकना असंभव है। बस भाग सकते हैं।" ईथन ने सिर घुमाते हुए जवाब दिया।
पीछे से अचानक एक चीख गूंजी—किसी मेटलिक आवाज़ के साथ।
"उन्होंने हमें ट्रेस कर लिया…!" नीना फुसफुसाई।
ईथन ने जेब से एक छोटा रिमोट निकाला और एक दीवार के पैनल पर चिपका दिया।
"अगर मैं सही हूँ, तो तीन सेकंड में ये दरवाज़ा खुल जाएगा।"
"और अगर तुम ग़लत हुए?" नीना ने पलट कर पूछा।
"तो हम आज यहीं मरेंगे।"
तीन… दो… दरवाज़ा घिसकता हुआ खुल गया। दोनों ने एक साथ भीतर छलांग लगाई। दरवाज़ा फिर बंद हुआ। अब वे एक और सुरंग में थे— लेकिन यह सुरंग पुरानी और अंधेरे में डूबी हुई थी।
"हमें कहाँ जाना है?" नीना ने पूछा।
"वाल का दूसरा हाइडआउट यहीं से दो ब्लॉक नीचे है। अगर हम वहाँ पहुँच गए तो शायद।"
तभी नीना का ध्यान भटका। उसके दिमाग में फिर वही फुसफुसाहटें गूंजने लगीं।
"बाएँ मुड़ो… आगे खतरा है…"
नीना रुक गई।
"क्या हुआ?" ईथन ने पूछा।
"आँख… मुझे रास्ता दिखा रही है।"
"क्या तुम उस पर भरोसा कर रही हो?" ईथन ने सख्त लहजे में कहा।
"इस बार… मेरे पास कोई और रास्ता नहीं है।"
दोनों बाईं ओर मुड़े और जैसे ही मुड़े एक ज़ोरदार धमाका उनकी पिछली दीवार में हुआ। टनल हिल गई।
"अगर तुम नहीं बतातीं तो हम अब तक मर चुके होते!" ईथन ने कहा।
"इसलिए सुनना बंद करो और चलो!" नीना चीखी।
आगे एक पुराना सबवे स्टेशन था—जिसे अब कोई इस्तेमाल नहीं करता था। जगह-जगह सीमेंट टूटा हुआ, पटरियों पर जंग लगी और पानी बह रहा था।
"हम यहाँ रुक नहीं सकते।" ईथन ने कहा। "अगर ये जगह ट्रेस हो गई तो—"
तभी नीना का कदम एक वायर पर पड़ा। एक हल्की बीप की आवाज़ आई।
"रुको!" नीना चिल्लाई। "वो अलार्म था!"
लेकिन देर हो चुकी थी। सामने की दीवारें खुलीं और तीन साइबरनेटिक एनफोर्सर बाहर निकले—धातु की त्वचा, आँखों में लाल लाइट्स, और कंधे पर लगे मिनीगन्स।
"नीचे झुको!" ईथन चिल्लाया और दोनों ज़मीन पर गिर पड़े। एनफोर्सर ने फायरिंग शुरू कर दी—गोलियों ने दीवारों को चीर डाला। नीना की आँखें नीली चमकने लगीं।
"दाईं दीवार—कमज़ोर है—गिराओ!"
नीना ने अपनी पोजीशन बदली, दीवार की ओर देखा और ज़ोर से चिल्लाई—"गिराओ अभी!"
ईथन ने एक ग्रेनेड निकाला दीवार पर फेंका और अगली सेकंड में वो दीवार ढह गई—साथ ही दो एनफोर्सर भी उसके नीचे दब गए। तीसरा अब भी वहीं खड़ा था।
"भागो!" ईथन ने कहा।
नीना ने खुद को खींचा भागते हुए एक लैंडिंग पर चढ़ गई। एनफोर्सर ने पीछा किया।
"यहाँ से कूदना होगा।" ईथन ने कहा।
"ऊँचाई बहुत है!" नीना बोली।
"फिर भी करना होगा!"
