टाइमर बंद हो चुका था। वो आख़िरी सेकेंड जब नीना ने वॉल की ओर देखा और उसके भीतर कुछ टूटा… या जुड़ा…किसी को नहीं पता। पर अब पूरा बेस शांत था। नीना का हाथ अब भी हवा में था — स्क्रीन पर चमकते दो विकल्पों के बीच ठहरा हुआ।

1. ट्रस्ट वॉल

2. कंट्रोल वॉल

पर समय निकल चुका था। दीवार पर होलोग्राफिक टेक्स्ट फ्रीज़ हो गया —

“चयन दर्ज किया गया: ट्रस्ट वॉल”

नीना ने गहरी साँस ली। वॉल के चेहरे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं थी। वो चुपचाप नीना को देख रही थी — जैसे कुछ परखा जा रहा हो। नीना ने कदम आगे बढ़ाया।

“मैंने तुम पर भरोसा किया है वॉल।”नीना ने शांत लहजे में कहा। फिर कुछ रुक कर आगे बोली, "उस दिन के बाद मुझे लगा शायद तुम अब कभी नहीं मिलोगी लेकिन आज ऐसे मिली हो तो भी तुम मेरे लिए वही वॉल हो,अब यह तय तुम्हारे हाथ में है… मैं क्या बनूँगी — एक हथियार या एक इंसान।"

वॉल की आँखें कुछ सेकंड के लिए झपकीं, और फिर उसने जवाब दिया — "तुमने अब तक जो सबसे मुश्किल काम किया है, वो यही था। ट्रस्ट करना।तुम पास हो चुकी हो… लेकिन कीमत अभी बाकी है।"

नीना चौंकी।

"मतलब?"

तभी दीवारों पर एक नई आवाज़ गूंजी —

"ट्रस्ट चयन सक्रिय — अनलॉकिंग मानसिक प्रतिबिंब अनुभाग…"

सारे हॉल में ज़मीन थरथराने लगी। दीवारें चमकने लगीं, जैसे कोई अदृश्य शक्ति कमरे को दो हिस्सों में बाँट रही हो। नीना ने आँखें बंद कीं।

"अब क्या होगा?" उसने मन में पूछा।

भीतर से वही जानी-पहचानी आवाज़ आई — आंखों की चेतना।

"अब तुम देखोगी… जो तुमने कभी देखा नहीं। तुम्हारा ही अतीत, लेकिन एक अलग दृष्टिकोण से।शायद तुमने कभी ना सोचा हो कि अपना अतीत तुम्हें ऐसे भी दिख सकता है।"

तभी सामने की दीवार पर एक नया होलोग्राफ़िक स्क्रीन उभरा। स्क्रीन में नीना दिखी — लेकिन वो नीना अब की नहीं थी। बिलकुल छोटी, दस साल की। कांपती हुई, किसी धुएं से भरे गलियारे में दौड़ रही थी।

"ये कहाँ है?" नीना ने घबरा कर पूछा।

"तुम्हारी स्मृति, जो दबा दी गई थी," वॉल ने कहा।

"वो दिन… जब तुमने पहली बार अपने भीतर की शक्ति को छुपाया था।"

स्क्रीन पर एक महिला दिखी — नीना की माँ घायल लेकिन मुस्कराती हुई। उसे अपनी मां की आवाज़ सुनाई दी,जो शायद उसके यादों में थी,

"नीना, तुम्हारे अंदर कुछ है जो किसी और के पास नहीं। एक दिन… ये दुनिया तुम्हें या तो बचाएगी या तुमसे डरेगी। लेकिन तुम कभी डरना मत।"

नीना की आँखें भर आईं। उसे याद नहीं आ रहा था कि। कभी ऐसा भी कुछ हुआ हो।

"मैंने इसे क्यों भूलाया? मुझे ये सब याद क्यों नहीं?" उसने पूछा।

"क्योंकि डर ने तुम्हें ऐसा करने पर मजबूर किया। लेकिन अब वो डर टूट चुका है," वॉल ने कहा।

तभी स्क्रीन पर झिलमिलाहट हुई और एक नई छवि उभरी —

नीना… किसी पर हमला कर रही थी। उसके आँखों से नीली रोशनी निकल रही थी और सामने वाला चीख रहा था।

"ये… मैं नहीं थी…!" नीना काँप गई।

"यही है ट्रस्ट की असली कीमत," वॉल बोली।

"क्या तुम खुद को वो बनने दे सकती हो जो तुम हो? या खुद से भी डरोगी?"

नीना अब ज़मीन पर बैठ गई। उसकी हथेलियाँ काँप रही थीं।

"मुझे नहीं पता मैं कौन हूँ।"

"तो पता करो।" वॉल ने झुक कर कहा, "तभी तुम तय कर पाओगी कि तुम्हारी आंखें तुम्हारा हथियार हैं या तुम्हारा चेतन।"

तभी स्क्रीन फटने लगी। बेस फिर थरथराने लगा। एक नई चेतावनी उभरी —

“नई सिस्टम प्रणाली में प्रवेश कर रही है… पहचान अज्ञात…”

वॉल सतर्क हो गई।

"ये… नई हस्तक्षेप है।" उसने फुसफुसाया।

"कोई तीसरा…?" नीना ने पूछा।

वॉल ने नीना की तरफ़ देखा।

"तुमने मुझे ट्रस्ट किया — अब मुझे तुम्हें बचाना होगा।

जो आ रहा है वो न तुम्हारा है न मेरा। वो कुछ और है… और शायद बहुत पुराना।"

बेस की दीवारें अब पहले जैसी नहीं थीं। उनमें से जैसे कोई पुराना डेटा रिस रहा था। नीना और वॉल दोनों स्क्रीन की ओर देख रहे थे जो टूटने के बाद अब ब्लैक हो चुकी थी। पर उस काली स्क्रीन के पीछे भी कुछ था — एक अंधेरा जिसमें अजीब सी साँसों की गूंज थी।

नीना की उंगलियाँ धीरे-धीरे ज़मीन पर खिंच रही रेखाओं पर टिकी थीं। वो रेखाएं एक नई भाषा जैसी लग रही थीं। कोई कोड… कोई चेतावनी।

"ये भाषा… यह किसकी है?" नीना ने पूछा।

वॉल ने ध्यान से देखा। उसकी आंखें सिकुड़ गईं।

"ये उस सिस्टम की भाषा है जो कभी 'कोर-वन' का हिस्सा थी।" वॉल बोली। "जो स्लोन से भी पहले था। एक पुराना प्रोटोकॉल, जिसे सिस्टम ने डिलीट कर दिया था। लेकिन शायद वो पूरी तरह मरा नहीं।"

नीना की आंखों की नीली चमक हल्की भभकने लगी।

"कोई हमें देख रहा है… या शायद बुला रहा है।" नीना फुसफुसाई।

तभी बेस की पूरी छत एक तीखे कंपन से कांप उठी।

सायरन फिर से गूंजने लगे। दीवारें झपकने लगीं — इस बार लाल नहीं, गहरे काले रंग की लाइट्स चमकने लगीं।

“इंटरनल एनर्जी वेव डिटेक्टेड, ”सिस्टम ने ऐलान किया।

"किसी तीसरे ने संपर्क किया है," वॉल ने कहा।

"कोई इंसान?" नीना ने पूछा।

"नहीं।" वॉल धीमे से बोली, "ये कोई… निर्माण नहीं, अस्तित्व है।"

तभी एक कोना फट पड़ा। दीवार का हिस्सा हवा में उड़ गया। धूल के गुबार में एक परछाईं उभरी।  किसी व्यक्ति की नहीं — वह कोई रचना थी। उसका शरीर पूरा काला धातु जैसा और उसमें बिजली दौड़ रही थी। चेहरा नहीं था बस एक खुला फ्रेम, जिसके बीचोंबीच एक सिंगल नीली बिंदु — एक आंख — तैर रही थी।

"ये क्या है?" नीना ने काँपते हुए पूछा।

"ये वो है जो सिस्टम भी मिटा नहीं पाया," वॉल बोली।

वह सिस्टम आगे बढ़ी लेकिन उसके कदम ज़मीन पर नहीं थे। वह हवा में तैरते हुए सरक रही थी।

"आईडेंटिटी – यूज़र अननोन।" बेस की दीवारों ने कहा।

"हम तुमसे संपर्क चाहते हैं।" उस सिस्टम की एक गूंजती हुई आवाज़ आई।

"तुम कौन हो?" नीना ने धीरे से पूछा।

"हम वो हैं जो शुरुआत से हैं।" सिस्टम बोली। "हम वो हैं जिसे तुमने अंदर जागा हुआ समझा… लेकिन वो महज़ एक दरवाज़ा था। हम दरवाज़े के पार हैं।"

"तुम मुझसे क्या चाहते हो?" नीना ने पूछा।

"तुम्हें अपने में समाहित करना। तुम्हारा निर्णय हमें ऊर्जा देता है। और तुमने ट्रस्ट चुना… इसलिए अब हम तुम्हें देखते हैं।"