दोनों ने छलांग लगाई। पानी के तेज़ बहाव में गिरे और कुछ देर तक अंधेरा छा गया। जब नीना की आँखें खुलीं, वो एक और सुरंग में थी। ईथन बगल में बेसुध पड़ा था। लेकिन उससे ज़्यादा डरावना था सामने की स्क्रीन। एक मॉनिटर झिलमिला रहा था। उस पर किसी का चेहरा था।
"वाल…!" नीना ने फुसफुसाया।
वाल की आँखों में दर्द था, चेहरा खून से लथपथ। नीना और ईथन गीले पाइपों और टूटे कंक्रीट के रास्तों से होते हुए पुराने स्टेशन की ओर बढ़ रहे थे। चारों ओर अंधेरा था, लेकिन नीना को रास्ता दिखाने के लिए अब किसी टॉर्च की ज़रूरत नहीं थी।
“बस थोड़ी दूर और…” ईथन ने कहा।
नीना कुछ नहीं बोली। उसकी चाल धीमी थी—लेकिन वजह थकान नहीं, अपराधबोध था। कुछ सेकंड बाद वो रुक गई।
“ईथन…” उसने धीरे से कहा।
वो पलटा।
“तुम्हें कुछ बताना है?” उसने बिना घबराए पूछा।
“मैं… मैं कभी अंधी नहीं थी।” नीना की आवाज़ टूट रही थी।
ईथन की आँखों में शॉक नहीं था। बस एक लंबी चुप्पी आई।
“मुझे शक था।” उसने कहा। “लेकिन क्यों?”
“उस वक़्त मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था,” नीना बोली। “अगर मैं झूठ नहीं बोलती, तो मुझे डिपोर्ट कर देते। और फिर वो लोग… जो मुझे ढूंढ रहे थे।”
ईथन ने गहरी साँस ली। उसके चेहरे पर गुस्सा नहीं था लेकिन भरोसा टूटने की एक साफ़ लकीर थी।
“कितने और झूठ?” उसने पूछा।
“कोई और नहीं।” नीना बोली। “मैंने सिर्फ़ ज़िंदा रहने के लिए झूठ बोला था… लेकिन अब ये झूठ मेरी ज़िंदगी बन गई है।”
ईथन ने कुछ देर कुछ नहीं कहा, फिर धीरे से बोला, “चलो। हमें वॉल के पास पहुँचना है।”
नीना ने हैरानी से उसकी तरफ देखा। “तुम मुझसे नाराज़ नहीं हो?”
“मैं हूँ। लेकिन मैं जानता हूँ कि इस लड़ाई में, सच और झूठ से ज़्यादा ज़रूरी है—साथ देना।”
वो दोनों चल दिए। कुछ ही देर में वे वॉल के सेकंड हाइडआउट पर पहुँचे। दरवाज़ा बंद नहीं था—थोड़ा टूटा हुआ लग रहा था।
“अजीब है,” ईथन ने कहा। “वॉल कभी बिना सिक्योरिटी के नहीं छोड़ती।”
नीना ने दरवाज़ा धीरे से खोला। अंदर अंधेरा था। मॉनिटर्स ऑफ थे, सर्विलांस कैमरा झपक रहे थे।
“वॉल?” नीना ने पुकारा।
कोई जवाब नहीं।
“यहाँ कुछ गड़बड़ है।” ईथन ने फौरन अपने बैग से एक स्कैनर निकाला। स्कैनर की लाइट नीली से लाल होने लगी।
“यहाँ हाल ही में कोई आया है और किसी को जबरदस्ती ले जाया गया है।”
नीना धीरे-धीरे कमरे की दीवारों पर चलती गई। उसकी आंखें डेटा पढ़ रही थीं—स्क्रैच मार्क्स, उंगलियों के निशान और फर्श पर खून की धुंधली बूंदें।