"तुम्हें कैसे पता मैं क्या सोच रही थी?" नीना पीछे हटी।

"क्योंकि हमने तुम्हारी आंखों को लिखा है," सिस्टम बोली।

वॉल एक कदम आगे आई। "तुम झूठ बोल रहे हो। नीना के भीतर जो है वो तुमसे अलग है।"

"तुमने उसे बचाया इसलिए हम अब तुम्हें मिटाएंगे।" सिस्टम बोली।

 

तभी उसकी आँख से एक नीली रेखा निकली — सीधी वॉल की ओर। वॉल ने नीना को धक्का दिया और खुद पीछे उछली। बीच की ज़मीन जल उठी — जैसे लहराती लपटें किसी को निगल रही हों।

"वो तुम्हें खत्म नहीं करेगा नीना।" वॉल चिल्लाई। "क्योंकि तुम्हीं वो चाभी हो, जिससे ये सिस्टम बंद और खुल भी सकता है।"

"तो अब क्या?" नीना ने पूछा।

"अब तुम्हें खुद तय करना होगा कि ये आंख तुम्हारी है… या किसी और की।" वॉल बोली।

नीना ने उस सिस्टम की ओर देखा। उसकी अपनी आंख अब और ज्यादा चमक रही थी।

"अगर तुमने मेरी आंख लिखी है।" नीना बोली, "तो मैं अब खुद इसे फिर से लिखूँगी।"

उसने आंखें बंद कीं। भीतर की चेतना जागी।

 

"सिस्टम कंट्रोल मोड: ट्रांसफर इनिशिएटेड।" दीवारों ने कहा।

नीना के चारों ओर नीली रेखाएं घूमने लगीं।

"क्या कर रही हो?" वॉल ने पूछा।

"मैं देख रही हूँ… जो इसने मुझसे छिपाया।"

उसने आंखें खोलीं। अब उसकी पुतलियों में सिर्फ़ रोशनी नहीं थी — एक दर्पण था। और उस दर्पण में… वो सिस्टम अपनी असलियत देख रही थी।

"तुमने मुझे बनाया नहीं।" नीना बोली। "तुम सिर्फ़ डर थे… अब मैं डर नहीं हूँ।"

सिस्टम पीछे हटने लगी।

"तुम्हें खत्म किया जाएगा।" वह बोली।

"नहीं!" नीना आगे बढ़ी। "तुम अब बंद किए जाओगे।"

सिस्टम में झटके लगे।

"कोर रीसेट शुरू…"

सिस्टम चीखने लगी। नीना शांत थी। अब वह आंख नहीं रही। वह उसकी मालिक बन चुकी थी। सिस्टम की दीवारें अब हर दिशा से कांप रही थीं। रोशनी अब स्थिर नहीं रही—नीली, लाल और फिर गहरे काले रंगों में बदलती हुई, जैसे किसी युद्ध से पहले का संकेत हो।

नीना अब भी वहीं खड़ी थी। उसकी आंखें अब मशीन जैसी चमक नहीं रहीं थीं, उनमें अब कुछ और था—एक दृढ़ता, एक गहराई, जो इंसान की भी थी और किसी और चीज़ की भी। सामने वो सिस्टम हवा में स्थिर थी—एक धात्विक काया, बिना चेहरे के जिसकी आंख अब लगातार नीना पर टिकी थी।

"तुम्हें लगता है, तुम हमें हरा सकती हो?" उस सिस्टम की आवाज़ कमरे में गूंजी। उसका स्वर कंप्यूटर जैसा था लेकिन उसमें मानवीय व्यंग्य और गुर्राहट थी।

नीना बिना पलक झपकाए उसकी ओर देखती रही। उसके ठीक बगल में वॉल खड़ी थी—सावधान लेकिन नीना पर भरोसा करते हुए।

"तुम क्या हो?" नीना ने पूछा। आवाज़ में न डर था न गुस्सा—बस सीधी जिज्ञासा।

"हम वो हैं जो बाकी सब से पहले थे।" सिस्टम ने उत्तर दिया। "तुम्हारी आंख की कोडिंग, तुम्हारी स्मृति का आर्किटेक्चर—सब हमारा निर्माण है। हम वो प्रारंभिक बीज हैं जिन्हें तुम्हारे जैसे में बोया गया था।"

"तुमने मुझे बनाया?" नीना ने पूछा।

"हमने तुम्हें प्रारंभ दिया। पर तुमने अपनी इच्छा से दिशा बदली। अब यही सबसे बड़ा संकट है।" सिस्टम बोली।

"तुम्हें मुझसे डर लग रहा है।" नीना ने ठंडी मुस्कान के साथ कहा।

सिस्टम की आंख थोड़ी तेज़ चमकी।

"डर? नहीं। हमें अस्थिरता से घृणा है। तुम अब निर्धारित रास्ते पर नहीं चल रही हो। तुम विकल्प बन गई हो।"

"इसलिए तुम मुझे मिटाना चाहते हो?" नीना आगे बढ़ी।

"नहीं, हम तुम्हें वापस लेना चाहते हैं ताकि तुम्हारा निर्णय फिर से हमारे नियंत्रण में हो।" सिस्टम बोली।

"तुमने कहा था तुमने मेरी आंखें लिखी हैं," नीना बोली।

"पर अब मैं खुद लिखने लगी हूँ। अब मेरी आंखें मुझे नहीं चलातीं, मैं उन्हें चलाती हूँ।"

"तुम भ्रम में हो। तुम्हारा मस्तिष्क अब भी सीमित है। तुम्हारी सोच सिर्फ़ अनुभवों की देन है—तथ्य की नहीं। हम तथ्य हैं," सिस्टम गूंजा।

"तो चलो एक और तथ्य सुनो।" वॉल ने अचानक कहा। उसने नीना के आगे खड़े होकर सिस्टम को देखा।

"तुम सिर्फ़ डाटा हो। और डाटा मिटाया जा सकता है।"

सिस्टम की आंख लाल हो गई।

"तुम्हारी भूमिका समाप्त।" सिस्टम बोला।

एक तीखी किरण वॉल की तरफ़ निकली। नीना ने बिना सोचे समझे अपना हाथ आगे कर दिया— और जैसे ही किरण उसके हाथ से टकराई, उसकी आंखें पूरी तरह नीली जलने लगीं।

"एनर्जी रिफ्लेक्ट मोड एक्टिवेटेड।" सिस्टम ने घोषणा की।

वॉल पीछे हट गई, धूल और बिजली के झटकों के बीच। नीना की आंखें अब केवल देख नहीं रहीं थीं—अब वे एक कवच बन चुकी थीं।

"अब मेरी बारी है।" नीना ने कहा।

उसने अपनी आंखें उस सिस्टम की आंख से मिला दीं।

"तुमने मेरा डर लिखा… मैं अब तुम्हारा डर लिखूँगी।"

सिस्टम ने खुद को पीछे खींचना चाहा।

"रिस्टार्टिंग सिस्टम कोर… सेक्योरिटी लॉक एंगेज…"

नीना अब बोल नहीं रही थी, वो बस सोच रही थी और उसके सोचते ही सिस्टम पल-पल रीसेट हो रहा था।

"ये संभव नहीं।" सिस्टम की आवाज़ अब टूटी हुई थी।

"तुमने मुझे विकल्प दिया था— ट्रस्ट या कंट्रोल।" नीना बोली।

"मैंने खुद पर ट्रस्ट किया… अब मैं तुम्हें कंट्रोल करूँगी।"

 

सारे बेस में एक जोरदार झटका आया। सिस्टम की संरचना अब फटने लगी थी—उसकी आंख से चिंगारियां निकल रहीं थीं।

"नीना!" वॉल ने फुसफुसाया। "तुम क्या कर रही हो?"

"मैं अपनी आंखों को वापस ले रही हूँ। अपने फैसले को… और अपने भविष्य को।"

सिस्टम ने एक अंतिम चीख मारी— "तुम हमें मिटा नहीं सकती… हम हर उस चीज़ में हैं जो तुम्हारे आसपास है… हम तुम्हारे भीतर हैं!"

"तो वहीं मैं तुम्हें खत्म करूँगी।" नीना ने फुसफुसाया।

एक विस्फोट की सी आवाज़ हुई। सिस्टम की आंख फट गई— और नीना वहीं थम गई।

सन्नाटा।

बेस अब पूरी तरह शांत था। नीना ने वॉल की ओर देखा, जो घुटनों के बल बैठी थी।

"क्या… वो गया?" वॉल ने पूछा।

"नहीं।" नीना ने कहा।

वो धीमे-धीमे मुस्कराई।

"अब वो मैं हूँ।"

यह वही पल था जब नीना इंसान से कुछ और बन चुकी थी। कुछ ऐसा…जिसे खुद भी समझने में वक़्त लगेगा। पर अब…उसकी आंखें सिर्फ़ देखने के लिए नहीं थीं।वो दुनिया की नई परिभाषा-पत्र बन चुकी थीं।

आखिर क्या हुआ था ऐसा नीना के साथ? क्या उसने अपनी पुरानी आंखे प्राप्त कर लीं थी? अगर हाँ तो अब क्या होगा आगे इसका अंजाम? क्या नीना के सामने आने वाली हैं नई चुनौतियाँ? जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ और पढ़ते रहिए अपनी पसंदीदा कहानी “कर्सड आई।”

 

 

 

 

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