“वॉल लड़ी थी…” नीना फुसफुसाई।
“तो अब वो कहाँ है?” ईथन ने पूछा।
तभी एक मॉनिटर अपने आप ऑन हो गया। स्क्रीन पर एक ग्रे हेज आया फिर वीडियो स्ट्रीम शुरू हुई। वॉल थी—कुर्सी से बंधी हुई। चेहरा सूजा हुआ, होंठों से खून टपक रहा था। उसके पीछे एक आदमी खड़ा था—एलाडियो कोर्तेज़।
“हेलो, लड़की…” उसकी आवाज़ गूँजी।
नीना की साँस अटक गई।
“अगर वॉल को ज़िंदा देखना चाहती हो… तो आना होगा अकेली, वरना अगली बार जो तुम देखोगी वो उसका चेहरा नहीं उसकी कब्र होगी।”
वीडियो बंद हो गया। ईथन ने कुछ कहना चाहा लेकिन नीना पहले ही उठ खड़ी हुई।
“मैं जा रही हूँ।”
“रुको! ये जाल है।” ईथन चिल्लाया।
“मुझे फर्क नहीं पड़ता।” नीना ने कहा। “वॉल मेरे लिए लड़ी थी। अब मेरी बारी है।”
नीना ने भारी कदमों से बेस का पिछला गेट खोला। बाहर का माहौल ठंडा था हवा तेज़ चल रही थी और चारों ओर अंधेरे में शहर की रौशनी झिलमिला रही थी।पीछे ईथन अब भी खड़ा था।
"नीना, अगर तुम अकेली गईं तो वो तुम्हें खत्म कर देंगे।" उसने आवाज़ धीमी लेकिन दृढ़ रखी।
"मैं जानती हूँ।" नीना बिना पीछे देखे बोली।
"कम से कम कुछ और लोग ले लो। या मुझे साथ चलने दो।" ईथन ने कहा।
नीना ने सिर घुमाया। उसकी आँखें अब शांत थीं लेकिन उनमें आग थी।
"यह लड़ाई मेरी है। वॉल मेरी वजह से उस जाल में फँसी। अगर मैं उसे नहीं निकाल सकी… तो मुझे खुद को भी नहीं बचाना चाहिए।"
ईथन कुछ पल चुप रहा। फिर बस एक बात बोली, "अगर कुछ गड़बड़ हो, तो कम से कम सिस्टम को मत छोड़ना।"
नीना ने हल्के से सिर हिलाया। कुछ ही मिनटों में, वो एक पुरानी फैक्ट्री के दरवाज़े के सामने खड़ी थी। वहीं से एलाडियो ने वीडियो भेजा था। बिल्डिंग वीरान थी, मगर हर दीवार जैसे निगाह डाल रही हो। उसने धीरे से दरवाज़ा खोला। अंदर का सन्नाटा ऐसा था जैसे कोई साँस रोक कर इंतज़ार कर रहा हो। हर कदम की आवाज़ दीवारों से टकरा कर लौट रही थी। उसने जेब से स्कैनर निकाला—सिग्नल ज़ीरो।
"ये जगह स्कैन शील्डेड है।" नीना ने बुदबुदाया।
तभी ऊपर से एक हल्की सी चिंगारी गिरी—और नीना ने चौककर सिर उठाया। बालकनी पर कोई खड़ा था।
"नीना सिंह। वक्त से ठीक पहले पहुंच गई।" एलाडियो कोर्तेज़ ने कहा। उसकी आवाज़ में ठंडक नहीं जहर था।
"वॉल कहाँ है?" नीना ने सीधा पूछा।
"अपनी किस्मत से उलझ रही है। लेकिन पहले तुम्हें एक टेस्ट देना है।"
नीना ने अपनी आँखों से चारों ओर देखा—यहाँ अकेली नहीं थी। छह लोग छुपे हुए थे—मशीनगनों के साथ।
"अगर तुम जानती हो कि मैं अकेली आई हूँ, तो ये सब क्यों?" नीना ने पूछा।
"क्योंकि अब तुम सिर्फ़ नीना नहीं रही। तुम वो हो सकती हो जो सब कुछ बदल दे। और बदलाव… डरावना होता है।"
तभी पीछे से एक तेज़ फुसफुसाहट नीना के कानों में गूंजी।
"दो लोग बाईं ओर, तीन पीछे… एक ऊपर—स्नाइपर।"
नीना ने आंखें मूंदीं।
"अब तुम भी बोल रही हो?" उसने मन में पूछा।
"हम हमेशा बोले हैं… तुमने सुना नहीं।"
तभी एलाडियो ने सीटी बजाई। गोलियों की आवाज़ गूंज उठी। नीना ने दीवार की ओर छलांग लगाई और अपने शरीर को मोड़कर खुद को बचाया। उसकी आंखें नीली हो गईं—इस बार पहले से ज़्यादा तेज़। उसने हवा में देखा—सब कुछ धीमा हो गया। हर गोली, हर शूटर—जैसे फ्रीज़ हो गए हों।
"सिस्टम री-सिंक इनिशिएटेड," अंदर की आवाज़ बोली।
नीना ने फर्श पर एक टूटे हुए पाइप से धातु का टुकड़ा उठाया—और तीन सेकंड में चार हमलावरों को गिरा दिया। बच गया केवल एक—ऊपर का स्नाइपर।
“अगर वो चला तो वॉल।” उसने सोचा।
तभी बालकनी की रेलिंग के पीछे हलचल हुई।
वॉल।
उसने चुपचाप स्नाइपर के हाथ पर वार किया और हथियार गिरा दिया। नीना ने राहत की साँस ली। पर तभी… एलाडियो ने नीना की ओर पिस्तौल तानी।
"तुम समझती हो तुम जीत रही हो?" उसने गुर्राकर कहा।
"मैं जीत नहीं रही… मैं रास्ता बना रही हूँ।" नीना बोली।
"तुम्हारा सिस्टम तुमसे झूठ बोल रहा है," एलाडियो चिल्लाया। "जिसे तुम सुन रही हो, वो अब सिर्फ़ डेटा नहीं… वो अब भी तुम्हारे भीतर है। और एक दिन तुम्हें उससे लड़ना ही होगा।"
"मैं तैयार हूँ।" नीना ने जवाब दिया।
तभी बिल्डिंग की पूरी बिजली चली गई। गहरा अंधेरा। एक नई आवाज़ गूंजी।
"तो तुम सच में सोचती हो कि तुम उसे कंट्रोल कर सकती हो?"
नीना सन्न। ये एलाडियो नहीं था। ना ही उसका सिस्टम।
वॉल चिल्लाई— "नीना! ये वही है जो… हमने कभी देखा नहीं।"
"कौन है ये?" नीना ने पूछा।
"मैं वो हूँ जिसे तुमने सिस्टम समझा। मैं वो हूँ… जो तुम्हें कभी खुद से अलग होने नहीं देगा। मैं वही आवाज़ हूँ… जिसने तुम्हें अब तक चलाया है।
तुम समझती हो तुमने उसे खत्म किया लेकिन तुम सिर्फ़ उस दरवाज़े के इस पार आई हो।"
नीना की आंखें कांपने लगीं। वॉल अब भी बंधी हुई थी।
"नीना… ये असली टेस्ट है। अब जो भी फैसला लोगी… वही तुम्हारी पहचान तय करेगा।"
अंधेरे में फिर एक नीली चमक उभरी—एक और 'आंख'। लेकिन यह उसकी अपनी नहीं थी। बल्कि वह थी… जो उसे देख रही थी।
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